गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर | अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर || हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक सामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा
सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
🎋महात्मा बुद्ध शास्त्र विरुद्ध भक्ति करने के कारण खुद तो परमात्मा प्राप्ति से वंचित रहे ही, करोड़ों लोगों को भी शास्त्र विरुद्ध साधना में लगा कर परमात्मा से दूर कर दिया। वर्तमान में शास्त्र अनुकूल भक्ति केवल सतगुरु रामपाल जी महाराज के पास ही है, अपना कल्याण कराएं।
💝Aim Of Sant Rampal Ji Maharaj The Aim of Sant Rampal Ji Maharaj Is That There Should Be Peace In The Whole World, People Should Not Fight Amongst Themselves. @SaintRampalJiM 🙏🙇
सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है। - ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
Supreme God Is Kabir ⛑पृथ्वी लोक पर हर जीव दुखी हैं सतलोक सुख का सागर हैं वहां दुःख नाम की कोई चीज नहीं है वहां जन्म-मृत्यु नहीं है,बुढ़ापा नहीं है, ना राग द्वेष है। वहां अविनाशी सुंदर परिवार है।
अवश्य जानिए तत्व ज्ञान किसे कहते हैं वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज दे रहे हैं संपूर्ण अध्यात्म तत्व ज्ञान देखें साधना टीवी चैनल दोपहर दो से तीन
सतलोक निरामय लोक है जहां वृध्दावस्था व रोग नहीं है। पृथ्वी लोक में इन दोनों स्तिथियों से कोई नहीं बचा है। जानने के लिए पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा अवश्य देखें श्रध्दा टीवी दोपहर 2:00 pm Sant RampaMaharj
बुद्ध ने शास्त्र विरुद्ध तपस्या की। अपने अनुभव का प्रचार करना शुरू कर दिया। जबकि उनका ज्ञान किसी भी धर्म शास्त्र से नहीं मिलता, जिससे व्यर्थ है। केवल परमेश्वर कबीर साहिब का ज्ञान ही शास्त्र अनुकूल है।
⭐फजाइले जिक्र में अल्लाह कबीर साहेब का प्रमाण : माजा काला रब्बूकूम कालू लूलहक्का वाहोवर अल्लीयू उल्ल कबीर (6) (जब फरिश्तों को कबीर अल्लाह की तरफ से कोई हुक्म होता है तो वे खौफ के मारे घबरा जाते हैं) यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर हो जाती है, तो एक दूसरे से पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार का क्या हुक्म है ? वाकई वह (कबीर) आलीशान और मर्तबे वाला है।
💚💚💚Aim Of Sant Rampal Ji Maharaj Is To Ceate Disease Free World Where No 1 Is Affected By The Diseases. This Is Possible If 1 Follows Scriptures Based Worship.
☀️🛡मुस्लिम भाइयों! अल्लाह एक, धरती एक फिर धर्म कैसे बने अनेक। अल्लाह के भेजे हुये बाख़बर संत रामपाल जी महाराज आ गए हैं। जो धर्म मजहब की दीवार को तोड़कर अल्लाह के सब बंदों को एक कर रहे हैं। @SaintRampalJiM Allah Is Kabir
गुरु के बिना ज्ञान नहीं हो सकता। महात्मा बुद्ध के कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं थे तो इनका बताया ज्ञान कैसे सही हो सकता है। कबीर परमात्मा कहते हैं:- गुरु बिन काहू ना पाया ज्ञाना, जो थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना।
पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है। Supreme God is Kabir
सत्संग से ही मानव को उसके जीवन का वास्तविक उद्देश्य का ज्ञान होता है। जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।कबीरा साधु दर्शन राम के, मुख पर बसे सुहाग।
