माता सीता की यह रोचक लोककथा आपका दिल जीत लेगी, धन के भंडार भर देगी... इस कहानी को सीता माता कहती थी और श्रीराम सुना करते थे। एक दिन श्रीराम भगवान को किसी काम के लिए बाहर जाना पड़ गया तो सीता माता कहने लगी कि भगवान मेरा तो बारह वर्ष का नितनेम (नित्य नियम) है। अब आप बाहर जाएंगे तो मैं अपनी कहानी किसे सुनाऊंगी? श्रीराम ने कहा कि तुम कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाना और वहां जो औरतें पानी भरने आएंगी उन्हें अपनी कहानी सुना देना। सीता माता कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाती हैं। एक स्त्री आई उसने रेशम की जरी की साड़ी पहन रखी थी और सोने का घड़ा ले रखा था। सीता माता उसे देख कहती हैं कि बहन मेरा बारह वर्ष का नितनेम सुन लो। पर वह स्त्री बोली कि मैं तुम्हारा नितनेम सुनूंगीं तो मुझे घर जाने में देर हो जाएगी और मेरी सास मुझसे लड़ेगी। उसने कहानी नहीं सुनी और चली गई। उसकी रेशम जरी की साड़ी फट गई, सोने का घड़ा मिट्टी के घड़े में बदल गया। सास ने देखा तो पूछा कि ये किस का दोष अपने सिर लेकर आ गई है? बहू ने कहा कि कुएं पर एक औरत बैठी थी उसने कहानी सुनने के लिए कहा लेकिन मैने सुनी नही जिसका यह फल मिला। बहू की बात सुनकर अगले दिन वही साड़ी और घड़ा लेकर सास कुएं की पाल पर गई। सास को वहीं माता सीता बैठी मिलीं तो माता सीता ने कहा कि बहन मेरी कहानी सुन लीजिए... सास बोली कि एक बार छोड़, मैं तो चार बार कहानी सुन लूंगी... . राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम दूध बताशा पियो राम,सूत के पलका मोठो राम शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारें सब के काम खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे श्री राम जय राम जय-जय राम सास बोली कि बहन कहानी तो बहुत अच्छी लगी। कहानी सुनकर सास घर चली गई और उसकी साड़ी फिर से रेशम जरी की बन गई। मिट्टी का घड़ा फिर सोने के घड़े में बदल गया। बहू कहने लगी सासू मां, आपने ये सब कैसे किया? सास ने कहा कि बहू तू दोष लगा के आई थी और मैं अब दोष उतारकर आ रही हूं. . . बहू ने फिर पूछा कि वह कुएं वाली स्त्री कौन है? सास बोली कि वे सीता माता थीं... वे पुराने से नया कर देती हैं, खाली घर में भंडार भर देती हैं, वह लक्ष्मी जी का वास घर में कर देती हैं, आदमी की जो भी इच्छा हो उसे पूरा कर देती हैं.... बहू बोली कि ऎसी कहानी मुझे भी सुना दो.... सास बोली कि ठीक है तुम भी सुनो और सास ने कहानी शुरु की... राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम दूध बताशा पियो राम,सूत के पलका मोठो राम शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारें सब के काम खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे श्री राम जय राम जय-जय राम कहानी सुनकर बहू बोली कि कहानी तो बहुत अच्छी है.. .. सास ने कहा कि ठीक है इस कहानी को रोज कहा करेगें। अब सास-बहू रोज सवेरे उठती, नहाती-धोती और पूजा करने के बाद नितनेम की सीता की कहानी कहती। एक दिन उनके यहां एक पड़ोस की औरत आई और बोली कि बहन जरा सी आंच देना तो वह बोली कि आंच तो अभी हमने जलाई ही नहीं। पड़ोसन ने कहा कि तुम सुबह चार बजे से उठकर क्या कर रही हो फिर? उन्होंने कहा कि सुबह उठकर हम पूजा करते हैं फिर सीता माता की नितनेम की कहानी कहते हैं। पड़ोसन ने उनकी बात सुनकर फिर कहा कि सीता माता की कहानी कहने से तुम्हें क्या मिला? वे बोली कि इनकी कहानी कहने से घर में भंडार भर जाते हैं। सारे काम सिद्ध होते हैं, मन की इच्छा भी पूरी होती है। पड़ोसन कहती है कि बहन ऎसी कहानी तो मुझे भी सुना दो फिर। वह बोली