Dohe || Bani Sahjobai Ji || Niranjan Saar ||

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  • Опубліковано 12 лют 2022
  • #NiranjanSaar
    1) सिष का माना सतगुरू, गुरु झिड़कै लख बार ।
    सहजो द्वार न छोड़िये, यही धारना धार ॥
    2) गुरु दरसन कर सहजिया, गुरु का कीजै ध्यान ।
    गुरु की सेवा कीजिये, तजिये कुल अभिमान ॥
    3) सतगुरु दाता सर्ब के, तू किर्पिन कंगाल ।
    गुरु महिमा जानै नहीं, फस्यौ मोह के जाल ॥
    4) गुरु सूँ कछु न दुराइये, गुरु सूँ झूठ न बोल ।
    सूँ भली खोटी खरी, गुरु आगे सब खोल॥
    5) सहजो गुरु रच्छा करैं, मेटैं सब दुख दुन्द |
    मन की जानैं सब गुरु, कहा छिपावै अन्ध॥
    6) सहजो गुरु किरपा करी, कहा कहूँ मैं खोल ।
    रोम रोम फुल्लित भई, मुखे न आवै बोल ||
    7) सहजो गुरु ऐसा मिलै, जैसे सूरज धूप ।
    सब जीवन कूँ चाँदना, कहा रंक कहा भूप ॥
    8) सहजो गुरु रँगरेज सा, सबहीं कूँ रँग देत ।
    जैसा तैसा बसन है, जो कोइ आवै सेत ॥
    9) सहजो सतगुरु के मिले, भये और सूँ और ।
    काग पलट गति हंस है, पाई भूली ठौर ॥
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