भगवान नारायण अजेय हैं उन पर कोई विजय प्राप्त नहीं कर सकता है सत्य ही नारायण है नारायण ही सत्य है जो लोगश्री हरी कि भक्ती करके मोक्ष पाकर श्री बैकुंठ धाम में जाते हैं जो कि भगवान नारायण का सनातन धाम है
ये कथा श्री मदभागवत में वर्णित है 🙏 मैने पढ़ा है 🙏🙏🙏 , अब छोटी सोच वे लोग आयेंगे जो भगवान शिव और कृष्ण जी में भेद करेंगे कोई जीता या हारा नहीं ये केवल भगवान की लीला होती है
प्रेमानंद जी और कृपालु जी महाराज दोनों ने बताया है इस बारे में भगवान श्री कृष्ण ही तत्वों के तत्व हैं वहीं सबसे परम सकती हैं सब उनके ही अंश से उत्पन्न उनका सबसे सकती साली रूप महाविष्णु है जो अन्नत कोटी ब्रह्माण्ड को एक छन में बना देते हैं और सबके अधिपति हैं 🙏🙏🙏 भागवत गीता - हे अर्जुन जितने भी ब्रह्माण्ड हैं उनमें जितने भी ब्रह्मा विष्णु महेश देवी देवता हैं मानव किन्नर दानव दैत्य सर्प नाग वशु जीव जंतु हैं उनमें जितनी भी शक्तियां हैं जो भी अस्त्र शस्त्र हैं जितना भी प्रकृति का विस्तार है जो व्यक्त है और अव्यक्त है वो सब मेरे एक अंश से उत्पन्न है 🙏🙏🙏 सब जन्म मुझी से पाते हैं और लोट मुझी में आते हैं 🙏🙏🙏 अर्जुन को को जो विराट रूप दिखाया था वो खुद कृष्ण थे उस रूप से ही सबकी उत्पत्ति होती है उससे बड़ा कुछ नही है अर्जुन ने आश्चर्य पूर्वक पूछा था की मुझे आपके भीतर अन्नत ब्रह्म विष्णु महेश दिखाई दे रहे हैं, तब कृष्ण जी ने कहा था की में ही ब्रह्मा रूप में सृजन करता हूं और विष्णु रूप में पालन और शिव रूप में संहार करता हूं इसलिए कोई भी आपस में मत लड़ो सब एक ही है चाहे जिस रूप की पूजा करो जाती अंत में कृष्ण जी के पास मे ही है जैसे फ्रिज ठंडा करता हीटर गर्म करता है काम अलग अलग हैं पर बिजली दोनो में एक है वैसे ही रूप अलग अलग हैं पर तत्व एक हैं, कोई भी पुरान पढ़ लो वो पुराण जिस भगवान की है श्रृष्टि का विस्तार उससे ही बताया गया है शिव पुरान में शिव से, विष्णु पुरान में विष्णु से, गणेश और देवी पुरान में गणेश जी और माता दुर्गा से ये झूठ नही है सच है क्योंकि तत्व एक ही है नाम अलग अलग है कौन बड़ा कौन छोटा इसके चक्कर में मत पड़ो 🙏🙏🙏
हरि हर मे कोई भेद नही है, जब एक रुप की लीला चल रही हो तो दुसरा रुप उसमे बाधा नही बनता क्योंकी शक्ती एक ही है। बस इस बीत का ध्यान रखें, हरि हर निंदा सुनही जे काना, होंही पाप गो-घात समाना।
Jay shree Ram janki jay Hanuman ji jay shree Ram janki jay Hanuman ji jay shree Ram janki jay Hanuman ji jay shree Ram janki jay Hanuman ji har har har mhabev
Jay shree Ram janki jay Hanuman ji jay Guro dev ji jay shree Radhey syam jay gumata ji jay shree Radhey syam jay gumata ji jay shree Radhey syam jay gumata ji jay shree Radhey syam jay gumata ji har har har mhabev
प्रेमानंद जी और कृपालु जी महाराज दोनों ने बताया है इस बारे में भगवान श्री कृष्ण ही तत्वों के तत्व हैं वहीं सबसे परम सकती हैं सब उनके ही अंश से उत्पन्न उनका सबसे सकती साली रूप महाविष्णु है जो अन्नत कोटी ब्रह्माण्ड को एक छन में बना देते हैं और सबके अधिपति हैं 🙏🙏🙏 भागवत गीता - हे अर्जुन जितने भी ब्रह्माण्ड हैं उनमें जितने भी ब्रह्मा विष्णु महेश देवी देवता हैं मानव किन्नर दानव दैत्य सर्प नाग वशु जीव जंतु हैं उनमें जितनी भी शक्तियां हैं जो भी अस्त्र शस्त्र हैं जितना भी प्रकृति का विस्तार है जो व्यक्त है और अव्यक्त है वो सब मेरे एक अंश से उत्पन्न है 🙏🙏🙏 सब जन्म मुझी से पाते हैं और लोट मुझी में आते हैं 🙏🙏🙏 अर्जुन को को जो विराट रूप दिखाया था वो खुद कृष्ण थे उस रूप से ही सबकी उत्पत्ति होती है उससे बड़ा कुछ नही है अर्जुन ने आश्चर्य पूर्वक पूछा था की मुझे आपके भीतर अन्नत ब्रह्म विष्णु महेश दिखाई दे रहे हैं, तब कृष्ण जी ने कहा था की में ही ब्रह्मा रूप में सृजन करता हूं और विष्णु रूप में पालन और शिव रूप में संहार करता हूं इसलिए कोई भी आपस में मत लड़ो सब एक ही है चाहे जिस रूप की पूजा करो जाती अंत में कृष्ण जी के पास मे ही है जैसे फ्रिज ठंडा करता हीटर गर्म करता है काम अलग अलग हैं पर बिजली दोनो में एक है वैसे ही रूप अलग अलग हैं पर तत्व एक हैं, कोई भी पुरान पढ़ लो वो पुराण जिस भगवान की है श्रृष्टि का विस्तार उससे ही बताया गया है शिव पुरान में शिव से, विष्णु पुरान में विष्णु से, गणेश और देवी पुरान में गणेश जी और माता दुर्गा से ये झूठ नही है सच है क्योंकि तत्व एक ही है नाम अलग अलग है कौन बड़ा कौन छोटा इसके चक्कर में मत पड़ो 🙏🙏🙏
महाभारत द्रोणपर्व (नारायणस्त्रमोक्ष पर्व) अध्याय श्लोक 57-6 भगवान नारायण ने हिमालय पर्वत पर रहकर अपनी दोनों भुजाएँ ऊँपर उठाये हुए बड़ी कठोर तपस्या की थी उन कमल नयन श्रीहरि ने छियासठ हजार वर्षो तक केवल वायु पीकर उन दिनों अपनी शरीर को सुखाया। तदनन्तर उससे दुगुने काल तक फिर भारी तपस्या करके उन्होंने अपने तेज से पृथ्वी और आकाश से मध्यवर्ती आकाश को भर दिया। तात ! उस तपस्या से जब वे साक्षात ब्रह्मस्वरूप में स्थित हो गये, तब उन्हें उन भगवान शिव का दर्शन हुआ जो सम्पूर्ण विश्व के उत्पति स्थान और जगत के पालक हैं
