जुगुति बेधि पुनि पोहिअहिं, रामचरित बर ताग | पहिरहिं सज्जन बिमल उर, शोभा अति अनुराग || तुलसी की कविता रूपी मणियों को युक्ति रूपी सुई से बेधकर फिर रामचरित्र रूपी सुन्दर तागे में पिरोकर सज्जन लोग अपने निर्मल हृदय में धारण करते हैं, जिससे जीवन में अनुराग रूपी शोभा बढ़ जाती है |
जय हिंद, बहुत बढ़िया गायन किया है परंतु ढोलक वादन अनावश्यक न करें ! क्या ऐसे ही संगीत बजाया जाता है ! इसीलिए हरेक प्रांत में जबाबी कीर्तन का प्रचलन नहीं है ! ज्यादा शोर शराबा अच्छे खासे गीत की ऐसी तैसी कर देता है और इसलिए भी किसी रेडियो स्टेशनों के द्वारा ऐसे कार्यक्रम के गीतों को प्रसारित नहीं किया जाता और सबसे ज्यादा भद्दा तो कोरस का पीछे से अनावश्यक चिल्लाना लगता है ! इस अनावश्यक सोर शराबे को बंद करें ! ऐसे लगता है कि जैसे कीर्तन कार सिर्फ टाइम पास करने आते हैं !
अति सुंदर प्रस्तुति भैया जी शुभ रात्रि जय श्री राम ❤❤
❤❤❤🎉🎉🎉
जुगुति बेधि पुनि पोहिअहिं, रामचरित बर ताग |
पहिरहिं सज्जन बिमल उर, शोभा अति अनुराग ||
तुलसी की कविता रूपी मणियों को युक्ति रूपी सुई से बेधकर फिर रामचरित्र रूपी सुन्दर तागे में पिरोकर सज्जन लोग अपने निर्मल हृदय में धारण करते हैं, जिससे जीवन में अनुराग रूपी शोभा बढ़ जाती है |
Gjb dada 😊😊😊
जय हिंद,
बहुत बढ़िया गायन किया है परंतु ढोलक वादन अनावश्यक न करें ! क्या ऐसे ही संगीत बजाया जाता है ! इसीलिए हरेक प्रांत में जबाबी कीर्तन का प्रचलन नहीं है ! ज्यादा शोर शराबा अच्छे खासे गीत की ऐसी तैसी कर देता है और इसलिए भी किसी रेडियो स्टेशनों के द्वारा ऐसे कार्यक्रम के गीतों को प्रसारित नहीं किया जाता और सबसे ज्यादा भद्दा तो कोरस का पीछे से अनावश्यक चिल्लाना लगता है ! इस अनावश्यक सोर शराबे को बंद करें ! ऐसे लगता है कि जैसे कीर्तन कार सिर्फ टाइम पास करने आते हैं !