JAGAT GURU RAMPAL JI Home सत्संग ही है सुख का सागर सत्संग ही है सुख का सागर  सत्संग का अर्थ सत्संग का अर्थ है यथार्थ अध्यात्म ज्ञान का प्रचार जिसमे केवल सत्य हो, असत्य ना हो। ऐसा दिया जाने वाला अध्यात्म ज्ञान सत्संग कहलाता है। जिसके विस्तार मे किसी भी प्रकार की शंका जीव को ना रहे वो ही सत्संग है और उसे स्वयं संत या सतगुरु ही करते है। सत्संग का वर्णन करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब कहते है, " माँ मुंडो उस संत की, जिससे संशय ना जाए । काल खाए थोड़े, इस संशय ने सब जग खाए ।। " जैसा ये वाणी स्पस्ट करती है कि जीव के अंदर संशय रह जाना उसे काल आहार बना देता है। अर्थात सत्संग उस परमेश्वर का यथार्थ ज्ञान देना है जिसकी भक्ति करके जीव इस भवसागर से पार होकर 84 लाख योनियो मे जन्म मरण के चक्र से छूट जाता है । जिसे मुक्ति, मोक्ष प्राप्त हो जाना कहते हैं। निश्चित ही अब आप ये समझ सकते है कि सतगुरु सत्संग का कितना मह्त्व है इस मानव जीवन में । सत्संग क्यो ज़रूरी जन्म से ही प्रारंभ हो जाने वाली प्राणी के जीवन की यात्रा जहां उसकी मंजिल भी निर्धारित है कि उसे मोक्ष मार्ग की खोजकर उसी अनुसार जीवन की यात्रा तय करनी है । ऐसी स्थिति में सत्संग ही वो माध्यम है जहां यह पता चलता है की हम मनुष्य जन्म पाकर क्या कर रहे हैं और हमें क्या करने के लिए यह मनुष्य जन्म दिया गया । सत्संग की महिमा का बखान करते हुए परम पूज्य परमेश्वर स्वरूप सदगुरुदेव तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बताते हैं। संत समागम, हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय। सूत दारा और लक्ष्मी यह तो पापी घर भी होए।। भावार्थ है, धन-धान्य , सुख-समृद्धि, सुन्दर नारी तो जन साधरण, चोर, बदमाश, हत्यारे और कुकर्मी के घर भी जरूर मिल जाते हैं। जहां संतों की वाणी कोसों दूर भी सुनायी नहीं देती। लेकिन संत का समागम जहां परमेश्वर की यथार्थ जानकारी मिले उनका नाम जपने का मौका मिले ऐसा कोई विरला ही घर होता है। स्पस्ट है कि एक मौके के स्वरूप में प्राप्त हुआ यह मानव जीवन परमात्मा की शास्त्रविधि अनुसार साधना करके मोक्ष प्राप्त करने के लिये ही मिलता है । लेकिन यह बेहद दुखद है कि सत्संग के अभाव में हम एसे महत्वपूर्ण जीवन को 4 दिन की जिंदगी है मौज मस्ती करके सुखी होने को जीवन का आधार मानकर जीते हैं । जिससे अंततः दुख भरे भयानक परिणामों को अनगिनत बिमारियो या अन्य कष्ट के रूप मे झेलना पड़ता है। मानव शरीर प्राप्त प्राणी को सत्संग के माध्यम से ही पूर्ण संत की शरण मिलती है। पूर्ण संत ही परमेश्वर का संविधान बताता है जिसमें उसे सत्संग के माध्यम से यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है 'कि यदि पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति, पुण्य, दान, धर्म, शुभ कर्म नहीं किए। तो पूर्व जन्म के पुण्य मानव जीवन में (खा) खर्च कर खाली होकर परमात्मा के दरबार में जाओगे और फिर पशु आदि के जीवन ही भोगने पड़ेंगे । वर्तमान में शुभ कर्म अर्थात भक्ति नहीं की तो भविष्य का जीवन नर्क होना निश्चित है और मानव जीवन का ये बेहद जरूरी आध्यात्मिक ज्ञान केवल और केवल पूर्ण संत के सत्संग के माध्यम से ही संभव है । पूर्ण संत का सत्संग है ~ ` सुख का सागर असल में सत्संग का मिलना बहुत कठिन है क्योंकि वर्तमान मे जो संत सत्संग कर रहे है वह किसी भी धार्मिक ग्रंथ के आधार पर पूर्ण परमेश्वर की प्रमाणित जानकारी नही देते। बल्कि कहीं सुनी कथाओं को लेकर ही सत्संग कर रहे हैं । जिससे मोक्ष मार्ग दूर तक सम्भव नहीं हो पाता।शंका समाधान नहीं हो पाता ।मन की अशांति खतम नहीं हो पाती।दु:ख दूर नहीं हो पाते। इसके विपरित यदि पूर्ण संत द्वारा दिया गया तत्वज्ञान सत्संग जो आत्मा की खुराक होता है। उसे सुना जाए तो मानव सभी बुराईयों को त्याग कर सुखदाई जीवन जीने लगता है। अब बात ये आ जाती है कि अनगिनत धर्मगुरुओं की मौजूदगी में वह पूर्ण गुरु कौन है वह तत्वदर्शी संत कौन है जिसका सत्संग सुनने मात्र से बुराइयां खत्म हो जाए??
