गरीब अजब नगर में ले गया हमको सतगुरु आन झिलके बिम्ब अगाद गति सुते चादर तान अनंत कौटि बरमणड का एक रति नही भार सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजन हार ❤❤❤❤❤
*ੴ सतिगुर प्रसादि ॥* ੴ सतिगुर प्रसादि॥ *ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै ॥* हे प्यारे प्रभु ! तेरे बिना ऐसी कृपा कौन कर सकता है, *गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥१॥ रहाउ ॥* हे गुँसाई ! तू गरीब-नवाज है और मुझ दीन पर तूने छत्र धर दिया है॥ १॥ रहाउ॥ *जा की छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ॥* जिसकी छूत जगत् को लग जाती है अर्थात् जिसे दुनिया अछूत समझती है, उस पर तू ही कृपा करता है। *नीचह ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै ॥१॥* मेरा गोबिंद नीच को भी ऊँचा बना देता है और वह किसी से नहीं डरता॥ १॥ *नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै ॥* उसकी अनुकंपा से नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एवं सैन इत्यादि भी संसार-समुद्र से पार हो गए हैं। *कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरि जीउ ते सभै सरै ॥२॥१॥* रविदास जी कहते हैं, हे सज्जनो ! मेरी बात जरा ध्यानपूर्वक सुनो, ईश्वर की रज़ा से सभी मनोरथ पूरे हो सकते हैं।॥ २॥ *मारू ॥* मारू॥ *सुख सागर सुरितरु चिंतामनि कामधेन बसि जा के रे ॥* जिसके वश में सुखों का सागर कल्पवृक्ष, चिंतामणि एवं कामधेनु हैं; *चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि कर तल ता कै ॥१॥* धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष रूपी चार पदार्थ, आठ महासिद्धियों एवं नो निधियाँ भी उस ईश्वर के हाथ में ही हैं॥ १॥ *हरि हरि हरि न जपसि रसना ॥* हे भाई ! जिह्मा से तुम भगवान् का नाम तो जपते ही नहीं, *अवर सभ छाडि बचन रचना ॥१॥ रहाउ ॥* अन्य सभी वचन एवं व्यर्थ रचना को छोड़ कर प्रभु का भजन कर ले। १॥ रहाउ॥ *नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अछर माही ॥* अनेक आख्यान, पुराणों, वेदों एवं विधियों तथा चौंतीस अक्षरों में लिखे गए शास्त्रों का विचार करके *बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम नाम सरि नाही ॥२॥* व्यास जी ने यही बताया है कि राम नाम के बराबर कोई परमार्थ नहीं है॥ २॥ *सहज समाधि उपाधि रहत होइ बडे भागि लिव लागी ॥* सहज-स्वभाव समाधि में रत होकर दुख-तकलीफों से रहित हो गए हैं और अहोभाग्य से ईश्वर में लगन लग गई है। *कहि रविदास उदास दास मति जनम मरन भै भागी ॥३॥२॥१५॥* रविदास जी कहते हैं कि दास की मति जग से विरक्त हो गई है, जिससे जन्म-मरण का भय भाग गया है।३॥ २॥ १५॥ Bhagat Ravidas ji / Raag Maru / / Ang 1106 Ye process kaa sirf ek part hai, ab btayo aap sikh hoo yaa nhi ... yaa sikh hone ke raste par ho yaa nhi ....?
