Om shanti didu❤...I'll wait for ur next live class ....but aapke aane tk m previous classes with clear understanding jrur complete krti rhungi....Actually i am addicted ur live class also but its ok sis❤❤❤thnx baba thnx my sweet and lovely Di❤❤😊😊😊😊
Dipti Jain all sharings classes of beyond sound will really help you Rini didi part with baba address all your questions in every class in different ways I take notes too
पांच ततव नहीं होते सीरफ एक ततव परकास ह - ओर परकास का बदलने से पांच ततव बनता ह - अपने बाबा ने सीरफ यह समजाया (या समझाया ) ह - व दूनीया के समज से पांच ततव कहलाते हं--- हं नहीं---
अपने बाबा ओर आतमा के पहचान में अंतर--- अपने बाबा दवारा अपने बाबानूसार- एक फरीसते के माधयम से साकार में सहयोग--- अपने बाबा एक हं--- व आतमा अनेक होते हं--- यह अंतर हम भगतीमारग में भी कह देते हं--- अपने बाबा ने अंतर यह समजाया ह अपने बाबा के बचचे अब जीवनमूकती का अनूभव करते हं--- सीरफ अपने बाबा के समजाने के बाद- परकास के बदले हूए इस रूप सरीर के रहते--- व बेहद मीठे संगमयूग पर बेहद सवरग के अनूभव रहना--- यह अनूभव नीराकार आतमाएं- पहले सतयूगी 9 लाख या अब के एक एक 9 लाख फरीसते संसार-1 ---- अब यहां अनुभव करते हं--- अपने बाबा के याद दीलाने के बाद--- यह कीसी भी नीराकार आतमा को पहले पता नहीं था--- यदी आतमा बाबा समान पहले ही ह--- तब यह अंतर अपने बाबा ने हमें नहीं समजाना था- यदी अपने बाबा में व हमारे में अंतर ही नहीं ह - व सभी आतमाएं समान हं--- तब सीरफ सतयूग के पहले 9 लाख आतमा का अभीनय सतयूग के सूरू से उचीत नहीं--- अपने बाबा ने समानता का अंतर आतमा के एक समान संसकारों से व उन संसकारोंनूसार अभीनय से समजाया ह--- या सभी आतमाएं समान होने पर- पहले कम आतमाओं का अभीनय व बाद में अधीक आतमाओं का अभीनय नहीं हो सकता--- अपने बाबा ने सामानता व असमानता का अंतर आतमा में भरे हूए अभीनय या पारटनूसार कहा ह --- उसके अंदर जो अभीनय ह--- वही गून व अवगून अपने बाबा ने कहा ह --- आतमा के देखने से कोइ समानता या असमानता का अंतर अपने बाबा समजाने नहीं आए हं--- आतमा के अंदर भरे हूए अभीनय को याद दीलाने आए हं--- अपने बाबा नीराकार आतमा रूप में सदा रहते हं--- ओरों को नीराकार आतमा रूप में--- सथीत करने के लीए संगमयूग पर हं--4901के एक तारीख से-5000 या दूनयावी समय-1936 से-2036 तक- 100 वरस हं--- लेकीन आतमा कभी भी बेहद मीठे संगमयूग के याद से अलग अभीनय होने पर--- न अब व न कभी बाद में--- नीराकार आतमा रूप में असल सथीती के याद में--- नहीं रहता--- यह अभीनय या पारट भी अपने बाबा ने याद दीलाया ह के अपने बाबा याद व भूल के अभीनय में---या लेप सेप (या छेप) मे नहीं आते--- लेकीन आतमा पर- लेप सेप लगता ह - यह अपने बाबा ने समजाया ह - हमें पता नहीं था--- अपने बाबा व आतमा में कोइ अंतर नहीं तब यह अंतर ह या नहीं--- यह नीरनय हमें अपने आप करना ह - यह अभीनय या पारट भी अपने बाबा ने समजाया ह - अपने आप हमें पता नहीं था- एक ह--- नीराकार आतमा रूप या सवरूप याद आना--- वह भी कीसी अपने दूसरे के याद दीलाने पर- ओर एक ह - अपने आप याद में ह - व दूसरों को सीरफ याद दीलाता ह --- यदी यह अंतर नहीं ह - तब सभी आतमाएं अपने बाबा हो गए--- सभी परमातमा हो गए--- आतमा कोइ नहीं रहा- या बचचे अधीक नहीं हूए अरथात 7 अरब से अधीक आतमाएं नहीं--- सभी अपने बाबा या एक परमातमापीता हो गए - वयवहार रूप में---व सतय रूप मे--- यदी यह अंतर नहीं ह - तब यह मीठे एकरस नीरनय हमें अपने आप करना ह - अपने बाबा ने समज उचीत नहींं दीया या हमने न उचीत को उचीत बना दीया ह - कूछ समजा या नहीं---
