पाखण्डियों की झूठी आशङ्का - Swami Vivekanand parivrajak
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- Опубліковано 19 гру 2024
- पाखण्डी लोग यह समझते हैं कि जो हम इन को विद्या पढ़ावेंगे और देशदेशान्तर में जाने की आज्ञा देवेंगे तो ये बुद्धिमान् होकर हमारे पाखण्ड-जाल में न फंसने से हमारी प्रतिष्ठा और जीविका नष्ट हो जावेगी। इसीलिये भोजन छादन में बखेड़ा डालते हैं कि वे दूसरे देश में न जा सकें। हां, इतना अवश्य चाहिये कि मद्य, मांस का ग्रहण कदापि भूल कर भी न करें।
सनातन महान वैदिक ज्ञान विज्ञान प्रवाह ....... बिना ज्ञान के ध्यान अधुरा ही होता है । जैसे मनुष्य को छोटे से छोटे काम सीखने, किसी न किसी से देखना सीखना पडता है, सुखी रहने का आखरी उपाय मोक्ष रुप साधन भी किसी आध्यात्मिक गुरु या शिक्षक से सीखना प़डता है तभी लाभ होता है । योगाभ्यास आध्यात्म व ध्यान योग विषयक, विस्तार से उचित शिक्षा पाने के लिए हमें follow करें :-
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