जीवन जीने का पूरा रहस्य
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- Опубліковано 27 жов 2024
- जीवन जीने का पूरा रहस्य #jivan jine ka pura rahashy खड़ा बाजार में, लिए लुकाठी हाथकबीर के इस दोहे ने जैसे वैराग्य को साकार रूप प्रदान कर दिया है। वास्तविक वैराग्य क्या होता है? अनेक लोग पूछते हैं जानना चाहते हैं, वैराग्यपूर्ण आचरण अपनाना चाहते हैं। उन सभी के प्रति कबीर दास जी का यह दोहा है कि वास्तविक वैराग कैसा होना चाहिये।
इसके साथ ही कबीर दास जी अपने वास्तविक वैरागी स्वरूप को भी जगत को दिखा रहे हैं कि वे किसी के साथ नहीं है। कबीरा खड़ा बजार में- बाजार ऐसा स्थान जहाँ कोई किसी का नहीं होता, संसार का वास्तविक नंगा रूप, जहाँ केवल स्वार्थ का बोलबाला है । ऐसे स्थान पर कबीरदास जी खडे है और साख में है- एक लकुटिया। सूखी लकुटिया जिस पर कोई शाखा-प्रशाखा नहीं, हरियाली नहीं, मोह-ममता का निशान नहीं।
सम्पूर्ण वैराग मानो आकारभूत हो गया हो नेत्रों के सामने।
और किसका आवाह्न कर रहे हैं ?
जो घर फूके आपना..वह जो अपना घर फूँकने को तैयार है...घर फूँकना यानी सर्वस्व त्याग। घर फँकने के बाद बचता क्या है...राख। जिसे कोई पलट कर भी नहीं देखता।
तो जो अपना सब कुछ त्याग करने को तैयार है वही..केवल वही हमारे साथ चले।
अद्भुत हैं संत कबीरदास जी...इतनी खरी-खरी बात...केवल एक भगवत्प्राप्त संत ही कह हसकता है जिसके जीवन का एक ही उद्देश्य है- जीवों को कल्याण का मार्ग दिखाना।
उनके जीवन में जिस सादगी और पवित्रता के दर्शन होते हैं वह अतुलनीय, दुर्लभ हैकबीरा खड़ा बाज़ार में, लिए लुकाठी हाथ जो घर फूंके आपनौ, चले हमारे साथ. कबीर दास के इस दोहे का अर्थ है कि जो अपने हाथों से अपना घर जलाने को तैयार हैं, यानी जो अपने अहंकार को खत्म करने के लिए तैयार हैं, वही परमार्थ के रास्ते पर आगे बढ़ सकते हैं.
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मानवता के पुजारी सदगुण सम्पन्न वैराग्य वान क्रांति कारी ओजस्वी तेजस्वी मेरे परम पूज्य गुरु देव जी की पावन चरनों में कोटि कोटि प्रणाम
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