कि ठीक है तुम भी यह कहानी सुन लो... राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम …………….. सारी कहानी सुनने के बाद पड़ोसन कहने लगी बहन कहानी तो मुझे बहुत अच्छी लगी। अब वह पड़ोसन भी नितनेम सीता माता की कहानी कहने लगी। कहानी कहने से सीता माता ने पड़ोसन के भी भंडार भर दिए। अब तो पूरे मोहल्ले में नितनेम की कथा चल पड़ी.. हर किसी की मनोकामना पूरी होने लगी... हे सीता माता ! जैसे आपने उनके भंडार भरे, वैसे ही आप हमारे भी भंडार भरना। कहानी सुनने वाले के भी और कहानी कहने वाले के भी। उत्तरप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में आज भी यह कथा सीता जयंती पर चाव से सुनाई जाती है।
जितनें मुख उतनीं ही बाते, सीता की मां कौन थी इसपर बहस करनां बेकार है, सीता के आचरण पर मां बहिनों बेटियों को चलने के लिए प्रेरित करो तो कल्याणकारी होगा,
"पहले एक अभिषेक, फिर हमारी मानवीय व्यक्तिगत इच्छा का समर्पण और अधीनता, फिर उसका एक महान दिव्य या महानतम सर्वोच्च इच्छा में विलय कर्मयोग के इरादे का केंद्रीय रहस्य और मूल है।" --श्री ओरोबिंदो
Ramayan ak aisa chiz h Jo bahot log ko bahot kuch pata nhi hota h or siriyal me dekhney layak he shoot krta h ki logo ko pasand aaye. Bt Jo Jo isk pichhey ghatna huii h wo SB aapko kisi ka racha huaa granth me mil jaega
*चन्द्रगुप्त मौर्य की गुरु भक्ति 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ बात उस समय की है, जब अखंड भारत की नीव रखी जा रही थी, और चन्द्रगुप्त मौर्य युद्ध में संघर्षरत था । तभी एक सर्प ने चन्द्रगुप्त मौर्य को डस लिया और वह मूर्छित हो भूमि पर गिर पड़ा । वह कोई साधारण सर्प नही था, उस सर्प का विष असाध्य था । सभी की अखंड भारत की आशा चन्द्रगुप्त पर ही टिकी थी, परन्तु चन्द्रगुप्त तो पल प्रति पल म्रत्यु की ओर बढ़ रहा था । जिसके सिर पर गुरु का हाथ हुआ करता है, उसका कोई भी अनहोनी कुछ नही बिगाड़ सकती । अनहोनी को होनी में और होनी को अनहोनी में बदलना पड़ता है । चन्द्रगुप्त भी पूर्ण शिष्य था, गुरु चाणक्य का । चन्द्रगुप्त म्रत्यु की ओर बढ़ते बढ़ते, अपने बाल्यकाल में पहुँच गया और उसने दूर पेड़ के नीचे अपना बाल स्वरूप देखा, जो प्याले में कुछ पी रहा था । यह देख युवक ने बालक चन्द्रगुप्त से पूछा कि- तुम यह क्या पी रहे हो । तो उसने कहा- मेरे गुरुदेव मुझे प्रतिदिन यह औषधि देते है, वही पी रहा हूँ । युवक चन्द्रगुप्त ने पूछा- तुमको कौन सा रोग है । तब बालक चन्द्रगुप्त कहता है कि - मै गुरुदेव से कोई भी प्रश्न नही करता, वह जो कहते है, वही मेरे लिए मान्य होता है। तब युवक चन्द्रगुप्त कहता है कि- मै तुम्हारी गुरु भक्त्ति पर प्रश्न नही उठा रहा, परन्तु यदि तुम गुरु आज्ञा का मम्र जान लोगे तो उस आज्ञा को भावना से निभा पाओगे । और यह सुन बालक चन्द्रगुप्त चल पड़े गुरुदेव के पास, और गुरुदेव से यही प्रश्न करते है कि- हे गुरुदेव-आप मुझे प्रतिदिन कौन सी ओषधि देते है । गुरुदेव कहते है कि- तुम्हारे शत्रु तुम्हे बल से हरा नही पायेगे, परन्तु छल से अवश्य हरा सकते है और उस छल का सबसे उत्तम साधन है- विष । कोई भी विष देकर तुमको मुझसे छीन लेगा । अत: मै ऐसी प्रत्येक सम्भावना को समाप्त कर देना चाहता हूँ । इस कारण मै तुमको प्रतिदिन मीठे शहद में बूंद बूंद कर विष पिला रहा हूँ, ताकि तुम्हारे शरीर में विष से लड़ने की शक्त्ति आ सके । और दूसरी और युवक चन्द्रगुप्त यह सार द्रश्य देखकर वापस से अपने शरीर में लौट गया और अचानक से चन्द्रगुप्त की चेतना लौटी । उसका ह्रदय पुन: गातिमय हो गया। और उठते ही चन्द्रगुप्त ने यही