सेल्यूकस निकेटर जो कि सिकंदर का सेनापति और सिकंदर की मृत्यू के पश्चात का राजा था, को चन्द्रगुप्त मौर्य ने हराया और भारत से एक बार फिर अपना बोरिया बिस्तर बाँध कर भागने पर मजबूर कर दिया ❤
Haraya nahi Tha exactly, treaty sign Hua tha. Aur woh Alexander ka successor bhi nahi Tha, uske generals ne empire ke different hisso pe apna adhipatya ghoshit kar diya. Toh tum jiski baat kr Rahe ho woh aek chote hisse ka raja tha, naki pure empire ka
क्योंकि BBC अंग्रेजों का है और अंग्रेज racist है। पोरव राष्ट्र के राजा 'महाराज पुरूषोत्तम' (पुरू/पोरस) और चित्तोड़ के राजा महाराणा प्रताप ने कभी-भी दुश्मन के आगे घुटने नहीं टेके थे। मगध के बारे में जानकर सिकन्दर और उसकी सैना घबरा गयी थी इसलिए वो आगे नहीं बढ़े। जिस सिकन्दर ने आधी दुनियां को जीता उसको भारत मां के लाल पोरस ने भारत से खाली हाथ लोटाया।
Yogindersinng..par wo jhola uta k chal de ga ka dialogue neta logo par fit bethta hn jinko chamche spot karte hn kykii wo chunav me jhola uta k nikal diye hn😁
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
एक सच्चे हिंदुस्तानी के लिए अलेक्जेंडर कभी भी महान नहीं हो सकता। सच्चे हिंदुस्तानी के लिए पोरस और पोरस जैसे हिन्दूस्तान के मान-सम्मान के लिए बलिदान देने वाले दूसरे स्वाभिमानी हिन्दुस्तानी महान है
हमारे देश की माताओं ने एक से बढ़कर एक योद्धा, देश भक्त ओर यस्शवियों को पैदा किया है जिनका त्याग ओर बलिदान हम भारतीयों को प्रेरित करता रहेगा। जय हिन्द जय भारत वंदे मातरम्
@Souvik Dalbergia kya wo india mai Har gya tha iska mujhe knowledge nhi tha agar Haar gya tha tab to achi baat hai kisme haraya tha usko ye bhi bta dena jara
इतिहास के एक एक छोटे तथ्यो को सटीकता से बताने का मतलब ये है की इसमे बहुत सारे व्यक्तियो से अपनी तरफ से बाते जोडी गई है । और ये बी सत्य है जिस बात के बारे मे भी इतैहास लिखा जाता है वो अलग अलग समय के समुदायो के पूर्वाग्रहो से प्रभावित होता ही है और उस इतिहास का हस्तांतरण करने मे भी तथ्यो मे बहुतायत या आधे बदलाव तो होते ही है। इतिहास समझने का प्रयास करना अच्छा है पर उसकी सत्यासत्याता को शतप्रतिशत सही मानना गलत होगा।मानव समुदाय को सही समझ का उपयोग करके पूरे समुदाय कि अभिवृद्धी के बारे जितना सोचकर जो भी काम करना है वो करे तो बहुत से समस्या जिन पर मानव का नियंत्रण नही होता उससे हानी कम से कम हो इसका प्रयास किए जासकते है
सिंधु नदी के इस पार, गंगा क्षेत्र में मगध राजा नंद की लाखों संख्या की सेना खड़ी थी। सिकन्दर और उसकी सेना को पता चल गया था कि एक छोटे से राज्य का राजा पोरस ने इतनी तबाही मचाई, तो सबसे बड़े महाजनपद मगध की सेना वापस यूनान नही जाने देगी।
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
Nhi Bharat sone ki chiriya wale desh ko koi nhi chorna chahega porus sena se sikandar ki har huwi .dusri sikandar ne magadh ki shakti ke bare sun rakha tha aur anuman lagyaa porus itna bahdur ho sakta hai toh magadh kitna shaktiaali hoga sikandar budhiman Raja tha isliye lotna para
Porus& chanakya is great... Unhone Alexander jaise uss aakranta ko lotne per majboor kar diya jo kroorta ke sath aagey badhtey huye jhelum nadi tak aa pahunchaa.
जीत पोरस की ही हुई थी क्योंकि :- 1. पोरस के राजा की मृत्यु नही हुई थी 2. Alexander भारत को कब्जाने आया था जिसमे बह विफल हुआ । 3. पूरी दुनिया को जीतने वाला भारत में आकर कैसे थक गया ? 4. Alaxander पर युद्ध के बाद वापिस जाते वक्त कई कबीलों ने हमला किया । (ऐसा हमेशा हारी हुई सेना के साथ ही होता था) 5. जब Alexander का घोड़ा तक मारा गया तो बह युद्ध कैसे जीता होगा ?
@@arvinddhiman5525 अफवाहें फैलाई गई थी । अगर Alexandra जीता होता हो भारत को कब्जाया क्यों नही (बह तो पूरी दुनिया जीतने आया था) और जीतने के बाद अचानक से Alexandra के दिल में इतनी दया कैसे आ गई कि उसने पोरश को छोड़ दिया जबकि इससे पहले उसने सभी हारे हुए रातों को मौत के घाट ही उतारा था ।
The history was written by the Greeks so Alexander can't be defeated in their history. But if you look at all the events -- Porus not only stayed the ruler of Punjab but also became the King of Takila , so it is very obvious that Porus defeated Alexander and chased him till the end of Takila and that is how Porus became king of Punjab and Takila.
@@AZ-je9hg to saale terko kya kya lagta hai jo sainik puri Duniya ko jitna cahate the wo ekdum se thak jayenge 😂😂. Alexander haar gaya tha aur ye story Greeks ne likhi hai , wo to apna hi bnda vijayi baneyenge story mai
ईश कहानी में यूरोपीय लेखक द्वारा सिकंदर को महान बताया गया है। और पोरस को एक कमजोर राजा हम भारतीय है , युद्ध में हम लड़ते हुए मरना पसंद करते है समर्पण नहीं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
मुझे लगता है यहाँ अंत मे जो बताया गया है वो अधूरा है। महान पोरस के युद्ध के बाद ही उसके सैनिक मे हिम्मत नही रह गयी थी की गंगा पार जाकर विसाल सेना से युद्ध करता। यहाँ सिकंदर की महिमा मंडित किया गया है। बेशक सिकंदर महान थे। पर पोरस के युद्ध ने सिकंदर के सैनिक मे भय और डर व्यापत हो गयी थी।
@@गुलिस्तानेहिंद ithna bada raja kisiko nehi patha sahi kaha apne , isliye ithihaskarone kaha 70 salose hamko galath padakar asli hero ko chupaya hai Yebi Britishonka channel yahbi sach nehi mantha hu congress britishone banaya huva sangatan uooska adhyaksh aur bade adhikari sab british tthe aur logonko dekanekeliye gandhiji neharu ko aage rakethe.congress ka sthapana kon kiya saerch karnese sab patha chaltha hai
@@गुलिस्तानेहिंद जब इतिहास मे छेड़छाड़ कर के मुग़लों और लुटेरों का महिमामंडन किया गया तो आज का जनरेशन जानेगा कैसे ये वही सिकंदर था जो poras के आगे टिक नहीं सका और जान बचाकर भाग गया उसी सिकंदर का वर्णन करके महान बताया जा रहा है थु है गलत इतिहासकारो और वर्णन करने वालों पर
एक महान राजा पोरस ने जिस तरह महान सिकंदर से कहा था कि एक राजा को दूसरे राजा के साथ कैसा सलूक करना चाहिए वैसा. Great Lines❤ ....एक भारतीय को दूसरे भारतीय के साथ कैसा सलूक करना चाहिए हमें इनसे सीखना चाहिए❤ Jai HIND
सिकंदर को अंभी ने सात दिया नही तो भारत के एक छोटे से राज्य को भी नही जीत पाया तो विशाल भारत को जीतने का उस का और उस के सैनिकों का सपना टूट गया । और वहा लोट गया ।
Jeeta to porus hi hoga kyuki jo kroorta ki saari hadey paar kartey huye jhelum nadi tak aa pahunchaa thaa kya wo porus ko aise hi jameen wapas kar degaa 😂 Iss se saaf hota hai ki Alexander ne Haar sweekaar karke wapas lota hai.
Nhi bhai 😂sikandar kiyar nhi tha woh toh raste mai ek fakir aadmi mil giya sikandar ne pucha kaun ho bhai kaha ja rhe ho toh fakir aadmi bola 😂(hum toh fakir aadmi hai ji jhola utha ke chal denge)😂😂tabhi sikandar ko pata chal giya ye toh mare se pehle lut chuka hai aab kuch nhi bacha lutne ko vapis chal diya 😂😂😂😂
Haan beta aur saari shi history to andhbhakts likhte haina tere jaise😂,porus to Indian shastro mein hai bhi,jitni knowledge porus ke baare mein hai wo unani writers se hai,history padha kr gobarbhakti nhi😂
Nonstoper...tumri history me toh wars me pakdi gayi non Muslims girl's aurato ko sex gulam londia bana kar rape karne wala popat Mohammed rasool Allah jahanumi zombie ko b rehahmut ul alameen nabi batya gaya hn toh....
The Greek history refuses to admit that Alexender was defeated in India !!! He came with full force to rule India !!! After Alexender failed to capture ,many armies from the west kept trying, finally Muslim and British armies came with full preparation to capture India Some letters that he wrote to his mother has been translated to English- “ I am involved in the land of a Leonine' (lion-like) and brave people, where every foot of the ground is like a wall of steel, confronting my soldier. You have brought only one Alexander into the world, but every mother in this land has brought an Alexander in the world.”
