तुलसी पूजन दिवस इंदौर आश्रम - 25-12 -2023 !! Tulsi Poojan Diwas Indore Ashram

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  • Опубліковано 19 жов 2024
  • 🌹तुलसी पूजन दिवस : 25 दिसम्बर 2023🌹
    🚩संत आशारामजी बापू ने 25 दिसम्बर 2014 को ‘तुलसी पूजन दिवस’ मनाना प्रारम्भ करवाया । वर्तमान में इस पर्व की लोकप्रियता विश्वस्तर पर देखी गयी ।
    🚩पिछले साल भी उनके करोड़ों लोगों द्वारा 25 दिसंबर को देश-विदेश में बड़ी धूम-धाम से तुलसी पूजन मनाया गया था । जिसमें कई हिन्दू संगठनों और आम जनता ने भी लाभ उठाया था ।
    🚩ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस साल भी एक महीने से देश-विदेश में क्रिसमस डे की जगह 25 दिसंबर “तुलसी पूजन दिवस” निमित्त घर-घर तुलसी पूजन व वितरण किया जा रहा है ।
    🚩हिन्दू संत आशारामजी बापू का कहना है कि तुलसी पूजन से बुद्धिबल, मनोबल, चारित्र्यबल व आरोग्यबल बढ़ता है । मानसिक अवसाद, दुर्व्यसन, आत्महत्या आदि से लोगों की रक्षा होती है और लोगों को भारतीय संस्कृति के इस सूक्ष्म ऋषि-विज्ञान का लाभ मिलता है ।
    🚩बापू आशारामजी का कहना है कि तुलसी का स्थान भारतीय संस्कृति में पवित्र और महत्त्वपूर्ण है । तुलसी को माता कहा गया है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । तुलसी पूजन, सेवन व रोपण से आरोग्य-लाभ, आर्थिक लाभ के साथ ही आध्यात्मिक लाभ भी होते हैं ।
    🔸तुलसी पूजन विधि🔸
    🌹25 दिसम्बर को सुबह स्नानादि के बाद घर के स्वच्छ स्थान पर तुलसी के गमले को जमीन से कुछ ऊँचे स्थान पर रखें । उसमें यह मंत्र बोलते हुए जल चढ़ायें-
    महाप्रसादजननी सर्वसौभाग्यवर्धनी ।
    आधिव्याधिहरा नित्यं तुलसि त्वां नमोऽस्तु ते ।।
    🔸फिर तुलस्यै नमः मंत्र बोलते हुए तिलक करें, अक्षत (चावल) व पुष्प अर्पित करें तथा कुछ प्रसाद चढ़ायें । दीपक जलाकर आरती करें और तुलसी जी की 7,11, 21, 51 या 111 परिक्रमा करें ।
    यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च ।
    तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे ।।
    🔸उस शुद्ध वातावरण में शांत हो के भगवत्प्रार्थना एवं भगवन्नाम या गुरुमंत्र का जप करें । तुलसी पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें ।
    🔸तुलसी के समीप रात्रि 12 बजे तक जागरण कर भजन, कीर्तन, सत्संग-श्रवण व जप करके भगवद्-विश्रांति पायें । तुलसी नामाष्टक का पाठ भी पुण्यकारक है ।
    🔸तुलसी नामाष्टक🔸
    वृन्दां वृन्दावनीं विश्वपावनीं विश्वपूजिताम् ।
    पुष्पसारां नन्दिनीं च तुलसीं कृष्णजीवनीम् ।।
    एतन्नामष्टकं चैतस्तोत्रं नामार्थसंयुतम् ।
    यः पठेत्तां च संपूज्य सोऽश्वमेधफलं लभेत् ।।

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