56 ऐषणा - 2 : आचार्य सत्यजित् जी (आयुर्वेदाचार्य, M.D. आयुर्वेद) - आर्ष न्यास, रोजड़

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  • Опубліковано 16 вер 2024
  • आयुर्वेद का विस्तृत परिचय
    प्रस्तोता-आचार्य सत्यजित् आर्य (आयुर्वेदाचार्य, M.D. आयुर्वेद)
    स्वास्थ्य की इच्छा हमारी मौलिक कामना है। निरपवाद रूप से हम सब स्वस्थ जीवन चाहते हैं। फिर भी हम रुग्ण होते रहते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य के बारे में जानने की हमारी इच्छा बनी ही रहती है। आयुर्वेद की इस विषय में क्या दृष्टि है? इसे इस व्याख्यान माला में परिचर्चा की रीति से व्यापक रूप से खोला गया है। इस व्याख्यान माला से जानिए -
    👉आयुर्वेद वास्तव में क्या है?
    👉आयु कितने प्रकार की होती है?
    👉स्वस्थ किसे कहते हैं?
    👉वात पित्त कफ त्रिदोष।
    👉शारीरिक मानसिक प्रकृति की पहचान।
    👉आहार विधि क्या है? विरुद्ध आहार।
    👉पानी कब क्यों कितना पीयें?
    👉निद्रा कब कितनी क्यों लें?
    👉दिनचर्या, ऋतुचर्या, व्यायाम, मालिश।
    👉धारणीय अधारणीय वेग।
    👉अहित त्याग विधि।
    👉ऐषणायें करणीय अकरणीय?
    👉सेवनीय असेवनीय मनुष्य।
    👉सद्वृत्त।
    .... और भी बहुत कुछ....
    इन वार्ताओं को सुनना आपको महत्वपूर्ण व उपयोगी लगेगा।
    स्वास्थ्य व दीर्घायु के इच्छुकों को विशेष संतोषकर होगा
    मानव मात्र के लिए उपयोगी व आवश्यक
    मुनि सत्यजित् द्वारा दिए गए 30...30 मिनट के
    75 व्याख्यान/वार्ताएँ एक एक कर प्रतिदिन प्रसारित होने वाली हैं।
    Aarsh Nyas - is organization driven by vedic scholars, which has sole purpose of making ved , upanishad and darshan understanding in easy and scientific way.
    विश्व के सभी मनुष्य दुःख को दूर कर सुख को प्राप्त करना चाहते हैं, दुःख का कारण अज्ञान है, सभी ज्ञान का मुख्य स्रोत वेद है. महर्षि मनु ने "सर्वज्ञानमयो हि स:" कह कर वेद को ही समस्त ज्ञान का मूल माना है, "वेदोsखिलो धर्ममूलम्" मनुस्मृति २-६ में वेद को धर्म का मूल उलेखित किया है, "धर्मं जिज्ञासमानानाम् प्रमाणम् परमं श्रुति: " अर्थात् जो धर्म का ज्ञान प्राप्त करना चाहते हैं उनके लिए परम प्रमाण वेद है.
    इन आर्ष ग्रंथों के सरलतम रूप में प्रचार प्रसार एवं इससे सम्बंधित कार्य में कार्यरत ब्रह्मचारी, संन्यासी आर्यवीरों के सहयोग हेतु आर्ष न्यास का गठन दिनांक 16 अगस्त 2011 को स्वामी Vishvang जी, आचार्य सत्यजित् जी, श्री सुभाष स्वामी, श्री आदित्य स्वामी एवं श्री रामगोपाल गर्ग के द्वारा अजमेर में किया गया.
    आर्ष न्यास आध्यात्मिक एवं व्यावहारिक विषयों को जिज्ञासा समाधान, उपनिषद् भाष्य, पुस्तक एवं कथा के माध्यम से प्रस्तुत करने में अग्रणी है।

КОМЕНТАРІ • 4

  • @SanjeevSingh-qu8nz
    @SanjeevSingh-qu8nz 20 днів тому

    ओ३म परम पूज्य श्रेद्धय श्री मुनिजी कै चरणौ म सादर ढंडवत प्रणामजी

  • @praviinbhokare
    @praviinbhokare 21 день тому

    Pranam

  • @vibhorbhardwaj9420
    @vibhorbhardwaj9420 21 день тому

    Waiting for it❤