अपने बाबा ओर आतमा के पहचान में अंतर--- अपने बाबा दवारा अपने बाबानूसार- एक फरीसते के माधयम से साकार में सहयोग--- अपने बाबा एक हं--- व आतमा अनेक होते हं--- यह अंतर हम भगतीमारग में भी कह देते हं--- अपने बाबा ने अंतर यह समजाया ह अपने बाबा के बचचे अब जीवनमूकती का अनूभव करते हं--- सीरफ अपने बाबा के समजाने के बाद- परकास के बदले हूए इस रूप सरीर के रहते--- व बेहद मीठे संगमयूग पर बेहद सवरग के अनूभव रहना--- यह अनूभव नीराकार आतमाएं- पहले सतयूगी 9 लाख या अब के एक एक 9 लाख फरीसते संसार-1 ---- अब यहां अनुभव करते हं--- अपने बाबा के याद दीलाने के बाद--- यह कीसी भी नीराकार आतमा को पहले पता नहीं था--- यदी आतमा बाबा समान पहले ही ह--- तब यह अंतर अपने बाबा ने हमें नहीं समजाना था- यदी अपने बाबा में व हमारे में अंतर ही नहीं ह - व सभी आतमाएं समान हं--- तब सीरफ सतयूग के पहले 9 लाख आतमा का अभीनय सतयूग के सूरू से उचीत नहीं--- अपने बाबा ने समानता का अंतर आतमा के एक समान संसकारों से व उन संसकारोंनूसार अभीनय से समजाया ह--- या सभी आतमाएं समान होने पर- पहले कम आतमाओं का अभीनय व बाद में अधीक आतमाओं का अभीनय नहीं हो सकता--- अपने बाबा ने सामानता व असमानता का अंतर आतमा में भरे हूए अभीनय या पारटनूसार कहा ह --- उसके अंदर जो अभीनय ह--- वही गून व अवगून अपने बाबा ने कहा ह --- आतमा के देखने से कोइ समानता या असमानता का अंतर अपने बाबा समजाने नहीं आए हं--- आतमा के अंदर भरे हूए अभीनय को याद दीलाने आए हं--- अपने बाबा नीराकार आतमा रूप में सदा रहते हं--- ओरों को नीराकार आतमा रूप में--- सथीत करने के लीए संगमयूग पर हं--4901के एक तारीख से-5000 या दूनयावी समय-1936 से-2036 तक- 100 वरस हं--- लेकीन आतमा कभी भी बेहद मीठे संगमयूग के याद से अलग अभीनय होने पर--- न अब व न कभी बाद में--- नीराकार आतमा रूप में असल सथीती के याद में--- नहीं रहता--- यह अभीनय या पारट भी अपने बाबा ने याद दीलाया ह के अपने बाबा याद व भूल के अभीनय में---या लेप सेप (या छेप) मे नहीं आते--- लेकीन आतमा पर- लेप सेप लगता ह - यह अपने बाबा ने समजाया ह - हमें पता नहीं था--- अपने बाबा व आतमा में कोइ अंतर नहीं तब यह अंतर ह या नहीं--- यह नीरनय हमें अपने आप करना ह - यह अभीनय या पारट भी अपने बाबा ने समजाया ह - अपने आप हमें पता नहीं था- एक ह--- नीराकार आतमा रूप या सवरूप याद आना--- वह भी कीसी अपने दूसरे के याद दीलाने पर- ओर एक ह - अपने आप याद में ह - व दूसरों को सीरफ याद दीलाता ह --- यदी यह अंतर नहीं ह - तब सभी आतमाएं अपने बाबा हो गए--- सभी परमातमा हो गए--- आतमा कोइ नहीं रहा- या बचचे अधीक नहीं हूए अरथात 7 अरब से अधीक आतमाएं नहीं--- सभी अपने बाबा या एक परमातमापीता हो गए - वयवहार रूप में---व सतय रूप मे--- यदी यह अंतर नहीं ह - तब यह मीठे एकरस नीरनय हमें अपने आप करना ह - अपने बाबा ने समज उचीत नहींं दीया या हमने न उचीत को उचीत बना दीया ह - कूछ समजा या नहीं-- अपने बेहद मीठे एकरस नीराकार एक बाबा ने- अपने बाबानूसार इस एक फरीसते के माधयम से कीसी भी सबद या पंकती पर कोइ लाइन नहीं लगाइ ह -
Om shanti didu❤...I'll wait for ur next live class ....but aapke aane tk m previous classes with clear understanding jrur complete krti rhungi....Actually i am addicted ur live class also but its ok sis❤❤❤thnx baba thnx my sweet and lovely Di❤❤😊😊😊😊
Dipti Jain all sharings classes of beyond sound will really help you Rini didi part with baba address all your questions in every class in different ways I take notes too
Thank you Sister..