कहा- वर्षो से गुरुदेव मुझे जो ओषधि पिला रहे थे, उसका रहस्य मुझे आज पता चला और मेरे जीवन तो मेरे गुरुदेव ही है। इसी के साथ अखंड भारत की स्थापना हुई । इस कार्य में चन्द्रगुप्त की शक्त्ति थी, उसकी गुरु भक्त्ति । गुरु आज्ञा के प्रति उसका समर्पण । गुरुदेव जो भी कराते, जो भी खिलाते, वही बिना प्रश्न किये स्वीकार करना । गुरुदेव का प्रत्येक कर्म उत्तम । हे साधको! जिस प्रकार से चन्द्रगुप्त का सवालरहित समर्पण उसका रक्षा सूत्र बन पाया। उसी प्रकार से प्रत्येक शिष्य का समर्पण, उसकी बड़ी से बड़ी विपत्ति में भी रक्षा किया करता है । परन्तु शिष्य का यह समर्पण प्रश्नरहित होना चाहिये । अन्यथा, संशय की एक बूँद सब कुछ नष्ट की क्षमता रखा करती । 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️
सीता माता इन तीनों की संतान थी पहले ऋषि की फिर मंदोदरी की उसके बाद में प्रथ्वी माता की फिर राजा जनक की पुत्री जिसके 8 माता पिता हो वो कोई साधारण कन्न्या नहीं होगी वो कोई देवी कहीं अवतार होंगी माता लछमी जी का अवतार
फेक वीडियो बनाकर कुछ भी लिखने से अपने हिंदू धर्म की छवि खराब होती है पहले वेद पुराण को पढ़ो बाद में यूट्यूब पर डालो । केवल पैसों से काम करके अपने इतिहास को खराब मत करो। जिसको इतिहास मालूम है वह सब जानते हैं।
इन्हीं गलत जानकारियों को को देने के कारण तथा ईश्वर के बारे में गलत कमेंट देने के कारण प्रकृति नाराज है तथा कुरूना के रूप में ऐसे अधर्म अन्याय शशि प्रवृत्ति के लोगों का विनाश हो रहा
@@akshaykumarsahoo4128 दिव्याशा, जनक - पिता वसुंधरा - माता सीता - पुत्री माता पिता शारीरिक संबंध बनाते हैं। पिता अपने लिंग/ हल को माता के योनि/ खेत में प्रवेश कराता है जिसे उसे जोतना कहते हैं। उस वक्त पिता का वीर्य मां के गर्भाशय में चला जाता है। जब गर्भ रुक जाता है तो उसे हल का अटकना कहते हैं और सेक्स क्रिया रोक दिया जाता है। गर्भ ठहरने से मां का पेट फूलने लगता है और बढ़कर घड़े का रूप ले लेता है। समय के साथ जिस तरह अंडे से टूट कर चुजे निकल आते हैं वैसे ही बच्चा भी गर्भाशय से बाहर आ जाता है जिसे जन्म लेना या घड़ा फूटना कहते हैं। नारी का शरीर को प्रकृति, धरती, पृथा, वसुंधरा माना गया है। जिस तरह प्रकृति में हर वस्तु की उत्तपत्ति होती है उसी तरह मातृ गर्भ से लड़का या लड़की उत्तपन्न होते हैं और उनका नाम करन भी उसी आधार पर होता है।
@@akshaykumarsahoo4128 शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा, दाना पानी डालेगा, लोभ से उसमे फंसना नहीं महात्मा जी का तोता शायद अभी आप मेचुआर्ड नहीं हुवे हैं। आपको व्यावहारिक ज्ञान की जरूरत है।
Himachal ki Laholi Ramayan me Mata Sita ko Rawan ki beti bataya gya h. Sri Ram ne Sita se prem vivah kiya ....shadi se naaraj hone ke karan Rawan Sita ko jabran apne ghr le gya ....is wajh se Rawan Ram yudh hua... Bharat me bahut sari Ramayan rachi gyi...Satya kya h nhi pata🙏jai Shree Ram
R N g रावण दुनिया में महा पंडित है रावण शिव का सबसे बड़ा भक्त हैं , रावण सबसे बड़ा ज्ञानी है , रावण तीन लोक को जीता है , रावण नो गह को बंदी बानं लिए था ,
Nai Bilkul Nahi Ekdam nai Ye Bilkul ekdam Jhut h Bilkul Nai h ye sach Ekdam bhi Nai h sach Sita mata ko Janm Dharti Mata ne Diya tha Sita Mata Dharti maa Ki Beti
क्या आप नहीं जानते हैं कि मुंह द्वारा खाया पिया गया पदार्थ मलद्वार तथा पेशाब द्वार (डाइजेस्टिव सिस्टम) के द्वारा पचकर निकल जाता है जबकि बच्चा जनने का मार्ग (रीप्रोडक्टिव सिस्टम )अलग है। दूसरे को बेवकूफ क्यों बना रहे हैं?
