Thara Karandu Re Bajeera (Devstuti) by Dr. Hemraj Chandel | Dev Shri Tundi Veer Ji

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  • Опубліковано 4 гру 2024
  • देव श्री टुण्डी वीर
    देव श्री टुण्डी वीर मण्डी क्षेत्र के द्रंग सीरा क्षेत्र के सबसे प्राचीन एवं शक्तिशाली भूमि देवता हैं। देव श्री टुण्डी वीर नीले घोड़े की सवारी करते हैं तथा इनके एक हाथ में अठारह मण का सांकल एवं दूसरे हाथ में सत्तरह मण की तलवार है। जनश्रुति एवं देवभारथा के अनुसार एक समय ऋषि पिंगल व ऋषि पराशर भ्रमण करते हुए इस क्षेत्र से गुजरे तब देव श्री टुण्डी वीर ने ऋषि पिंगल को अपना सारा क्षेत्र देकर स्वयं उनका बजीर बनना स्वीकार किया। जनश्रुति के अनुसार देवताओं और डायनों के युद्ध में देवता की कनिष्ठ अंगुली कट जाने के कारण इनका नाम ”टुण्डी वीर“ पड़ा। इसी नाम से आज भी देव जग प्रसिद्ध है। इन्हे अठारह करंडू का बजीर भी कहा जाता है।
    देव श्री टुण्डी वीर का मन्दिर मण्डी जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलो मीटर दूर द्रंग क्षेत्र की चोटी पर स्थित शाढ़ला गांव में स्थित है। देवता का मुख्य मन्दिर एक ककड़े के आधे पेड़ के नीचे स्थित है, जो सदियों से उसी स्थिति में विद्यमान है। मन्दिर के साथ ही देवता की सुन्दर झील है। जिसे देव श्री टुण्डी वीर का ‘सर’ कहा जाता है।
    कालान्तर में राजाओं के राज में अर्थात राजा अजबर सेन के समय से ही देव श्री टुण्डी वीर को ऋशि पिंगल जिन्हे बुढ्ढ़ा बिंगल के नाम से जाना जाता है, के बजीर के रूप में दरबार के दरबारी देवता का सम्मान प्राप्त है, जो आज भी यथावत है। जिसका प्रमाण राजवंश व मण्डी शिवरात्रि के इतिहास में स्पष्ट रूप से उल्लेखित हैं। राजा सूरज सेन के समय से ही देव श्री टुण्डी वीर का ‘राजा’ श्री माधो राय की जलेब में प्रमुख व विशेष स्थान रहा है उस समय केवल तीन ही देवता जिनमें देव श्री टुण्डी वीर, देव श्री चण्डोही एवं देव श्री बरनाग राजा श्री माधो राय की जलेब में शामिल थे।
    समय-समय पर देव श्री टुण्डी वीर ने अपने क्षेत्र जिसे ‘हार’ कहा जाता है, के लोगों के अनेक कष्ट व विपदाओं को दूर किया है। जनश्रुति के अनुसार तुंगल क्षेत्र में एक डायन जिसे स्थानीय भाषा में ‘भिरठी’ कहा जाता है, के आंतक से लोगों को मुक्ति दिलवाई। इस घटना का प्रत्यक्ष प्रमाण आज भी बिजनी के समीप ब्यास नदी में बड़ी लाल रंग की चट्टान के रूप में देखा जा सकता है। इस स्थान पर देव श्री टुण्डी वीर ने भिरठी को श्रापित कर पत्थर के रूप में बदल दिया था।
    देव श्री टुण्डी वीर का मन्दिर वर्षभर अपने भक्तों व श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है। केवल भादो मास के कृष्ण पक्ष में देवताओं व डायनों के युद्ध के समय बन्द रहता है। देवता के मन्दिर में चैत्र व आश्विन नवरात्रि के विशेष आयोजनों के अतिरक्ति, कार्तिक मास अन्तिम तिथि को देवता का वार्षिक होम अर्थात “जाग” सम्पन्न होती है एवं अगले दिन अर्थात मार्गषीर्श मास की संक्रान्ति के दिन देवता का प्रसिद्ध “न्योजु का मेला” आरन क्षेत्र में होता है।
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    Thara Karandu Re Bajeera (Devstuti)
    Singer, Lyricist & Composer - Dr. Hemraj Chandel
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