❤❤❤❤ Yes Definitely Dear Sir yeah Bilkul 100% honaa hi chaahiye. Every year ITR bhi fill kaarana hi chaahiye. Judges are too employees not employer. They get all facilities from our Nation Tax Payers Money. So these judges 👨⚖️ must not be spared.
पूर्व CJI श्री रंजन गोगोई ने ठीक ही कहा था कि कोर्ट फिक्सरों के कब्जे में है ! ऐसा भी लगता है कुछ जज पीछे के रास्ते या अंडर टेबल माल कूटते हैं ! किसी भी जज को भारत की एजेंसियों के खिलाफ टिप्पणियाँ करने का कतई अधिकार नहीं है ! जजों का चयन काॅलेजियम सिस्टम करना बंद होना चाहिए
So many cases where Manu & Kapil are taking undue advantage from SC, objectivity of Registrar in forwarding cases to benches is under strong objection, Gogoi Sir has rightly pointed out the malaise in judiciary
चलो सुप्रीम कोर्ट की बात सही मान लेते हैं कि सीबीआई तोता है लेकिन फिर पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई का यह कथन भी तो सत्य मानना होगा कि सुप्रीम कोर्ट फिक्सरों के कब्जे में है। आपने तथ्यों के साथ बहुत सटीक विश्लेषण किया है।
यह कालेजियम सिस्टम की देन है, अपनी अकल का हैजा टपकाते है और यंह दर्शाते हैं कि देखो हम सबसे ज्यादा श्रेष्ठ जज है।इनका सही इलाज आवश्यक है, अन्यथा ये देश को बर्बादी के द्बार पर खड़ा कर खिसक जायेंगे।
🎉कोर्ट ने केजरीवाल को इस बात पर बेल दी है कि अरेस्ट की टाइमिंग गलत है। कोर्ट अपराध के हिसाब से सुनवाई करती है। आजकल सुप्रीम कोर्ट के जज के निर्णय विचित्र है। सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्णय पर मंथन करना आवश्यक है।
आपने बहुत शानदार विश्लेषण किया है मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने क्लियर कट जजमेंट ना देकर के सभी लोगों को उलझाने की कोशिश की है जो की पब्लिक की निगाह में उचित नहीं है यह जो जजमेंट दिया गया है सुप्रीम कोर्ट के द्वारा वह अनुमान पर आधारित ही प्रतीत होता है इस तरह से निर्णय याद सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए जाएंगे तो सुप्रीम कोर्ट से जनता का विश्वास उठ जाएगा
हाल के दिनों में न्यायाधीश राजनीति से प्रेरित दिखने लगे हैं। न्यायालय की तो अवमानना हो जाती है क्या कार्यपालिका और विधायिका की अवमानना नही होती? क्या जजों को इसके लिए सजा नही होनी चाहिए। क्या उनके पास इसे साबित करने के लिए कोई सबूत हैं?
Supreme court of India have no right to comment on the working of CBI or any other government agency. They should improve their working. 80,000 plus cases are pending, make unbiased judgements, follow law. Judges should declare their assets. Appointment of judges should be through competition. They are acting as an agent of two lawyers
कानूनतो एक ही है और उसके अनुपालन करवाने वाले भी।पर अलग अलग व्यक्ति अपने अपने विचारानुसार अलग अलग फैसलावदेते हैं यानि अपनी इच्छा व्यक्त करते हैं।गजबे का सिस्टम है ये तो।
आपका विचार बिल्कुल सही है। केजरीवाल जी केज में है। लेकिन आपने उनके जेल से बाहर आते ही दिये स्टेटमेंट “ मेरी ताक़त अब १०० गुनी बड़ गई हैं” पर ग़ौर नहीं किया। आजकल नेता कुछ भी कर सकते है कुर्सी के लिए।
बहुत बौद्धिक एवं तार्किक विश्लेषण. जजेज की बेलगाम बोली आज न्याय प्रणाली के लिए एक बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा कर रहा है कि क्या अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजेज को भी कोर्ट चलाने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है?????