भगवान शिव के कारण भगवान कृष्ण सर्वोच्च हैं ~महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 14 श्लोक 1-20 :- रुद्रदेव का प्रति भक्ति के कारण ही श्रीकृष्ण ने सम्पूर्ण जगत को व्याप्त कर रखा है । पूर्वकाल महादेवजी को बदरि का श्रम में प्रसन्न करके उन दिव्य दृष्टि महेश्वर से श्रीकृष्ण ने सब पदार्थों की अपेक्षा प्रियतर भाव को प्राप्त कर लिया, अर्थात् वे सम्पूर्ण लोकों के प्रियतम बन गये। इन माधव ने वरदायक देवता चराचर गुरू भगवान शिव को प्रसन्न करते हुए पूर्वकाल में पूरे एक हजार वर्ष तक तपस्या की थी। श्रीकृष्ण ने प्रत्येक युग में महेश्वर को संतुष्ट किया है। महात्मा श्रीकृष्ण की परम भक्ति से वे सदा प्रसन्न रहते हैं। जगत के कारणभूत परमात्मा शिव का ऐश्वर्य जैसा, उसे पुत्र के लिये तपस्या करते हुए इन अच्युत श्रीहरि ने प्रत्यक्ष देखा है। भारत ! उसी के एश्वर्य के कारण मैं परात्पर श्रीकृष्ण के सिवा किसी दूसरो को ऐसा नहीं देखता जो देवाधिदेव महादेवजी के नामों की पूर्ण रूप से व्याख्या कर सके।
भगवान नारायण कौन हैं? ~ श्रीमद् ईश्वर गीता में:- अध्याय 6: श्लोक 112, भगवान शिव कहते हैं - यह मेरा परम रूप है, जिसे नारायण कहा जाता है। अर्थ:- नारायण मेरा ही परम मूर्ति रूप है। नारायण भगवान शिव के सर्वोच्च व्यक्तित्व हैं Note:- This verse of srimad Ishvara Gita is quoted by Sripati Pandit Bhagwatpadacharya ji in his Brahm Sutra भाष्य 1:3:23 (श्रीकारा भाष्यम्) * स्कंद महापुराण:- महेश्वर खंड: 4.4.56 ''नास्ति शैवाग्रनिर विष्णो:- विष्णु से बड़ा कोई शैव नहीं है।
भगवान राम कौन हैं? ~ श्रीमद् ईश्वर गीता में:- अध्याय 7: श्लोक 5, भगवान शिव कहते हैं-- शस्त्रधारियों में मैं राम हूँ। शस्त्र धारण करने वालों में रामचंद्र मैं ही हूँ।
महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 14 श्लोक 1-2 युधिष्ठिर ने कहा - गंगानन्दन ! आपने ब्रह्माजी के भी ईश्वर कल्याणकारी जगदीशवर भगवान शिव के जो नाम सुने हों, उन्हें यहां बताइये। जो विराट विश्वरूपधारी हैं। ~महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 14 श्लोक 346-3 जो सम्पूर्ण प्राणियों का आदिकारण, अविनाशी, समस्त तत्वों के विधान का ज्ञाता तथा प्रधान परम पुरुष है, वह ये भगवान महादेव जी ही हैं। इन्हीं जगदीश्वर ने अपने दाहिने अंग से लोकस्रष्टा ब्रह्मा को और बायें अंग से जगत की रक्षा के लिये विष्णु को उत्पन्न किया है। प्रलयकाल प्राप्त होने पर इन्हीं भगवान शिव ने रुद्र की रचना की थी। वे ही रुद्र सम्पूर्ण चराचर जगत का संहार करते हैं।
मैं एक वैष्णव हूँ लेकिन मुझे महाराज जी द्वारा आज की कथा में भोलेनाथ और श्रीकृष्ण की लीला वर्णन सुनकर मन में तनिक भी दुःख व भेद उत्पन्न नहीं हुआ।❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
Ye jitne vaishnav hai inka ek hi kam Hai Bhagwan Shiv ko chhota dikhana aur kuch nahi kisi bhi ktha me Prr sabko pta hai Perbrmha Bhagwan sadashiv hi hai 64 klao k swami Har Har Mahadev 🙏🙏🙏
भगवान कृष्ण तो मां काली का ही अवतार थे इसलिए नारायण या शिव इसमें कोई भेद नहीं है, क्योंकि भगवान विष्णु को मां काली का हृदय कहा गया है, सब एक ही हैं, ब्रह्मा, विष्णु, शिव त्रिदेव सबकी शक्ति प्रणव ऊं में ही निहित है, जय सिया राम 🙏🙏🙏
Sb bhagwano k bhagwan shri krishna h.praman padm puran,brahm vaibart puran, Vishnu puran,shrimad bhagvad geeta, Shrimad Bhagwat maha puran ,narad panchratra bhut sare grantho me praman h is baat ka ki asankhya brahma vishnu mahesh durga in sbi k bhagwan h shri krishna
ठीक उसी प्रकार दक्ष के यज्ञ में भगवान विष्णु ने भी दक्ष को यही ज्ञात कराया कि भगवान नारायण ही पर ब्रह्म परमेश्वर नहीं अपितु भगवान शिव भी पर ब्रह्म परमेश्वर है और दोनों एक हीहै
Ram ki prasadi pao pawansut Ram ki prasadi pao ji Purab pashchim uttr dakshin charo disha se aao ji Ruchi ruchi bhog lgao pawansut Bhagtan baat khawaiye ji Ram ki prasadi pao pawansut Ram ki prasadi pao ji
Shiv se bda shiv ji ka krodh h jo unhe bhut jldi aa jata h or shiv se bda h kaam ka prabhav jo bhagwan k mohini roop pr mohit ho gye the jb bhagwan shiv ko ye vikar hra skte h to kya unhe bhagwan shri krishna nhi hra skte
प्रेमानंद जी और कृपालु जी महाराज दोनों ने बताया है इस बारे में भगवान श्री कृष्ण ही तत्वों के तत्व हैं वहीं सबसे परम सकती हैं सब उनके ही अंश से उत्पन्न उनका सबसे सकती साली रूप महाविष्णु है जो अन्नत कोटी ब्रह्माण्ड को एक छन में बना देते हैं और सबके अधिपति हैं 🙏🙏🙏 भागवत गीता - हे अर्जुन जितने भी ब्रह्माण्ड हैं उनमें जितने भी ब्रह्मा विष्णु महेश देवी देवता हैं मानव किन्नर दानव दैत्य सर्प नाग वशु जीव जंतु हैं उनमें जितनी भी शक्तियां हैं जो भी अस्त्र शस्त्र हैं जितना भी प्रकृति का विस्तार है जो व्यक्त है और अव्यक्त है वो सब मेरे एक अंश से उत्पन्न है 🙏🙏🙏 सब जन्म मुझी से पाते हैं और लोट मुझी में आते हैं 🙏🙏🙏 अर्जुन को को जो विराट रूप दिखाया था वो खुद कृष्ण थे उस रूप से ही सबकी उत्पत्ति होती है उससे बड़ा कुछ नही है अर्जुन ने आश्चर्य पूर्वक पूछा था की मुझे आपके भीतर अन्नत ब्रह्म विष्णु महेश दिखाई दे रहे हैं, तब कृष्ण जी ने कहा था की में ही ब्रह्मा रूप में सृजन करता हूं और विष्णु रूप में पालन और शिव रूप में संहार करता हूं इसलिए कोई भी आपस में मत लड़ो सब एक ही है चाहे जिस रूप की पूजा करो जाती अंत में कृष्ण जी के पास मे ही है जैसे फ्रिज ठंडा करता हीटर गर्म करता है काम अलग अलग हैं पर बिजली दोनो में एक है वैसे ही रूप अलग अलग हैं पर तत्व एक हैं, कोई भी पुरान पढ़ लो वो पुराण जिस भगवान की है श्रृष्टि का विस्तार उससे ही बताया गया है शिव पुरान में शिव से, विष्णु पुरान में विष्णु से, गणेश और देवी पुरान में गणेश जी और माता दुर्गा से ये झूठ नही है सच है क्योंकि तत्व एक ही है नाम अलग अलग है कौन बड़ा कौन छोटा इसके चक्कर में मत पड़ो 🙏🙏🙏