आपकी वीडियो से टाइटल है कि रावण ने मांगा वरदान क्या अपनी पुत्री पर जब आ सकत hun तब उसकी मृत्यु हो किंतु उपरोक्त कहानी से कहीं से भी है पता नहीं लगता है कि सीता जी रावण की पुत्री थी मंदोदरी की पुत्री होना और बात है और रक्त भी ऋषि यों का था तो रावण की पुत्री कैसे हुई गलत इंफॉर्मेशन ना दें
Bhai,,,,,pasine se,,,,ghade se,,,hirni se,,,mard ke sir se,chest se ,jangho se,,pair se,,,badan ke maill se,bacche paida huy hai,,,,or ap ab bhi excuse ho,,kamal hai,,,
Ye Sanatan Dharma ke sath bahot shadyantra aur sajish ho rahi hai . Ye humare Bhagwanon ke baare main jhooti baatain faila rahe hai . Mujhe batao kaunsi Shri Ramayan ke kaunsi line aur konse shlok aur kaunse kand main aisa likha hai ki Bhagwan Shri Ram ki patni aur humari Mata Seeta ji ko Mandodari ji ne janma diya . Ye faltu ka jhoota pakhand band karo tum log@
Jai Sri Ram 🌹❤️❤️❤️❤
माता सीता की यह रोचक लोककथा आपका दिल जीत लेगी, धन के भंडार भर देगी...
इस कहानी को सीता माता कहती थी और श्रीराम
सुना करते थे। एक दिन श्रीराम भगवान को किसी काम के लिए बाहर जाना पड़ गया तो सीता माता कहने लगी कि भगवान मेरा तो बारह वर्ष का नितनेम (नित्य नियम) है। अब आप बाहर जाएंगे तो मैं अपनी कहानी किसे सुनाऊंगी? श्रीराम ने कहा कि तुम कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाना और वहां जो औरतें पानी भरने आएंगी उन्हें अपनी कहानी सुना देना।
सीता माता कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाती हैं। एक स्त्री आई उसने रेशम की जरी की साड़ी पहन रखी थी और सोने का घड़ा ले रखा था। सीता माता उसे देख कहती हैं कि बहन मेरा बारह वर्ष का नितनेम सुन लो। पर वह स्त्री बोली कि मैं तुम्हारा नितनेम सुनूंगीं तो मुझे घर जाने में देर हो जाएगी और मेरी सास मुझसे लड़ेगी। उसने कहानी नहीं सुनी और चली गई। उसकी रेशम जरी की साड़ी फट गई, सोने का घड़ा मिट्टी के घड़े में बदल गया।
सास ने देखा तो पूछा कि ये किस का दोष अपने सिर लेकर आ गई है? बहू ने कहा कि कुएं पर एक औरत बैठी थी उसने कहानी सुनने के लिए कहा लेकिन मैने सुनी नही जिसका यह फल मिला।
बहू की बात सुनकर अगले दिन वही साड़ी और घड़ा लेकर सास कुएं की पाल पर गई। सास को वहीं माता सीता बैठी मिलीं तो माता सीता ने कहा कि बहन मेरी कहानी सुन लीजिए... सास बोली कि एक बार छोड़, मैं तो चार बार कहानी सुन लूंगी... .
राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए
नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम
तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम
दूध बताशा पियो राम,सूत के पलका मोठो राम
शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम
जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारें सब के काम
खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे
श्री राम जय राम जय-जय राम
सास बोली कि बहन कहानी तो बहुत अच्छी लगी। कहानी सुनकर सास घर चली गई और उसकी साड़ी फिर से रेशम जरी की बन गई। मिट्टी का घड़ा फिर सोने के घड़े में बदल गया। बहू कहने लगी सासू मां, आपने ये सब कैसे किया? सास ने कहा कि बहू तू दोष लगा के आई थी और मैं अब दोष उतारकर आ रही हूं. . . बहू ने फिर पूछा कि वह कुएं वाली स्त्री कौन है? सास बोली कि वे सीता माता थीं... वे पुराने से नया कर देती हैं, खाली घर में भंडार भर देती हैं, वह लक्ष्मी जी का वास घर में कर देती हैं, आदमी की जो भी इच्छा हो उसे पूरा कर देती हैं.... बहू बोली कि ऎसी कहानी मुझे भी सुना दो.... सास बोली कि ठीक है तुम भी सुनो और सास ने कहानी शुरु की...
राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए
नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम
तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम
दूध बताशा पियो राम,सूत के पलका मोठो राम
शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम
जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारें सब के काम
खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे
श्री राम जय राम जय-जय राम
कहानी सुनकर बहू बोली कि कहानी तो बहुत अच्छी है.. .. सास ने कहा कि ठीक है इस कहानी को रोज कहा करेगें। अब सास-बहू रोज सवेरे उठती, नहाती-धोती और पूजा करने के बाद नितनेम की सीता की कहानी कहती। एक दिन उनके यहां एक पड़ोस की औरत आई और बोली कि बहन जरा सी आंच देना तो वह बोली कि आंच तो अभी हमने जलाई ही नहीं।
पड़ोसन ने कहा कि तुम सुबह चार बजे से उठकर क्या कर रही हो फिर? उन्होंने कहा कि सुबह उठकर हम पूजा करते हैं फिर सीता माता की नितनेम की कहानी कहते हैं।
पड़ोसन ने उनकी बात सुनकर फिर कहा कि सीता माता की कहानी कहने से तुम्हें क्या मिला? वे बोली कि इनकी कहानी कहने से घर में भंडार भर जाते हैं। सारे काम सिद्ध होते हैं, मन की इच्छा भी पूरी होती है। पड़ोसन कहती है कि बहन ऎसी कहानी तो मुझे भी सुना दो फिर। वह बोली कि ठीक है तुम भी यह कहानी सुन लो...
राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए
नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम ……………..
सारी कहानी सुनने के बाद पड़ोसन कहने लगी बहन कहानी तो मुझे बहुत अच्छी लगी। अब वह पड़ोसन भी नितनेम सीता माता की कहानी कहने लगी। कहानी कहने से सीता माता ने पड़ोसन के भी भंडार भर दिए। अब तो पूरे मोहल्ले में नितनेम की कथा चल पड़ी.. हर किसी की मनोकामना पूरी होने लगी...
हे सीता माता ! जैसे आपने उनके भंडार भरे, वैसे ही आप हमारे भी भंडार भरना। कहानी सुनने वाले के भी और कहानी कहने वाले के भी।
उत्तरप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में आज भी यह कथा सीता जयंती पर चाव से सुनाई जाती है।
जितनें मुख उतनीं ही बाते,
सीता की मां कौन थी इसपर बहस करनां बेकार है, सीता के आचरण पर मां बहिनों बेटियों को चलने के लिए प्रेरित करो तो कल्याणकारी होगा,
Dusro ko prerit karne se pehle pehle khud Ram to banke dikhao jaha SAB duryodhan bhare pare hain wahan koi sita banegi ye sochna kaha tak Sahi hai...
"पहले एक अभिषेक, फिर हमारी मानवीय व्यक्तिगत इच्छा का समर्पण और अधीनता, फिर उसका एक महान दिव्य या महानतम सर्वोच्च इच्छा में विलय कर्मयोग के इरादे का केंद्रीय रहस्य और मूल है।"
--श्री ओरोबिंदो
जब इंसान गूढ़ रहस्यों की चाल चलता है तो भगवान् भी रहस्यों के खिलाड़ी हैं
सीता माता धरती माँ की बेटी है
सीता जी की मां वसुंधरा है पिता जनक है।
Ravan ki ladki h
Dharti ki beti beta to humsab hai use common sense.... Think logically....
Ramayan ak aisa chiz h Jo bahot log ko bahot kuch pata nhi hota h or siriyal me dekhney layak he shoot krta h ki logo ko pasand aaye. Bt Jo Jo isk pichhey ghatna huii h wo SB aapko kisi ka racha huaa granth me mil jaega
Kya matlab hai tumhara... Clearly bolo
Rakt se garbha ho jata hai.
Duniya ki sabse mahan katha.
Wah kya baat hai.......?
*चन्द्रगुप्त मौर्य की गुरु भक्ति
〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️
बात उस समय की है, जब अखंड भारत की नीव रखी जा रही थी,
और चन्द्रगुप्त मौर्य युद्ध में संघर्षरत था ।
तभी एक सर्प ने चन्द्रगुप्त मौर्य को डस लिया और वह मूर्छित हो भूमि पर गिर पड़ा ।
वह कोई साधारण सर्प नही था, उस सर्प का विष असाध्य था ।
सभी की अखंड भारत की आशा चन्द्रगुप्त पर ही टिकी थी,
परन्तु चन्द्रगुप्त तो पल प्रति पल म्रत्यु की ओर बढ़ रहा था ।
जिसके सिर पर गुरु का हाथ हुआ करता है,
उसका कोई भी अनहोनी कुछ नही बिगाड़ सकती ।
अनहोनी को होनी में और होनी को अनहोनी में बदलना पड़ता है ।
चन्द्रगुप्त भी पूर्ण शिष्य था, गुरु चाणक्य का ।
चन्द्रगुप्त म्रत्यु की ओर बढ़ते बढ़ते, अपने बाल्यकाल में पहुँच गया और उसने दूर पेड़ के नीचे अपना बाल स्वरूप देखा,
जो प्याले में कुछ पी रहा था ।
यह देख युवक ने बालक चन्द्रगुप्त से पूछा कि- तुम यह क्या पी रहे हो ।
तो उसने कहा- मेरे गुरुदेव मुझे प्रतिदिन यह औषधि देते है,
वही पी रहा हूँ ।
युवक चन्द्रगुप्त ने पूछा- तुमको कौन सा रोग है ।
तब बालक चन्द्रगुप्त कहता है कि - मै गुरुदेव से कोई भी प्रश्न नही करता, वह जो कहते है, वही मेरे लिए मान्य होता है।
तब युवक चन्द्रगुप्त कहता है कि- मै तुम्हारी गुरु भक्त्ति पर प्रश्न नही उठा रहा,
परन्तु यदि तुम गुरु आज्ञा का मम्र जान लोगे तो उस आज्ञा को भावना से निभा पाओगे ।
और यह सुन बालक चन्द्रगुप्त चल पड़े गुरुदेव के पास,
और गुरुदेव से यही प्रश्न करते है कि- हे गुरुदेव-आप मुझे प्रतिदिन कौन सी ओषधि देते है ।
गुरुदेव कहते है कि- तुम्हारे शत्रु तुम्हे बल से हरा नही पायेगे, परन्तु छल से अवश्य हरा सकते है और उस छल का सबसे उत्तम साधन है- विष ।
कोई भी विष देकर तुमको मुझसे छीन लेगा ।