"After alexander muslims and british kept trying to rule india ". What does it mean bro.... Aese likhre ho jese unhone try kya or kamyab na hue ho😅... The fact is whoever tries to conquer india they easily conquered it... Let me tell you india was ruled by 7 8 muslims dynasties before mughals comes to power... Then mughal ruled india for centuries..and then brithis ruled again ... But these aren't the only powers who ruled india .. Dutch , Portugese, french also control some regions of india mainly costal regions.. but long before them persian conquered North Western part of india than greeks conquered some part of india... Cyrus conquered west part of indus river and his grandson darius conquered punjab and sindh... And before all these hunas to ruled india..and there are many more powers who ruled india... India was hardly able protect itself from foreigners through out hisi
@@m.radhakrishnan6117 or tumse bda to koi historian hi ni h.... Alexender ne duniya k kafi hisse pr kabja kia ..or vo sb mante hein ke hn he was the great king or usne hmare area pr kabja kia.... India m ate hi 8th pas , jinhe history ka A b ni pta vo b wtsap ka gyan pelne lgte hein ... Alexender dr gya isliye bhg gya.. are mndd buddhi pranio indian empire to persian empire k mukable m kuch tha hi ni alexender unhe hra k a gya indian rulers s dr jata lol 😂... In 7vi paas walo ki alg history h vrna jo UPSC crack krte hein jb vi history pdte hein to tb b history yhi btati h ke alexander k samne taxila k rules ne to bina lde hi hathiyar lad diye the.. king porus n ni dale the to usko alexander ne hra dia tha... Ab tere manne na manne s thodi itihas bdl jayega
आपका अंदाज़ और शब्द सुनकर और सिकंदर के प्रति आदर देखकर लगता है कि सिकंदर आपका पूर्वज था... इसलिए सिकंदर को उस तरह ही बताया जाए जैसे कि बाकी विदेशी आक्रमणकारियों के लिए किया जाता है।
@@sandeepverma8201 sikander maha murkh tha uss ko mahan batane wale toh sinander se bhi mahamurkh hei kiyu ki jo kaaran hi kisi dusre desh ko hani oahuchata lutmar karta hei wo mahan kese ho sakta hei, mahan toh Poras tha jo gaddar aambi ki gadari ki waja se haar kr bhi jeet geya
इस बात पर यकीन नहीं होता कि सिकंदर जैसा एक क्रूर राजा जिसने अपनों को भी नहीं बख्शा वह अपने दुश्मन राजा को जिसने उसका बहुत नुक्सान भी किया उसे बख्श दिया और उसकी जमीन लौटा दी।
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
Abe kuch v... Sikandar puri dunya fatah kiya... Chnadragupt bas india bhar me naam hai... Bhai jabardasti ka apne dahi ko khatta ke bajaye meetha mat bayaan kar 🤣🤣
@@ImZain04 अमर अकबर एंथोनी मूवी देखी है,,, नही देखी तो देख ले ,, चाहे अमर हो, चाहे अकबर या एंथोनी,, सबका बाप कोई कृष्ण लाल ही निकलेगा,, नहीं यकीन हो तो 5, 7 पीढ़ी पीछे चेक कर ले😂😂😂😂
सच तो ये है की सिकंदर को राजा पोरस ने नाकों चने चबा दिए और उस राजा पोरस के साम्राज्य की अंतिम सीमा गंगा तट के उस पार उससे भी कई गुना बड़ा नंद वंश समाराज्य था जिसे उससे भी ज्यादा महान बड़े चंद्र गुप्त महान ने जीत लिया 😊😊 💯
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
Which Indian tradition you are talking about you can't change history just commenting on every Alexander videos so that people will trust you you can't believe leave it don't comment Alexander won
@@lakshdeepthakan771 History is biggest collection lies fabricated by mankind. Apply logic and think clarity will emerge. Now there are historians who have found there was no one called alexender ever existed. It was fabricated to propose to East that they also had great character called alexander. Who do you believe? But whatever is the story it is a story of a man who was an idiot, who achieved nothing except killing people and could not go beyond India because he was defeated and finished here. If we had won as per story planted by left and European people why didn't he move further in Asia beyond India. He didn't go further because he couldn't as he was defeated here.
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@@rajeevsharma9549सिकंदर को पुरु,पुरुषोत्तम ने भगाया इस से दुःख हुआ क्या,यही तुम लोगोंकी मानसिकता है वैसे ताक्षशिलासे धनानंद का पाटलीपुत्र कोसो दूर था
@@biswaruppaul8841 , why that was fought on the Porus soil rather than western side? Because Elephants 🐘 were not able to cross river that made Porus defensive.
@@User1234-m8x yahan hum desh ke liye bhi agar kuch bolenge toh bhi andhbhakt bun jayenge kya......Abey o halala ki paidaish ye bata ki desh ke liye kuch bhi sacchi baat boli jayegi toh wo tujhe pasand nahi aayengi kya re
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
इससे यही पता चलता है कि उसके सैनिकों ने उसका साथ क्यों नहीं दिया अगर जीते होते तो जीत ऐसी चीज है कि ओ हमेशा आगे बढ़ने का साहस प्रदान करती है न कि भाग जाने का । वापस जाने का मन तभी करता है जब ये पता चल जाए कि जितने हैं अगर आगे गये तो उनसे भी हाथ धोना पडे़गा। 😊😂😂😂
इतना खूंखार हैवान सिकंदर भारत को वापस कैसे दे सकता था? जबकि उसका एक ही लक्ष्य था - सोने की चिड़िया को जीतना। यह तो अपचा बात है कि सिकंदर भारत जीतकर पोरस को सौंप दिया।
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
भारत के सनातनी लोगों के सामने सिकंदर कुछ नहीं था सनातनी लोगों के पैरों के धूल के बराबर भी सिकंदर नहीं था सनातन संस्कृति की जय हो जय हिंदू राष्ट्र जय सनातन धर्म जय काशी विश्वनाथ हर हर महादेव
@@vikashkumarmunshi angrej aur sikander me 2000 sal different hai.. in 2000 salo me budha dharm ke nivruti vad ne khokhala kardiya hai isliye jo fighting attitude 2000 sal pahle tha wo ashoka ke hathiyar chodkar budha dharm apne se bhartiya praja lagatar kamjor hoti gai... itihas ka vikrutikaran kiya gaya hai in chuslimo dhwara aur angrejo aur leftisto dwara
महान तो पौरस था जो अपनी छोटी सी सेना के साथ सिकंदर के विशाल सेना के हौस ठिकाने लगा दिये,सोचो अगर उनका सामना मगध साम्राज्य से हुआ होता तो सिकंदर महान के जगह पे सिकंदर लहुलुहान का प्रयोग होता ।
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
Actually, sikander was defeated by Pourse. And He was got injured, and then he returned back or run away, and on the way, he passed away this the true....think asper his all war history is showing he never showed mercy on defeated enemy.
@@swapnilutge8835 true bbc speaks against india see how they describe ghazi submarine that it burst on its own see u can find fault in their logic when india was so much aware of its presence a depth charge sunk it so bbc hates india's glory
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
@@lovesong4156 India ka gdp 45 percent tha mughal ane se phele study karo ese hi in sabki najar india pe thi jaake search karo kitne inavsion hue hai aur kyu hu hai World ka half gdp to india ke pass tha aur sone ki chidiya maurya kaal se bhi phele se kaha jata tha ye mughal mongol ki chudal ki pura dharam ka 4 din se purani history nahi ajj bhi phele din mullaism suru hua dusre din mecca banaya tisre mongol se chude 4the din Mughal paida hua aur 5va din uska vansaj yaha betke history bata raha hai🤣🤣🤣🤣
Porus was very strong and he gave brutal fight to sikandar. History was written by western which was quite wrong. Small king Porus gave such a fight that Sikandar's army got scared and army refused to go towards east where Magadh kingdom was very very strong. Alexander's army was shit scared.