पाप से दुःख होता है और पाप को केवल कविर्देव (कबीर साहेब) ही समाप्त कर सकता है। कविर्देव ही सम्पूर्ण शांतिदायक परमेश्वर है। यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32, अध्याय 8 मंत्र 13 में यह प्रमाण है।
फाही सुरति मलूकी वेश हउ ठगवाडा ठगी देश सुरति यानि ध्यान फाही सुरति यानि ध्यान इस तरफ है कि लोगों को फंसा लूं मलूकी वेश दरवेश वाला वेश हउ यानि कि मैं ठगवाडा-ठगां दा अड्डा हां धाणक रुप रहां करतार धाणक वो लोग जो धनुष बाण से शिकार करते हैं जिन्हें पंजाब में सांसी कहते हैं हे परमात्मा मैं सासिया वाले हाल में रहतां हूं रामू ने सुरति को सूरत हउ को उह रहां को रहा लिखकर अर्थ के अनर्थ कर दिए
⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️ ⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के पृष्ठ 946 पर स्पष्ट किया है कि:- बिन सतगुरु भेटे महा गरबि गुबारि। नानक बिन गुरु मुआ जन्म हारि। इस अमर संदेश में श्री नानक जी ने स्पष्ट किया है कि बिना वक्त गुरु की शरण में जाए न तो मोक्ष होगा न जीव का अहंकार नाश होगा।
🏹श्री नानक देव जी को बेई नदी पर स्नान करते समय जो साधु मिला था। वह जिन्दा बाबा था। जिसके साथ दरिया में प्रवेश हुए वह साधु वेश में परमेश्वर कबीर जी थे। जिसके विषय में भाई बाले वाली जन्म साखी पृष्ठ 280 - 281 हिन्दी वाली में प्रमाण है कि श्री नानक साहेब जी को बाबा जिन्दा वेशधारी गुरु मिले थे। जो उनको बेई नदी में डुबकी लगाते ही अंतर्ध्यान करके सचखण्ड लेकर गये तथा तीन दिन में वापिस छोड़ा।
फाही सुरति मलूकी वेश हउ ठगवाडा ठगी देश सुरति यानि ध्यान फाही सुरति यानि ध्यान इस तरफ है कि लोगों को फंसा लूं मलूकी वेश दरवेश वाला वेश हउ यानि कि मैं ठगवाडा-ठगां दा अड्डा हां धाणक रुप रहां करतार धाणक वो लोग जो धनुष बाण से शिकार करते हैं जिन्हें पंजाब में सांसी कहते हैं हे परमात्मा मैं सासिया वाले हाल में रहतां हूं रामू ने सुरति को सूरत हउ को उह रहां को रहा लिखकर अर्थ के अनर्थ कर दिए
*ੴ सतिगुर प्रसादि ॥* ੴ सतिगुर प्रसादि॥ *ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै ॥* हे प्यारे प्रभु ! तेरे बिना ऐसी कृपा कौन कर सकता है, *गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥१॥ रहाउ ॥* हे गुँसाई ! तू गरीब-नवाज है और मुझ दीन पर तूने छत्र धर दिया है॥ १॥ रहाउ॥ *जा की छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ॥* जिसकी छूत जगत् को लग जाती है अर्थात् जिसे दुनिया अछूत समझती है, उस पर तू ही कृपा करता है। *नीचह ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै ॥१॥* मेरा गोबिंद नीच को भी ऊँचा बना देता है और वह किसी से नहीं डरता॥ १॥ *नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै ॥* उसकी अनुकंपा से नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एवं सैन इत्यादि भी संसार-समुद्र से पार हो गए हैं। *कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरि जीउ ते सभै सरै ॥२॥१॥* रविदास जी कहते हैं, हे सज्जनो ! मेरी बात जरा ध्यानपूर्वक सुनो, ईश्वर की रज़ा से सभी मनोरथ पूरे हो सकते हैं।॥ २॥ *मारू ॥* मारू॥ *सुख सागर सुरितरु चिंतामनि कामधेन बसि जा के रे ॥* जिसके वश में सुखों का सागर कल्पवृक्ष, चिंतामणि एवं कामधेनु हैं; *चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि कर तल ता कै ॥१॥* धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष रूपी चार पदार्थ, आठ महासिद्धियों एवं नो निधियाँ भी उस ईश्वर के हाथ में ही हैं॥ १॥ *हरि हरि हरि न जपसि रसना ॥* हे भाई ! जिह्मा से तुम भगवान् का नाम तो जपते ही नहीं, *अवर सभ छाडि बचन रचना ॥१॥ रहाउ ॥* अन्य सभी वचन एवं व्यर्थ रचना को छोड़ कर प्रभु का भजन कर ले। १॥ रहाउ॥ *नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अछर माही ॥* अनेक आख्यान, पुराणों, वेदों एवं विधियों तथा चौंतीस अक्षरों में लिखे गए शास्त्रों का विचार करके *बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम नाम सरि नाही ॥२॥* व्यास जी ने यही बताया है कि राम नाम के बराबर कोई परमार्थ नहीं है॥ २॥ *सहज समाधि उपाधि रहत होइ बडे भागि लिव लागी ॥* सहज-स्वभाव समाधि में रत होकर दुख-तकलीफों से रहित हो गए हैं और अहोभाग्य से ईश्वर में लगन लग गई है। *कहि रविदास उदास दास मति जनम मरन भै भागी ॥३॥२॥१५॥* रविदास जी कहते हैं कि दास की मति जग से विरक्त हो गई है, जिससे जन्म-मरण का भय भाग गया है।३॥ २॥ १५॥ Bhagat Ravidas ji / Raag Maru / / Ang 1106 Ye process kaa sirf ek part hai, ab btayo aap sikh hoo yaa nhi ... yaa sikh hone ke raste par ho yaa nhi ....?
