मोहन भैया,आप बेहतरीन प्रवक्ता हो तो सही बात करो। सामाजिक न्याय का काम करने वाले मलाई नहीं खाते।आप लोग सिर्फ PDA का नारा लगाते हो।आशीष पटेल जी ने विभाग में 177 पदों में 138 पात्र PDA वर्ग को पदोन्नति दी। अगर अब भी आप लोग आरोप लगाए हो तो PDA सिर्फ जुमला है।आप यह कबूल करिये
राजनीति से इतर माननीय मंत्री जी एवं आप सभी पढ़े लिखे लोगों से कुछ प्रश्न: 1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई। प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है? क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ? यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई? 2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है। प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ? जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया? क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है? जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया? 3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई। प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है? क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))? क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
हां सपा के जातीय जनगणना की मांग केवल कुछ लोगो के लिए ही ना ??कुछ भी बोलते हो यार सपा इकलौती पार्टी बची है जिसमे up के ओबीसी एससी एसटी का हित है। बेशक कुछ गलतियां सपा के समय हुई लेकिन उसे सुधार करने का एक मौका मिलना चाहिए ।
Dhanyvad Manoj Yadav Bhai main Rajeshwar Kumar Patel aapke sath hun
Jai samajwad Jai Akhilesh
Very good Bhaiya bahut acha tark diye aap mahan viduon pravakta ho
Manoj yadaw ji apko bahut bahut dhanywad
Jai samajwad
PDA jindabad
जय अपना दल एस जिंदाबाद जिंदाबाद
सरकार को निष्पक्ष जांच करना चाहिए 😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂
Jay samajwad
Ashish patel Jindabad, Apna Dal S Jindabad
Very good bhai ❤
मोहन भैया,आप बेहतरीन प्रवक्ता हो तो सही बात करो। सामाजिक न्याय का काम करने वाले मलाई नहीं खाते।आप लोग सिर्फ PDA का नारा लगाते हो।आशीष पटेल जी ने विभाग में 177 पदों में 138 पात्र PDA वर्ग को पदोन्नति दी।
अगर अब भी आप लोग आरोप लगाए हो तो PDA सिर्फ जुमला है।आप यह कबूल करिये
राजनीति से इतर माननीय मंत्री जी एवं आप सभी पढ़े लिखे लोगों से कुछ प्रश्न:
1. तत्कालीन प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश श्री एम0 देवराज के अनुसार DPC पुरानी सेवा नियमावली से की गई।
प्रश्न: क्या विभाग में पुरानी सेवा नियमावली प्रभावी है?
क्या 2012 से 2019 तक के रिक्त पदों पर पदोन्नति 2024 में (AICTE की समय सीमा 01.03.2019 से तीन वर्ष अर्थात 28.02.2022 की समाप्ति के ढाई वर्ष के बाद) किया जाना नियमसंगत है ?
यदि यह नियम संगत है तो अप्लाइड साइंस एवं मानविकी संवर्ग के ऐसे प्रवक्ताओं, जिनकी नियुक्ति 2004 में हुई थी एवं जो 2019 में प्रधानाचार्य पद पर प्रोन्नति के लिए अर्ह थे, की पदोन्नति पर कोई प्रगति क्यों नहीं हुई?
2. माननीय मंत्री महोदय प्राविधिक शिक्षा उत्तर प्रदेश द्वारा अपने वक्तव्य में कहा गया कि उनके द्वारा यह पदोन्नति अधिकारियों का मनोबल बढ़ाने हेतु की गई है।
प्रश्न: क्या विभाग में ऐसे केवल 208 प्रवक्ता थे जिनके मनोबल के उत्थान के लिए नियम, न्याय, नैतिकता आदि को ताक़ पर रखना अनिवार्य हो गया था? शेष अधिकारियों के मनोबल के उत्थान के लिए कौन सी आहुति की चेष्टा है ?
जब आदरणीय देवराज जी के द्वारा ग्रेड वेतन ₹ 6600/= पर पदोन्नति की संस्तुति की गई थी तो वे कौन से विभाग हैं जिनसे परामर्श करके इसे ग्रेड वेतन ₹ 9000/= कर दिया गया?
क्या इन विभागों के परामर्श के उपरांत सहमति का कोई लिखित साक्ष्य उपलब्ध है?
जब डीपीसी की समिति में प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा के अतिरिक्त वित्त एवं कार्मिक विभाग के सदस्यों का होना श्रेयस्कर एवं प्रावधानानुसार सुसंगत था तो किन परिस्थितियों में सूचना एवं सतर्कता विभाग को सम्मिलित किया गया?
3. श्री विवेक श्रीवास्तव जी एवं श्री जन्मेजय जी जो इस नियमविरुद्ध पदोन्नति के समर्थन में अपना स्पष्टीकरण देते हुए कह रहे हैं कि आरक्षण के नियमों का उल्लंघन कहां हुआ जब व्याख्याता पद पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नति दी गई।
प्रश्न: यदि पदोन्नति के पद (विभागाध्यक्ष) पर सीधी भर्ती से नियुक्ति का अर्थ मूल पद (व्याख्याता) पर सीधी भर्ती से नियुक्त कार्मिकों को ही पदोन्नत किया जाना होता है तो AICTE से यह पृच्छा की जानी चाहिए कि दोनों को भिन्न प्राविधानों के रूप में क्यों प्रतिपादित किया गया है?
क्या वर्ष 2008 में नियुक्ति हेतु आरक्षण के वही प्रावधान प्रचलित थे जो वर्तमान समय में आरक्षण हेतु प्रभावी हैं (उर्ध्वाधर आरक्षण अनुच्छेद 16(A) एवं क्षैतिज आरक्षण अनुच्छेद 15(3))?
क्या वर्तमान में विभागाध्यक्ष बनाए गए 177 प्रवक्ताओं के अतिरिक्त और भी प्रवक्ता हैं जिनका पदोन्नयन किया गया है किंतु जारी की गई सूची में उनका नाम सम्मिलित नहीं किया गया है? यदि हां तो क्यों ?
Ashish jee aur pallavi patel jee ko spa kabhi bhi party me na le to sahi hoga..
Unfortunate
मनोज यादव और सपा केवल उन्ही गैर यादव obc के साथ है जो उनके सपा पार्टी के वोटर बने और बनाये, और पिछलग्गू बने l
BJP tab kiske sath hai 😂😂😂
Aisa aapko lagta hai 😂😂😂
हां सपा के जातीय जनगणना की मांग केवल कुछ लोगो के लिए ही ना ??कुछ भी बोलते हो यार सपा इकलौती पार्टी बची है जिसमे up के ओबीसी एससी एसटी का हित है। बेशक कुछ गलतियां सपा के समय हुई लेकिन उसे सुधार करने का एक मौका मिलना चाहिए ।
BJP sarker ko maghei aur beorajgari say koei matlab nahi h ,
PDA jindabad