@@AUD_108Tera sarv nash ho jayega Bhagwan Shiv ji ka droh karne ke liye Bhagvatpuran skandpuran padampuran Valmiki Ramayana Aur Goswami Tulsidas das krit ramayan tumko kine shastra bataye Sab me Bhagwan Shiv ji ko parmbrahm parmeshwar aur unki mahanata bataya gya h lekin tumko aur faltu ke kathawachak ko Raja Daksh ke bhati kuch dikhayi nhi de rha h sirf Shivdroh ke tum sab ko kabhi Narayan aur n hi Bhagwan Shiv ki bhakti milegi isi nark me bhogoge Om Namah Shivay Sri Shivay namstubhayam ❤❤❤
@universalsocietyofdevikripa Ignore Puran and refer Sharabh Upanishad which is part of Atharva Veda. Read Lord Sharabh stuti you will get his one name Hariharantam means Hari ke aham ka ant karne wale. Maafi magta hu kuch kharab laga ho to
Jo log guruvar bhagwan ko ulta bol rhe h unko bta du gurudev bachpan me bahut bade shivbhakt the Yeh bachpan me hi sakshat shiv lok ka darshan kar chuke hai Inko galat bolkar apne jivan ka bhar mat badhao
Vo leela thi krisna shivji ki kuki shivji bibash the us bandasur ko bachaane k liye isliye shivji ne bola tha bah band chlao kuki Vandasur ko jase hi krisna ji marne bale hote turant shivji ko hosh ata h😂😂😂
भागवत असत्य है। भागवत ग्रंथ ११ वे शतक मे हुए मुग्धबोध-व्याकरणकार बोपदेव ने रचा और उसे व्यासजी के नाम खपाया। उसमें शिवजी को एक निम्न देवता की तरह दिखाया गया है। यह शैवो को कतई मान्य नही है।
प्रेमानंद जी और कृपालु जी महाराज दोनों ने बताया है इस बारे में भगवान श्री कृष्ण ही तत्वों के तत्व हैं वहीं सबसे परम सकती हैं सब उनके ही अंश से उत्पन्न उनका सबसे सकती साली रूप महाविष्णु है जो अन्नत कोटी ब्रह्माण्ड को एक छन में बना देते हैं और सबके अधिपति हैं 🙏🙏🙏 भागवत गीता - हे अर्जुन जितने भी ब्रह्माण्ड हैं उनमें जितने भी ब्रह्मा विष्णु महेश देवी देवता हैं मानव किन्नर दानव दैत्य सर्प नाग वशु जीव जंतु हैं उनमें जितनी भी शक्तियां हैं जो भी अस्त्र शस्त्र हैं जितना भी प्रकृति का विस्तार है जो व्यक्त है और अव्यक्त है वो सब मेरे एक अंश से उत्पन्न है 🙏🙏🙏 सब जन्म मुझी से पाते हैं और लोट मुझी में आते हैं 🙏🙏🙏 अर्जुन को को जो विराट रूप दिखाया था वो खुद कृष्ण थे उस रूप से ही सबकी उत्पत्ति होती है उससे बड़ा कुछ नही है अर्जुन ने आश्चर्य पूर्वक पूछा था की मुझे आपके भीतर अन्नत ब्रह्म विष्णु महेश दिखाई दे रहे हैं, तब कृष्ण जी ने कहा था की में ही ब्रह्मा रूप में सृजन करता हूं और विष्णु रूप में पालन और शिव रूप में संहार करता हूं इसलिए कोई भी आपस में मत लड़ो सब एक ही है चाहे जिस रूप की पूजा करो जाती अंत में कृष्ण जी के पास मे ही है जैसे फ्रिज ठंडा करता हीटर गर्म करता है काम अलग अलग हैं पर बिजली दोनो में एक है वैसे ही रूप अलग अलग हैं पर तत्व एक हैं, कोई भी पुरान पढ़ लो वो पुराण जिस भगवान की है श्रृष्टि का विस्तार उससे ही बताया गया है शिव पुरान में शिव से, विष्णु पुरान में विष्णु से, गणेश और देवी पुरान में गणेश जी और माता दुर्गा से ये झूठ नही है सच है क्योंकि तत्व एक ही है नाम अलग अलग है कौन बड़ा कौन छोटा इसके चक्कर में मत पड़ो 🙏🙏🙏
Jo apni jatta se Virbhadra,bhadra kali or kaal bhairv ko utpn krr de unko yudh me khon hra skta h yeh tabhi smbhav h agrr bhagwan shiv apni marzi h harna chahe
ऐसी निम्न श्रणी की कथा शिव भक्तो ओर शिव भक्ति का अपमान है, फिर तो कृष्णा शिव के भक्त हे तो फिर कृष्णा अपने भक्तो को शिव भक्ति करने का क्यो नही बोलते ओर तुम क्यो नही करते, क्योंकि तुम्हारे अनुसार शिव जी प्रसन्न हो जाए तो कृष्ण भक्ति प्रदान करते है क्योंकि वो उनके इष्ट है तो कृष्ण जी भी प्रसन्न हो जाए तो शिव भक्ति प्रदान करते होगे क्योंकि वो उनके ईष्ट हे, तो क्या तुमपे कृष्ण प्रसन्न नहीं हुए😂 तुम्हारे कारण पता नहीं कितने शिव भक्तों की निष्ठा में अवरोध होता होगा… तुम शिव नाम लेने लायक नहीं…
Shame on you bhagwan shiv sirf Vaishnav h. Are jinki tum aaradhna karte ho na o bhi saiv hi h ja ke mahabharat padh lo baba ji aap jaise baishnav logo ko dekh ke mera man bahut bichlit hota h . Kyuki aaplog pita ko putra aur putra ko pita bna dete ho Shiv sab ke pita h aur sab ke ishwar bhi wahi h .
श्रीराधेकृष्ण हर हर श्रीमहादेव 🙏 तुम जैसे पाखंडियों ने अर्ध ज्ञान और अपनी निम्न स्तर की भाषा से सनातन धर्म संस्कृति का बहुत सत्यानाश किया है अब जो बचा है उसे तो कम-से-कम छोड़ दो ☝️
मुआफी चाहता हूं लेकिन आपकी ये कथा कपोल कल्पना मात्र है। स्वयं शिव सामने हो तो क्या शिव को कोई हरा सकता है। बाबा जी ऐसी झूठी कहानियां कहने से बचे आपकी बहुत रिस्पेक्ट है हमारे दिल में इसे मत गिराए। शिव जिनसे सारी सृष्टि बनी है आप उनको ऐसे बता रहे हो। इसी लिए लोग साधु संतों पर यकीन नहीं करते। जिनको कृष्ण राम सब अपना इष्ट मानते है उन्हीं के बारे में तुम लोग ऐसे झूठ फ़ैला रहे हो थोड़ी लज्जा कीजिए
Kyon bhai SHIV PURAN KO MANTE HO KI NAHI TO MAHARAJ JI JO KEH RAHE HAIN SWAYAM SE NAHI KEH RAHE HAIN PURANO KE PRAMAN SE KEH RAHE HAIN UNKI VANI SAT PRATISHAT SAHI HAI AUR AGAR MAHARAJ JI KA SAMMAN AAP PEHLE KARTE THE AUR AB NAHI KARTE TO AAPKI GURUNISTHA SANTNISTHA ISTNISTHA SOCHNIYA HAI KI YE KAISE SRADHA AUR NISTHA HAI JO PAL PAL ME BADAL JATI HAI??? WAH!!!
