तर्ज- ऐ जाते हुए लम्हों, ज़रा ठहरो, ज़रा ठहरो मैं भी तो चलता हूँ, ज़रा उनसे मिलता हूं रणजीत राज

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  • Опубліковано 15 вер 2024

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