No they had fought big armies before , the thing was they were using Herodotus map of World which miscalculated size of India to be less than Persia , after the march from Macedonia to Anatolia Levant Egypt Persia and Central Asia when they conquered Indian kingdoms , they soon realised how big the subcontinent was and to fight numerous variable size kingdoms on different geographical terrain was too exhausting.‘ also Alexander wasn’t king of all Greece but Macedonia, others only joined due to their revenge against Persians for the 300 war movies , battle of marathon and burning of Athens …. They had long taken the revenge with burning of persipolis , and Alexander was simply dragging them for no reason . Even when he is at Babylon in his last days , he is planning a invasion of Arabia , a desert land with little resources…. No wonder his people poisoned him . He was a great military guy but a full blown megalomaniac
महायौद्धा सम्राट पौरस सभरवाल यूगपुरुष था। सिकंदर से भारत को बचाया था। तभी आज हमारा भारत देश महान कहलाया था। मुझे गर्व है यूगपुरुष पोरू सभरवाल पर। किसी भाई को अधिक जानकारी चाहिए मुझ से सम्पर्क कर सकते है।
@@jeetsran7179 अज्ञानी भाई जी उस समय जातीय नहीं वर्ण था और आपकी जानकारी के लिए आपको बता दु वर्ण के हिसाब से क्षत्रिय थे महान पौरस सभरवाल यौगपुरुष उनके पूज्य पिता यौद्धा राजा बन्ननी और सुन ले,,सभरवाल क्षत्राणी शेरनी रानी अनुसूईया जो तक्षशिला के राजा अम्भीराज की बहन , जो सम्राट राजा पौरस सभरवाल की माँ थी। रही बात जाट जाति की तु निष्ठा से खोज कर। 🦁जय महाकाल जय सभरवाल
सिकंदर के भारत से जाने की दूसरी थ्योरी बताता हूँ , ध्यान से सुनो , जब सिकंदर महान के सैनिकों ने देखा की भारत में गाय का बछड़ा उसका दूध पी रहा है और भक्त लोग गोबर व मूत्र ? उसी क्षण वह समझ गया की यहाँ रुकना ठीक नहीं है वापस चलो 😁😁😁😁😁😁😁😁😁
एक थ्योरी ये भी है कि उसने देखा कि अल्लाह की भारत मे लोग गांड मारते हैं तो उसने सोचा कि ये भारतीय जब न दिखने वाले 72 हूरों वाले भड़बे कि गांड मार लेते हैं तो सिकन्दर का क्या हाल करेंगे
क्योंकि आगे जांगल प्रदेश के गणराज्यों का एक संघ था जिसका नेतृत्व भादरा का राजा प्रवतेश्वर कर रहा था इसका शासन भादरा से मथुरा था विस्तारित था, बाद में चाणक्य ने इसकी सैनिक शक्ति के सहारे नन्द वंश को हराया था
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
@@biomind jhaante ukhad Li thi poras ne........pel ke chala gya Alexander...tum chillao.... I'm proud of the great Alexander 💪💪❤️❤️ Charaag jalaate hi poras ki fauj bhagg gyi Pele gye bdiya se porus aur uske soldiers 🤣🤣🤣🤣🤣...tum manusmriti mein porus ko vijayi ghoshit krdo...waise bhi aajtk ek jhante na ukhad paaye.........tb2 drone's turkey se bheeg maangne pahunch gye shrm to aati nhi....chullu bhar pani lo godi rogi ko sath leke doob maro....yhi aukat hai tumhri 🤣🤣🤣🤣🤣🤣....chri ram chri ram 🤣🤣🤣... Lindu kandu tanatani 🤣 chindu
@@muhammadsohailkhan7563 Haa to bhai abhee kuchh saal pehly hi research hui hai ki unki death porus se harne ke baad kisi slow poisons hathiyaar se ghayal honey ke baad jab wo samudree rastey se Babylon pahunchney ke baad hui hai......
Sikandar soldiers were not tired........ But they were fearful of Indian archers, because half of Sikandar's army was killed by great Indian Archer of purushotam (porus) ........ and the remaining army left in a hurry with sikander fearing complete wipeout
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
सिकन्दर एक महान योद्धा था भारत आने के क्रम में उसकी सेना लगातार युद्दों से थक चुकी थी व यहाँ का वातावरण भी उनके अनुकूल नहीं था सिकंदर युद्ध में घायल भी हो गया था , इस कारण उन्होंने लौटने का फ़ैसला किया , स्वाभाविक तौर पर भी ऐसा ही होता है
@@rgbaura3282 क्या तुम मूर्ख हो तुम्हें यह नहीं पता कि सिकंदर का सामना दुनिया की सबसे महान सेना से था। मगध की सेना सिकंदर की सेना से ताकतवर थी। इसलिए सिकंदर ने पीछे हटने का फैसला लिया क्योंकि वह उससे नहीं जीत सकता था। सिकंदर की मृत्यु के पश्चात उसके सेनापति सेल्यूकस निकेटर ने भारत में हमला करने की कोशिश की। लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य ने उसे बुरी तरह हरा दिया।
@@IndoAryan persian sena bhi macedonia sena se 4 guna zyada numbers mein aur takatwar thi tab bhi sikandar jeet gya,uski sena thak chuki thi isliye wo chala gya wapis naki magadh ke dar se
Sir you are wrong here. Alexander got defeated and he was pushed towards Thar desert and when on his journey to Macedonia he crossed one area with bird flu. There he got sick and died due to lack of medical help. But to save Alexander's image western countries still present him as a winner.
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
No they had fought big armies before , the thing was they were using Herodotus map of World which miscalculated size of India to be less than Persia , after the march from Macedonia to Anatolia Levant Egypt Persia and Central Asia when they conquered Indian kingdoms , they soon realised how big the subcontinent was and to fight numerous variable size kingdoms on different geographical terrain was too exhausting.‘ also Alexander wasn’t king of all Greece but Macedonia, others only joined due to their revenge against Persians for the 300 war movies , battle of marathon and burning of Athens …. They had long taken the revenge with burning of persipolis , and Alexander was simply dragging them for no reason . Even when he is at Babylon in his last days , he is planning a invasion of Arabia , a desert land with little resources…. No wonder his people poisoned him . He was a great military guy but a full blown megalomaniac
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
झेलम के तट पर भारत के अप्रतिम वीर पोरस महान ने सिकन्दर को बुरी तरह से हराया। जिससे सिकन्दर की सेना भयभीत हो गई। घायल सिकन्दर ने विवश होकर अपने देश यूनान भाग गया। लेकिन बेबीलोन में ही मर गया।
दुनिया को जीतने वाला सिकंदर और सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस को जीतने वाला सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य को जीतने वाले शाक्यमुनि बुद्ध 🙏
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
I simply can't understand how a cruel and ambitious king will leave the king who nearly finished his army while his army was supported by takshila king who has rivalry with porus ? It seems to be a completely distorted history to me. also how can one know the things happened 2300 years back with such tiny instances included ?
Respected 🙏! History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this? In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion. Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP) With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts. Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool. It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity. I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country. I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points 1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way. Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony. Avdhut Joshi
@@aniket385 Dear Aniket As far as history is concerned India is very funny nation. We have many versions of history based on convenience of caste, religion and political inclination. We must change this. I have a solution for it. I wish to organize nationwide discussion on history and caste and religion system. Government is not helping for it. 🙏. Avadhut Joshi
आदरणीय 🙏! भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है? स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया। और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता) समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है। मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं। मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा। मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है. मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है 1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है। कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें। अवधूत जोशी
बाबा साहब अंबेडकर ने जैसे ही जय भीम जय मीम बोला की सिकंदर ने बाबा साहब को जमीन पर लेट कर प्रणाम कर निकल लिया। ये बाबा साहब के सैकड़ों सालों की लड़ाई का नतीजा है। जय भीम।
सेल्यूकस निकेटर जो कि सिकंदर का सेनापति और सिकंदर की मृत्यू के पश्चात का राजा था, को चन्द्रगुप्त मौर्य ने हराया और भारत से एक बार फिर अपना बोरिया बिस्तर बाँध कर भागने पर मजबूर कर दिया ❤
Majedar baat to ye hai apni beti ke shaadi bhi karvaye the chandragupt maurya se.
@@asjjain191183 bete ki nahi, apni Beti hai hena ki bro.
@@asjjain191183 usse majedaar baat ye h ki Moore tribe Europe me pahunch kr raaj kiya
@@ad15626 Abe Maurya hota hai
Haraya nahi Tha exactly, treaty sign Hua tha. Aur woh Alexander ka successor bhi nahi Tha, uske generals ne empire ke different hisso pe apna adhipatya ghoshit kar diya.
Toh tum jiski baat kr Rahe ho woh aek chote hisse ka raja tha, naki pure empire ka
मगध साम्राज्य की विशाल सेना का नाम सुनते ही उसके सैनिक और सिकंदर घबरा गए यह तो आपने बताया ही नहीं
क्योंकि BBC अंग्रेजों का है और अंग्रेज racist है। पोरव राष्ट्र के राजा 'महाराज पुरूषोत्तम' (पुरू/पोरस) और चित्तोड़ के राजा महाराणा प्रताप ने कभी-भी दुश्मन के आगे घुटने नहीं टेके थे।
मगध के बारे में जानकर सिकन्दर और उसकी सैना घबरा गयी थी इसलिए वो आगे नहीं बढ़े।
जिस सिकन्दर ने आधी दुनियां को जीता उसको भारत मां के लाल पोरस ने भारत से खाली हाथ लोटाया।
Absolutely
बिल्कुल
पोरस कभी नहीं हारा ... पोरस महान है ....
He is 5 star historian !
दुनिया का एक ही सत्य है मुठ्ठी बंद कर के आना है और मुठ्ठी खोलकर जाना है
राजा हो फकीर
@Sc eathist 😂
Hum to FUCKIR aADMI HAI JHOLA Utha kr ....😂
Yogindersinng..par wo jhola uta k chal de ga ka dialogue neta logo par fit bethta hn jinko chamche spot karte hn kykii wo chunav me jhola uta k nikal diye hn😁
कैसा भी इतिहास हो न सच्चा था न सच्चा होगा ..👍
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
महान पोरस के कम लेकिन बहादुर सैनिक वीरता से लडे ऊससे सिकंदर दंग रह गया
ऊससे आगे तो मगध कि महान सेना थी ईस लिये वापस भाग गया
एक सच्चे हिंदुस्तानी के लिए अलेक्जेंडर कभी भी महान नहीं हो सकता।
सच्चे हिंदुस्तानी के लिए पोरस और पोरस जैसे हिन्दूस्तान के मान-सम्मान के लिए बलिदान देने वाले दूसरे स्वाभिमानी हिन्दुस्तानी महान है
क्या किसी के बारे में knowledge देना भी
पाप है?????🤔🤔
Sacha hindustani hona ek tarf aur sachai maana ek tarf,andbhakto wali ideology sache hindustani se match nhi krti🐷
@@Samaira_khan717 terriost/naksali spotted
@@AmanMansori-zd7zksuicide bomber,halala ki paidaish, 72 hur ke jahnt ke baal,LA hila jo se hila,talwar ke der se salwar pehnewali kom spotted..
सही को सही गलत को गलत कहने में स्वाभिमान माना जाए या नही आपके हिसाब से ?
हमारे देश की माताओं ने एक से बढ़कर एक योद्धा, देश भक्त ओर यस्शवियों को पैदा किया है जिनका त्याग ओर बलिदान हम भारतीयों को प्रेरित करता रहेगा। जय हिन्द जय भारत वंदे मातरम्
I love Alexander
जैसे ललू जी !