Mante to shiv bhi ram ko apna isht hain lekin fir bhi ashwamedh yagya ke samay ram ki sena se ladna pada shiv ko. लीला मात्र जगत सर्वम ek hi parmatma shiv aur Vishnu ke roop me vyakt hoke khud se khud ko harata hai aur khud se khud ko jeet'ta hai. Wah matra khel khelta hai aur ye sansar uski kreeda sthali se jada kuchh nahi hai
@alok_mishra2526 ये दिव्य ज्ञान कहां से प्राप्त हुआ आपको के शिव राम को अपना इष्ट मानते है। शायद हिंदी सीरियल ज्यादा देखते हो या ऐसे बाबाओं की कथा ज्यादा सुनते होंगे। जो शून्य है निराकार है जिस से सब जगत व्याप्त है सारे ब्रह्मांड के होने का कारण है स्वयं ब्रह्मांड है फ़िर उस से भी परे है जो अपने होने कारण स्वयं है। जिनसे सृष्टि शुरू होकर जिन में विलीन हो जाती है जो आदि है अनंत है जो सबसे पहले और सबसे बाद में भी वही रह जाता है ये बातें उस के लिए बोल रहे हो। थोड़ी बुद्धि का प्रयोग भी कर लिया करो ये हिंदी सीरियल और ऐसे बाबाओं वाला जान घातक होता है भाई।
Mere Guru Mahadev kabhi asatya nahi bolte, kitna bhi katu satya ho wah humesha hi sajaz bhav se nirbhayta ke sath hokar use kehte hai chahe kisiko accha lage ya chahe kisi ko bura lage. Asal me satya bolne wale to sirf satya bolte hai nispacch bhav se sath hi satya bolne ka tareeka dhiaryapurn hona chahiye taki samne wale ko yeh na lage ke hum uska uphas kar rahe, satya bolne wakt chehre ka bhav maine rakhta hai ki app kis bhav se satya bol rahe hai. Apse millna saubhagya tha mera ki app jaise bhakkto se Milan hua, kyun logo ko aisa lagta h ki satya bolne wale unki ninda karte hain? Asal me kami swayam me hi Hoti hai tabhi dusron ke satya bolte dekh apmaan ka bhav jagrit hota h, asal me agar aap pak saaf ho to satya se bhay kaisa?? Apmaan gali ityadi bahanon ko manushya tab banate hai jab unhe pata hota hai ki samne wala jo bol raha hai wah satya hai, par dikkat waha nahi uske satya bolne se dikkat use uska satya bolne se hoti h, wah duniyaa ka satya to bolna chahte hai par jab khud ke satya ki baat ati to agg babula ho jate hai. Murti pooja prambhik astar ki pooja hoti h jab sadhak ka man ashant hota h aur use pooja me ekagrta hetu nimit arthat madhyam ki jarurat padati hai, murti kya hai apne app se pooche uttar mill jayega, yeh kg nersary ki pooja hai lekin kya jindgi bhar kg nersary me hi rehna chahte hai ya ussse age bhi badhna chahte hai ye to app par nirbhar karta hai. Jaise jaise bhakt ki bhakti ka astar badhta hai waise waise wah antarmukhii hokar maanas pooja manas jaap aur manas yagya tak karne lagte hai tab kisi bahari sansarik vastu ki apeccha nahi rehti pooja hetu. Jahan bhi dhyan lagakar baith jao Wahi app shivomay ho dhyan me leen ho jate hai, bahari pooja bahari dikhave se bhala is jhothe samaj ki ha ya na, se koi fark nahi padta. Aise bhakt apke bagal me baithe honge parantu app unhe nahi jaan sakenge ki vo kya hai unki bhakti ka astar kya hi, kyunki app apne man ki prakati nahi badal sakte sahaz. Man ki prakati ye hai ke jo pooja vidhi aaj tak samajh me dekhte rahe hai wahi apka bhakto me chota ya bada dekhne ka maapdand hota hai. Jabki aisa nahi ki jo apko nahi dikh raha wah ho nahi aisa sambhav nahi. Ye sansaar bada vichitra hai, yahan jo pratyach hai wah kabhi kabhi asatya hota hai aur jo pratyach nahi hai use log mante nahi jabki aisa nahi ki wah ho nahi. Satya to kewal satya hota hai kya accha kya bura kya mera aur kya tera jise tum samaj se chipane ke bhay me jee rahe ho asal me satya ko chipana hi antarik bhay ka Karan hota hai varagi hona yahi hai ke aapko kisi ka bhi moh nahi hota na is samaj ka bhay hota h lekin jahan satya bolne par bhay lage to samjhane me der Nahi karna chahiye ki aap ajj bhi jhothe samaj ke jhoothe Naam Yash Kirti tapobal bhaktibal siddhiyo ka moh rakhte hai tabhi samaj ki parvah karte hai. Lekin yadi aap varagya ko vastavikta me dharan kiye hote to nirbhayta app me viddhman hoti, koi kaise bhi katu satya bol de wah sahaz bhav se bina ashaz hue use swikaar kar lete vastvik pooja antarmukhii hokar hi ki ja sakti hai jisme app aur apke isht ke atirikt aur koi nahi na jaan sakta hai aur na hi kabhi jaan payega aur jo dusron ko janana chahta hai wah pooja Nahi pooja ke naam par jhoothe Naam Yash Kirti ke peeche bhagne wale hote Hain. Na hi mujhe kisi Ko janana hai na hi mai chahta hu mere Prabhu ke atirikt aur koi jane. Mujhe jise janana hai bas vo hi jane samaj ka certificate dikhava karne walo ko chiye na ki asali shiv bhakto ko. Mai ye nahi keh raha ki mai koi bahut bada siddh bhakt hu, lekin meri antarattma ko bodh hai ki jo keh raha hu vo satya hai aur yadi bade bhakt hona sansar ke certificate ki jarurat padati ho to Mai aise samaj aur uske jhoothe certificate ko dar kinar kar kude me fenkta hu. Kyunki mai janta hu koi manushya ajj is kaliyug me aisa nahi jo apne moolbhoot 5 vikaro se mukkt ho, vikaro se grashit hone ke karan hi unme Naam Yash Kirti tapobal bhaktibal siddhiyo ka moh rakhte hai. Aise bhakt ki bhakti niswarth nahi Kyunki usme maan Samman Naam Yash Kirti tapobal bhaktibal siddhiyo ka anuchit moh viddhman hota h. Har har Mahadev. Satya ko jitna dabauge satya utna hi vikaraal roop lekar samach ata hai, aur satya ko dabana hi unhe nirbhayta Prapt karne me sabse bada avarodh hota h.
भगवान शिव से बड़ा कोई नहीं मुक्ति देता सिर्फ शिव है परमात्मा शिव
Ek hi hai dono
सब का अपना अपना विचार होता है लेकिन कथा सही हैं
कृष्णा से ही सब की उतपति हुआ है
परमब्रह्म महाविष्णु श्री कृष्ण भगवान की जय हो
राधे राधे 🙏🙏🙏🙏
Happy new year , Radhe Radhe Ji 🙏
Tu kis type ka sanatani hay ?? Happy new year kya hay ?? Logo ko dhoka de rehe sanatani banke 😂@@Santvanichannelofficial
बिना सोचे समझे कुछ भी मत बको भैया
एक महान वैष्णव एवं शिव भक्त के अपराध से बचो
भगवान् सद्बुद्धि प्रदान करें 🙏
भगवान नारायण अजेय हैं उन पर कोई विजय प्राप्त नहीं कर सकता है सत्य ही नारायण है नारायण ही सत्य है जो लोगश्री हरी कि भक्ती करके मोक्ष पाकर श्री बैकुंठ धाम में जाते हैं जो कि भगवान नारायण का सनातन धाम है
वे नारायण ही शिव है
Shivji bhi ajai h devi bhagwat pad le krisna kali shivji radha h
श्रीमन् नारायण 🙏🏻
Bhai ek baat bta bhagwaan ka naam satyanarayan kis nai rka
ये कथा श्री मदभागवत में वर्णित है 🙏 मैने पढ़ा है 🙏🙏🙏 , अब छोटी सोच वे लोग आयेंगे जो भगवान शिव और कृष्ण जी में भेद करेंगे कोई जीता या हारा नहीं ये केवल भगवान की लीला होती है
Abe lssn abi tu hi bhed kr rha tha
@parmar__12 कौनसे कलर की चड्डी पहने हो
त्रिलोकी में शिव को कौन हरा सकता है! बस जीत सत्य होगी ये दिखाने के लिए शिवजी ने लीला की।
Arey kehena kya chate ho???
