Two Songs in Raga Tori composed by Taraknath Sen

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  • Опубліковано 12 вер 2024
  • राग टोड़ि,
    त्रिताल मध्यलय
    शिब शङ्कर भोलानाथ त्रिपुरारी
    बरनिना जाय अपार महिमा तेरि,
    अङ्ग बिभूति रमाय
    बाघछाल ओढ़े
    जटाजुट बलिहारि।।
    द्रुत एकताल
    राम भजना जगतार मनुया,
    चार दिबस बिच निबास,
    बिरथा सकल पसार मनुया।
    काञ्चन ज्यायसे सुन्दर काया
    पलमेँ बिछड़ याय रे मनुया।

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