@@yogendrakumartewari1077to ja na us ke desh me yahan kya goo kha raha hai?
@@yogendrakumartewari1077p00p00 pp pp0p
पी
जो भारत में हारा वहां "सिकंदर महान"
और जहां जहां जीता वहां सिकंदर को शायद कोई जानता भी नहीं हो।
ऐसे हमारे देश के तथाकथित इतिहासकार है।
Kab Har gya wo 😂
ye khokli shradha chod do duniya ke historian brahman Pande pujari ki tarah fake history nahi batate
मुस्लिम राजाओं ने ही उसका नाम सिकंदर रखा था, आज भी कई लोग सिकंदर को मुस्लिम मानते हैं 😅
@Souvik Dalbergia kya wo india mai Har gya tha iska mujhe knowledge nhi tha agar Haar gya tha tab to achi baat hai kisme haraya tha usko ye bhi bta dena jara
@@mdfaizan9153 guru acharya chanakya or students acharya chanakya ne haraya
सिकंदर हार गया था, इसलिए वापस लौट गया। हारे हुए को जीवित छोड़ना सिर्फ भारतीय राजाओं की मूर्खता रही है, किसी और की नहीं...
True
@@chandrakishore2845😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊😊
😊
इतिहास के एक एक छोटे तथ्यो को सटीकता से बताने का मतलब ये है की इसमे बहुत सारे व्यक्तियो से अपनी तरफ से बाते जोडी गई है । और ये बी सत्य है जिस बात के बारे मे भी इतैहास लिखा जाता है वो अलग अलग समय के समुदायो के पूर्वाग्रहो से प्रभावित होता ही है और उस इतिहास का हस्तांतरण करने मे भी तथ्यो मे बहुतायत या आधे बदलाव तो होते ही है। इतिहास समझने का प्रयास करना अच्छा है पर उसकी सत्यासत्याता को शतप्रतिशत सही मानना गलत होगा।मानव समुदाय को सही समझ का उपयोग करके पूरे समुदाय कि अभिवृद्धी के बारे जितना सोचकर जो भी काम करना है वो करे तो बहुत से समस्या जिन पर मानव का नियंत्रण नही होता उससे हानी कम से कम हो इसका प्रयास किए जासकते है
Satya vachan
यही गलती पृथ्वी राज चौहान ने की थी नही तो आज भारत कुछ और होता
सिंधु नदी के इस पार, गंगा क्षेत्र में मगध राजा नंद की लाखों संख्या की सेना खड़ी थी।
सिकन्दर और उसकी सेना को पता चल गया था कि एक छोटे से राज्य का राजा पोरस ने इतनी तबाही मचाई, तो सबसे बड़े महाजनपद मगध की सेना वापस यूनान नही जाने देगी।
Absolutely right
Ab koi kuch bhi bol sakta he kiyoki bolne wala us samey us isthti me waha mojud nahi tha ab to jitne muh utni bate😂😂😂😂😂😂
@@JavedKhan-nw9fqलाहौर तुम्हारा इंतजार कर रहा है
Yess aur phir pichey ae poras band Baja dega....
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
जो जिता वही पोरस 🚩🇮🇳 जो हारा वही सिकंदर 🙉😂
ये बीबीसी वाले साले रहते भारत मे हैँ खाते भारत मे पानी भी भारत का पीते लेकिन कुत्ते गुणगान विदेशियों का करते कितनी गंडी भावना है सालों की
Beta history change nhi hogi 😜😜😜
Nhi Bharat sone ki chiriya wale desh ko koi nhi chorna chahega porus sena se sikandar ki har huwi .dusri sikandar ne magadh ki shakti ke bare sun rakha tha aur anuman lagyaa porus itna bahdur ho sakta hai toh magadh kitna shaktiaali hoga sikandar budhiman Raja tha isliye lotna para
Joke of the day😂😂😂😂
Bhai aap har yudh haare ho isey swikar krna mushkil hai lekin such tala nhi ja skta
पोरस जैसे बहादुर को सलाम है ।
D
I love Alexander
Porus& chanakya is great...
Unhone Alexander jaise uss aakranta ko lotne per majboor kar diya jo kroorta ke sath aagey badhtey huye jhelum nadi tak aa pahunchaa.
@@yogendrakumartewari1077we know you are a anti india criminal 😊
जीत पोरस की ही हुई थी क्योंकि :-
1. पोरस के राजा की मृत्यु नही हुई थी
2. Alexander भारत को कब्जाने आया था जिसमे बह विफल हुआ ।
3. पूरी दुनिया को जीतने वाला भारत में आकर कैसे थक गया ?
4. Alaxander पर युद्ध के बाद वापिस जाते वक्त कई कबीलों ने हमला किया ।
(ऐसा हमेशा हारी हुई सेना के साथ ही होता था)
5. जब Alexander का घोड़ा तक मारा गया तो बह युद्ध कैसे जीता होगा ?
Achha
Waah sabash yeh history vistory kya hoti hai hum to serials dekh k tey karenge👍
तब तो जो जीता वही पोरस होना चाहिए लेकिन है सिकंदर।
@@arvinddhiman5525 अफवाहें फैलाई गई थी ।
अगर Alexandra जीता होता हो भारत को कब्जाया क्यों नही (बह तो पूरी दुनिया जीतने आया था)
और जीतने के बाद अचानक से Alexandra के दिल में इतनी दया कैसे आ गई कि उसने पोरश को छोड़ दिया जबकि इससे पहले उसने सभी हारे हुए रातों को मौत के घाट ही उतारा था ।
पोरस को बंदी बनाया गया था
और सिकंदरने माफी दिया था
इसी लिए सिकंदर महान था
The history was written by the Greeks so Alexander can't be defeated in their history. But if you look at all the events -- Porus not only stayed the ruler of Punjab but also became the King of Takila , so it is very obvious that Porus defeated Alexander and chased him till the end of Takila and that is how Porus became king of Punjab and Takila.
Well the problem with this is stasanor artabazus oxyrates abisares are example of people who were made governor without Greek co governor
Keep dreaming.
Maybe truth is somewhere between the two claims..
Ab sikandar harega, wo bhi Macedonia mein, aur wo bhi porus k haathon.
Really.
Naii history ham likh rahe hain?
@@AZ-je9hg to saale terko kya kya lagta hai jo sainik puri Duniya ko jitna cahate the wo ekdum se thak jayenge 😂😂. Alexander haar gaya tha aur ye story Greeks ne likhi hai , wo to apna hi bnda vijayi baneyenge story mai
ईश कहानी में यूरोपीय लेखक द्वारा सिकंदर को महान बताया गया है। और पोरस को एक कमजोर राजा
हम भारतीय है , युद्ध में हम लड़ते हुए मरना पसंद करते है समर्पण नहीं🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
Right❤
Bbc waley aaj bhi foot daalo raaj kero ki neeti per chaltey hain.
Ye aaj bhi india se jaltey hain.
Porus ney kabhi hathiyar nahi daaley they😊
कवि युद्ध लड़ने गया है भोंसड़ी के मौत भेड़िया की तरह आता है एक लम्हे में गांड फट जाता है ज्यादा काबिल मत ban
Porus was one of the greatest kings of India.
Sikander maham nhi Thy bh sirf Hallke youdhao ko harata thy bh dhananand ko dekh kr bhag gaya thy
मुझे लगता है यहाँ अंत मे जो बताया गया है वो अधूरा है। महान पोरस के युद्ध के बाद ही उसके सैनिक मे हिम्मत नही रह गयी थी की गंगा पार जाकर विसाल सेना से युद्ध करता। यहाँ सिकंदर की महिमा मंडित किया गया है। बेशक सिकंदर महान थे। पर पोरस के युद्ध ने सिकंदर के सैनिक मे भय और डर व्यापत हो गयी थी।
Sahi kaha bhai ye sala BBC apna barai karte hi
@@SunilKumar-em8by ये बीबीसी सिर्फ भारत विरोधी को ही अपने हिंदी चैनल में भारत के खिलाफ जहर उगलने को रखता है साथ ही मुसलमान को ही सिर्फ रखता है।
एक नैरेटिव गोरों का
प्रचार भारतीय द्वारा।
आपने सही कहा... मै सहमत हूं
ये फजल भी जेहादी सोच का पत्रकर है भारतीय इतिहासकार नही मिला जिसका लिखा हुआ बताता जो भारत नही आया उसी को महान बताता है
रेहान फज़ल साहब, आपका पस्तुतिकरण ऐसा प्रतीत होता है, जैसे आप सिकंदर के इतिहास का आँखों देखा हाल सुना रहे हो ।
I love Alexander ❤
Akhir bata kun raha hai bhaiya ye to dekho
Kaise usaka saport kar raha hai
Ye Rehan Fazal khud bhi to chatukar hi hai
फजल साहब psudo wahabi है न
जो भागा वो सिकंदर.... जो जीता वो पोरस...