Waah bhai kya baat boli h aapne
प्रेमानंद जी और कृपालु जी महाराज दोनों ने बताया है इस बारे में भगवान श्री कृष्ण ही तत्वों के तत्व हैं वहीं सबसे परम सकती हैं सब उनके ही अंश से उत्पन्न उनका सबसे सकती साली रूप महाविष्णु है जो अन्नत कोटी ब्रह्माण्ड को एक छन में बना देते हैं और सबके अधिपति हैं 🙏🙏🙏
भागवत गीता - हे अर्जुन जितने भी ब्रह्माण्ड हैं उनमें जितने भी ब्रह्मा विष्णु महेश देवी देवता हैं मानव किन्नर दानव दैत्य सर्प नाग वशु जीव जंतु हैं उनमें जितनी भी शक्तियां हैं जो भी अस्त्र शस्त्र हैं जितना भी प्रकृति का विस्तार है जो व्यक्त है और अव्यक्त है वो सब मेरे एक अंश से उत्पन्न है 🙏🙏🙏
सब जन्म मुझी से पाते हैं और लोट मुझी में आते हैं 🙏🙏🙏
अर्जुन को को जो विराट रूप दिखाया था वो खुद कृष्ण थे उस रूप से ही सबकी उत्पत्ति होती है उससे बड़ा कुछ नही है
अर्जुन ने आश्चर्य पूर्वक पूछा था की मुझे आपके भीतर अन्नत ब्रह्म विष्णु महेश दिखाई दे रहे हैं, तब कृष्ण जी ने कहा था की में ही ब्रह्मा रूप में सृजन करता हूं और विष्णु रूप में पालन और शिव रूप में संहार करता हूं
इसलिए कोई भी आपस में मत लड़ो सब एक ही है चाहे जिस रूप की पूजा करो जाती अंत में कृष्ण जी के पास मे ही है जैसे फ्रिज ठंडा करता हीटर गर्म करता है काम अलग अलग हैं पर बिजली दोनो में एक है वैसे ही रूप अलग अलग हैं पर तत्व एक हैं, कोई भी पुरान पढ़ लो वो पुराण जिस भगवान की है श्रृष्टि का विस्तार उससे ही बताया गया है शिव पुरान में शिव से, विष्णु पुरान में विष्णु से, गणेश और देवी पुरान में गणेश जी और माता दुर्गा से ये झूठ नही है सच है क्योंकि तत्व एक ही है नाम अलग अलग है कौन बड़ा कौन छोटा इसके चक्कर में मत पड़ो 🙏🙏🙏
bhagwan vishnu/krishna aaram se pel dange shiv ko😂
@@Hulk1992-t7xजो कहना था कह दिया भाई ने,अब तुम्हें समझ नहीं आई तो क्या किया जाय, हर शंभु
परब्रह्म परमात्मा श्री हरी की जय ❤❤❤❤
Bhagwan shri krishna k gun avtar h shiv ji
हरि हर मे कोई भेद नही है, जब एक रुप की लीला चल रही हो तो दुसरा रुप उसमे बाधा नही बनता क्योंकी
शक्ती एक ही है। बस इस बीत का ध्यान रखें,
हरि हर निंदा सुनही जे काना, होंही पाप गो-घात समाना।
Jay shree Ram janki jay Hanuman ji jay shree Ram janki jay Hanuman ji jay shree Ram janki jay Hanuman ji jay shree Ram janki jay Hanuman ji har har har mhabev
Jay shree Ram janki jay Hanuman ji jay Guro dev ji jay shree Radhey syam jay gumata ji jay shree Radhey syam jay gumata ji jay shree Radhey syam jay gumata ji jay shree Radhey syam jay gumata ji har har har mhabev
per Braham Parmatma Bhagwan Shankar ki Jay Ho
राम लक्ष्मण जानकी जय बोलो हनुमान की
जय हो श्री प्रेमानंद जी महाराज श्री राजेंद्र दास जी महाराज
प्रेमानंद जी और कृपालु जी महाराज दोनों ने बताया है इस बारे में भगवान श्री कृष्ण ही तत्वों के तत्व हैं वहीं सबसे परम सकती हैं सब उनके ही अंश से उत्पन्न उनका सबसे सकती साली रूप महाविष्णु है जो अन्नत कोटी ब्रह्माण्ड को एक छन में बना देते हैं और सबके अधिपति हैं 🙏🙏🙏
भागवत गीता - हे अर्जुन जितने भी ब्रह्माण्ड हैं उनमें जितने भी ब्रह्मा विष्णु महेश देवी देवता हैं मानव किन्नर दानव दैत्य सर्प नाग वशु जीव जंतु हैं उनमें जितनी भी शक्तियां हैं जो भी अस्त्र शस्त्र हैं जितना भी प्रकृति का विस्तार है जो व्यक्त है और अव्यक्त है वो सब मेरे एक अंश से उत्पन्न है 🙏🙏🙏
सब जन्म मुझी से पाते हैं और लोट मुझी में आते हैं 🙏🙏🙏
अर्जुन को को जो विराट रूप दिखाया था वो खुद कृष्ण थे उस रूप से ही सबकी उत्पत्ति होती है उससे बड़ा कुछ नही है
अर्जुन ने आश्चर्य पूर्वक पूछा था की मुझे आपके भीतर अन्नत ब्रह्म विष्णु महेश दिखाई दे रहे हैं, तब कृष्ण जी ने कहा था की में ही ब्रह्मा रूप में सृजन करता हूं और विष्णु रूप में पालन और शिव रूप में संहार करता हूं
इसलिए कोई भी आपस में मत लड़ो सब एक ही है चाहे जिस रूप की पूजा करो जाती अंत में कृष्ण जी के पास मे ही है जैसे फ्रिज ठंडा करता हीटर गर्म करता है काम अलग अलग हैं पर बिजली दोनो में एक है वैसे ही रूप अलग अलग हैं पर तत्व एक हैं, कोई भी पुरान पढ़ लो वो पुराण जिस भगवान की है श्रृष्टि का विस्तार उससे ही बताया गया है शिव पुरान में शिव से, विष्णु पुरान में विष्णु से, गणेश और देवी पुरान में गणेश जी और माता दुर्गा से ये झूठ नही है सच है क्योंकि तत्व एक ही है नाम अलग अलग है कौन बड़ा कौन छोटा इसके चक्कर में मत पड़ो 🙏🙏🙏
महाभारत द्रोणपर्व (नारायणस्त्रमोक्ष पर्व) अध्याय
श्लोक 57-6
भगवान नारायण ने हिमालय पर्वत पर रहकर अपनी दोनों भुजाएँ ऊँपर उठाये हुए बड़ी कठोर तपस्या की थी उन कमल नयन श्रीहरि ने छियासठ हजार वर्षो तक केवल वायु पीकर उन दिनों अपनी शरीर को सुखाया। तदनन्तर उससे दुगुने काल तक फिर भारी तपस्या करके उन्होंने अपने तेज से पृथ्वी और आकाश से मध्यवर्ती आकाश को भर दिया।
तात ! उस तपस्या से जब वे साक्षात ब्रह्मस्वरूप में स्थित हो गये, तब उन्हें उन भगवान शिव का दर्शन हुआ जो सम्पूर्ण विश्व के उत्पति स्थान और जगत के पालक हैं
भगवान शिव के कारण भगवान कृष्ण सर्वोच्च हैं
~महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 14 श्लोक 1-20 :- रुद्रदेव का
प्रति भक्ति के कारण ही श्रीकृष्ण ने सम्पूर्ण जगत को व्याप्त कर रखा है । पूर्वकाल महादेवजी को बदरि का श्रम में प्रसन्न करके उन दिव्य दृष्टि महेश्वर से श्रीकृष्ण ने सब पदार्थों की अपेक्षा प्रियतर भाव को प्राप्त कर लिया, अर्थात् वे सम्पूर्ण लोकों के प्रियतम बन गये। इन माधव ने वरदायक देवता चराचर गुरू भगवान शिव को प्रसन्न करते हुए पूर्वकाल में पूरे एक हजार वर्ष तक तपस्या की थी। श्रीकृष्ण ने प्रत्येक युग में महेश्वर को संतुष्ट किया है। महात्मा श्रीकृष्ण की परम भक्ति से वे सदा प्रसन्न रहते हैं। जगत के कारणभूत परमात्मा शिव का ऐश्वर्य जैसा, उसे पुत्र के लिये तपस्या करते हुए इन अच्युत श्रीहरि ने प्रत्यक्ष देखा है। भारत ! उसी के एश्वर्य के कारण मैं परात्पर श्रीकृष्ण के सिवा किसी दूसरो को ऐसा नहीं देखता जो देवाधिदेव महादेवजी के नामों की पूर्ण रूप से व्याख्या कर सके।
भगवान नारायण कौन हैं?
~ श्रीमद् ईश्वर गीता में:- अध्याय 6: श्लोक 112, भगवान शिव कहते हैं -
यह मेरा परम रूप है, जिसे नारायण कहा जाता है।
अर्थ:- नारायण मेरा ही परम मूर्ति रूप है।
नारायण भगवान शिव के सर्वोच्च व्यक्तित्व हैं
Note:- This verse of srimad Ishvara Gita is quoted by Sripati Pandit Bhagwatpadacharya ji in his Brahm Sutra
भाष्य 1:3:23 (श्रीकारा भाष्यम्)
* स्कंद महापुराण:- महेश्वर खंड: 4.4.56 ''नास्ति शैवाग्रनिर विष्णो:- विष्णु से बड़ा कोई शैव नहीं है।
भगवान राम कौन हैं?