🌌"मक्का महादेव का मंदिर है" सिख धर्म की पुस्तक भाई बाले वाली जन्म साखी में प्रमाण है :- ‘‘साखी मदीने की चली‘‘ हिन्दी वाली के पृष्ठ 262 पर श्री नानक जी ने चार इमामों के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा है : आखे नानक शाह सच्च, सुण हो चार इमाम। मक्का है महादेव का, ब्राह्मण सन सुलतान॥ सतगुरू नानक देव जी ने चार इमामों से चर्चा करते हुए कहा कि जिस मक्का शहर में जो काबा (मंदिर) है जिसको आप अपना पवित्र स्थान मानते हो। वह महादेव (शिव जी) का मंदिर है। इसमें सब देवी-देवताओं की मूर्तियां थीं। उसकी स्थापना करने वाला सुल्तान (राजा) ब्राह्मण था। बाद में सब मूर्तियाँ उठा दी गई थी। नबी इब्राहिम व हजरत इस्माईल (अलैहि.) ने इसका पुनः निर्माण करवाया था।
Bandi Chhod Param Pita Parmeshwar Kabir Saheb Ji Ki Jay Ho Parmatma Ke Shree Charan Kamalo Me Das Ka Koti Koti Dandwat Pranam Data Aapane Shree Charan Kamalo Me Das Ko Sthan Dene Ki Kripa Pradan Karana Sat Saheb
🔮Supreme God is Kabir 🛡राम भगवान का जन्म मां के गर्भ से हुआ जबकि पूर्ण परमात्मा ना तो मां के गर्भ से जन्म लेता है और न ही उसकी मृत्यु होती है तो फिर आदिराम (पूर्ण परमात्मा) कौन है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
बुद्ध के मार्ग पर चलते चलते चीन, रूस जैसे देश नास्तिक बन गए। उनके अनुयायी ये नहीं जानते कि भगवान कौन है और पूर्ण मोक्ष कैसे मिलेगा। जबकि वेद प्रमाणित करते हैं कबीर परमात्मा ही पूर्ण मोक्ष दायक हैं।
মহাত্মা বুদ্ধ ছিলেন একজন পুণ্য কারী আত্মা। সঠিক মার্গ দর্শনের অভাবে তিনি শ্রীমদ্ভাগবত গীতা বিরুদ্ধ কঠোর তপস্যা করেছিলেন। যেটাকে গীতায় মূর্খদের সাধনা বলা হয়েছে। महात्मा बुद्ध एक पुण्य कर्मी आत्मा थे। सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता के विरुद्ध घोर तपस्या की। जिसे गीता में मूर्खों की साधना बताया है।
মহাত্মা বুদ্ধ শাস্ত্র বিরুদ্ধ সাধনা করেছিলেন। গীতায় বলা হয়েছে, তত্ত্বদর্শী সন্তের শরণাপন্ন হলেই মোক্ষ সম্ভব। মহাত্মা বুদ্ধ তো গুরু ধারণই করেননি। কেবলমাত্র কবীর পরমাত্মার বলা সতভক্তির মাধ্যমেই মোক্ষ সম্ভব। महात्मा बुद्ध ने शास्त्रविरुद्ध साधना की। गीता जी में कहा गया है कि तत्वदर्शी संत की शरण में जाने से ही मोक्ष संभव है। महात्मा बुद्ध ने तो गुरु ही नहीं बनाया था। मोक्ष सिर्फ कबीर परमात्मा द्वारा बताई सतभक्ति से ही संभव है।
परमात्मा कबीर जी की शरण में आकर (नाद) वचन के शिष्य बनकर श्री नानक देव (सिख धर्म के प्रवर्तक) जैसे भक्त नौ लाख पार हो गए तथा श्री गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरूष दस लाख पार हो गए। श्री दत्तात्रे जैसे ऋषि एक ल
गुरु के बिना ज्ञान नहीं हो सकता। महात्मा बुद्ध के कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं थे तो इनका बताया ज्ञान कैसे सही हो सकता है। कबीर परमात्मा कहते हैं:- गुरु बिन काहू ना पाया ज्ञाना, जो थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना।