अत: मै ऐसी प्रत्येक सम्भावना को समाप्त कर देना चाहता हूँ ।
इस कारण मै तुमको प्रतिदिन मीठे शहद में बूंद बूंद कर विष पिला रहा हूँ, ताकि तुम्हारे शरीर में विष से लड़ने की शक्त्ति आ सके ।
और दूसरी और युवक चन्द्रगुप्त यह सार द्रश्य देखकर वापस से अपने शरीर में लौट गया और अचानक से चन्द्रगुप्त की चेतना लौटी ।
उसका ह्रदय पुन: गातिमय हो गया। और उठते ही चन्द्रगुप्त ने यही कहा- वर्षो से गुरुदेव मुझे जो ओषधि पिला रहे थे,
उसका रहस्य मुझे आज पता चला और मेरे जीवन तो मेरे गुरुदेव ही है।
इसी के साथ अखंड भारत की स्थापना हुई ।
इस कार्य में चन्द्रगुप्त की शक्त्ति थी, उसकी गुरु भक्त्ति ।
गुरु आज्ञा के प्रति उसका समर्पण ।
गुरुदेव जो भी कराते, जो भी खिलाते, वही बिना प्रश्न किये स्वीकार करना । गुरुदेव का प्रत्येक कर्म उत्तम ।
हे साधको! जिस प्रकार से चन्द्रगुप्त का सवालरहित समर्पण उसका रक्षा सूत्र बन पाया। उसी प्रकार से प्रत्येक शिष्य का समर्पण,
उसकी बड़ी से बड़ी विपत्ति में भी रक्षा किया करता है ।
परन्तु शिष्य का यह समर्पण प्रश्नरहित होना चाहिये ।
अन्यथा, संशय की एक बूँद सब कुछ नष्ट की क्षमता रखा करती ।
〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️
सीता माता इन तीनों की संतान थी पहले ऋषि की फिर मंदोदरी की उसके बाद में प्रथ्वी माता की फिर राजा जनक की पुत्री जिसके 8 माता पिता हो वो कोई साधारण कन्न्या नहीं होगी वो कोई देवी कहीं अवतार होंगी माता लछमी जी का अवतार
Tumari bat par 😀😃😃😃😄😄
फेक वीडियो बनाकर कुछ भी लिखने से अपने हिंदू धर्म की छवि खराब होती है पहले वेद पुराण को पढ़ो बाद में यूट्यूब पर डालो । केवल पैसों से काम करके अपने इतिहास को खराब मत करो। जिसको इतिहास मालूम है वह सब जानते हैं।
इन्हीं गलत जानकारियों को को देने के कारण तथा ईश्वर के बारे में गलत कमेंट देने के कारण प्रकृति नाराज है तथा कुरूना के रूप में ऐसे अधर्म अन्याय शशि प्रवृत्ति के लोगों का विनाश हो रहा
Shi kaha
Galat jankari nhi he ye... Ye Adbhuta Ramayana me likha hai... Jo ki valmiki ji ne hi likhi hai...
Ye galat nhi h,, Sara baat sahe h. Mainey v suni h ye kahani or janti v hu
सीता राजा जनक और रानी वसुंधरा की बेटी है।
@@akshaykumarsahoo4128
दिव्याशा,
जनक - पिता
वसुंधरा - माता
सीता - पुत्री
माता पिता शारीरिक संबंध बनाते हैं।
पिता अपने लिंग/ हल को माता के योनि/ खेत में प्रवेश कराता है जिसे उसे जोतना कहते हैं। उस वक्त पिता का वीर्य मां के गर्भाशय में चला जाता है।
जब गर्भ रुक जाता है तो उसे हल का अटकना कहते हैं और सेक्स क्रिया रोक दिया जाता है। गर्भ ठहरने से मां का पेट फूलने लगता है और बढ़कर घड़े का रूप ले लेता है। समय के साथ जिस तरह अंडे से टूट कर चुजे निकल आते हैं वैसे ही बच्चा भी गर्भाशय से बाहर आ जाता है जिसे जन्म लेना या घड़ा फूटना कहते हैं।
नारी का शरीर को प्रकृति, धरती, पृथा, वसुंधरा माना गया है।
जिस तरह प्रकृति में हर वस्तु की उत्तपत्ति होती है उसी तरह मातृ गर्भ से लड़का या लड़की उत्तपन्न होते हैं और उनका नाम करन भी उसी आधार पर होता है।
@@gohanmahto8186 kucha samj nahi aya
@@akshaykumarsahoo4128
शिकारी आएगा, जाल बिछाएगा,
दाना पानी डालेगा,
लोभ से उसमे फंसना नहीं
महात्मा जी का तोता
शायद अभी आप मेचुआर्ड नहीं हुवे हैं।
आपको व्यावहारिक ज्ञान की जरूरत है।
Han You are Right Sahi h but But Unhone Sita Mata ko Pala h , Sita Mata Dharti Mata ki Beti h Dharti maa Ne Unko Janm diya h
@@krishnamukhi3085
हर व्यक्ति की मां ही धरती है, पृथ्वी, प्रीथा, वसुंधरा है।
जिन जिन ने पला उन सबकी बो तो अब नाम की हैं
*Haaa right..💯💯*
*Humare jain shastro ke anusar bhi ye hi kaha jata h ki Sita.. Ravan ki putri thi....*
Himachal ki Laholi Ramayan me Mata Sita ko Rawan ki beti bataya gya h.