जीवन बदलने वाली क्लास हैये😮❤❤❤
Wonderful session. Thanks angel
Thank u baba,didi...tnx
Om Shanti didi wonderful class
Om shanti ji wonderful class ❤❤🎉🎉🎉
Beautiful profound sharings.
Om shanti Baba ❤
Om Shanti ❤
|| ओम शान्ति || 🌹🆗✔️🙏🌹👌👌❣️🥰👍😔💖
Om Shanti Baba and didi 🙏 ❤🎉
Om Shanti didi
Please join this group 🙏
Om Shanti
Link for joining the classes is closed till December
We will share once it's open
Thank you
❤
🙏🙏🙏🙏🎉🎉🎉👌👌🥰
Esme aavaj nahi aa rahi hai didi
है toh sis voice
पांच ततव नहीं होते सीरफ एक ततव परकास ह - ओर परकास का बदलने से पांच ततव बनता ह - अपने बाबा ने सीरफ यह समजाया (या समझाया ) ह - व दूनीया के समज से पांच ततव कहलाते हं--- हं नहीं---
अपने बाबा ओर आतमा के पहचान में अंतर---
अपने बाबा दवारा अपने बाबानूसार- एक फरीसते के माधयम से साकार में सहयोग---
अपने बाबा एक हं--- व आतमा अनेक होते हं--- यह अंतर हम भगतीमारग में भी कह देते हं---
अपने बाबा ने अंतर यह समजाया ह अपने बाबा के बचचे अब जीवनमूकती का अनूभव करते हं--- सीरफ अपने बाबा के समजाने के बाद- परकास के बदले हूए इस रूप सरीर के रहते---
व बेहद मीठे संगमयूग पर बेहद सवरग के अनूभव रहना--- यह अनूभव नीराकार आतमाएं- पहले सतयूगी 9 लाख या अब के एक एक 9 लाख फरीसते संसार-1 ---- अब यहां अनुभव करते हं--- अपने बाबा के याद दीलाने के बाद---
यह कीसी भी नीराकार आतमा को पहले पता नहीं था--- यदी आतमा बाबा समान पहले ही ह--- तब यह अंतर अपने बाबा ने हमें नहीं समजाना था-
यदी अपने बाबा में व हमारे में अंतर ही नहीं ह - व सभी आतमाएं समान हं--- तब सीरफ सतयूग के पहले 9 लाख आतमा का अभीनय सतयूग के सूरू से उचीत नहीं---
अपने बाबा ने समानता का अंतर आतमा के एक समान संसकारों से व उन संसकारोंनूसार अभीनय से समजाया ह---
या सभी आतमाएं समान होने पर- पहले कम आतमाओं का अभीनय व बाद में अधीक आतमाओं का अभीनय नहीं हो सकता---
अपने बाबा ने सामानता व असमानता का अंतर आतमा में भरे हूए अभीनय या पारटनूसार कहा ह --- उसके अंदर जो अभीनय ह--- वही गून व अवगून अपने बाबा ने कहा ह ---
आतमा के देखने से कोइ समानता या असमानता का अंतर अपने बाबा समजाने नहीं आए हं--- आतमा के अंदर भरे हूए अभीनय को याद दीलाने आए हं---
अपने बाबा नीराकार आतमा रूप में सदा रहते हं--- ओरों को नीराकार आतमा रूप में--- सथीत करने के लीए संगमयूग पर हं--4901के एक तारीख से-5000 या दूनयावी समय-1936 से-2036 तक- 100 वरस हं---
लेकीन आतमा कभी भी बेहद मीठे संगमयूग के याद से अलग अभीनय होने पर--- न अब व न कभी बाद में--- नीराकार आतमा रूप में असल सथीती के याद में--- नहीं रहता---
यह अभीनय या पारट भी अपने बाबा ने याद दीलाया ह के अपने बाबा याद व भूल के अभीनय में---या लेप सेप (या छेप) मे नहीं आते--- लेकीन आतमा पर- लेप सेप लगता ह - यह अपने बाबा ने समजाया ह - हमें पता नहीं था---
अपने बाबा व आतमा में कोइ अंतर नहीं तब यह अंतर ह या नहीं--- यह नीरनय हमें अपने आप करना ह -
यह अभीनय या पारट भी अपने बाबा ने समजाया ह - अपने आप हमें पता नहीं था-
एक ह--- नीराकार आतमा रूप या सवरूप याद आना--- वह भी कीसी अपने दूसरे के याद दीलाने पर- ओर एक ह - अपने आप याद में ह - व दूसरों को सीरफ याद दीलाता ह ---