गरीब, पानी से पैदा नहीं, श्वासा नहीं शरीर |
अन्न आहार करता नहीं, ताका नाम कबीर ||
हिन्दू व मुसलमान में जो भाईचारे, धार्मिक सामंजस्य का बीज परमेश्वर कबीर जी बो गए थे, उसकी मिसाल मगहर में आज भी देखी जा
Parmpita parmeshwar ke charno me es nichh dasi ka koti koti parnam santraam paal bhagwan ji
Anmol vachan hai Malik ke😊❤❤
bandi chhod Satguru Rampal ji Maharaj ji ke charno me dassi ka dandwatam pranam maalik
JagatGuru Tatvadarshi Sant Rampal Ji Maharaj
सतभक्ति करने से इस दुःखों के घर संसार से पार होकर वह परम शान्ति तथा शाश्वत स्थान (सनातन परम धाम) प्राप्त हो जाता है (जिसके विषय में गीता अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा है) जहाँ जाने के पश्चात् साधक फिर लौटकर संसार में कभी नहीं आता।
जय हो बंदी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज जी जय हो
संत रामपाल जी महाराज जी ही पूर्ण ब्रह्म हैं
जय हो बन्दी छोड़ सतगुरु रामपाल जी महाराज की। कबीर साहेब ही पूर्ण ब्रह्म हैं।
Puran parmatma ka Anmol satsang hai 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🎋महात्मा बुद्ध शास्त्र विरुद्ध भक्ति करने के कारण खुद तो परमात्मा प्राप्ति से वंचित रहे ही, करोड़ों लोगों को भी शास्त्र विरुद्ध साधना में लगा कर परमात्मा से दूर कर दिया।
वर्तमान में शास्त्र अनुकूल भक्ति केवल सतगुरु रामपाल जी महाराज के पास ही है, अपना कल्याण कराएं।
💝Aim Of Sant Rampal Ji Maharaj
The Aim of Sant Rampal Ji Maharaj Is That There Should Be Peace In The Whole World, People Should Not Fight Amongst Themselves. @SaintRampalJiM 🙏🙇
सतभक्ति करने वाले की पूर्ण परमात्मा आयु बढ़ा सकता है और कोई भी रोग को नष्ट कर सकता है।
- ऋग्वेद मण्डल 10 सुक्त 161 मंत्र 2, 5, सुक्त 162 मंत्र 5, सुक्त 163 मंत्र 1 - 3
Real satsang
Jagatguru tatvadarshi Bandi Chhod Satguru Rampal Ji Parmatma ki Jay Ho
Jai ho bandi chhod satguru rampal ji maharaj ki jai ho 🙏
जय हो जगत गुरु तत्व दर्शी संत रामपाल जी महाराज जी की जय हो जय हो परम पिता परमेश्वर कबीर साहिब जी कि जय हो जय बंदी छोड़ की सत साहेब जी 🙏🙏❤️❤️🤲🤲🙇🙇
यदि जो कोई सत्य साधना का ज्ञान रखता है तो परम पुरूष की भक्ति करो। सत्य नाम के स्मरण में लगन लगाकर स्मरण करके दिल के दर्पण यानि अंतःकरण को साफ करे।
Amrit vachan malik ke🙏🙏🙏🙏💞💞
Kabir or gyan sab ganri kabir gyan so jese gola top ka karta chale medan
Sant Rampalji maharaj ki jai ho🙏🙏
संत रामपाल जी महाराज बिल्कुल सही ज्ञान बता रहे हैं
Sant Rampal ji Maharaj ji is providing knowledge according to holy scriptures of every religion.
