nb-2024-07-09-श्रीराधा सुधानिधि ( श्लोक-01) / ऐसी लगन लगाय कहाँ जासी (मीरा जी )

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  • Опубліковано 6 жов 2024
  • यस्याः कदापि वसनाञ्चल खेलनोत्थ
    धन्यातिधन्य पवनेन कृतार्थमानी ।
    योगीन्द्र-दुर्गम-गति-र्मधुसूदनोऽपि
    तस्या नमोऽस्तु वृषभानुभुवो दिशेऽपि ॥१॥
    नमस्कारात्मक मंगलाचरण -
    जिन वृषभानुनन्दिनी के नीलाञ्चल के किसी लीला में उठने से अति धन्य वायु का स्पर्श पाकर योगीन्द्रों को भी अति दुर्लभ गति वाले मधुभोगी (कृष्ण भी) अपने को कृतार्थ मानते हैं, उनकी दिशा को नमस्कार है ।

КОМЕНТАРІ • 2

  • @deepaktiwary4403
    @deepaktiwary4403 2 місяці тому

    Jai shree radhe 🙏🙏🙏

  • @Radheradheji3095
    @Radheradheji3095 2 місяці тому

    राधे राधे जी 🌻🌻🙏🌻🎙️🎹🎼🎼