पावागढ़ कालिका माता मंदिर | पावागढ़ का मंदिर | पावागढ़ वाली माँ | गुजरात | 4K | दर्शन 🙏
Вставка
- Опубліковано 6 гру 2023
- जय माता दी, हमारे कार्यक्रम दर्शन में आप सबका हार्दिक अभिनंदन. भक्तों, यूं तो माँ शक्ति के देश में बहुत से मंदिर हैं परंतु आज हम आपको माता के जिस सुंदर एवं दिव्य मंदिर के दर्शन करवाने जा रहे हैं वहां पहुंचकर ऐसा प्रतीत होता है कि हम किसी दिव्य लोक में हैं क्योंकि यहाँ पर चारों ओर का दृश्य अत्यंत लुभावना और मनमोहक है यहां सुगंधित पवन के साथ दिव्य ऊर्जा का संचरण भी होता रहता है, तो आइये दर्शन करते हैं इस पवित्र सिद्ध शक्तिपीठ पावागढ़ काली मंदिर के.
यह मंदिर गुजरात के पंच महल जिले में स्थित मां काली को समर्पित मंदिर है इस मंदिर का इतिहास हज़ारो वर्ष पुराना है, ये गुजरात के सबसे प्राचीन मंदिरो में से एक है.
मंदिर से सम्बंधित इतिहास के अनुसार - जब दक्ष प्रजापति ने यज्ञ का आयोजन किया तो दक्ष ने महादेव भोलेनाथ को यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया परंतु माता सती ने महादेव भोले नाथ से दक्ष प्रजापति के यज्ञ में जाने का अनुरोध किया... भोलेनाथ ने देवी सती को बिना आमंत्रण के यग्य में न जाने के लिए बहुत समझाया पर माता सती कुछ भी मानने को तैयार न थी और भोलेनाथ की इच्छा के विरुद्ध भी मां सती दक्ष प्रजापति अर्थात अपने पिता दक्ष के यज्ञ में पहुंच गई, वहां पर सती को आया देखकर दक्ष प्रजापति ने सभी देवी देवताओं के सामने भगवान शिव की निंदा और अवहेलना प्रारंभ की भगवान शिव की इस प्रकार निंदा सुनकर माता सती क्रोधित हो गई. क्रोध और आवेश में मां सती ने यग्य में स्वयं की आहुति दे दी, जब महादेव भोलेनाथ को यह ज्ञात हुआ तो उन्होंने अपने गण वीरभद्र को सेना के सहित दक्ष प्रजापति का यज्ञ खंडित करने का आदेश दिया वीरभद्र ने दक्ष प्रजापति के यज्ञ का खंडन कर सभी को नष्ट कर दिया भोलेनाथ महादेव ने देवी सती को यज्ञ कुंड से निकालकर और उनके जले हुए शरीर को लेकर तांडव करना प्रारंभ कर दिया इसे देखकर सृष्टि में हाहाकार मच गया तब भोलेनाथ को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के टुकड़े कर दिए और ये सभी अंग, उनके वस्त्र एवं आभूषण जिन जिन स्थानों पर गिरे वहां पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई. इस प्रकार से मुख्य रूप से 51 शक्तिपीठों की स्थापना हुई.
यहां पावागढ़ में मां शक्ति के दाहिने पैर का पंजा गिरा था अतः इसलिए इस स्थान को पावागढ़ कहते हैं यहां पर मां शक्ति की दक्षिणमुखी माँ काली के रूप में उपासना की जाती है अतः इस मंदिर को पावागढ़ कालिका मंदिर के नाम से जाना जाता है. यहां पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं मां काली पूर्ण करती हैं. यहां नवरात्रि में संकीर्तन, यज्ञ तथा विशेष पूजा जैसे बहुत ही भव्य आयोजन होते हैं. नवरात्रि में यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है.