😭😭🙏🙏😭😭
Supreme God Is Kabir
⛑पृथ्वी लोक पर हर जीव दुखी हैं सतलोक सुख का सागर हैं वहां दुःख नाम की कोई चीज नहीं है वहां जन्म-मृत्यु नहीं है,बुढ़ापा नहीं है, ना राग द्वेष है। वहां अविनाशी सुंदर परिवार है।
अवश्य जानिए तत्व ज्ञान किसे कहते हैं वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज दे रहे हैं संपूर्ण अध्यात्म तत्व ज्ञान
देखें साधना टीवी चैनल दोपहर दो से तीन
संत रामपाल जी महाराज जी की बताए साधना से सर्व पाप कट जाते हैं और सुख होता है
सतलोक निरामय लोक है जहां वृध्दावस्था व रोग नहीं है। पृथ्वी लोक में इन दोनों स्तिथियों से कोई नहीं बचा है।
जानने के लिए पवित्र पुस्तक ज्ञान गंगा अवश्य देखें श्रध्दा टीवी दोपहर 2:00 pm
Sant RampaMaharj
Sat Sahib ji 🙏🙏🙏🙏🙏👍👍👍
सतगुरु साहेब एक शरीरा।
सतगुरु बिना ना लगे तीरा।।
You are true Satguru, true Spiritual Teacher and you are my God 🙏 That's All 💕.
Anmol gyan 🙏 🙏
The great spiritual knowledge by Jagat Guru Tatvadarshi Saint Rampal Ji Maharaj Ji 🙏🙏
बुद्ध ने शास्त्र विरुद्ध तपस्या की। अपने अनुभव का प्रचार करना शुरू कर दिया। जबकि उनका ज्ञान किसी भी धर्म शास्त्र से नहीं मिलता, जिससे व्यर्थ है। केवल परमेश्वर कबीर साहिब का ज्ञान ही शास्त्र अनुकूल है।
⭐फजाइले जिक्र में अल्लाह कबीर साहेब का प्रमाण :
माजा काला रब्बूकूम कालू लूलहक्का वाहोवर अल्लीयू उल्ल कबीर (6)
(जब फरिश्तों को कबीर अल्लाह की तरफ से कोई हुक्म होता है तो वे खौफ के मारे घबरा जाते हैं) यहाँ तक कि जब उनके दिलों से घबराहट दूर हो जाती है, तो एक दूसरे से पूछते हैं कि कबीर परवरदिगार का क्या हुक्म है ? वाकई वह (कबीर) आलीशान और मर्तबे वाला है।
गरीब, नौ लख नानक नाद में, दस लख गोरख तीर।
लाख दत्त संगी सदा, चरणौं चरचि कबीर।।
गरीब, दुर्बासा और मुनिंद्र का, हुवा ज्ञान संवाद।
दत्त तत्त्व में मिल गये, जा घर विद्या न बाद।।
साधु दर्शन राम का ,मुख पर बसे सुहाग ।
दर्श उन्ही के होत हैं,जिनके पूर्ण भाग।।
💚💚💚Aim Of Sant Rampal Ji Maharaj
Is To Ceate Disease Free World Where No 1 Is Affected By The Diseases. This Is Possible If 1 Follows Scriptures Based Worship.
Malik ke charno me koti koti dandwat parnam ...
Jay bandi chode ki 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jay gurudev
Great spritual knowledge 🙏🏻😊
Sat saheb ji
☀️🛡मुस्लिम भाइयों!
