🙏🙏🙏🪷🕉️🪷🙏🙏🙏परमात्मा तत्व चेतनाशक्ति पञ्चतत्व समन्वित मनुष्य रूप इसमे आसुरी मानुषी देवता तत्व समन्वित होता जो जिस तत्वगुण को उसु शरीर में पाते हैं वैसी राक्षस(सी) मानुष(षी)देव(ता) बनते । वैसे जो पूर्व में रामकृष्णादि नाम रूप अनेक हुए है इसी को जानना साधना तप तब बुद्धि प्रखर होके जिस निराकार सर्वत्र व्याप्त परमात्मा (परम शक्ति (चेतना ) ) से सब निकला है👌🙏🕉️🙏👌 इसलिए दिव्य गुणरूप देवों को अपनाकर परमतत्व को जानना सुलभ हो । सब विश्व रूप ( अनन्तब्रह्माण्ड ) जीवजाल अव्यक्त प्ररमात्मा का व्यक्त रूप । परन्तु वे सब मनुष्यशरीर का हित या अहित हो सकता है । परन्तु तत्र परमात्मा नही ऐसा नही मनुष्यशीरीर को उस प्रकृति रूप सूट नहीं करता🙏🕉️🙏
🙏🙏🙏🪷🕉️🪷🙏🙏🙏परमात्मा तत्व चेतनाशक्ति पञ्चतत्व समन्वित मनुष्य रूप इसमे आसुरी मानुषी देवता तत्व समन्वित होता जो जिस तत्वगुण को उसु शरीर में पाते हैं वैसी राक्षस(सी) मानुष(षी)देव(ता) बनते । वैसे जो पूर्व में रामकृष्णादि नाम रूप अनेक हुए है इसी को जानना साधना तप तब बुद्धि प्रखर होके जिस निराकार सर्वत्र व्याप्त परमात्मा (परम शक्ति (चेतना ) ) से सब निकला है👌🙏🕉️🙏👌 इसलिए दिव्य गुणरूप देवों को अपनाकर परमतत्व को जानना सुलभ हो । सब विश्व रूप ( अनन्तब्रह्माण्ड ) जीवजाल अव्यक्त प्ररमात्मा का व्यक्त रूप । परन्तु वे सब मनुष्यशरीर का हित या अहित हो सकता है । परन्तु तत्र परमात्मा नही ऐसा नही मनुष्यशीरीर को उस प्रकृति रूप सूट नहीं करता🙏🕉️🙏