Devguradiya Shiv Mandir | Devguradiya | Devguradiya Mandir Indore | Gutkeshwar Mahadev Indore

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  • Опубліковано 10 вер 2024
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    Devguradiya का गुटकेश्वर Shiva Temple जहां प्रकृति करती है महादेव का अभिषेक | Indore |Saawan Special
    इंदौर के देवगुराड़िया में अद्भुत मंदिर, प्रकृति करती है शिव अभिषेक। MP News Indore
    devguradiya Mandir Indore भारत का एकमात्र शिव मंदिर जहां शिव की आराधना नाग-नागीन करते हैं ll
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    हेलो दोस्तों आपका स्वागत है एक और नए वीडियो में |
    और आज हम आए हैं देवगुराडिया में गुटकेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए|
    गुटकेश्वर शिव मंदिर इंदौर से लगभाग 10 से 12 किलोमीटर की दूरी पर नेमावर रोड पर स्थित है|
    इस मंदिर को 3 लोको में बताया गया है जिसे पाताललोक, मर्त्युलोक और स्वर्गलोक कहते हैं|
    इस स्थान का संबंध त्रेतायुग से बताया जाता है।
    यहां मंदिर में नाग और नागिन के जोड़े के दर्शन कभी-कभी होते हैं|
    जब रावण के पुत्र मेघनाथ ने भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी को नागपाश में बांध दिया,
    उस समय भगवान हनुमान और महर्षि नारद के प्रार्थना करने पर गरुण महाराज ने भगवान श्री राम और लक्ष्मण जी को नागपाश से मुक्त किया था|
    भगवान राम और लक्ष्मण जी को नागपाश से मुक्ति दिलाने के बाद गरुण महाराज को भगवान राम के भगवान होने पर संदेह उत्पन्न हो गया|
    इस संदेह को मिटाने के लिए गरुण महाराज महर्षि नारद के पास गए|
    महर्षि नारद ने उन्हें भगवान ब्रह्मा के पास भेजा, भगवान ब्रह्मदेव ने गरुण महाराज को भगवान शिव के पास भेजा|
    भगवान शिव ने गरुण महाराज का संदेह मिटाने के लिए उन्हें काकभुशंडी जी के पास भेज दिया |
    काकभुशुण्डि लोमश ऋषि के श्राप से एक कौवा बन गए थे,
    काकभुशुण्डि को लोमश ऋषि ने शाप से मुक्ति के लिए इच्छाामृत्यु का वरदान दिया था |
    काकभुशुण्डि ने गरुण महाराज को पूरी राम कथा सुनाई तब जाकर गरुण महाराज का संदेह दूर हुआ |
    आप लोगो मेसे काई लोगो के मन में अब ये सवाल आएगा कि काकभुशुण्डि जी को ये कथा किसने सुनाई|
    काकभुशुण्डि जी ने ये कथा तब सुनी थी जब भगवान शिव माँ पार्वती को ये कथा सुना रहे थे|
    काकभुशुण्डि जी से राम कथा सुनकर जब गरुण महाराज का संदेह दूर हुआ, और इस बात का प्रायश्चित करने के लिए वो मालवा के इस पर्वत क्षेत्र में आये |
    और भगवान शिव की तपस्या की, तपस्या से प्रसन्न होके भगवान शिव ने उन्हें इस स्थान पर दर्शन दिए |
    ऐसी मान्यता है कि गरुण जी ने भगवान शिव से प्रार्थना की जैसे अपने दर्शन देके मेरी मनोकामना पूरी की,
    वेसे ही आप यहां विराजमान होकर अपने भक्तों की भी मनोकामना पूरी करें |गरुण महाराज ने इस जगह पर तपस्या की थी इसीलिये, इस जगह का नाम गरुण महाराज के नाप पर देव गुराड़िया पड़ा | इस मंदिर को गरुड़ तीर्थ के नाम से भी जाना जाता था।
    ऐसी मान्यता है कि यहीं भोलेनाथ अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं|ऐसा बताया जाता है कि यहां मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वंभू है| इस जगह पर मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी हुआ |
    वर्तमान मंदिर का स्वरूप 1784 में देवी अहिल्याबाई होल्कर के द्वारा महेश्वर से इंदौर आगमन पर बनवाया गया था |
    देवी अहिल्याबाई होल्कर ने भी यहां भगवान शिव की पूजा की थी
    देवी अहिल्या बाई के बाद भी यहाँ पर होलकरवंश के कई शासक यहां मंदिर में दर्शन के लिए आते थे |
    मंदिर प्रांगण में कुल 6 कुंड बने हुए हैं| यहाँ कुंडो में पने कभी नहीं सुखता, एक समय पर पूरे गांव के लिए अपनी की पूर्ति इसी कुंड से हुआ करती थी| कुंड का पानी प्राकृतिक रूप से पहाड़ों से निकलता है |
    मंदिर में गर्भ गृह के अंदर शिवलिंग के ऊपर बने नंदी जी के मुख से सावन के महीने में प्रकृतिक रूप से पहाड़ों का पानी शिवलिंग पर गिरता रहता है
    जिससे लगातार शिवलिंग का जलाभिषेक होता रहता है |
    हर शिवरात्रि पर यहां बड़े मेले का आयोजन किया जाता है |
    सावन में और प्रदोष व्रत के समय यहां भक्तो की भारी भीड़ देखने को मिलती है |
    यहां पर शिवरात्रि के समय भक्तों की लाखो की संख्या में भीड होति है|
    इस मंदिर में एक पाताललोक भी है जिसके दर्शन आपको इस वीडियो में नहीं मिले हैं, वो इसलिए क्योंकि जब आप यहां आएंगे तो खुद ही पाताललोक में भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं|
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