अल्लाह एक, धरती एक फिर धर्म कैसे बने अनेक।
अल्लाह के भेजे हुये बाख़बर संत रामपाल जी महाराज आ गए हैं। जो धर्म मजहब की दीवार को तोड़कर अल्लाह के सब बंदों को एक कर रहे हैं।
@SaintRampalJiM
Allah Is Kabir
Malik Apne Charn Saran Me Daya Banaye Rakhana Data
गुरु के बिना ज्ञान नहीं हो सकता।
महात्मा बुद्ध के कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं थे तो इनका बताया ज्ञान कैसे सही हो सकता है।
कबीर परमात्मा कहते हैं:-
गुरु बिन काहू ना पाया ज्ञाना, जो थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना।
सत साहेब जी 🙏
पूर्ण परमात्मा कविर्देव चारों युगों में आए हैं। सृष्टी व वेदों की रचना से पूर्व भी अनामी लोक में मानव सदृश कविर्देव नाम से विद्यमान थे। कबीर परमात्मा ने फिर सतलोक की रचना की, बाद में परब्रह्म, ब्रह्म के लोकों व वेदों की रचना की इसलिए वेदों में कविर्देव का विवरण है।
Supreme God is Kabir
सत्संग से ही मानव को उसके जीवन का वास्तविक उद्देश्य का ज्ञान होता है।
जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।कबीरा साधु दर्शन राम के, मुख पर बसे सुहाग।
बहुत अच्छा धन्यवाद्
the great sant rampal ji maharaj
sat saheb 🙏🏻🙏🏻
Very nice satsang 🙏🙏🙏🙏
Satguru Rampal ji Maharaj is complet Satguru in the whole world
JAGAT GURU RAMPAL JI
Home सत्संग ही है सुख का सागर
सत्संग ही है सुख का सागर

सत्संग का अर्थ
सत्संग का अर्थ है यथार्थ अध्यात्म ज्ञान का प्रचार जिसमे केवल सत्य हो, असत्य ना हो। ऐसा दिया जाने वाला अध्यात्म ज्ञान सत्संग कहलाता है।
जिसके विस्तार मे किसी भी प्रकार की शंका जीव को ना रहे वो ही सत्संग है और उसे स्वयं संत या सतगुरु ही करते है। सत्संग का वर्णन करते हुए पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब कहते है,
" माँ मुंडो उस संत की, जिससे संशय ना जाए ।
काल खाए थोड़े, इस संशय ने सब जग खाए ।। "
जैसा ये वाणी स्पस्ट करती है कि जीव के अंदर संशय रह जाना उसे काल आहार बना देता है।
अर्थात
सत्संग उस परमेश्वर का यथार्थ ज्ञान देना है जिसकी भक्ति करके जीव इस भवसागर से पार होकर 84 लाख योनियो मे जन्म मरण के चक्र से छूट जाता है ।
जिसे मुक्ति, मोक्ष प्राप्त हो जाना कहते हैं।
निश्चित ही अब आप ये समझ सकते है कि सतगुरु सत्संग का कितना मह्त्व है इस मानव जीवन में ।
सत्संग क्यो ज़रूरी
जन्म से ही प्रारंभ हो जाने वाली प्राणी के जीवन की यात्रा जहां उसकी मंजिल भी निर्धारित है कि उसे मोक्ष मार्ग की खोजकर उसी अनुसार जीवन की यात्रा तय करनी है । ऐसी स्थिति में सत्संग ही वो माध्यम है जहां यह पता चलता है की हम मनुष्य जन्म पाकर क्या कर रहे हैं और हमें क्या करने के लिए यह मनुष्य जन्म दिया गया ।
सत्संग की महिमा का बखान करते हुए परम पूज्य परमेश्वर स्वरूप सदगुरुदेव तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बताते हैं।
संत समागम, हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय।
सूत दारा और लक्ष्मी यह तो पापी घर भी होए।।
भावार्थ है, धन-धान्य , सुख-समृद्धि, सुन्दर नारी तो जन साधरण, चोर, बदमाश, हत्यारे और कुकर्मी के घर भी जरूर मिल जाते हैं। जहां संतों की वाणी कोसों दूर भी सुनायी नहीं देती। लेकिन संत का समागम जहां परमेश्वर की यथार्थ जानकारी मिले उनका नाम जपने का मौका मिले ऐसा कोई विरला ही घर होता है।