फाही सुरति मलूकी वेश हउ ठगवाडा ठगी देश सुरति यानि ध्यान फाही सुरति यानि ध्यान इस तरफ है कि लोगों को फंसा लूं मलूकी वेश दरवेश वाला वेश हउ यानि कि मैं ठगवाडा-ठगां दा अड्डा हां धाणक रुप रहां करतार धाणक वो लोग जो धनुष बाण से शिकार करते हैं जिन्हें पंजाब में सांसी कहते हैं हे परमात्मा मैं सासिया वाले हाल में रहतां हूं रामू ने सुरति को सूरत हउ को उह रहां को रहा लिखकर अर्थ के अनर्थ कर दिए
गुरुनानक देव जी को पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में कबीर जी मील थे उनसे ही नाम लेकर गुरुनानक जी ने भक्ति की थी और सभी को बोला था वाहे गुरु सतनाम अर्थात वो गुरु पूर्ण है जिनके पास सत नाम है
■ पूर्ण परमात्मा कबीर नानक देव जी के गुरु कबीर परमेश्वर ने फिर कहा, मैं आपको सतनाम (सत्यनाम / वास्तविक मंत्र का जाप) दूंगा जिसे काल (ब्रह्म) ने गुप्त रखा है और किसी भी शास्त्र में नहीं है। एहु जीउ बहुते जनम भरमिया, ता सतिगुरु शबद सुणाइआ।(पृष्ठ 465) फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।। खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।3।। (पृष्ठ 24)
😂😅 bhai kyo murkh bante hoo,... ye dusre comment ko pado कबीर तो खुद hari नाम जाप krke, राम राम राम राम राम राम जाप krke मुक्त huye hai.. Ye GURU नानक के भगवान या GURU नहीं है 😅
*ੴ सतिगुर प्रसादि ॥* ੴ सतिगुर प्रसादि॥ *ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै ॥* हे प्यारे प्रभु ! तेरे बिना ऐसी कृपा कौन कर सकता है, *गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥१॥ रहाउ ॥* हे गुँसाई ! तू गरीब-नवाज है और मुझ दीन पर तूने छत्र धर दिया है॥ १॥ रहाउ॥ *जा की छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ॥* जिसकी छूत जगत् को लग जाती है अर्थात् जिसे दुनिया अछूत समझती है, उस पर तू ही कृपा करता है। *नीचह ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै ॥१॥* मेरा गोबिंद नीच को भी ऊँचा बना देता है और वह किसी से नहीं डरता॥ १॥ *नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै ॥* उसकी अनुकंपा से नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एवं सैन इत्यादि भी संसार-समुद्र से पार हो गए हैं। *कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरि जीउ ते सभै सरै ॥२॥१॥* रविदास जी कहते हैं, हे सज्जनो ! मेरी बात जरा ध्यानपूर्वक सुनो, ईश्वर की रज़ा से सभी मनोरथ पूरे हो सकते हैं।॥ २॥ *मारू ॥* मारू॥ *सुख सागर सुरितरु चिंतामनि कामधेन बसि जा के रे ॥* जिसके वश में सुखों का सागर कल्पवृक्ष, चिंतामणि एवं कामधेनु हैं; *चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि कर तल ता कै ॥१॥* धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष रूपी चार पदार्थ, आठ महासिद्धियों एवं नो निधियाँ भी उस ईश्वर के हाथ में ही हैं॥ १॥ *हरि हरि हरि न जपसि रसना ॥* हे भाई ! जिह्मा से तुम भगवान् का नाम तो जपते ही नहीं, *अवर सभ छाडि बचन रचना ॥१॥ रहाउ ॥* अन्य सभी वचन एवं व्यर्थ रचना को छोड़ कर प्रभु का भजन कर ले। १॥ रहाउ॥ *नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अछर माही ॥* अनेक आख्यान, पुराणों, वेदों एवं विधियों तथा चौंतीस अक्षरों में लिखे गए शास्त्रों का विचार करके *बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम नाम सरि नाही ॥२॥* व्यास जी ने यही बताया है कि राम नाम के बराबर कोई परमार्थ नहीं है॥ २॥ *सहज समाधि उपाधि रहत होइ बडे भागि लिव लागी ॥* सहज-स्वभाव समाधि में रत होकर दुख-तकलीफों से रहित हो गए हैं और अहोभाग्य से ईश्वर में लगन लग गई है। *कहि रविदास उदास दास मति जनम मरन भै भागी ॥३॥२॥१५॥* रविदास जी कहते हैं कि दास की मति जग से विरक्त हो गई है, जिससे जन्म-मरण का भय भाग गया है।३॥ २॥ १५॥ Bhagat Ravidas ji / Raag Maru / / Ang 1106 Ye process kaa sirf ek part hai, ab btayo aap sikh hoo yaa nhi ... yaa sikh hone ke raste par ho yaa nhi ....?