पोरस को कोई जानता भी नहीं हा हा
@@गुलिस्तानेहिंद ithna bada raja kisiko nehi patha sahi kaha apne , isliye ithihaskarone kaha 70 salose hamko galath padakar asli hero ko chupaya hai
Yebi Britishonka channel yahbi sach nehi mantha hu congress britishone banaya huva sangatan uooska adhyaksh aur bade adhikari sab british tthe aur logonko dekanekeliye gandhiji neharu ko aage rakethe.congress ka sthapana kon kiya saerch karnese sab patha chaltha hai
WhatsApp 😂
@@chaitanyasharma812 chup kar kayar
@@गुलिस्तानेहिंद जब इतिहास मे छेड़छाड़ कर के मुग़लों और लुटेरों का महिमामंडन किया गया तो आज का जनरेशन जानेगा कैसे
ये वही सिकंदर था जो poras के आगे टिक नहीं सका और जान बचाकर भाग गया उसी सिकंदर का वर्णन करके महान बताया जा रहा है
थु है गलत इतिहासकारो और वर्णन करने वालों पर
एक महान राजा पोरस ने जिस तरह महान सिकंदर से कहा था कि एक राजा को दूसरे राजा के साथ कैसा सलूक करना चाहिए वैसा. Great Lines❤
....एक भारतीय को दूसरे भारतीय के साथ कैसा सलूक करना चाहिए हमें इनसे सीखना चाहिए❤ Jai HIND
Bahut sundar Bahut achha
Ek bhartiye ko bhi dusere bhartiye ke saath sikander aur poras jaisa hi chahiye
वह तो हम प्रतिदिन रास्ते में देखते हैं कि एक भारतीय दूसरे को किस तरह से ट्रीट करते है। ये बोलने कि जरूरत नहीं है
सिकंदर को अंभी ने सात दिया नही तो भारत के एक छोटे से राज्य को भी नही जीत पाया तो विशाल भारत को जीतने का उस का और उस के सैनिकों का सपना टूट गया । और वहा लोट गया ।
Qqqqq1
सिकन्दर छल-कपट से लड़ने वाला एक कायर था ये BBC वालों ने साबित कर दिया।😂😂
Jeeta to porus hi hoga kyuki jo kroorta ki saari hadey paar kartey huye jhelum nadi tak aa pahunchaa thaa kya wo porus ko aise hi jameen wapas kar degaa 😂 Iss se saaf hota hai ki Alexander ne Haar sweekaar karke wapas lota hai.
Nhi bhai 😂sikandar kiyar nhi tha woh toh raste mai ek fakir aadmi mil giya sikandar ne pucha kaun ho bhai kaha ja rhe ho toh fakir aadmi bola 😂(hum toh fakir aadmi hai ji jhola utha ke chal denge)😂😂tabhi sikandar ko pata chal giya ye toh mare se pehle lut chuka hai aab kuch nhi bacha lutne ko vapis chal diya 😂😂😂😂
Poras Hara nahin tha Bharat jaitu 🙏
महाभारत भी ये ही सीखता है
@@adarshmishra3331sikandar ki fauj mein mutiny ho gayee thi. Agar woh wapas nahin jata toh uske khud ke log use maar dete.
सिकंदर पोरस से हारने के बाद वापस लौटा था लेकिन वामपंथियों ने गलत इतिहास लिख दिया
Haan beta aur saari shi history to andhbhakts likhte haina tere jaise😂,porus to Indian shastro mein hai bhi,jitni knowledge porus ke baare mein hai wo unani writers se hai,history padha kr gobarbhakti nhi😂
Nonstoper...tumri history me toh wars me pakdi gayi non Muslims girl's aurato ko sex gulam londia bana kar rape karne wala popat Mohammed rasool Allah jahanumi zombie ko b rehahmut ul alameen nabi batya gaya hn toh....
na beta modi harwaya tha
Yes it true
Sikander Hara tha porus se . Hamari hui Sena ko loota tha lautte hue adiwasio ne
सिकंदर बुरी तरह से घायल हो गया था उसके सैनिक उसको लेकर भाग गए थे रास्ते में सिकंदर ने दम तोड दिया था।
ये व्हाट्सएप विश्वविद्यालय का ज्ञान है । भक्त
@@gulamrasoolkhwajgani1796 tune ya tere baap ne dekha tha kya sikandar ko 😂😂😂 twitter academy ke chode
@@gulamrasoolkhwajgani1796 ये सच है।
@@gulamrasoolkhwajgani1796 He said the truth you know that you can read the books there is no mention on this war by indian historians
@@gulamrasoolkhwajgani1796😂😂 chandragupta murya ka naam suna h chamcha 😂
The Greek history refuses to admit that Alexender was defeated in India !!! He came with full force to rule India !!!
After Alexender failed to capture ,many armies from the west kept trying, finally Muslim and British armies came with full preparation to capture India
Some letters that he wrote to his mother has been translated to English-
“ I am involved in the land of a Leonine' (lion-like) and brave people, where every foot of the ground is like a wall of steel, confronting my soldier. You have brought only one Alexander into the world, but every mother in this land has brought an Alexander in the world.”
I am a Sikh from Punjab and Porus ruled Punjab province!! sikndr won some western parts of India close to Afghanistan! But he was defeated by Porus!!
"After alexander muslims and british kept trying to rule india ". What does it mean bro.... Aese likhre ho jese unhone try kya or kamyab na hue ho😅... The fact is whoever tries to conquer india they easily conquered it... Let me tell you india was ruled by 7 8 muslims dynasties before mughals comes to power... Then mughal ruled india for centuries..and then brithis ruled again ... But these aren't the only powers who ruled india .. Dutch , Portugese, french also control some regions of india mainly costal regions.. but long before them persian conquered North Western part of india than greeks conquered some part of india... Cyrus conquered west part of indus river and his grandson darius conquered punjab and sindh... And before all these hunas to ruled india..and there are many more powers who ruled india... India was hardly able protect itself from foreigners through out hisi
Aise kaise wo Bina India ko Kabja karke wapis jaata ? Uska dream tha poora duniya , lekin India aake sapna toot gya!!
Historians ye baat chupata hai kyuki kon mahaan kahega fir ?
@@m.radhakrishnan6117 or tumse bda to koi historian hi ni h.... Alexender ne duniya k kafi hisse pr kabja kia ..or vo sb mante hein ke hn he was the great king or usne hmare area pr kabja kia.... India m ate hi 8th pas , jinhe history ka A b ni pta vo b wtsap ka gyan pelne lgte hein ... Alexender dr gya isliye bhg gya.. are mndd buddhi pranio indian empire to persian empire k mukable m kuch tha hi ni alexender unhe hra k a gya indian rulers s dr jata lol 😂... In 7vi paas walo ki alg history h vrna jo UPSC crack krte hein jb vi history pdte hein to tb b history yhi btati h ke alexander k samne taxila k rules ne to bina lde hi hathiyar lad diye the.. king porus n ni dale the to usko alexander ne hra dia tha... Ab tere manne na manne s thodi itihas bdl jayega
आपका अंदाज़ और शब्द सुनकर और सिकंदर के प्रति आदर देखकर लगता है कि सिकंदर आपका पूर्वज था... इसलिए सिकंदर को उस तरह ही बताया जाए जैसे कि बाकी विदेशी आक्रमणकारियों के लिए किया जाता है।
@@sandeepverma8201 sikander maha murkh tha uss ko mahan batane wale toh sinander se bhi mahamurkh hei kiyu ki jo kaaran hi kisi dusre desh ko hani oahuchata lutmar karta hei wo mahan kese ho sakta hei, mahan toh Poras tha jo gaddar aambi ki gadari ki waja se haar kr bhi jeet geya
इस बात पर यकीन नहीं होता कि सिकंदर जैसा एक क्रूर राजा जिसने अपनों को भी नहीं बख्शा वह अपने दुश्मन राजा को जिसने उसका बहुत नुक्सान भी किया उसे बख्श दिया और उसकी जमीन लौटा दी।
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
सिकंदर महान नही था,चंद्रगुप्त मौर्य महान थे
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Abe kuch v... Sikandar puri dunya fatah kiya... Chnadragupt bas india bhar me naam hai... Bhai jabardasti ka apne dahi ko khatta ke bajaye meetha mat bayaan kar 🤣🤣
@@ImZain04 gangesh khan ne 4.5crore katepice ko pail diya tha mangoliya se lekar Greece tak ke katepice ko ukhad fekha tha iske baare m kya kahna
Dono mahaan the
@@ImZain04 तेरे पिछ... में क्यों दर्द हों रहा है,,, अब क्या सिकंदर को भी मुगलांडू बताने जा रहे हो😂😂😂😂
@@ImZain04 अमर अकबर एंथोनी मूवी देखी है,,, नही देखी तो देख ले ,, चाहे अमर हो, चाहे अकबर या एंथोनी,, सबका बाप कोई कृष्ण लाल ही निकलेगा,,
नहीं यकीन हो तो 5, 7 पीढ़ी पीछे चेक कर ले😂😂😂😂
सच तो ये है की सिकंदर को राजा पोरस ने नाकों चने चबा दिए और उस राजा पोरस के साम्राज्य की अंतिम सीमा गंगा तट के उस पार उससे भी कई गुना बड़ा नंद वंश समाराज्य था जिसे उससे भी ज्यादा महान बड़े चंद्र गुप्त महान ने जीत लिया 😊😊 💯
ri8
Yes bro किशन
Kuch bhi feko but itna mtt feko🤣🤣🤣
@@learningwithAkbar234A jaake books pad zahil komm k
@@vikramrathore444 Abe me isko janta hu ye humare muhle ka sabse feku banda hai🤣🤣🤣
सिकंदर और पोरस यह कहाणी बहोत दिलचस्प लगी.आपकी प्रस्तुती बहोत पसंद आयी.
As Indian, we can expect from your channel such baseless stories, but we all Indians proud of our History legends
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony.
Avdhut Joshi
The real story.... Alexander was defeated but Porus didn't kill him as per Indian tradition and allowed Alexander to leave.
He was badly wounded also and died of the same while trying to flee from india.
Which Indian tradition you are talking about you can't change history just commenting on every Alexander videos so that people will trust you you can't believe leave it don't comment Alexander won
@@lakshdeepthakan771😊
Absolutely correct
@@lakshdeepthakan771 History is biggest collection lies fabricated by mankind. Apply logic and think clarity will emerge. Now there are historians who have found there was no one called alexender ever existed. It was fabricated to propose to East that they also had great character called alexander. Who do you believe? But whatever is the story it is a story of a man who was an idiot, who achieved nothing except killing people and could not go beyond India because he was defeated and finished here. If we had won as per story planted by left and European people why didn't he move further in Asia beyond India. He didn't go further because he couldn't as he was defeated here.
