आदरणीय प.सचिनजी साहब मेरी इच्छा हैं की,आप कृपया अपनी पूर्ण जीवन शेली,सुबह उठने से लगाकर सोने तक कि,ताकि हम भी आपके समान शुद्ध श्रावक बन सकें।आशा हैं आप श्रीमान मुझे हतोत्साह नहीं करेंगे। जय जिनेन्द्र।
शंकाकार ( जैन बहादूरजी जैन , कानपुर )की यह शंका थी कि ' मोक्ष के प्रेमी हमने कर्मों से लड़ते देखें ..... 'भक्ति करते समय भगवान के सामने यह विकल्प आया कि यह भक्ति '--- व्यक्ति ' ( जो कि हमारे साधर्मी है परन्तु पापोदय से ग्रस्त है ) को समर्पित की जाए। उसके समाधान हेतु ....
आपका अनुभव परक, जीवन मुझे सन्मार्ग के लिए प्रेरित करता है। यद्यपि मैं आपसे खनियाधाना से परिचित हूं। फिर भी अभी विशेष लाभ है। इस चर्चा में अपने व्यक्तिगत संपर्क का निषेध किया है, फिर भी अपने हित के लिए मैं आपसे जुड़ना चाहूंगा।
सचिनजी को पहली बार सुनकर बहुत आनंद/संतोष हुआ है
आदरणीय प.सचिनजी साहब मेरी इच्छा हैं की,आप कृपया अपनी पूर्ण जीवन शेली,सुबह उठने से लगाकर सोने तक कि,ताकि हम भी आपके समान शुद्ध श्रावक बन सकें।आशा हैं आप श्रीमान मुझे हतोत्साह नहीं करेंगे।
जय जिनेन्द्र।
बहुत ज्ञानवर्धक चर्चा🙏
Bhout sunder 👌👌
Bahut accha
SUNDER
Jai jinendra
Jy jinendr
Jaijinandra
All the people well-known on the earth are less-known in the heaven.
And all the people less-known on the earth are well-known in the heaven.
Adbut bhav
प्रश्न समझ में नहीं आया।
कृपया प्रश्न को रिपीट करके उसका समाधान देने की कृपा। 🙏
शंकाकार ( जैन बहादूरजी जैन , कानपुर )की यह शंका थी कि ' मोक्ष के प्रेमी हमने कर्मों से लड़ते देखें ..... 'भक्ति करते समय भगवान के सामने यह विकल्प आया कि यह भक्ति '--- व्यक्ति ' ( जो कि हमारे साधर्मी है परन्तु पापोदय से ग्रस्त है ) को समर्पित की जाए। उसके समाधान हेतु ....
आपका अनुभव परक, जीवन मुझे सन्मार्ग के लिए प्रेरित करता है। यद्यपि मैं आपसे खनियाधाना से परिचित हूं। फिर भी अभी विशेष लाभ है। इस चर्चा में अपने व्यक्तिगत संपर्क का निषेध किया है, फिर भी अपने हित के लिए मैं आपसे जुड़ना चाहूंगा।