Sant rampal ji maharaj ji ki jai ho sat saheb ji 🙇🙇
बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज
Kabir is supiriem god 🙏♥️
गरीब अजब नगर में ले गया हमको सतगुरु आन झिलके बिम्ब अगाद गति सुते चादर तान अनंत कौटि बरमणड का एक रति नही भार सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजन हार ❤❤❤❤❤
*ੴ सतिगुर प्रसादि ॥*
ੴ सतिगुर प्रसादि॥
*ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै ॥*
हे प्यारे प्रभु ! तेरे बिना ऐसी कृपा कौन कर सकता है,
*गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥१॥ रहाउ ॥*
हे गुँसाई ! तू गरीब-नवाज है और मुझ दीन पर तूने छत्र धर दिया है॥ १॥ रहाउ॥
*जा की छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ॥*
जिसकी छूत जगत् को लग जाती है अर्थात् जिसे दुनिया अछूत समझती है, उस पर तू ही कृपा करता है।
*नीचह ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै ॥१॥*
मेरा गोबिंद नीच को भी ऊँचा बना देता है और वह किसी से नहीं डरता॥ १॥
*नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै ॥*
उसकी अनुकंपा से नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एवं सैन इत्यादि भी संसार-समुद्र से पार हो गए हैं।
*कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरि जीउ ते सभै सरै ॥२॥१॥*
रविदास जी कहते हैं, हे सज्जनो ! मेरी बात जरा ध्यानपूर्वक सुनो, ईश्वर की रज़ा से सभी मनोरथ पूरे हो सकते हैं।॥ २॥
*मारू ॥*
मारू॥
*सुख सागर सुरितरु चिंतामनि कामधेन बसि जा के रे ॥*
जिसके वश में सुखों का सागर कल्पवृक्ष, चिंतामणि एवं कामधेनु हैं;
*चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि कर तल ता कै ॥१॥*
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष रूपी चार पदार्थ, आठ महासिद्धियों एवं नो निधियाँ भी उस ईश्वर के हाथ में ही हैं॥ १॥
*हरि हरि हरि न जपसि रसना ॥*
हे भाई ! जिह्मा से तुम भगवान् का नाम तो जपते ही नहीं,
*अवर सभ छाडि बचन रचना ॥१॥ रहाउ ॥*
अन्य सभी वचन एवं व्यर्थ रचना को छोड़ कर प्रभु का भजन कर ले। १॥ रहाउ॥
*नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अछर माही ॥*
अनेक आख्यान, पुराणों, वेदों एवं विधियों तथा चौंतीस अक्षरों में लिखे गए शास्त्रों का विचार करके
*बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम नाम सरि नाही ॥२॥*
व्यास जी ने यही बताया है कि राम नाम के बराबर कोई परमार्थ नहीं है॥ २॥
*सहज समाधि उपाधि रहत होइ बडे भागि लिव लागी ॥*
सहज-स्वभाव समाधि में रत होकर दुख-तकलीफों से रहित हो गए हैं और अहोभाग्य से ईश्वर में लगन लग गई है।
*कहि रविदास उदास दास मति जनम मरन भै भागी ॥३॥२॥१५॥*
रविदास जी कहते हैं कि दास की मति जग से विरक्त हो गई है, जिससे जन्म-मरण का भय भाग गया है।३॥ २॥ १५॥
Bhagat Ravidas ji / Raag Maru / / Ang 1106
Ye process kaa sirf ek part hai, ab btayo aap sikh hoo yaa nhi ... yaa sikh hone ke raste par ho yaa nhi ....?