!!Excellent Analysis!! Thanks!! आप ने एकदम सही कहा है। सभी Democratic Government में हर विभाग चुनी हुई सरकार के अधीन होते हैं। पुलिस विभाग भी। प बंगाल में पुलिस ममता के इशारे पर काम करती है और सामान्य जनता उसकी आलोचक हो जाती है। हर सरकारी विभाग मुख्य मंत्री/ प्रधान मंत्री और संबंधित विभाग के मंत्री के तोता होता है।
सुप्रीम कोर्ट के जज जो उपदेश देते हैं उस उपदेश को अपने फैसले में लिखते क्यों नहीं जब लिखते नहीं तो उपदेश देते क्यों हैं जो उपदेश फैसले मे.ना लिखा जाय उस उपदेश का महत्व शून्य है ।
आपके लाजवाब विष्लेषण के लिए धन्यवाद। क्या न्यायालय केजरीवाल के दिन प्रतिदिन के बयानों का विष्लेषण करेगा शायद नहीं। हमें न्यायाधिकारियों के निर्देश पर भरोसा नहीं है।
❤Yah Desh prajatantra ke liye hai hi nahin यहां तो पिछवाड़े में एक नियमित अंतराल मेंठुकाई होती रहनी चाहिए, क्या नेहरू के अथवा इंदिरा के जमाने पर न्याय व्यवस्था या सरकारी एजेंसियां स्वतंत्र थी नियम कानून को दरकिनार कर/तोड़कर अपने चहेतों को कुर्सी पर बैठाया गया और अपना स्वार्थ सिद्ध किया गया😮😮
दोषी कौन? सिस्टम ? न्यायालय ? एजेंसी? सरकार? वैसे तो नीचे के 2 से 4 तक सभी सिस्टम / तंत्र के भाग है। अब अगर किसी राजनैतिक व्यक्ति का मामला होगा तो राजनीति तो होगी। पक्ष विपक्ष किसी भी बात को अपनी तरह से कहेगा या उछालेगा। प्रश्न यह है कि कोर्ट रूम में राजनीति क्यों,CBI तो 2012 में भी तोता थी और आज भी है। प्रश्न यह भी है कि जब कानून सबके लिए एक समान है। आरोपी के लिए,एजेंसी के लिए,निचली अदालतों के लिए ,और निर्णय सुनाने वाले न्यायमूर्तियों के लिए। तब दो वरिष्ठ न्यायमूर्तिगण एक ही मुद्दे पर अलग अलग बात कैसे कह सकते है। यह कोई संवैधानिक या विवादित मसला भी नहीं है ,यह कोई ऐसा मुद्दा भी नही है ,जिस पर उच्चतम न्यायालय को कोई सुधार करना हो। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कोर्ट रूम से राजनीति की गंध आती है। आप उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायमूर्ति की बेंच द्वारा लगाई गई शर्तों पर भी टिप्पणी कर रहे हो। यह कौन सा कानून है ,जो एक जमानत के निर्णय पर भी उच्चतम न्यायालय के दो अनुभवी न्यायमूर्तियों को भी एक मत नहीं रख पाता। वैसे तो किसी मुद्दे पर दो जजों की बेंच एकमत नही होती है तब मसला बड़ी बेंच को जाता है। या तो निम्न अदालतें और जहाँ पर न्यायाधीश बनने वाले व्यक्ति एक कठिन परीक्षा देकर आते है ,वे कानून को सही से समझ नही पाते है या उच्च न्यायालय के कुछ प्रतिशत न्यायमूर्ति जो निचली अदालतों से प्रमोशन पर आते है,वे कानून को सही से इंटरप्रेट नही कर पाते है। खेर बाकी लोग तो राजनीतिज्ञों द्वारा नियुक्त होते है। जमानत व्यक्ति का अधिकार है और जेल अपवाद यह सिद्धांत आम नागरिक की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए है। यह विचारणीय है कि कितने आम नागरिकों को इस सिद्धांत का लाभ मिलता है ? हाँ यह तय है राजनीतिज्ञों को और प्रभावशाली लोगों को तो इसका लाभ मिलता है। वैसे तो कोर्ट ने यह तो नही कहा कि आप दोषमुक्त हो, कह भी नही सकती वो इसलिए कि प्रचलित विवाद में 400 के लगभग गवाह है, हज़ारों पेजों के दस्तावेज है, कई इलेक्ट्रॉनिक सबूत है। इनको कोर्ट को अध्ययन करना होगा। एजेंसी में जो अधिकारी है या कोर्ट में जो जज है उनका भी ट्रांसफर होता है। कुछ रिटायर हो जाते है , कई बार ऐसा होता है कि कई कई वर्षों तक गवाह के बयान भी नही हो पाते है। तब इस तरह के मुद्दों पर किसी व्यक्ति के जीवनकाल में निर्णय आता है कि भी नहीं इसकी कोई ग्यारेन्टी नही है हाँ तब तक व्यक्ति केवल आरोपी है अपराधी नहीं लेकिन वह जमानत पर है।