Sri Ram ne Sita se prem vivah kiya ....shadi se naaraj hone ke karan Rawan Sita ko jabran apne ghr le gya ....is wajh se Rawan Ram yudh hua...
Bharat me bahut sari Ramayan rachi gyi...Satya kya h nhi pata🙏jai Shree Ram
यह एक अच्छी कहानी रची गई है
Jay Ram Shri Ram Sita Ram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गंलत बात बिल्कुल बर्दाश्त नहीं है समझा सोच लो
बाबर का भी हिस्ट्री बताओं ना😤😤
Seeta maa ki maa dharti hain unohne unko janam diya
जय लंकेशवर
Questions
Ediotic
R N g रावण दुनिया में महा पंडित है रावण शिव का सबसे बड़ा भक्त हैं , रावण सबसे बड़ा ज्ञानी है , रावण तीन लोक को जीता है , रावण नो गह को बंदी बानं लिए था ,
जय लंकेश रावण महाराज कि जय हो 🙏🙏🙏🙏🙏
Jai Siya Ram Jii 🙏🙏🙏🙏🙏
रावणाच्या लंकेमधील मारुतीना किती मंदिर पाडले होते एवढा प्रश्न उत्तर सांगा
Jai Shri Ram
Jai Shri Ram moral education Rekha P
Nai Bilkul Nahi Ekdam nai Ye Bilkul ekdam Jhut h Bilkul Nai h ye sach Ekdam bhi Nai h sach
Sita mata ko Janm Dharti Mata ne Diya tha Sita Mata Dharti maa Ki Beti
Please Jhuti Chizen mat Falayiye
Kahan se Dekh Ya Read karke aap dikha rahe ho
ऐसे लोगों की बातों को ना सुने, देखे। यह लोग बेकार, नासमझ, मूर्ख और पागल है।
सीता राम
Good morning
Duniya mein gadho ki kami nahi
Sach me yaar
Sita mata Dharti Mata ki Beti Dharti Maa ne unko Janm diya h
क्या आप नहीं जानते हैं कि मुंह द्वारा खाया पिया गया पदार्थ मलद्वार तथा पेशाब द्वार (डाइजेस्टिव सिस्टम) के द्वारा पचकर निकल जाता है जबकि बच्चा जनने का मार्ग (रीप्रोडक्टिव सिस्टम )अलग है।
दूसरे को बेवकूफ क्यों बना रहे हैं?
Sahi kaha
Kon likes krte hai aase logo ko jinko itni bhi smj nhi hai ki sita maa dharti maa ki beti thi same on u who made this video saram karo kuch 😡😡😡
आपकी वीडियो से टाइटल है कि रावण ने मांगा वरदान क्या अपनी पुत्री पर जब आ सकत hun तब उसकी मृत्यु हो किंतु उपरोक्त कहानी से कहीं से भी है पता नहीं लगता है कि सीता जी रावण की पुत्री थी मंदोदरी की पुत्री होना और बात है और रक्त भी ऋषि यों का था तो रावण की पुत्री कैसे हुई गलत इंफॉर्मेशन ना दें
Ye bilkul Sach nai h Ekdam bhi nai
Sita Mata Dharti Mata ki Beti Dharti Maa ne Unka Janm diya tha
@@krishnamukhi3085 aaààààaàaàaaààaààà
q11
वाह वाह खून पीने से गर्भ रुक गया और इस जमाने मे बहुत सी महिला है जो संभोग करने के बाद भी बच्चे नही हो पा रहे है
Yahi to sabd hamne bhi pakade hei
U
Bhai,,,,,pasine se,,,,ghade se,,,hirni se,,,mard ke sir se,chest se ,jangho se,,pair se,,,badan ke maill se,bacche paida huy hai,,,,or ap ab bhi excuse ho,,kamal hai,,,
नवजात शिशु बॉक्स में जमीन के अंदर कैसे जीवित रह सकता हैं,
Jai shree ram 🙏
पहले ये बताईए कि किसी बच्चे को जन्म लेने के तुरन्त बाद बॉक्स में रख कर जमीन में गाड़ देंगे तो वो कितने दिनों तक जीवित रहेगा?