~ श्रीमद् ईश्वर गीता में:- अध्याय 7: श्लोक 5, भगवान शिव कहते हैं--
शस्त्रधारियों में मैं राम हूँ।
शस्त्र धारण करने वालों में रामचंद्र मैं ही हूँ।
महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 14 श्लोक 1-2
युधिष्ठिर ने कहा - गंगानन्दन ! आपने ब्रह्माजी के भी ईश्वर कल्याणकारी जगदीशवर भगवान शिव के जो नाम सुने हों, उन्हें यहां बताइये। जो विराट विश्वरूपधारी हैं।
~महाभारत अनुशासन पर्व अध्याय 14 श्लोक 346-3
जो सम्पूर्ण प्राणियों का आदिकारण, अविनाशी, समस्त तत्वों के विधान का ज्ञाता तथा प्रधान परम पुरुष है, वह ये भगवान महादेव जी ही हैं। इन्हीं जगदीश्वर ने अपने दाहिने अंग से लोकस्रष्टा ब्रह्मा को और बायें अंग से जगत की रक्षा के लिये विष्णु को उत्पन्न किया है। प्रलयकाल प्राप्त होने पर इन्हीं भगवान शिव ने रुद्र की रचना की थी। वे ही रुद्र सम्पूर्ण चराचर जगत का संहार करते हैं।
मैं एक वैष्णव हूँ लेकिन मुझे महाराज जी द्वारा आज की कथा में भोलेनाथ और श्रीकृष्ण की लीला वर्णन सुनकर मन में तनिक भी दुःख व भेद उत्पन्न नहीं हुआ।❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान सीताराम हनुमान 🌹🙏🏻🚩
Ye jitne vaishnav hai inka ek hi kam Hai Bhagwan Shiv ko chhota dikhana aur kuch nahi kisi bhi ktha me Prr sabko pta hai Perbrmha Bhagwan sadashiv hi
hai 64 klao k swami Har Har Mahadev 🙏🙏🙏
God is only one
Jai Sri Krishna ji
JAYJAY SRI MAN NARAYANAY NAMAH ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
जय श्री राधे कृष्णा गुरू जी 🙏🙏🙏☺️
Om Jay Shri sita raam om Jay
Aise mahan vibhuti sant bhagvant ko koti koti naman hai ❤❤❤ enke shree charno me koti koti naman hai SHRE RADHE RADHE ❤❤❤❤❤❤
भगवान कृष्ण तो मां काली का ही अवतार थे इसलिए नारायण या शिव इसमें कोई भेद नहीं है, क्योंकि भगवान विष्णु को मां काली का हृदय कहा गया है, सब एक ही हैं, ब्रह्मा, विष्णु, शिव त्रिदेव सबकी शक्ति प्रणव ऊं में ही निहित है, जय सिया राम 🙏🙏🙏
Swami jee ko prannam
जय श्री कृष्णा जय श्री श्याम❤
जय श्री राम
Sb bhagwano k bhagwan shri krishna h.praman padm puran,brahm vaibart puran, Vishnu puran,shrimad bhagvad geeta, Shrimad Bhagwat maha puran ,narad panchratra bhut sare grantho me praman h is baat ka ki asankhya brahma vishnu mahesh durga in sbi k bhagwan h shri krishna
Jay gurudev Aapke charnome sastag dandvat pranam
Bhagwan shri krishna maha Vishnu k b ishwar h
जय हो महाराज जी की 🌺🌺🌿🚩🙏🙏🙏
ठीक उसी प्रकार दक्ष के यज्ञ में भगवान विष्णु ने भी दक्ष को यही ज्ञात कराया कि भगवान नारायण ही पर ब्रह्म परमेश्वर नहीं अपितु भगवान शिव भी पर ब्रह्म परमेश्वर है और दोनों एक हीहै
Ram ki prasadi pao pawansut
Ram ki prasadi pao ji
Purab pashchim uttr dakshin charo disha se aao ji
Ruchi ruchi bhog lgao pawansut
Bhagtan baat khawaiye ji
Ram ki prasadi pao pawansut
Ram ki prasadi pao ji
Sita Ram Radhe shiyam
Happy new year , Radhe Radhe Ji 🙏
Jai jai
Jay Jay siyaram ji
Shiv se bda shiv ji ka krodh h jo unhe bhut jldi aa jata h or shiv se bda h kaam ka prabhav jo bhagwan k mohini roop pr mohit ho gye the jb bhagwan shiv ko ye vikar hra skte h to kya unhe bhagwan shri krishna nhi hra skte
Jay shree Ram ji
Tumko Gyan ki kami h pahle shiv puran pano aur ved pano tumako nark milega Shiv droh karne ke liye Om Namah Shivay Sri Shivay namstubhayam ❤❤❤
Bhagwan shri krishna dharm ki sthapna krne aye the or shiv ji adharmi vanasur ki help kr rhe the isliye bhagwan shiv ko harna pda
Jai gurudev🙏💪🚩
श्री राम राम
शिव महापुराण पढ़िए जानकारी के लिए, अनर्गल बातें न करें, पहले पढ़ो।।
प्रेमानंद जी और कृपालु जी महाराज दोनों ने बताया है इस बारे में भगवान श्री कृष्ण ही तत्वों के तत्व हैं वहीं सबसे परम सकती हैं सब उनके ही अंश से उत्पन्न उनका सबसे सकती साली रूप महाविष्णु है जो अन्नत कोटी ब्रह्माण्ड को एक छन में बना देते हैं और सबके अधिपति हैं 🙏🙏🙏
भागवत गीता - हे अर्जुन जितने भी ब्रह्माण्ड हैं उनमें जितने भी ब्रह्मा विष्णु महेश देवी देवता हैं मानव किन्नर दानव दैत्य सर्प नाग वशु जीव जंतु हैं उनमें जितनी भी शक्तियां हैं जो भी अस्त्र शस्त्र हैं जितना भी प्रकृति का विस्तार है जो व्यक्त है और अव्यक्त है वो सब मेरे एक अंश से उत्पन्न है 🙏🙏🙏
सब जन्म मुझी से पाते हैं और लोट मुझी में आते हैं 🙏🙏🙏
अर्जुन को को जो विराट रूप दिखाया था वो खुद कृष्ण थे उस रूप से ही सबकी उत्पत्ति होती है उससे बड़ा कुछ नही है
अर्जुन ने आश्चर्य पूर्वक पूछा था की मुझे आपके भीतर अन्नत ब्रह्म विष्णु महेश दिखाई दे रहे हैं, तब कृष्ण जी ने कहा था की में ही ब्रह्मा रूप में सृजन करता हूं और विष्णु रूप में पालन और शिव रूप में संहार करता हूं
इसलिए कोई भी आपस में मत लड़ो सब एक ही है चाहे जिस रूप की पूजा करो जाती अंत में कृष्ण जी के पास मे ही है जैसे फ्रिज ठंडा करता हीटर गर्म करता है काम अलग अलग हैं पर बिजली दोनो में एक है वैसे ही रूप अलग अलग हैं पर तत्व एक हैं, कोई भी पुरान पढ़ लो वो पुराण जिस भगवान की है श्रृष्टि का विस्तार उससे ही बताया गया है शिव पुरान में शिव से, विष्णु पुरान में विष्णु से, गणेश और देवी पुरान में गणेश जी और माता दुर्गा से ये झूठ नही है सच है क्योंकि तत्व एक ही है नाम अलग अलग है कौन बड़ा कौन छोटा इसके चक्कर में मत पड़ो 🙏🙏🙏
Ek Shiv Puran hi praman nahi hai ... Aneko pramano ko dekho Trivedi
Tum hum chote hai tabse Maharaj ji ne Shiv Puran ki bhi Aneko Kathaye shiv bhakto ke bhich me karte aa rahe hai
@@AUD_108Tera sarv nash ho jayega Bhagwan Shiv ji ka droh karne ke liye Bhagvatpuran skandpuran padampuran Valmiki Ramayana Aur Goswami Tulsidas das krit ramayan tumko kine shastra bataye Sab me Bhagwan Shiv ji ko parmbrahm parmeshwar aur unki mahanata bataya gya h lekin tumko aur faltu ke kathawachak ko Raja Daksh ke bhati kuch dikhayi nhi de rha h sirf Shivdroh ke tum sab ko kabhi Narayan aur n hi Bhagwan Shiv ki bhakti milegi isi nark me bhogoge Om Namah Shivay Sri Shivay namstubhayam ❤❤❤
Thakur ji se bda koi nhi h
वैष्णवाचार्य हमेशा दूसरे संप्रदाय वालों को नीचा ही करके बताते देखते हैं यही इनकी बुनियादी समस्या है।
Mai aise Shiv drohio ka video dekh leta hu to mera man bhut vichlit hota h 😢
Jis mahadev ko bhagwan bramha Vishnu nhi s
Jaan paye un parmeshwar shiv k bare m ye kya batayega
👌👌👌
Slok likh kar digiye
❤❤❤🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Kabhi Sharabh aur Nrusinh ke bich ki fight bhi bola karo
Bhakt Prahlad ne shant karaya tha.
