Barmer: मां समाज की पहली टीचर, पिता पहले बीडीओ, 22 साल का बेटा बनेगा IAS!

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  • Опубліковано 11 жов 2024
  • कहते हैं कि लक्ष्य साधकर सपने देखने वाले अपने सपनों को ज़रूर पूरा करते हैं। ऐसी ही कहानी है बाड़मेर के चंद्रप्रकाश की। पिता ग्राम विकास अधिकारी है तो आए रोज कलक्टर के सीईओ के साथ बैठकों का दौर जारी रहता था और वहीं से चंद्रप्रकाश के पिता ने अपने बेटे को आईएएस बनाने का सपना देखा और बेटे चंद्रप्रकाश को प्रेरित करते रहे। मां ने भी बेटे को हर चीज टेबल पर पहुंचाई ताकि उसका समय जाया नहीं हो। हालांकि, चंद्रप्रकाश पहले अटेंप्ट में यूपीएससी क्लियर नहीं कर पाया। लेकिन दूसरे अटेम्प्ट में चंद्रप्रकाश ने ऑल इंडिया में 562वीं रैंक के साथ अपने माता -पिता का सपना साकार कर दिया। चंद्रप्रकाश, उसके पिता नरसिंग दास और माता सुशीला तीनों की कहानी एक जैसी है। एक और बेटा विनय है जो उदयपुर में एमएमबीएस के फाइनल ईयर में हैं। तीनों की कहानी एक जैसी इसलिए कि मां समाज में पहली शिक्षिका है तो पिता समाज में पहले ऐसे व्यक्ति है कि ग्राम विकास अधिकारी बने है। वहीं बेटा चंद्रप्रकाश 562वीं रैंक के साथ समाज में पहला आईएएस है। महज 22 वर्ष के उम्र ने यूपीएससी क्रेक करने वाले चंद्रप्रकाश की मां सुशीला का कहना है कि हम एससी वर्ग से आते हैं तो हमारे समाज में पढ़ाई का इतना महत्व नहीं है। जब मैं अविवाहित थी तो पढ़ने के साथ कहीं एग्जाम देने जाती थी तो लोग पिताजी को बहुत बुरा भला कहते थे। लेकिन पिताजी ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। उन्ही की बदौलत में टीचर बन पाई और 29 साल से सरकारी स्कूल में शिक्षिका हूं। पिता नरसिंग दास ग्राम विकास अधिकारी है। उनका कहना है कि मैंने कमठा मजदूरी का काम भी किया है। मैं समाज का पहला ग्राम विकास अधिकारी हूं। पत्नी की नौकरी को लेकर लोग मुझे भी ताने देते थे लेकिन मैंने हमेशा इग्नोर किया। इसी की बदौलत घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी बनी। दो बेटे है, बड़ा बेटा चंद्रप्रकाश 562वीं रैंक के साथ आईएएस बन गया। छोटा बेटा उदयपुर में एमबीबीएस कर रहा है जो फाइनल ईयर में हैं। यूपीएससी परीक्षा में ऑल इंडिया में 562वीं रैंक हासिल करने वाले चंद्रपकाश बताते है कि पिता नरसिंग दास उन्हें आईएएस बनने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे हैं। मां ने बहुत सपोर्ट किया है। सबसे बड़ी बात यह कि चंद्रप्रकाश ने चंद्रप्रकाश ने बिना कहीं कोचिंग किए ये उपलब्धि हासिल की है। चंद्रप्रकाश के मुताबिक ऑनलाइन पढ़कर और सेल्फ स्टडी कर यह सफलता हासिल की है। चंद्रप्रकाश के मुताबिक माता पिता के सपोर्ट से पढ़ाई के लिए काफी वक्त मिल जाता था तो समय जाया नहीं हुआ, हर चीज टेबल पर मिलती थी। पहले अटेंप्ट में यूपीएससी क्लियर नहीं कर पाया था तो इस बात का मलाल था लेकिन इस बार जैसा रिजल्ट आया है वो मेरी उम्मीदों से परे हैं।
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