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श्रीमदभागवतम् उपन्यास | श्री माधवेन्द्र पुरी दास | SB 1.15.35 | 30.06.2024 | ISKCON Bangalore Hindi

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  • Опубліковано 9 лип 2024
  • यथा मत्स्यादिरूपाणि धत्ते जह्याद् यथा नटः ।
    भूभारः क्षपितो येन जहौ तच्च कलेवरम् ॥ ३५ ॥
    परमेश्वर ने जिस शरीर को पृथ्वी का भार कम करने के लिए प्रकट किया था, उसे उन्होंने छोड़ दिया। वे एक जादूगर के समान विभिन्न शरीरों को, यथा मत्स्य अवतार तथा अन्य अवतारों में धारण करने के लिए एक शरीर को छोड़ते हैं।
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