~Vaishnav Puran.
Maafi maangta hu kuch khrab lga ho toh.
@universalsocietyofdevikripa Ignore Puran and refer Sharabh Upanishad which is part of Atharva Veda. Read Lord Sharabh stuti you will get his one name Hariharantam means Hari ke aham ka ant karne wale.
Maafi magta hu kuch kharab laga ho to
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार गणेश और भगवती पार्वती इस युद्ध में शामिल ही नहीं हुए
विधर्मी कहीं का शिव और कृष्ण में भेद करता है
Jo log guruvar bhagwan ko ulta bol rhe h unko bta du gurudev bachpan me bahut bade shivbhakt the
Yeh bachpan me hi sakshat shiv lok ka darshan kar chuke hai
Inko galat bolkar apne jivan ka bhar mat badhao
Bhagwan shri krishna ko tamsi log nhi smj skte
Vo leela thi krisna shivji ki kuki shivji bibash the us bandasur ko bachaane k liye isliye shivji ne bola tha bah band chlao kuki
Vandasur ko jase hi krisna ji marne bale hote turant shivji ko hosh ata h😂😂😂
Only one word ye dono ek dur se ke purakh hai
भागवत असत्य है। भागवत ग्रंथ ११ वे शतक मे हुए मुग्धबोध-व्याकरणकार बोपदेव ने रचा और उसे व्यासजी के नाम खपाया। उसमें शिवजी को एक निम्न देवता की तरह दिखाया गया है। यह शैवो को कतई मान्य नही है।
Kamina sant hai tu shiv ko koi nahi hara sakta shiv ji ne kai baar vishnu ko haraya hai❤
राक्षसों का मन बढ़ गया हैं, जान बूझकर झगड़ा लगाने के लिए उल्टा सीधा कमेंट कर रहा है, ऐसे दुष्टो पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।
शिव भक्तो ये कथा भागवत पुराण की है इसे .. कृष्ण और शिव की लीला समजो अपना मन दुखी मत करो ... कृष्ण शिव दोनो एक ही है भेद मत करो
Shiv lella 😂😂😂koi nahi samajh sakta❤
Ye to hai par dr rajendra ya mahabhagwat aur shaiv log samajh sakte hai thoda bahut baki shiv g to swayam Gyan hai
Achha tu to samjhta hoga 🤡
प्रेमानंद जी और कृपालु जी महाराज दोनों ने बताया है इस बारे में भगवान श्री कृष्ण ही तत्वों के तत्व हैं वहीं सबसे परम सकती हैं सब उनके ही अंश से उत्पन्न उनका सबसे सकती साली रूप महाविष्णु है जो अन्नत कोटी ब्रह्माण्ड को एक छन में बना देते हैं और सबके अधिपति हैं 🙏🙏🙏
भागवत गीता - हे अर्जुन जितने भी ब्रह्माण्ड हैं उनमें जितने भी ब्रह्मा विष्णु महेश देवी देवता हैं मानव किन्नर दानव दैत्य सर्प नाग वशु जीव जंतु हैं उनमें जितनी भी शक्तियां हैं जो भी अस्त्र शस्त्र हैं जितना भी प्रकृति का विस्तार है जो व्यक्त है और अव्यक्त है वो सब मेरे एक अंश से उत्पन्न है 🙏🙏🙏
सब जन्म मुझी से पाते हैं और लोट मुझी में आते हैं 🙏🙏🙏
अर्जुन को को जो विराट रूप दिखाया था वो खुद कृष्ण थे उस रूप से ही सबकी उत्पत्ति होती है उससे बड़ा कुछ नही है
अर्जुन ने आश्चर्य पूर्वक पूछा था की मुझे आपके भीतर अन्नत ब्रह्म विष्णु महेश दिखाई दे रहे हैं, तब कृष्ण जी ने कहा था की में ही ब्रह्मा रूप में सृजन करता हूं और विष्णु रूप में पालन और शिव रूप में संहार करता हूं
इसलिए कोई भी आपस में मत लड़ो सब एक ही है चाहे जिस रूप की पूजा करो जाती अंत में कृष्ण जी के पास मे ही है जैसे फ्रिज ठंडा करता हीटर गर्म करता है काम अलग अलग हैं पर बिजली दोनो में एक है वैसे ही रूप अलग अलग हैं पर तत्व एक हैं, कोई भी पुरान पढ़ लो वो पुराण जिस भगवान की है श्रृष्टि का विस्तार उससे ही बताया गया है शिव पुरान में शिव से, विष्णु पुरान में विष्णु से, गणेश और देवी पुरान में गणेश जी और माता दुर्गा से ये झूठ नही है सच है क्योंकि तत्व एक ही है नाम अलग अलग है कौन बड़ा कौन छोटा इसके चक्कर में मत पड़ो 🙏🙏🙏
shiv demigod hai😂😂
Ye leelaye h kuki
Raja daksh ko bhi koi nhi bacha paya tha shivji se
Isliye galat krega vo marega
Bhot galat bol rhe ho shiv ji ki ninda karne ka hk tumlogo ko kisne diya jb kuch pta na ho to mt bola karo
Jo apni jatta se Virbhadra,bhadra kali or kaal bhairv ko utpn krr de unko yudh me khon hra skta h yeh tabhi smbhav h agrr bhagwan shiv apni marzi h harna chahe
ua-cam.com/video/5yugxVPj_tA/v-deo.htmlsi=refONayXq26IQasQ
मुर्ख होतुम गलत अर्थ गलत व्याख्या कर लोग के अन्दर भर्म उत्तपन्न कर रहे हो
ऐसी निम्न श्रणी की कथा शिव भक्तो ओर शिव भक्ति का अपमान है, फिर तो कृष्णा शिव के भक्त हे तो फिर कृष्णा अपने भक्तो को शिव भक्ति करने का क्यो नही बोलते ओर तुम क्यो नही करते, क्योंकि तुम्हारे अनुसार शिव जी प्रसन्न हो जाए तो कृष्ण भक्ति प्रदान करते है क्योंकि वो उनके इष्ट है तो कृष्ण जी भी प्रसन्न हो जाए तो शिव भक्ति प्रदान करते होगे क्योंकि वो उनके ईष्ट हे,
तो क्या तुमपे कृष्ण प्रसन्न नहीं हुए😂
तुम्हारे कारण पता नहीं कितने शिव भक्तों की निष्ठा में अवरोध होता होगा…
तुम शिव नाम लेने लायक नहीं…
भेद करना गलत है भेद नहीं करना चाहिए
agar aap shiv bhakt he to aapko bhed nahi karna chahiye aap janiye ki shivji ko kya pasand he kyu bina jane aisa sochna
श्री कृष्ण अपने भक्तों को अपनी ही भक्ति करने का आदेश देते हैं क्योंकि श्री कृष्ण ही कल्याणकारी है नारायण ही मोक्ष दाता तथा मंगलकारी है
Ravan ka example samne hai mere bhai... Bhagwan shree ram ne RAVAN ka sampurna sanhar kr diya tha... Bhagwan shiv aur shree Krishna me bhed nhi 🙏
Tumhe gyan nahi hai
Shame on you bhagwan shiv sirf Vaishnav h. Are jinki tum aaradhna karte ho na o bhi saiv hi h ja ke mahabharat padh lo baba ji aap jaise baishnav logo ko dekh ke mera man bahut bichlit hota h .
Kyuki aaplog pita ko putra aur putra ko pita bna dete ho
Shiv sab ke pita h aur sab ke ishwar bhi wahi h .
