क्यों होती हैं? पीठ की पूजा | Brahmani Mata Old Tample Sorsan Baran | Sorsan Abhyaran Baran

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  • Опубліковано 30 лис 2024
  • क्यों होती हैं? पीठ की पूजा | Brahmani Mata Old Tample Sorsan Baran | Sorsan Abhyaran Baran
    Why Is Worshipping The Back Important? Brahmani Mata Old Temple Sorsan Baran | Sorsan Sanctuary Baran
    राजस्थान में यूं तो कई तीर्थ स्थान हैं, लेकिन सोरसन का तीर्थ स्थल खास हैं। बारां जिला मुख्यालय से 28 किमी दूर सोरसन में ब्रह्मणी माता का प्राचीन मंदिर हैं। यहां ब्रह्मणी माता का प्राकट्य करीब 700 वर्ष पहले हुआ बताया जाता है। यह मंदिर पुराने किले में स्थित हैं और चारों ओर ऊंचे परकोटे से घिरा हुआ है। इसे गुफा मंदिर भी कहा जा सकता है। मंदिर के तीन प्रवेश द्वारों में से दो द्वार कलात्मक हैं। मुख्य प्रवेश द्वार पूर्वाभिमुख है। परिसर के मध्य स्थित देवी मंदिर में गुम्बद द्वार मंडप और शिखरयुक्त गर्भगृह है। गर्भगृह के प्रवेश द्वार की चौखट 5 गुणा 7 के आकार की है, लेकिन प्रवेश मार्ग 3 गुणा ढ़ाई फीट का ही है। इसमें झुककर ही प्रवेश किया जा सकता हैं, इसलिये पुजारी झुककर ही पूजा करते हैं। मंदिर के गर्भगृह में विशाल चट्टान है। चट्टान में बनी चरण चौकी पर ब्रह्माणी माता की पाषाण प्रतिमा विराजमान है।
    यहां पर राजस्थान का राज्य पशु चिंगारा (काला हिरण) और राजस्थान का राज्य पक्षी गोडावण सोरसन अभ्यारण मे पाए जाते है।
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