🙏🙏 sat saheb 🙏🙏
Bahut accha satsang nice video
Meri guru dev bhagwan he ❤❤🌹🌹🙏🏻🙏🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹🌹🌹
नानक जी के गुरु कबीर साहेब ही है 🙇🙇🙇🙇🙇🙏🙏🙏🙏
Sat saheb parmatma 😭🙏
🙏Sat Saheb ji 🙏
❤❤❤❤❤ Sat Sahib ji ❤❤❤❤❤
पाप से दुःख होता है और पाप को केवल कविर्देव (कबीर साहेब) ही समाप्त कर सकता है। कविर्देव ही सम्पूर्ण शांतिदायक परमेश्वर है।
यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32, अध्याय 8 मंत्र 13 में यह प्रमाण है।
नानक देव जी की प्रमाणित कथा
Bandichhod Satguru Rampal ji maharaj ki jay ..🙏🙇🙇🏻♂️
Jagat guru sant rampal ji maharaj ki jai ho 🙏🙏
नानक साहब का अनमोल ज्ञान
Jai ho Rampal ji Bhagwan ki
Sat sahib ji
satgurudev rampal maharaj ji ki jai ho parmatma mujh neech ko apne pavan charno me rakhiyo data
Real Spiritual Realived Gyan
Sat saheb gi 🙏🙏🙇🙏🙏
Sat shahb
#gurunanak story 👍👍
सत्य कथा
फेक स्टोरी है 😁
Alam Bada Kabir is GoD 💞 🙏🙏 💞
🧖श्री गुरुग्रंथ साहबे पृष्ठ नं:24 राग सीरी महला-1
तेरा एक नाम तारे संसार,मैं ऐहा आस ऐहो आधार ।
नानक देव कहै बिचार,धाणक रूप रहा करतार ।।🙏
सत साहेब कबीरसा साहेब।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Amazing Knowledge
Bahut hi achhchhi katha 👌👌
Super
Sat sahib ji 🙏
Kabir is supreme God
अनंत कोटि ब्रह्मांड का एक रत्ती नहीं भार ,सतगुरु पुरुष कबीर है कुल के सिरजनहार।
Fantastic knowledge 🙏🙏👌👌👌☝☝👏🙏🙏🙏
नानक देव जी ने कबीर साहेब को अपना गुरु बनाया था
फाही सुरति मलूकी वेश हउ ठगवाडा ठगी देश
सुरति यानि ध्यान
फाही सुरति यानि ध्यान इस तरफ है कि लोगों को फंसा लूं
मलूकी वेश दरवेश वाला वेश
हउ यानि कि मैं
ठगवाडा-ठगां दा अड्डा हां
धाणक रुप रहां करतार
धाणक वो लोग जो धनुष बाण से शिकार करते हैं
जिन्हें पंजाब में सांसी कहते हैं
हे परमात्मा मैं सासिया वाले हाल में रहतां हूं
रामू ने सुरति को सूरत
हउ को उह
रहां को रहा लिखकर
अर्थ के अनर्थ कर दिए
जा दिन सतगुरु भेंटिया, व दिन लेखे जान।
बाकी का समय व्यर्थ गया, बिना गुरु के नाम।। 🙏🙏🙏🙏
पुण्यात में इस वीडियो को जरूर देखें सत साहेब
कबीर, सुमिरन सों मन लाइये, जैसे पानी मीन। प्रान तजै पल बीसरै, दास कबीर कहि दीन।।
🙏🙏सत साहेब जी 🙏🙏
Kabir is God
🙏🌿🙏🌿🌹🙏🙏🌹🌹
नानक जी को मिला पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब।देखिये इश्वर टीवी शाम 8:40 से
True
#SpiritualLeaderSaintRampalJi
Nice.
Jay bandi chhod ki.