Pagal vaishnav 😂😂😂
श्रीराधेकृष्ण हर हर श्रीमहादेव 🙏
तुम जैसे पाखंडियों ने अर्ध ज्ञान और अपनी निम्न स्तर की भाषा से सनातन धर्म संस्कृति का बहुत सत्यानाश किया है अब जो बचा है उसे तो कम-से-कम छोड़ दो ☝️
मुआफी चाहता हूं लेकिन आपकी ये कथा कपोल कल्पना मात्र है। स्वयं शिव सामने हो तो क्या शिव को कोई हरा सकता है। बाबा जी ऐसी झूठी कहानियां कहने से बचे आपकी बहुत रिस्पेक्ट है हमारे दिल में इसे मत गिराए। शिव जिनसे सारी सृष्टि बनी है आप उनको ऐसे बता रहे हो। इसी लिए लोग साधु संतों पर यकीन नहीं करते। जिनको कृष्ण राम सब अपना इष्ट मानते है उन्हीं के बारे में तुम लोग ऐसे झूठ फ़ैला रहे हो थोड़ी लज्जा कीजिए
Kyon bhai SHIV PURAN KO MANTE HO KI NAHI
TO MAHARAJ JI JO KEH RAHE HAIN SWAYAM SE NAHI KEH RAHE HAIN PURANO KE PRAMAN SE KEH RAHE HAIN UNKI VANI SAT PRATISHAT SAHI HAI
AUR AGAR MAHARAJ JI KA SAMMAN AAP PEHLE KARTE THE AUR AB NAHI KARTE TO AAPKI GURUNISTHA SANTNISTHA ISTNISTHA SOCHNIYA HAI KI YE KAISE SRADHA AUR NISTHA HAI JO PAL PAL ME BADAL JATI HAI???
WAH!!!
Mante to shiv bhi ram ko apna isht hain lekin fir bhi ashwamedh yagya ke samay ram ki sena se ladna pada shiv ko.
लीला मात्र जगत सर्वम ek hi parmatma shiv aur Vishnu ke roop me vyakt hoke khud se khud ko harata hai aur khud se khud ko jeet'ta hai. Wah matra khel khelta hai aur ye sansar uski kreeda sthali se jada kuchh nahi hai
@alok_mishra2526 ये दिव्य ज्ञान कहां से प्राप्त हुआ आपको के शिव राम को अपना इष्ट मानते है। शायद हिंदी सीरियल ज्यादा देखते हो या ऐसे बाबाओं की कथा ज्यादा सुनते होंगे। जो शून्य है निराकार है जिस से सब जगत व्याप्त है सारे ब्रह्मांड के होने का कारण है स्वयं ब्रह्मांड है फ़िर उस से भी परे है जो अपने होने कारण स्वयं है। जिनसे सृष्टि शुरू होकर जिन में विलीन हो जाती है जो आदि है अनंत है जो सबसे पहले और सबसे बाद में भी वही रह जाता है ये बातें उस के लिए बोल रहे हो। थोड़ी बुद्धि का प्रयोग भी कर लिया करो ये हिंदी सीरियल और ऐसे बाबाओं वाला जान घातक होता है भाई।
@@ravindervishvkarma4151 maharaj RAMCHARIT MANAS ME KAI STHALON PE ISKA VARNAN HAI AUR BHAGWAD PURAN VISHNU PURAN ME BHI YE BAT HAI
Aur yadi kaho ki puranon ko tum nahi mante to Yahan is video me aana hi nahi thi apne nirvishesh brahma me leen raho
Mere Guru Mahadev kabhi asatya nahi bolte, kitna bhi katu satya ho wah humesha hi sajaz bhav se nirbhayta ke sath hokar use kehte hai chahe kisiko accha lage ya chahe kisi ko bura lage. Asal me satya bolne wale to sirf satya bolte hai nispacch bhav se sath hi satya bolne ka tareeka dhiaryapurn hona chahiye taki samne wale ko yeh na lage ke hum uska uphas kar rahe, satya bolne wakt chehre ka bhav maine rakhta hai ki app kis bhav se satya bol rahe hai. Apse millna saubhagya tha mera ki app jaise bhakkto se Milan hua, kyun logo ko aisa lagta h ki satya bolne wale unki ninda karte hain? Asal me kami swayam me hi Hoti hai tabhi dusron ke satya bolte dekh apmaan ka bhav jagrit hota h, asal me agar aap pak saaf ho to satya se bhay kaisa?? Apmaan gali ityadi bahanon ko manushya tab banate hai jab unhe pata hota hai ki samne wala jo bol raha hai wah satya hai, par dikkat waha nahi uske satya bolne se dikkat use uska satya bolne se hoti h, wah duniyaa ka satya to bolna chahte hai par jab khud ke satya ki baat ati to agg babula ho jate hai. Murti pooja prambhik astar ki pooja hoti h jab sadhak ka man ashant hota h aur use pooja me ekagrta hetu nimit arthat madhyam ki jarurat padati hai, murti kya hai apne app se pooche uttar mill jayega, yeh kg nersary ki pooja hai lekin kya jindgi bhar kg nersary me hi rehna chahte hai ya ussse age bhi badhna chahte hai ye to app par nirbhar karta hai. Jaise jaise bhakt ki bhakti ka astar badhta hai waise waise wah antarmukhii hokar maanas pooja manas jaap aur manas yagya tak karne lagte hai tab kisi bahari sansarik vastu ki apeccha nahi rehti pooja hetu. Jahan bhi dhyan lagakar baith jao Wahi app shivomay ho dhyan me leen ho jate hai, bahari pooja bahari dikhave se bhala is jhothe samaj ki ha ya na, se koi fark nahi padta. Aise bhakt apke bagal me baithe honge parantu app unhe nahi jaan sakenge ki vo kya hai unki bhakti ka astar kya hi, kyunki app apne man ki prakati nahi badal sakte sahaz. Man ki prakati ye hai ke jo pooja vidhi aaj tak samajh me dekhte rahe hai wahi apka bhakto me chota ya bada dekhne ka maapdand hota hai. Jabki aisa nahi ki jo apko nahi dikh raha wah ho nahi aisa sambhav nahi. Ye sansaar bada vichitra hai, yahan jo pratyach hai wah kabhi kabhi asatya hota hai aur jo pratyach nahi hai use log mante nahi jabki aisa nahi ki wah ho nahi. Satya to kewal satya hota hai kya accha kya bura kya mera aur kya tera jise tum samaj se chipane ke bhay me jee rahe ho asal me satya ko chipana hi antarik bhay ka Karan hota hai varagi hona yahi hai ke aapko kisi ka bhi moh nahi hota na is samaj ka bhay hota h lekin jahan satya bolne par bhay lage to samjhane me der Nahi karna chahiye ki aap ajj bhi jhothe samaj ke jhoothe Naam Yash Kirti tapobal bhaktibal siddhiyo ka moh rakhte hai tabhi samaj ki parvah karte hai. Lekin yadi aap varagya ko vastavikta me dharan kiye hote to nirbhayta app me viddhman hoti, koi kaise bhi katu satya bol de wah sahaz bhav se bina ashaz hue use swikaar kar lete vastvik pooja antarmukhii hokar hi ki ja sakti hai jisme app aur apke isht ke atirikt aur koi nahi na jaan sakta hai aur na hi kabhi jaan payega aur jo dusron ko janana chahta hai wah pooja Nahi pooja ke naam par jhoothe Naam Yash Kirti ke peeche bhagne wale hote Hain. Na hi mujhe kisi Ko janana hai na hi mai chahta hu mere Prabhu ke atirikt aur koi jane. Mujhe jise janana hai bas vo hi jane samaj ka certificate dikhava karne walo ko chiye na ki asali shiv bhakto ko. Mai ye nahi keh raha ki mai koi bahut bada siddh bhakt hu, lekin meri antarattma ko bodh hai ki jo keh raha hu vo satya hai aur yadi bade bhakt hona sansar ke certificate ki jarurat padati ho to Mai aise samaj aur uske jhoothe certificate ko dar kinar kar kude me fenkta hu. Kyunki mai janta hu koi manushya ajj is kaliyug me aisa nahi jo apne moolbhoot 5 vikaro se mukkt ho, vikaro se grashit hone ke karan hi unme Naam Yash Kirti tapobal bhaktibal siddhiyo ka moh rakhte hai. Aise bhakt ki bhakti niswarth nahi Kyunki usme maan Samman Naam Yash Kirti tapobal bhaktibal siddhiyo ka anuchit moh viddhman hota h. Har har Mahadev. Satya ko jitna dabauge satya utna hi vikaraal roop lekar samach ata hai, aur satya ko dabana hi unhe nirbhayta Prapt karne me sabse bada avarodh hota h.