भरत मिलाप पार्ट -2||रुद्रप्रयाग||Eyes of Uttrakhand|| राजू रावत

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  • Опубліковано 6 жов 2024
  • #bharat milap#ramleela rudraprayag #jai sriram#eyes of uttrakhand. कामदगिरि परिक्रमा मार्ग पर एक स्थान पड़ता है भरत मिलाप मंदिर. ये वही जगह है जहां वनवास कर रहे राम का अपने अनुज भरत से मिलन हुआ था. पौराणिक मान्यताओं व रामायणकालीन घटनाओं के मुताबिक अपने पिता दशरथ की आज्ञा से 14 वर्षों के वनवास पर निकले राम ने वनवासकाल के साढ़े ग्यारह वर्ष चित्रकूट में बिताए. इस दौरान उनके अनुज भरत उन्हें वापस अयोध्या लौटने हेतु मनाने के लिए चित्रकूट आए. परन्तु पिता दशरथ की आज्ञा का पालन करने का वचन न तोड़ते हुए राम ने अयोध्या वापस लौटने से इंकार कर दिया. जिस पर भरत उनकी खड़ाऊं लेकर अयोध्या लौट गए. पौराणिक ग्रन्थों में उल्लिखित मान्यताओं के अनुसार चित्रकूट के इसी स्थान पर राम व भरत का मिलाप हुआ था. इस स्थान पर आज एक मंदिर है जिसमें राम व भरत के चरण चिन्ह देखे जा सकते हैं. कहा जाता है कि वनवासकाल में जहां-जहां राम सीता व लक्ष्मण के पैर पड़ते वहां के पत्थर भी पिघल जाते. रामचरितमानस में इसका उल्लेख भी इस चौपाई के माध्यम से मिलता है" द्रवहिं बचन सुनि कुलिस पषाना, पुरजन प्रेमु न जाई बखाना, बीच बास करि जमुनही आए निरखि नीरू लोचन जल छाए" अर्थात जब भरत श्री राम को मनाने चित्रकूट जा रहे थे तो मार्ग के पत्थर भी पिघल गए. अचरज की बात यह कि इस स्थान के पत्थर भी पिघले हुए जान पड़ते हैं.
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