स्पस्ट है कि एक मौके के स्वरूप में प्राप्त हुआ यह मानव जीवन परमात्मा की शास्त्रविधि अनुसार साधना करके मोक्ष प्राप्त करने के लिये ही मिलता है ।
लेकिन यह बेहद दुखद है कि सत्संग के अभाव में हम एसे महत्वपूर्ण जीवन को 4 दिन की जिंदगी है मौज मस्ती करके सुखी होने को जीवन का आधार मानकर जीते हैं । जिससे अंततः दुख भरे भयानक परिणामों को अनगिनत बिमारियो या अन्य कष्ट के रूप मे झेलना पड़ता है।
मानव शरीर प्राप्त प्राणी को सत्संग के माध्यम से ही पूर्ण संत की शरण मिलती है। पूर्ण संत ही परमेश्वर का संविधान बताता है जिसमें उसे सत्संग के माध्यम से यथार्थ आध्यात्मिक ज्ञान दिया जाता है 'कि यदि पूर्ण संत से नाम दीक्षा लेकर भक्ति, पुण्य, दान, धर्म, शुभ कर्म नहीं किए। तो पूर्व जन्म के पुण्य मानव जीवन में (खा) खर्च कर खाली होकर परमात्मा के दरबार में जाओगे और फिर पशु आदि के जीवन ही भोगने पड़ेंगे ।
वर्तमान में शुभ कर्म अर्थात भक्ति नहीं की तो भविष्य का जीवन नर्क होना निश्चित है और मानव जीवन का ये बेहद जरूरी आध्यात्मिक ज्ञान केवल और केवल पूर्ण संत के सत्संग के माध्यम से ही संभव है ।
पूर्ण संत का सत्संग है ~ ` सुख का सागर
असल में सत्संग का मिलना बहुत कठिन है क्योंकि वर्तमान मे जो संत सत्संग कर रहे है वह किसी भी धार्मिक ग्रंथ के आधार पर पूर्ण परमेश्वर की प्रमाणित जानकारी नही देते। बल्कि कहीं सुनी कथाओं को लेकर ही सत्संग कर रहे हैं ।
जिससे मोक्ष मार्ग दूर तक सम्भव नहीं हो पाता।शंका समाधान नहीं हो पाता ।मन की अशांति खतम नहीं हो पाती।दु:ख दूर नहीं हो पाते।
इसके विपरित यदि पूर्ण संत द्वारा दिया गया तत्वज्ञान सत्संग जो आत्मा की खुराक होता है। उसे सुना जाए तो मानव सभी बुराईयों को त्याग कर सुखदाई जीवन जीने लगता है।
अब बात ये आ जाती है कि अनगिनत धर्मगुरुओं की मौजूदगी में वह पूर्ण गुरु कौन है वह तत्वदर्शी संत कौन है जिसका सत्संग सुनने मात्र से बुराइयां खत्म हो जाए??
🌌"मक्का महादेव का मंदिर है"
सिख धर्म की पुस्तक भाई बाले वाली जन्म साखी में प्रमाण है :-
‘‘साखी मदीने की चली‘‘ हिन्दी वाली के पृष्ठ 262 पर श्री नानक जी ने चार इमामों के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा है :
आखे नानक शाह सच्च, सुण हो चार इमाम।
मक्का है महादेव का, ब्राह्मण सन सुलतान॥
सतगुरू नानक देव जी ने चार इमामों से चर्चा करते हुए कहा कि जिस मक्का शहर में जो काबा (मंदिर) है जिसको आप अपना पवित्र स्थान मानते हो। वह महादेव (शिव जी) का मंदिर है। इसमें सब देवी-देवताओं की मूर्तियां थीं। उसकी स्थापना करने वाला सुल्तान (राजा) ब्राह्मण था। बाद में सब मूर्तियाँ उठा दी गई थी। नबी इब्राहिम व हजरत इस्माईल (अलैहि.) ने इसका पुनः निर्माण करवाया था।
जय बंदी छोड़ जय बंदी छोड़ की
# kabir is suprem god
जय हो मालिक की
Bandi Chhod Param Pita Parmeshwar Kabir Saheb Ji Ki Jay Ho Parmatma Ke Shree Charan Kamalo Me Das Ka Koti Koti Dandwat Pranam Data Aapane Shree Charan Kamalo Me Das Ko Sthan Dene Ki Kripa Pradan Karana Sat Saheb
🔮Supreme God is Kabir
🛡राम भगवान का जन्म मां के गर्भ से हुआ जबकि पूर्ण परमात्मा ना तो मां के गर्भ से जन्म लेता है और न ही उसकी मृत्यु होती है तो फिर आदिराम (पूर्ण परमात्मा) कौन है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें ज्ञान गंगा।
गरीब, मन सेती खोटी घड़े, तन से सुमरन कीन | माला फेरे क्या हुवा, दूर कुटन बेदीन ।।...