सत गुरु देव जी के चरणों में कोटि कोटि दंडवत प्रणाम सत साहेब जी
kabir is god poorn parmatma
गुरु नानक देव जी के गुरु कबीर साहेब थे |
Excellent knowledge 🙏
Sat saheb
Bahut achha
⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️
⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️श्री गुरु ग्रन्थ साहिब के पृष्ठ 946 पर स्पष्ट किया है कि:-
बिन सतगुरु भेटे महा गरबि गुबारि। नानक बिन गुरु मुआ जन्म हारि।
इस अमर संदेश में श्री नानक जी ने स्पष्ट किया है कि बिना वक्त गुरु की शरण में जाए न तो मोक्ष होगा न जीव का अहंकार नाश होगा।
🙏🙏
सत साहेब
Kabir supreme god h
Must watch everyone
ना जाने काल की कर डारे,
किस विध ढल जा पासा वे,
जिन्हादे सिर ते मौत खुड़कदी,
उन्हानू केड़ा हासा वे।।
यह पवित्र ग्यान गुरू ग्रंथ साहिब मे प्रमाण है जी हमने देखा है
क्या देखा अब देख कैसे सरेआम बेवकूफ बना रहा है रामू
🏹श्री नानक देव जी को बेई नदी पर स्नान करते समय जो साधु मिला था। वह जिन्दा बाबा था। जिसके साथ
दरिया में प्रवेश हुए वह साधु वेश में परमेश्वर कबीर जी थे। जिसके विषय में भाई बाले वाली जन्म साखी पृष्ठ 280 - 281 हिन्दी वाली में प्रमाण है कि श्री नानक साहेब जी को बाबा जिन्दा वेशधारी गुरु मिले थे। जो उनको बेई नदी में डुबकी लगाते
ही अंतर्ध्यान करके सचखण्ड लेकर गये तथा तीन दिन में वापिस छोड़ा।
Naanak ji said in Holy Guru Granth Sahib supreme God is in Form like human and he is Almighty God Kabir .
फाही सुरति मलूकी वेश हउ ठगवाडा ठगी देश
सुरति यानि ध्यान
फाही सुरति यानि ध्यान इस तरफ है कि लोगों को फंसा लूं
मलूकी वेश दरवेश वाला वेश
हउ यानि कि मैं
ठगवाडा-ठगां दा अड्डा हां
धाणक रुप रहां करतार
धाणक वो लोग जो धनुष बाण से शिकार करते हैं
जिन्हें पंजाब में सांसी कहते हैं
हे परमात्मा मैं सासिया वाले हाल में रहतां हूं
रामू ने सुरति को सूरत
हउ को उह
रहां को रहा लिखकर
अर्थ के अनर्थ कर दिए
🙏🏳️🥰
पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा" से जानिए कि कैसे देवता भक्त परिवार की सुरक्षा करते हैं।
*ੴ सतिगुर प्रसादि ॥*
ੴ सतिगुर प्रसादि॥
*ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै ॥*
हे प्यारे प्रभु ! तेरे बिना ऐसी कृपा कौन कर सकता है,
*गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥१॥ रहाउ ॥*
हे गुँसाई ! तू गरीब-नवाज है और मुझ दीन पर तूने छत्र धर दिया है॥ १॥ रहाउ॥
*जा की छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ॥*
जिसकी छूत जगत् को लग जाती है अर्थात् जिसे दुनिया अछूत समझती है, उस पर तू ही कृपा करता है।
*नीचह ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै ॥१॥*
मेरा गोबिंद नीच को भी ऊँचा बना देता है और वह किसी से नहीं डरता॥ १॥
*नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै ॥*
उसकी अनुकंपा से नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एवं सैन इत्यादि भी संसार-समुद्र से पार हो गए हैं।
*कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरि जीउ ते सभै सरै ॥२॥१॥*
रविदास जी कहते हैं, हे सज्जनो ! मेरी बात जरा ध्यानपूर्वक सुनो, ईश्वर की रज़ा से सभी मनोरथ पूरे हो सकते हैं।॥ २॥
*मारू ॥*
मारू॥
*सुख सागर सुरितरु चिंतामनि कामधेन बसि जा के रे ॥*
जिसके वश में सुखों का सागर कल्पवृक्ष, चिंतामणि एवं कामधेनु हैं;
*चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि कर तल ता कै ॥१॥*
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष रूपी चार पदार्थ, आठ महासिद्धियों एवं नो निधियाँ भी उस ईश्वर के हाथ में ही हैं॥ १॥
*हरि हरि हरि न जपसि रसना ॥*
हे भाई ! जिह्मा से तुम भगवान् का नाम तो जपते ही नहीं,
*अवर सभ छाडि बचन रचना ॥१॥ रहाउ ॥*
अन्य सभी वचन एवं व्यर्थ रचना को छोड़ कर प्रभु का भजन कर ले। १॥ रहाउ॥
*नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अछर माही ॥*
अनेक आख्यान, पुराणों, वेदों एवं विधियों तथा चौंतीस अक्षरों में लिखे गए शास्त्रों का विचार करके
*बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम नाम सरि नाही ॥२॥*
व्यास जी ने यही बताया है कि राम नाम के बराबर कोई परमार्थ नहीं है॥ २॥
*सहज समाधि उपाधि रहत होइ बडे भागि लिव लागी ॥*
सहज-स्वभाव समाधि में रत होकर दुख-तकलीफों से रहित हो गए हैं और अहोभाग्य से ईश्वर में लगन लग गई है।
*कहि रविदास उदास दास मति जनम मरन भै भागी ॥३॥२॥१५॥*
रविदास जी कहते हैं कि दास की मति जग से विरक्त हो गई है, जिससे जन्म-मरण का भय भाग गया है।३॥ २॥ १५॥
Bhagat Ravidas ji / Raag Maru / / Ang 1106
Ye process kaa sirf ek part hai, ab btayo aap sikh hoo yaa nhi ... yaa sikh hone ke raste par ho yaa nhi ....?
भाई सूरत मनुक की भेख ये ठ गवारा ठगी देश खरा स्यना भेाैता भार धनक रूप रहा करतार।
अधिक जानकारी हेतु साधना चेनल पर शाम 7.30से प्रतिदिन सतसंग सुने।
फाही सुरति मलूकी वेश हउ ठगवाडा ठगी देश
सुरति यानि ध्यान
फाही सुरति यानि ध्यान इस तरफ है कि लोगों को फंसा लूं
मलूकी वेश दरवेश वाला वेश
हउ यानि कि मैं
ठगवाडा-ठगां दा अड्डा हां
धाणक रुप रहां करतार
धाणक वो लोग जो धनुष बाण से शिकार करते हैं
जिन्हें पंजाब में सांसी कहते हैं
हे परमात्मा मैं सासिया वाले हाल में रहतां हूं
रामू ने सुरति को सूरत
हउ को उह
रहां को रहा लिखकर
अर्थ के अनर्थ कर दिए
सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान
Gota maaru swarg me jaa paithu patal |
Garib daas dhundta phiru apne heere moti laal ||
गुरुनानक देव जी को पूर्ण परमात्मा जिंदा महात्मा के रूप में कबीर जी मील थे उनसे ही नाम लेकर गुरुनानक जी ने भक्ति की थी और सभी को बोला था वाहे गुरु सतनाम अर्थात वो गुरु पूर्ण है जिनके पास सत नाम है
फेक स्टोरी है
@@gurvindersingh.khalsa6164 नही भाई यह कोई मन से बनाया गया कहानी नही है सच्चाई है
@@spritual_knowledge_ कहां लिखी है ये कहानी बताईए
@@gurvindersingh.khalsa6164 निचे प्रमाण सहित वीडियो है भाई
@@spritual_knowledge_ विडियो ही तो फेक बनाई गई है क्या करें जब पढ़ लिखकर भी कोई अनपढ़ों जैसी बात करे तो
■ पूर्ण परमात्मा कबीर
नानक देव जी के गुरु कबीर परमेश्वर ने फिर कहा, मैं आपको सतनाम (सत्यनाम / वास्तविक मंत्र का जाप) दूंगा जिसे काल (ब्रह्म) ने गुप्त रखा है और किसी भी शास्त्र में नहीं है।
एहु जीउ बहुते जनम भरमिया, ता सतिगुरु शबद सुणाइआ।(पृष्ठ 465)
फाही सुरत मलूकी वेस, उह ठगवाड़ा ठगी देस।।
खरा सिआणां बहुता भार, धाणक रूप रहा करतार।।3।। (पृष्ठ 24)
😂😅 bhai kyo murkh bante hoo,... ye dusre comment ko pado कबीर तो खुद hari नाम जाप krke, राम राम राम राम राम राम जाप krke मुक्त huye hai..