ये गलत है रेहान जी. पोरस ने आत्मसमर्पण नही किया था। BBC ने सिकंदर की जीत बताया पर गलत। सिकंदर को भारत से घायल होकर भागना पड़ा था।
बहुत शानदार विवेचना बेहद सधी हुई प्रभावशाली वाणी और प्रेरणास्पद वाणी । धन्यवाद महोदय।😊❤
पोरष ही असली शेर हैं ♥️🙏🏻
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
Sikander mhan kaise jobki bhart me prves nhi krsk glt bat mt btao jy ma bhqrti ki
@@shivagovindtripathi7230
आदरणीय महोदय!
कृपया मेरे विचार भी पढ़ें। इस पर अपना निर्णय दें, यह सही है या गलत।
अवधूत जोशी
उस समय घनानंद से डर कर भागा था पोरस तो खुद मदद मांगने आया था
@@rajeevsharma9549सिकंदर को पुरु,पुरुषोत्तम ने भगाया इस से दुःख हुआ क्या,यही तुम लोगोंकी मानसिकता है वैसे ताक्षशिलासे धनानंद का पाटलीपुत्र कोसो दूर था
पोरस ही महान था और रहेगा।
सत्य कभी मिटाया नहीं जा सकता है। जो जीता वो ही पोरस
Sahi kaha 🙏🙏🙏🙏🙏
Sahi kaha 👋👋👋
जब ज्ञान अधुरा हो तो ज्यादा ज्ञान की बात नहीं करते हैं 😊
बहुत अच्छा फजल जी,धन्यवाद
Alexander was proactive and attacker, while Porus was defender and passive.
Because the agressor has to attack and the defender has to defend...the role cannot be reversed.
Still sikandar got his ass kicked by the Porus
@@biswaruppaul8841 , why that was fought on the Porus soil rather than western side? Because Elephants 🐘 were not able to cross river that made Porus defensive.
Andhbhakt yaha bhi he...😂😂😂😂
@@User1234-m8x yahan hum desh ke liye bhi agar kuch bolenge toh bhi andhbhakt bun jayenge kya......Abey o halala ki paidaish ye bata ki desh ke liye kuch bhi sacchi baat boli jayegi toh wo tujhe pasand nahi aayengi kya re
महान तो पोरस था, जिसने सिकन्दर को जिन्दा जाने दिया
🚩जो जीता वही पोरस,जय हिंद वंदे मातरम्।🚩
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony.
Avdhut Joshi
Jo jita bhi vikrmaditya
Jai Hind Jai Bharat 🚩🚩🚩
इससे यही पता चलता है कि उसके सैनिकों ने उसका साथ क्यों नहीं दिया अगर जीते होते तो जीत ऐसी चीज है कि ओ हमेशा आगे बढ़ने का साहस प्रदान करती है न कि भाग जाने का ।
वापस जाने का मन तभी करता है जब ये पता चल जाए कि जितने हैं अगर आगे गये तो उनसे भी हाथ धोना पडे़गा। 😊😂😂😂
इतना खूंखार हैवान सिकंदर भारत को वापस कैसे दे सकता था? जबकि उसका एक ही लक्ष्य था - सोने की चिड़िया को जीतना।
यह तो अपचा बात है कि सिकंदर भारत जीतकर पोरस को सौंप दिया।
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
नुकसान कभी भी राजा का नही होता मरता गरीब है हैं... उदाहरण आपके आगे हैं.
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
भारत के सनातनी लोगों के सामने सिकंदर कुछ नहीं था सनातनी लोगों के पैरों के धूल के बराबर भी सिकंदर नहीं था सनातन संस्कृति की जय हो जय हिंदू राष्ट्र जय सनातन धर्म जय काशी विश्वनाथ हर हर महादेव
Kuch v.... Angrej v hum par raaj kiye, hum aapas me jyada ladte h
@@vikashkumarmunshi angrej aur sikander me 2000 sal different hai.. in 2000 salo me budha dharm ke nivruti vad ne khokhala kardiya hai isliye jo fighting attitude 2000 sal pahle tha wo ashoka ke hathiyar chodkar budha dharm apne se bhartiya praja lagatar kamjor hoti gai... itihas ka vikrutikaran kiya gaya hai in chuslimo dhwara aur angrejo aur leftisto dwara
Chup sale chutiye .andhbhakt ye tere tanatani yodha bhi ek no. Ke madarchod the
Bakchodi karne me to no doubt
Gaandu us time tera sanatan tha hi nahi
Bhut अच्छी तरह से aapne sikandar ke बारे में जानकारी दी धन्यवाद
महान तो पौरस था जो अपनी छोटी सी सेना के साथ सिकंदर के विशाल सेना के हौस ठिकाने लगा दिये,सोचो अगर उनका सामना मगध साम्राज्य से हुआ होता तो सिकंदर महान के जगह पे सिकंदर लहुलुहान का प्रयोग होता ।
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
Actually, sikander was defeated by Pourse. And He was got injured, and then he returned back or run away, and on the way, he passed away this the true....think asper his all war history is showing he never showed mercy on defeated enemy.
Right 👍
@@swapnilutge8835 true bbc speaks against india see how they describe ghazi submarine that it burst on its own see u can find fault in their logic when india was so much aware of its presence a depth charge sunk it so bbc hates india's glory
Right 👍👍👍👍. ...
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony.
Avdhut Joshi
@avadhutjoshi796 well said 👏 👍
सुंदर प्रस्तुति के लिए रेहान फ़ज़ल साहब आप को बहुत बहुत आभार व शुभकामनाएं 🙏❤️
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
जीवन्त सुन्दर प्रस्तुति। धन्यवाद रेहान फजल
Rehan sahab har dam ki tarah aapki peshkash lajawaab,Hamari dua hai aapke liye.
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
करोड़ों की जान लेने वाले यह गोरे ना कि कल दयालु थे नई आज दयालु सिकंदर की हार को दया दिखाकर
बहुत अच्छे सिकंदर महान का चरित्र आपने बहुत अच्छे से bataya
😂😂 पौरस ने ऐसा कूटा था की बेबिलोनीया में घाव नही भर पाए और वो मर गया
So after Porus wars…. He lives for 3 more years …..gets married the 2nd time and then dies… truly due to his wounds ???
सिकंदर है तो केवल लौटा था उसके बाद तो बारी-बारी से सभी ने हिंदुस्तान को लूटा सोने की चिड़िया के सारे पंख काट दिए।😢😢😢😢
Sone ki chidiya bharat mughalo ke time me kaha gya tha. Mughlo se pehle yaha log gareebi me jee rhe the
@@lovesong4156 chuslam ke andhbhakt..... first you go to some library and read history books
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
@@lovesong4156 India ka gdp 45 percent tha mughal ane se phele study karo ese hi in sabki najar india pe thi jaake search karo kitne inavsion hue hai aur kyu hu hai World ka half gdp to india ke pass tha aur sone ki chidiya maurya kaal se bhi phele se kaha jata tha ye mughal mongol ki chudal ki pura dharam ka 4 din se purani history nahi ajj bhi phele din mullaism suru hua dusre din mecca banaya tisre mongol se chude 4the din Mughal paida hua aur 5va din uska vansaj yaha betke history bata raha hai🤣🤣🤣🤣
@@lovesong4156aji lan m0h0m0d k@
बहुत सुंदर वर्णन.
रेहान फ़ज़ल आपकी आवाज हमेशा बुलन्द और अमर रहे।आप हमेशा स्वस्थ रहें।
पंजाब की पावन भूमि से नमस्कार
First u learn history
Apne muje msg Kiya hai sir ❓
भारत का एक महान योद्धा पोरस सिकन्दर से कभी हारा ही नहीं
अपितु पाश्चात्य इतिहासकारों ने पक्ष पात पूर्ण इतिहास लेखन का काम किया है इसमें कोई सक नहीं है
सब जानते है पोरस से युद्ध के बाद सिकंदर का अध्याय समाप्त हो चुका था।
Porus was very strong and he gave brutal fight to sikandar. History was written by western which was quite wrong. Small king Porus gave such a fight that Sikandar's army got scared and army refused to go towards east where Magadh kingdom was very very strong.
Alexander's army was shit scared.