Jay ho bandi chodki 🙏🙏
Jay ho bandi chodki 🙏🙏
Vedo me pramaan h kabir saheb bhagwaan h
बुद्ध के मार्ग पर चलते चलते चीन, रूस जैसे देश नास्तिक बन गए। उनके अनुयायी ये नहीं जानते कि भगवान कौन है और पूर्ण मोक्ष कैसे मिलेगा। जबकि वेद प्रमाणित करते हैं कबीर परमात्मा ही पूर्ण मोक्ष दायक हैं।
जिसको पूर्ण संत की शरण नहीं मिलता मरने के नरक जाता है
Sant Rampal Ji ki Bhakti Naam Updesh Lete Hain use prani ko Hamesha ke liye Mukti moch prapt ho jata hai Jay Bandi Chhod Ke
Shastar parmanit gyan
True Gyan
❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
kabir is supreme god
Kabir is supreme god
🌹🌹🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Nice satsang
Anirudh
Very nice gyan
20:53 🎉😢😢😮😮❤❤❤
মহাত্মা বুদ্ধ ছিলেন একজন পুণ্য কারী আত্মা। সঠিক মার্গ দর্শনের অভাবে তিনি শ্রীমদ্ভাগবত গীতা বিরুদ্ধ কঠোর তপস্যা করেছিলেন। যেটাকে গীতায় মূর্খদের সাধনা বলা হয়েছে।
महात्मा बुद्ध एक पुण्य कर्मी आत्मा थे। सही मार्गदर्शन न मिलने के कारण उन्होंने श्रीमद्भागवत गीता के विरुद्ध घोर तपस्या की। जिसे गीता में मूर्खों की साधना बताया है।
❤❤❤❤
🙏🙏🙏
Nice video
Nice
सात द्विप नो खण्ड में गुरु से किया न हेत अब पचतावा क्या करें चीडीया चुग गई खेत
That's a game past the tattoo or pancreas practical cutting
মহাত্মা বুদ্ধ শাস্ত্র বিরুদ্ধ সাধনা করেছিলেন।
গীতায় বলা হয়েছে, তত্ত্বদর্শী সন্তের শরণাপন্ন হলেই মোক্ষ সম্ভব। মহাত্মা বুদ্ধ তো গুরু ধারণই করেননি। কেবলমাত্র কবীর পরমাত্মার বলা সতভক্তির মাধ্যমেই মোক্ষ সম্ভব।
महात्मा बुद्ध ने शास्त्रविरुद्ध साधना की।
गीता जी में कहा गया है कि तत्वदर्शी संत की शरण में जाने से ही मोक्ष संभव है। महात्मा बुद्ध ने तो गुरु ही नहीं बनाया था। मोक्ष सिर्फ कबीर परमात्मा द्वारा बताई सतभक्ति से ही संभव है।
मुझे नींद नहीं आती है
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मालिक के चरणो में कोटि कोटि दंडवत प्रणाम
Sat sahib ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
Bandi chhod sat guru rampal ji bhagwan ki jai ho
सतगुरु साहेब एक शरीरा।
सतगुरु बिना ना लगे तीरा।।
परमात्मा कबीर जी की शरण में आकर (नाद) वचन के शिष्य बनकर श्री नानक देव (सिख धर्म के प्रवर्तक) जैसे भक्त नौ लाख पार हो गए तथा श्री गोरखनाथ जैसे सिद्ध पुरूष दस लाख पार हो गए। श्री दत्तात्रे जैसे ऋषि एक ल
गरीब, दुर्बासा और मुनिंद्र का, हुवा ज्ञान संवाद।
दत्त तत्त्व में मिल गये, जा घर विद्या न बाद।।
साधु दर्शन राम का ,मुख पर बसे सुहाग ।
दर्श उन्ही के होत हैं,जिनके पूर्ण भाग।।
गरीब, रतन जडाऊ मन्दिर है, लख जोजन अस्थान।
साकट सगा न भेटिये, जै होय इन्द्र समान।।
गुरु के बिना ज्ञान नहीं हो सकता।
महात्मा बुद्ध के कोई आध्यात्मिक गुरु नहीं थे तो इनका बताया ज्ञान कैसे सही हो सकता है।
कबीर परमात्मा कहते हैं:-
गुरु बिन काहू ना पाया ज्ञाना, जो थोथा भुस छड़े मूढ़ किसाना।
मेरे गुरूदेव भगवान
Anmol gyan