Ye GURU नानक के भगवान या GURU नहीं है 😅
*ੴ सतिगुर प्रसादि ॥*
ੴ सतिगुर प्रसादि॥
*ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै ॥*
हे प्यारे प्रभु ! तेरे बिना ऐसी कृपा कौन कर सकता है,
*गरीब निवाजु गुसईआ मेरा माथै छत्रु धरै ॥१॥ रहाउ ॥*
हे गुँसाई ! तू गरीब-नवाज है और मुझ दीन पर तूने छत्र धर दिया है॥ १॥ रहाउ॥
*जा की छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै ॥*
जिसकी छूत जगत् को लग जाती है अर्थात् जिसे दुनिया अछूत समझती है, उस पर तू ही कृपा करता है।
*नीचह ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै ॥१॥*
मेरा गोबिंद नीच को भी ऊँचा बना देता है और वह किसी से नहीं डरता॥ १॥
*नामदेव कबीरु तिलोचनु सधना सैनु तरै ॥*
उसकी अनुकंपा से नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना एवं सैन इत्यादि भी संसार-समुद्र से पार हो गए हैं।
*कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरि जीउ ते सभै सरै ॥२॥१॥*
रविदास जी कहते हैं, हे सज्जनो ! मेरी बात जरा ध्यानपूर्वक सुनो, ईश्वर की रज़ा से सभी मनोरथ पूरे हो सकते हैं।॥ २॥
*मारू ॥*
मारू॥
*सुख सागर सुरितरु चिंतामनि कामधेन बसि जा के रे ॥*
जिसके वश में सुखों का सागर कल्पवृक्ष, चिंतामणि एवं कामधेनु हैं;
*चारि पदारथ असट महा सिधि नव निधि कर तल ता कै ॥१॥*
धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष रूपी चार पदार्थ, आठ महासिद्धियों एवं नो निधियाँ भी उस ईश्वर के हाथ में ही हैं॥ १॥
*हरि हरि हरि न जपसि रसना ॥*
हे भाई ! जिह्मा से तुम भगवान् का नाम तो जपते ही नहीं,
*अवर सभ छाडि बचन रचना ॥१॥ रहाउ ॥*
अन्य सभी वचन एवं व्यर्थ रचना को छोड़ कर प्रभु का भजन कर ले। १॥ रहाउ॥
*नाना खिआन पुरान बेद बिधि चउतीस अछर माही ॥*
अनेक आख्यान, पुराणों, वेदों एवं विधियों तथा चौंतीस अक्षरों में लिखे गए शास्त्रों का विचार करके
*बिआस बीचारि कहिओ परमारथु राम नाम सरि नाही ॥२॥*
व्यास जी ने यही बताया है कि राम नाम के बराबर कोई परमार्थ नहीं है॥ २॥
*सहज समाधि उपाधि रहत होइ बडे भागि लिव लागी ॥*
सहज-स्वभाव समाधि में रत होकर दुख-तकलीफों से रहित हो गए हैं और अहोभाग्य से ईश्वर में लगन लग गई है।
*कहि रविदास उदास दास मति जनम मरन भै भागी ॥३॥२॥१५॥*
रविदास जी कहते हैं कि दास की मति जग से विरक्त हो गई है, जिससे जन्म-मरण का भय भाग गया है।३॥ २॥ १५॥
Bhagat Ravidas ji / Raag Maru / / Ang 1106
Ye process kaa sirf ek part hai, ab btayo aap sikh hoo yaa nhi ... yaa sikh hone ke raste par ho yaa nhi ....?
ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਆਪ ਪ੍ਰਮੇਸ਼ਰ ਹੈ
HAKKA KABIR TU. BEAIB PARABDIGAR. WRITTEN IN GRANTH SAHIB JI
Sat Saheb ji
🙏🪷सतगुरु देव जी की जय🪷🙏
Jai ho bandi chhod ki jai ho
Satsahib
Sat saheb ji
सत साहेब
sat sahib ji ❤️
sat saheb ji
Sat saheb ji
Sat saheb ji 🙏🏾🙏🏾❤️🙏🏾🙏🏾
Sat saheb ji