Tell me?
Gadahe
Gadhe likhne wale ko bola
जय जय राम
Aap sahi nahi bata rahe ho kuchh to sahi hai aur bahut kuchh galt bata rahe ho
shii baat h ye.....
My
Write
Best story 👍 nice story
Ye maine bachpanme kahani suni thi....
🙏
Ye bilkul saty hai
Ok
Thik
हमारे ग्रंथों का मजाक क्यों बना रहे है आप हिंदुवो की तरह रहिए
Konse Granth me lika hai batana . MATLAB Bhagwan ke Naam pe kuch bhi chal raha hai . Iwant prof
Right
Adbhut ramayana
जय श्री राम
Yah sb fake hai dosto
History se khilwaad mat karo 🙏
Ant samay jahan se gayi thi wahi unki mata h jeyda bhatkne ki jarurt ni h
Kitna jhuthi Kahani banaoge Lakshmi Mata ki Avtar Thi Sita aur tum Kahate Ho Mandodari Ne Janm Diya Chirkut Kahin Ka
ઘામિઁક કાયઁ માં વપરાતા આભુશણ ને વેશભુશ .
Om namh shivay
Please provide proof in writing...
Right
Right yaar correct
@@rohinbarot4470 yes
This is really really really really means really a VERY Very very means Very Wrong Information
Hd hoti h.. Rishta dekh kya bnta h.... Kuch bhi bna dete ho nazron m. Ane k liye
You are right
Yeah sach batt h
Langka me mandodari rehti thi orr sita paye geyi thi Bhagat me. .
Ye Sanatan Dharma ke sath bahot shadyantra aur sajish ho rahi hai . Ye humare Bhagwanon ke baare main jhooti baatain faila rahe hai . Mujhe batao kaunsi Shri Ramayan ke kaunsi line aur konse shlok aur kaunse kand main aisa likha hai ki Bhagwan Shri Ram ki patni aur humari Mata Seeta ji ko Mandodari ji ne janma diya . Ye faltu ka jhoota pakhand band karo tum log@
Tum log kya ab nayi Ramayan likhoge
Koi bharosa nhi h in log ka
Aapko nahi pata hai... Yah kahani sach hai
Jhoot y kaise possible h
इंपॉसिबल है दूसरे को बेवकूफ बना रहे हैं
Aapna UA-cam channel band krle wase bhi glt hi info de rha hai duniya ko glt pat para rha hai
Agar dharm ki baat tumhen nahin aati to tum log yah baat kaise kar sakte ho pita Mata rishi muni ki khoon se utpann dharti se janm
Free
Jay Shree ram
kul mila kar ravan braman tha isliye usne koi apradh nhi kiya hai.
its true but clear tell which religion book
Sach hai ye maine pehle bhi ye suna hai
Har har mahadev
Ye kath aapne kon se granth se payi he kripya bataye
ye mujhe pta hai
Ye sits mats siesi ki putri thi
Abe kuchh bhi 🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔🤔
Galat khabar kyo phaila rahe ho
Hindu dharm ko badnam kar rahe ho
Mujhe to pehle hi pata tha ki sita ravan ki beti h
यह झूठ हैं
No no😁no
Jai siya ram🙏🙏🙏🙏🙏
8
गलत बोल रहा है तू
लाइक और सब्सक्राइब और सही लोगों को किया जाता है तुम जैसे लोगों को नहीं जो शास्त्रों का नाम बेकार कर रहे हो
Shyam murari
Mandodari ki beti thi
1to to
Haan
Nahi bilkul nai ekdam nai
GALAT JAANKAARI NA FAILAYE
jai siya Ram
Had h khuch bi likhte h soch samaz kr hading likha kro ok
Jnk
Om
To Ramayan me ye sab dikhaya kyo nhi ?
Kyuki wo ramayan hai jo ki ram ji upar hai sita ji par nhi
Aur yai baat abhi tak sidh nhi hai
Sab ko yhi pta hai ki sita ji bhumi mai se nikli hai aur janak ki naai unko pala hai
@@unnatiagarwal5663 to kya samjhe ki sita out of context h ?
@@unnatiagarwal5663 yes!
I think this is not true
This is not clear truth... But it's mentioned in Adbhuta Ramayana... Written by Valmiki ji
Sat risiyo ke Khun uatpan hui thi
Are you made
Ulti galatfemiyaan kyun felate ho
Apna channel chalane ke chakkar mein kuch bhi
Wrong
Are bebkuf Ma Sita Surya putri thi Ravan ka kal
Hume wrong history teach ki jati hai
Ram rakshsh kull se sambandh hai
जौर
Raven ko bramh Dev nhi blki bolenath ne vardan Diya tha apne glt Bata diya