दुःशासन की तोड़ भुजाएँ पंचाली का शोक हरेंगेाएँ कण-कण में आलोक भरेंगे

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  • Опубліковано 23 січ 2025
  • दुःशासन की तोड़ भुजाएँ पंचाली का शोक हरेंगे
    काट तमिस्रा की काराएँ कण-कण में आलोक भरेंगे
    हमने पहचाना है उनको जो समाज को तोड़ रहे हैं।
    भारतीय चिन्तन की धारा छल दलसे जो मोड़ रहे हैं।
    हम अपनी संगठन शक्ति से षड्यंत्रों पर रोक करेंगे॥१॥
    अत्याचारी शासन में ही भंग हुई हैं मर्यादाएँ
    करुणा की धरती पर लुटती सत्य अहिंसा की आत्माएँ
    हम विजिगीषु वृत्ति के वाहक तीक्ष्ण शरों की नोक करेंगे॥२॥
    हर दंभ का दर्प दलन कर रोपेंगे हम विजय पताका
    रच देंगे अभिनय समाज हम सत्य शील समता ममता
    उच्चादर्शो की आभा से आलोकित यह लोक करेंगे॥३॥
    वीर व्रती हम ध्येयनिष्ठा हैं विजयशालिनी शान्ति खड़ी है।
    भारत माँ के श्रीचरणों में सदा समर्पित भक्ति खड़ी है।
    कोटिक कंठों से उच्चारित हिन्दु राष्ट्र का श्लोक करेंगे॥४॥

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