No they had fought big armies before , the thing was they were using Herodotus map of World which miscalculated size of India to be less than Persia , after the march from Macedonia to Anatolia Levant Egypt Persia and Central Asia when they conquered Indian kingdoms , they soon realised how big the subcontinent was and to fight numerous variable size kingdoms on different geographical terrain was too exhausting.‘ also Alexander wasn’t king of all Greece but Macedonia, others only joined due to their revenge against Persians for the 300 war movies , battle of marathon and burning of Athens …. They had long taken the revenge with burning of persipolis , and Alexander was simply dragging them for no reason . Even when he is at Babylon in his last days , he is planning a invasion of Arabia , a desert land with little resources…. No wonder his people poisoned him . He was a great military guy but a full blown megalomaniac
Very good report
महायौद्धा सम्राट पौरस सभरवाल यूगपुरुष था।
सिकंदर से भारत को बचाया था।
तभी आज हमारा भारत देश महान कहलाया था।
मुझे गर्व है यूगपुरुष पोरू सभरवाल पर।
किसी भाई को अधिक जानकारी चाहिए मुझ से सम्पर्क कर सकते है।
वो जाट था सभरवाल नहीं खोखर गौत्र था पौरुष का
@@jeetsran7179 अज्ञानी भाई जी उस समय जातीय नहीं वर्ण था और आपकी जानकारी के लिए आपको बता दु वर्ण के हिसाब से क्षत्रिय थे महान पौरस सभरवाल यौगपुरुष उनके पूज्य पिता यौद्धा राजा बन्ननी और सुन ले,,सभरवाल क्षत्राणी शेरनी रानी अनुसूईया जो तक्षशिला के राजा अम्भीराज की बहन , जो सम्राट राजा पौरस सभरवाल की माँ थी। रही बात जाट जाति की तु निष्ठा से खोज कर। 🦁जय महाकाल जय सभरवाल
रेहान फजल जी अपने शब्दों के जादू और उनके प्रस्तुतिकरण से सदियों पुरानी घटनाओं को भी मानो जीवंत कर देते हैं ।
Gand da do app ese ko
इतिहास साक्षी है घनानंद से डरकर सिकन्दर की सेना भयभीत हो गई और भाग गई।
घनानंद नहीं स्वामी दयानंद और स्वामी विवेकानंद और स्वामी पाणि नंद और योग गुरु स्वामी बाबा रामदेव😂😂
मेरे पुरखे भी लड़े थे सिकंदर से पर सिकंदर ने उनको बहुत पीटा और उन्होंने जंगल में भागकर अपनी जान बचाई 😂😂
मैं भी लड़ने गया था सिकंदर से , लेकिन देखा तो पता। चला वो पहले ही भाग गया, और मुझे वापस लौटना पड़ा अपनी 4 लोगों की सेना लेकर 😢🚩
बहुत रोचक कहानी
सिकंदर के भारत से जाने की दूसरी थ्योरी बताता हूँ , ध्यान से सुनो , जब सिकंदर महान
के सैनिकों ने देखा की भारत में गाय का बछड़ा उसका दूध पी रहा है और भक्त लोग
गोबर व मूत्र ? उसी क्षण वह समझ गया की
यहाँ रुकना ठीक नहीं है वापस चलो 😁😁😁😁😁😁😁😁😁
Arab me bhi gya tha ! Waha uth Kalma pad rha tha aur log uska mootra
एक थ्योरी ये भी है कि उसने देखा कि अल्लाह की भारत मे लोग गांड मारते हैं तो उसने सोचा कि ये भारतीय जब न दिखने वाले 72 हूरों वाले भड़बे कि गांड मार लेते हैं तो सिकन्दर का क्या हाल करेंगे
क्योंकि आगे जांगल प्रदेश के गणराज्यों का एक संघ था जिसका नेतृत्व भादरा का राजा प्रवतेश्वर कर रहा था इसका शासन भादरा से मथुरा था विस्तारित था, बाद में चाणक्य ने इसकी सैनिक शक्ति के सहारे नन्द वंश को हराया था
Salute for such a journalism
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony.
Avdhut Joshi
रेहान फ़ज़ल जी आपसे बहुत ही प्रभावित हूं। बहुत ही अच्छा विश्लेषण करते हैं। ❤
घंटा, ये मुगलों के तलवे चाटने में विश्वास करता है
Poras The Great ❤❤
अभिवादन स्वीकार करिये रिहान फजल का।। क्या व्यक्तिव है आपका सर, सलाम है 🙏🇮🇳
क्योंकि वह जिंदा रहने के लायक नहीं बचा था यह है भारत की ताकत🙏🕉️🚩🇮🇳
Chutye wo poras se bi bade bado ko Hara kar aa rha tha...... Map mai, PTA bi hai ki nhi...... Or Alexander ke bad mullo se gaand marwai tum logo ne
tab barth nhi tah panjb raj tha mudi camche 0000000000000000000000000000000000
@@Anndyut अब यहां पर मोदी जी कैसे आ गए बात तो एलेग्जेंडर की हो रही है ना और तुझे मोदी जी जिसे इतनी प्रॉब्लम है तो इलेक्शन में खड़ा हो जाना
🤣🤣🤣 Whatsapp university ka gobar
@@Anndyut ❤£$¹k
सिकंदर को वापस जाने पर मजबूर करने वाले आचार्य चाणक्य थे उनकी कूटनीति की बदौलत सिकंदर को वापस लौटने पर मजबूर होना पड़ा।
Porush the great 👍
Very Very Nice Presentation 🙏
You are excellent sir..... We need more contents such historical knowledge.
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony.
Avdhut Joshi
गलत बता रहे हैं, रेहान फ़ज़ल।
सिकंदर हारा था।हारने के बाद हतास होकर चला गया। और रास्ते में ही मौत को प्राप्त हुआ
What a beautiful narration? Always every word sounds gold 🥇
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony.
Avdhut Joshi
2300 साल पहले घर से 10 हजार मील दूर आके यूद्ध करना यही बहोत है किसी को महान योद्धा बोलने के लिए . 👍
Indian nhi mante , jab ki aaj 70 % kabilai shithiyan Hun ke Bachche hai , jo us time bhartm me the bhi nhi khud Ko porsh ka vansj samjh rahe
@@biomind jhaante ukhad Li thi poras ne........pel ke chala gya Alexander...tum chillao.... I'm proud of the great Alexander 💪💪❤️❤️
Charaag jalaate hi poras ki fauj bhagg gyi
Pele gye bdiya se porus aur uske soldiers 🤣🤣🤣🤣🤣...tum manusmriti mein porus ko vijayi ghoshit krdo...waise bhi aajtk ek jhante na ukhad paaye.........tb2 drone's turkey se bheeg maangne pahunch gye shrm to aati nhi....chullu bhar pani lo godi rogi ko sath leke doob maro....yhi aukat hai tumhri 🤣🤣🤣🤣🤣🤣....chri ram chri ram 🤣🤣🤣... Lindu kandu tanatani 🤣 chindu
Sikander died from injuries inflicted in the war with porus and many of his soldiers decided to stay back as they were tired.
Chum chumtia fkuing bjp bot
@@muhammadsohailkhan7563 Haa to bhai abhee kuchh saal pehly hi research hui hai ki unki death porus se harne ke baad kisi slow poisons hathiyaar se ghayal honey ke baad jab wo samudree rastey se Babylon pahunchney ke baad hui hai......
Sikandar soldiers were not tired........ But they were fearful of Indian archers, because half of Sikandar's army was killed by great Indian Archer of purushotam (porus) ........ and the remaining army left in a hurry with sikander fearing complete wipeout
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
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Avdhut Joshi
@@adarshmishra3331Research paper ka name batado ek baar . He died because of malaria or typhoid .
मुस्लिम लोग सिकंदर को मुस्लिम किंयु मानते हैं जब उस समय मैं इस्लाम मज़हब नहीं था।
सिकन्दर एक महान योद्धा था
भारत आने के क्रम में उसकी सेना
लगातार युद्दों से थक चुकी थी व यहाँ का वातावरण
भी उनके अनुकूल नहीं था सिकंदर युद्ध में घायल भी
हो गया था , इस कारण उन्होंने लौटने का
फ़ैसला किया , स्वाभाविक तौर पर भी ऐसा ही होता है
Lol - he was beaten by Porus and eventually killed !!!
@j.kunzru6754
अंध भक्त है क्या ? RSS की बुक से हिस्ट्री
पढ़ के आया क्या 🤔
@@rgbaura3282 क्या तुम मूर्ख हो तुम्हें यह नहीं पता कि सिकंदर का सामना दुनिया की सबसे महान सेना से था। मगध की सेना सिकंदर की सेना से ताकतवर थी। इसलिए सिकंदर ने पीछे हटने का फैसला लिया क्योंकि वह उससे नहीं जीत सकता था। सिकंदर की मृत्यु के पश्चात उसके सेनापति सेल्यूकस निकेटर ने भारत में हमला करने की कोशिश की। लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य ने उसे बुरी तरह हरा दिया।
@@IndoAryan persian sena bhi macedonia sena se 4 guna zyada numbers mein aur takatwar thi tab bhi sikandar jeet gya,uski sena thak chuki thi isliye wo chala gya wapis naki magadh ke dar se
@IndoAryan
अंधभक्तों की हिस्ट्री टेक्स्ट बुक RSS के गोबर व मूत्र सेवन करने वालों ने लिखी है
इसी कारण तुम्हे ऐसा लगता है 😁😁
I love my India
सेक्युलर की सरकार ने हमे इतिहास में जो जीता वही सिकंदर ये खुब पढ़ाया...
परंतु उसी सिकंदर को पोरस ने जमकर धोया ये कभी नही बताया!
True.Some books told that King Pauras defeated Alexander thats why he left India.
@@abhai57 which books u are talking about?Name some😂
@@Samaira_khan717 Alexander the great and the mystery of the elephant medallions by frank holt and also reserch paper of marshal zhukov refer it.
@@abhai57 what about Indian sources who never mentions about a king named porus and his battle with alexander🤣
If Alexender came to capture India ,the largest army in the world why didn’t he do that ???😂😂😂 Porus ne bola Jao toh woh chalaa gya 😂😂😂
सुंदर प्रस्तुति से सम्मानित किया गया है इस अवसर दुवा को प्रणाम किया है इस दिन को याद करते हुए नमन करते हैं
Sir you are wrong here. Alexander got defeated and he was pushed towards Thar desert and when on his journey to Macedonia he crossed one area with bird flu. There he got sick and died due to lack of medical help. But to save Alexander's image western countries still present him as a winner.
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony.