यदी यह अंतर नहीं ह - तब सभी आतमाएं अपने बाबा हो गए--- सभी परमातमा हो गए--- आतमा कोइ नहीं रहा- या बचचे अधीक नहीं हूए अरथात 7 अरब से अधीक आतमाएं नहीं--- सभी अपने बाबा या एक परमातमापीता हो गए - वयवहार रूप में---व सतय रूप मे--- यदी यह अंतर नहीं ह -
तब यह मीठे एकरस नीरनय हमें अपने आप करना ह - अपने बाबा ने समज उचीत नहींं दीया या हमने न उचीत को उचीत बना दीया ह -
कूछ समजा या नहीं---
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अपने बाबा ओर आतमा के पहचान में अंतर---
अपने बाबा दवारा अपने बाबानूसार- एक फरीसते के माधयम से साकार में सहयोग---
अपने बाबा एक हं--- व आतमा अनेक होते हं--- यह अंतर हम भगतीमारग में भी कह देते हं---
अपने बाबा ने अंतर यह समजाया ह अपने बाबा के बचचे अब जीवनमूकती का अनूभव करते हं--- सीरफ अपने बाबा के समजाने के बाद- परकास के बदले हूए इस रूप सरीर के रहते---
व बेहद मीठे संगमयूग पर बेहद सवरग के अनूभव रहना--- यह अनूभव नीराकार आतमाएं- पहले सतयूगी 9 लाख या अब के एक एक 9 लाख फरीसते संसार-1 ---- अब यहां अनुभव करते हं--- अपने बाबा के याद दीलाने के बाद---
यह कीसी भी नीराकार आतमा को पहले पता नहीं था--- यदी आतमा बाबा समान पहले ही ह--- तब यह अंतर अपने बाबा ने हमें नहीं समजाना था-
यदी अपने बाबा में व हमारे में अंतर ही नहीं ह - व सभी आतमाएं समान हं--- तब सीरफ सतयूग के पहले 9 लाख आतमा का अभीनय सतयूग के सूरू से उचीत नहीं---
अपने बाबा ने समानता का अंतर आतमा के एक समान संसकारों से व उन संसकारोंनूसार अभीनय से समजाया ह---
या सभी आतमाएं समान होने पर- पहले कम आतमाओं का अभीनय व बाद में अधीक आतमाओं का अभीनय नहीं हो सकता---
अपने बाबा ने सामानता व असमानता का अंतर आतमा में भरे हूए अभीनय या पारटनूसार कहा ह --- उसके अंदर जो अभीनय ह--- वही गून व अवगून अपने बाबा ने कहा ह ---
आतमा के देखने से कोइ समानता या असमानता का अंतर अपने बाबा समजाने नहीं आए हं--- आतमा के अंदर भरे हूए अभीनय को याद दीलाने आए हं---
अपने बाबा नीराकार आतमा रूप में सदा रहते हं--- ओरों को नीराकार आतमा रूप में--- सथीत करने के लीए संगमयूग पर हं--4901के एक तारीख से-5000 या दूनयावी समय-1936 से-2036 तक- 100 वरस हं---
लेकीन आतमा कभी भी बेहद मीठे संगमयूग के याद से अलग अभीनय होने पर--- न अब व न कभी बाद में--- नीराकार आतमा रूप में असल सथीती के याद में--- नहीं रहता---
यह अभीनय या पारट भी अपने बाबा ने याद दीलाया ह के अपने बाबा याद व भूल के अभीनय में---या लेप सेप (या छेप) मे नहीं आते--- लेकीन आतमा पर- लेप सेप लगता ह - यह अपने बाबा ने समजाया ह - हमें पता नहीं था---
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यह अभीनय या पारट भी अपने बाबा ने समजाया ह - अपने आप हमें पता नहीं था-
एक ह--- नीराकार आतमा रूप या सवरूप याद आना--- वह भी कीसी अपने दूसरे के याद दीलाने पर- ओर एक ह - अपने आप याद में ह - व दूसरों को सीरफ याद दीलाता ह ---
यदी यह अंतर नहीं ह - तब सभी आतमाएं अपने बाबा हो गए--- सभी परमातमा हो गए--- आतमा कोइ नहीं रहा- या बचचे अधीक नहीं हूए अरथात 7 अरब से अधीक आतमाएं नहीं--- सभी अपने बाबा या एक परमातमापीता हो गए - वयवहार रूप में---व सतय रूप मे--- यदी यह अंतर नहीं ह -
तब यह मीठे एकरस नीरनय हमें अपने आप करना ह - अपने बाबा ने समज उचीत नहींं दीया या हमने न उचीत को उचीत बना दीया ह -
कूछ समजा या नहीं--
अपने बेहद मीठे एकरस नीराकार एक बाबा ने- अपने बाबानूसार इस एक फरीसते के माधयम से कीसी भी सबद या पंकती पर कोइ लाइन नहीं लगाइ ह -