ये मंदिर एक दिव्य ऊर्जा से परिपूर्ण है मंदिर में प्रवेश के साथ ही एक अलौकिक ऊर्जा की अनुभूति होती है मां शक्ति की यह दिव्य ऊर्जा ही है जो हमें आशीर्वाद के रूप में अनुभव होती है मंदिर की शिल्प कला, परिसर बहुत ही सुन्दर और विशाल है , मंदिर के सौंदर्य का वर्णन वाणी से नहीं किया जा सकता, गर्भ ग्रह में मां काली के दर्शन कर, मन अति प्रसन्न हो जाता है, मंदिर के गर्भ गृह में माँ शक्ति के तीन रूपों की पूजा होती है बीच में माँ कालिका है दायी ओर माँ काली बायीं ओर माँ बहुचारा देवी है, मंदिर में महाकाली की एक बहुत ही विशाल और सुन्दर मूर्ति अलग से भी है. माँ की सवारी शेर की प्रतिमा भी मंदिर में स्थापित की गई है, भक्तजन माँ के वाहन सिंह को मक्के का भोग लगाते हैं।
यह मंदिर लगभग 800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण मंदिर में जाने के लिए दो मार्ग हैं एक सीढ़ियों से तथा दूसरा उड़न खटोले अर्थात रोप वे मार्ग. रोपवे से जाने वाले भक्तों के लिए यहां रेट दर लिखा है आप अपनी सुविधा के अनुसार रोपवे या सीढ़ियों के मार्ग से मंदिर के दर्शन कर सकते हैं सीढ़ि मार्ग से आपको लगभग 1800 सीढ़ियां चढ़कर जाना होता है जिसमें लगभग 45 मिनट का समय लगेगा, 1500 सीढ़ियां ऊपर चढ़ने पर मंदिर का प्रथम प्रवेश द्वारा आता है यहीं पर रोपवे मार्ग भी भक्तों को छोड़ देता है. इसके आगे की 300 सीढ़ियां चढ़कर ही सभी को मुख्य मंदिर में दर्शन करने होते हैं
आगे चढ़ते चढ़ते मंदिर का दूसरा प्रवेश द्वार दिखाई देता है यहां से नीचे और चारो ओर से घिरे पहाड़ियों का दृश्य बहुत ही सुंदर एवं मनमोहक प्रतीत होता है थोड़ी और सीढ़ियां चढ़ने पर सामने मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार दिखाई देता है जिसमें प्रवेश के पश्चात सीधे मंदिर के दर्शन होते हैं।
मुग़ल काल में मंदिर को खंडित किया गया था जिससे मंदिर की ध्वजा तोड़ दी गई थी पिछले लगभग 500 वर्षो से मंदिर के शिखर पर ध्वजा नहीं थी परन्तु अब पुनः हमारे देश के प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मंदिर के शिखर पर ध्वजा की पुनः स्थापना कराई है और आज मंदिर के शिखर पर फिर से ध्वजा लहरा रही है।
मंदिर में प्रातः कालीन आरती का समय 6:00 बजे है तथा सांय कालीन आरती 7:30 बजे होती है सांय कालीन आरती में भक्तों की बहुत अधिक भीड़ होती है सभी भक्तजन माता की आरती बड़ी ही श्रद्धा के साथ करते हैं।
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि तिलक किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
#devotional #mandir #pavgadhkalikamata #mata #shaktipeeth #hinduism - Фільми й анімація
JAY mataji 🌸🌹🙏🌺
Jai mata di ❤❤
❤❤❤जय श्री राम सियाराम 🙏🌹🙏
Jay Jay Mata Di
🙏🕉️🌼🌺 आदी माया आदी शक्ती नमः 🌺🌼🕉️🙏
जय महाकाली माँ
Jay Mataje 🙏
Jay shree mahakali maa 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jai mata di 🙏🔱🙏🔱🙏🔱🙏🔱🔱💀🔱🔱
Jay man Kali Mata Ki
Shree makali maa ki jay
जय माता दी
Jay Shri Ram
Se Shambhu Nath Parvati Mata Ganesh Bhagwan Vishnu Bhagwan Lakshmi Mata Brahma ji Saraswati Mata
Har Har mahadev
Jai maa adi shakti 🚩
🌹🙏🌹 #जय_मां_काली 🌹🙏🌹
Jai Mata di
❤
❤❤❤❤❤❤❤
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏👣👣👣👣👣
Thank you very much
Jai maa bhadra Kali 🔱🌺🔱
I see 👣👣👣🙏🙏🙏a game anymore
Mehandipur Balaji Shani Dev Guru Ji
पावागढ़ के राजा पतई रावल चौहान महाकाली मां के परम भक्त थे...
उनके इतिहास को विकृत किया गया था....
Jay.maa.ji.aapko.pranam.karti.hu
जय महाकाली माँ