Avdhut Joshi
Tu aisa kar apni khud ki history book nikal le..... Aur uska naam rakh," My version of history"😀
No they had fought big armies before , the thing was they were using Herodotus map of World which miscalculated size of India to be less than Persia , after the march from Macedonia to Anatolia Levant Egypt Persia and Central Asia when they conquered Indian kingdoms , they soon realised how big the subcontinent was and to fight numerous variable size kingdoms on different geographical terrain was too exhausting.‘ also Alexander wasn’t king of all Greece but Macedonia, others only joined due to their revenge against Persians for the 300 war movies , battle of marathon and burning of Athens …. They had long taken the revenge with burning of persipolis , and Alexander was simply dragging them for no reason . Even when he is at Babylon in his last days , he is planning a invasion of Arabia , a desert land with little resources…. No wonder his people poisoned him . He was a great military guy but a full blown megalomaniac
Great Presentation sir. As always a great fan of your voice and new stories. ❤
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony.
Avdhut Joshi
झेलम के तट पर भारत के अप्रतिम वीर पोरस महान ने सिकन्दर को बुरी तरह से हराया।
जिससे सिकन्दर की सेना भयभीत हो गई।
घायल सिकन्दर ने विवश होकर अपने देश यूनान भाग गया।
लेकिन बेबीलोन में ही मर गया।
Sir, I'm listening you since 2004 when I wast in 9th class and you used to come on Radio
दुनिया को जीतने वाला सिकंदर और सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस को जीतने वाला सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य को जीतने वाले शाक्यमुनि बुद्ध 🙏
Jhootha bhaag yaha se.....
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
सिकंदर हार के गया था...
जो जीता वही पोरस,
जो हारा वो सिकंदर
जो जीता वही पोरस
🙏🙏🙏🙏👍👌💐💐
It always feels good to listen to you Rehan Ji
इस कहानी के यूरोपियन जो राइटर है उसने सिकंदर को हीरो बनाया है पोरस हारे नही थे।।
I simply can't understand how a cruel and ambitious king will leave the king who nearly finished his army while his army was supported by takshila king who has rivalry with porus ? It seems to be a completely distorted history to me. also how can one know the things happened 2300 years back with such tiny instances included ?
Respected 🙏!
History in India is a very disturbing subject. Whenever someone gives a speech on history, many people will call him a liar. Why is the situation like this?
In freedom struggle period, Indians were divided on Hindu religion. Traditional Hindu were in favor of Hindu religion. Social reformers like Mahatma Fuleji, Dr.Ambedkarji and Periyarji were against Hindu religion. They thought of Hindu religion as inferior religion.
Hence the ruling Hindu party of that period, Congress party under leadership of Nehruji adopted a sacred compromise on position of Hindu religion. And hence his government included two extremes of Hindu religion....that is Honorable Dr.Babsaheb Ambedkarji and Honorable Shamaprasad Mukherji( disciple of Sawarkarji and father of present BJP)
With time, things have gone wrong. The person who achieved unity of nation in freedom struggle is now a traitor. The inclusion of Sawarkarji in a text book and removal of Nehruji is also part of this ridiculous trend. This contradiction has given birth to different versions of history based on caste or religion or political inclination. Such history is causing very serious religion and caste conflicts.
Basically history should be an academic subject. But in India, history has became a political tool.
It has converted our nation into stupid nation. We need unanimity on history. We cannot solve such a basic thing and we claim to be Vishwaguru. The reality is that we are world gurus in stupidity.
I want to hold nationwide discussions to resolve history, caste and religion related disputes and I have made 1400 requests to the government by May 2022. I quit my job in 2012 and started studying these topics and now I am in a position to do such nationwide discussions. I want to include every citizen of the country.
I have developed a special system of discussion according to the needs. It gives due attention to the following points
1) The delicate nature of issues like caste and religion 2) The satisfaction of all the participants 3) The vast population of our country consisting of educated and uneducated sections 4) The political system of our country. 5) It is able to find the truth in an unbiased way.
Please support and share idea of nationwide discussion. Let us revive social and religious harmony.
Avdhut Joshi
You probably haven't fought with anyone. Sometimes you develop respect for your opponent even if they lose .
Maybe coz he does to various Kingdoms of Anatolia and Darius own Mother?
@@aniket385 Dear Aniket As far as history is concerned India is very funny nation. We have many versions of history based on convenience of caste, religion and political inclination. We must change this. I have a solution for it. I wish to organize nationwide discussion on history and caste and religion system. Government is not helping for it. 🙏. Avadhut Joshi
@@avadhutjoshi796 I think what has happened has happened.... Let's just only follow science
सिकंदर से पेशावर के राजा केदार खटाना ने युद्व किया था लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा
राजा पोरस ने तो सिकंदर को भी हराया था
आदरणीय 🙏!
भारत में इतिहास एक बहुत ही चिंताजनक विषय है। जब भी कोई इतिहास पर भाषण देगा तो कई लोग उसे झूठा कहेंगे। स्थिति ऐसी क्यों है?
स्वतंत्रता संग्राम काल में भारतीय हिन्दू धर्म को लेकर विभाजित थे। परम्परागत हिन्दू, हिन्दू धर्म के पक्षधर थे। महात्मा फुलेजी, डॉ. अम्बेडकरजी और पेरियारजी जैसे समाज सुधारक हिन्दू धर्म के विरोधी थे। वे हिन्दू धर्म को निम्न धर्म समझते थे। इसलिए उस काल की सत्तारूढ़ हिंदू पार्टी, कांग्रेस पार्टी ने नेहरूजी के नेतृत्व में हिंदू धर्म की स्थिति पर एक पवित्र समझौता अपनाया।
और इसलिए उनकी सरकार में हिंदू धर्म के दो चरमपंथ शामिल थे.... वह हैं माननीय डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकरजी और माननीय शमाप्रसाद मुखर्जी (सावरकरजी के शिष्य और वर्तमान भाजपा के पिता)
समय के साथ, चीजें गलत हो गई हैं।जिस व्यक्ति ने देश को एकता के सूत्र में पिरोया, वह अब गद्दार है।सावरकर को पाठ्यपुस्तक में शामिल करने और नेहरू को हटाने की हालिया घटना भी इसी हास्यास्पद प्रवृत्ति का हिस्सा है।
मैं बुनियादी मुद्दे पर इस विरोधाभास को दूर करने के लिए एक लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए सबसे सही तरीका बता रहा हूं। इस विरोधाभास ने जाति या धर्म या राजनीतिक झुकाव के आधार पर इतिहास के विभिन्न संस्करणों को जन्म दिया है। ऐसा इतिहास बहुत गंभीर धार्मिक और जातिगत विवादों का कारण बन रहा है। इसने हमारे देश को मूर्ख राष्ट्र में बदल दिया है। हमें इतिहास पर एकमत होने की जरूरत है. इतनी बुनियादी बात हम सुलझा नहीं पाते और दावा करते हैं विश्वगुरु होने का. हकीकत तो यह है कि मूर्खता में हम विश्वगुरु हैं।
मूलतः इतिहास एक शैक्षणिक विषय है। लेकिन भारत में यह एक राजनीतिक उपकरण बन गया है।इसे अकादमिक विषय बनाने के लिए हमें संघर्षों, विरोधाभासों का समाधान करना होगा।
मैं इतिहास, जाति और धर्म से संबंधित विवादों को सुलझाने के लिए देशव्यापी चर्चा करना चाहता हूं और मैंने मई 2022 तक सरकार से 1400 अनुरोध किए हैं। मैंने 2012 में अपनी नौकरी छोड़ दी और इन विषयों का अध्ययन करना शुरू कर दिया और अब सरकार के आशीर्वाद से मैं देशव्यापी चर्चा करने की स्थिति में हूं।सरकारी सहयोग जरूरी है.
मैं देश के हर नागरिक को इसमें शामिल करना चाहता हूं. मैंने आवश्यकताओं के अनुरूप चर्चा की एक विशेष प्रणाली विकसित की है। यह निम्नलिखित बिंदुओं पर उचित ध्यान देता है
1) जाति और धर्म जैसे मुद्दों की नाजुक प्रकृति 2) सभी प्रतिभागियों की संतुष्टि 3) हमारे देश की विशाल आबादी जिसमें शिक्षित और अशिक्षित वर्ग शामिल हैं 4) हमारे देश की राजनीतिक व्यवस्था। 5) यह निष्पक्ष तरीके से सत्य का पता लगाने में सक्षम है।
कृपया राष्ट्रव्यापी चर्चा के विचार का समर्थन करें और साझा करें। आइए हम सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को पुनर्जीवित करें।
अवधूत जोशी
Shikshit or shikchha se sikandar bane ...Dr.B.R.Amedkar ji ka sandesh ..hi ..saty.
बाबा साहब अंबेडकर ने जैसे ही जय भीम जय मीम बोला की सिकंदर ने बाबा साहब को जमीन पर लेट कर प्रणाम कर निकल लिया। ये बाबा साहब के सैकड़ों सालों की लड़ाई का नतीजा है। जय भीम।
ye konsa fake itihas hai thodi study karo
@@asvijayghote5120 मनुवादियों को सब कुछ गलत ही लगता है।
Bhai nashe krke gyaan nhi dena chahiye hence proved🤣
@@RoyalRajput108 मुगलों की औलादों मुगलो को हारा तो नही पाए लेकिन जीजा जी बना लिए उसी का नतीजा है ये ज्ञान मुग़ल पुत्रम 😆😆😆😄😄
@@RoyalRajput108 agadi barobar bhawa 💪💪💪
Porus Nahi hara tha Sikandar se... Sikandar wapas laut gaya tha... Bohat different stories hai alag alag historians ki..
सिकंदर बेवकुफ और पोरस महान से सम्बोधित करे🙏🚩
सायद सिकंदर को पता था की मगध उनको वापस मेसेडोनिया जानें का मोका नही देगा।😊😊😊😊😊😊
Mai ek Hindustani hu tere liye mahaan hoga mere liye nahi jai hind jai Bharat
Chatrapati sambhaji Maharaj 🙏🚩 Ki jay