जाने दिलको ही क्या हो गया ऐसी गफलत में मैने तो आना न था ।। वं. राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज भजन

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  • Опубліковано 12 гру 2024
  • जाने दिलको ही क्या हो गया ऐसी गफलत में मैने तो आना न था ।। टेक ॥ शाम होने लगी, दिन समाने लगा । प्रार्थना का समय ठीक आने लगा ।। मेरा तिरछा कदम क्यों गया ? मित्र चाहे कहें, घुमने को चलोमैने ये वख्त ऐसा बहाना न था ।। १ ।।
    मित्र चाहे कहें, घुमने को चल
    वो क्या जाने कि तुम हाथ ही को मलो ।। मोतिया बिन्द आँखो गया /किसकी संगत से रंगत गमाना न था ।।२।।
    अब तो उठो, चलो-प्रार्थना में चलेचाहे देरी भी तो भी होगे भले ।।लाभ जितना भी हो, पागया कहता तुकड्या ये गलती तो होना न था ॥३॥

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