सभी लोग अपने-अपने तरीके से संविधान बचाने में लगे हैं । क्या इस सब के बावजूद केजरीवाल जी को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में संबोधित कर सकते हैं ?? इस विषय पर भी दिशा निर्देश दिया जाना चाहिए था ।
Supreme court bhi pinjde mein hi hai. Usko direction bade aur nami advocates se milta hai ki faisle ki disha kya honi chahiye aur judges bhi ussi hissab se fix kiye jate hain. CBI ED ko demoralize isiliye kiya jata hai ki kahin judges bhi investigation ke dayre mein na aa jayein
सरदाना जी आपने विस्तार से उच्चतम न्यायालय के केजरीवाल की अंतरिम जमानत के आदेश को समझाया, केजरीवाल ही पिंजरे में हैं,और रहनें भी चाहिए जब तक दोषी या दोषमुक्त ना हों 😊
CBI ने 22 महीने बाद arrest किया, फिर कुछ महीने investigation किया, interrogation किया और कोर्ट में chargesheet भी file कर दी... अब देखना यह होगा कि हमारी आदरणीय न्याय व्यवस्था कितने समय में इस केस को पूरा करके अपना निर्णय देती है... और केजरीवाल को तो अब बेशर्मी छोड़कर के resign कर देना चाहिए... सिर्फ अपने Ego के नाम पर "मैं मुख्यमंत्री हूँ" कहने की ख़ातिर CM बने रहने का कोई अर्थ नहीं है...
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय जनता को बाध्य करते हैं कि जनता इस बात के लिए रात दिन सुप्रीम कोर्ट को बुरा भला कहे कि सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्णय bhrastacharion के पक्षधर हैं l
कोर्ट दोनों, पक्षों का समाधान नहीं कर सकता, लेकिन समाज को न्यायसंस्था की जरूरत भी उतनी ही है, बड़ा हो छोटा हो, आखिरकार न्याय के लिए न्याय संस्था के पास जाना ही पड़ता है__ आज की स्थिति देखकर न्याय कराने वालों ने भी अनावश्यक टिप्पणी से बचना चाहिए ___
इस टिप्पणी के पिछे न्यायाधीश महोदय ने अपनी नियुक्त के ऐहसान को लेकर कांग्रेस पार्टी को पहले केश में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का काट दिया है ताकि कांग्रेस पार्टी को सिबीआई के दुरुपयोग पर सवाल पूछने पर विराम लगाने की काट दिया है बहुत बड़ी साज़िश है
Shri Vijay, Sir Ji : Apparently, the Gist of your Excellent Analysis and Presentation, and the vital questions raised by you for all concerned is = ‘Chor Jhanji, Chor Manjhi, Chor Vyavan Aye, Shekar hai us Khuda da, Jis nay CHORAN noo Chor Milaye - Chor Kay bhai Girah cut and that is in curable misfortune of our BharatVarsh and the Janata.- COMPLIMENTS to you for raising vital questions, thouhdoubtful IF anyone would answer and resolve these! 👍👍👏👏👏👏👏👍👍🙌🙌
केजरीवाल ने तो जेल से निकलते ही मोदी जी पर आरोप लगा दिए।इससे पहले संजय और सिसोदिया भी ऐसा कर चुके हैं और ऐसा कर रहे हैं।सुको की इस शर्त की कोई वैल्यू नहीं है।इसलिए या तो सुको को केजरीवाल एंड पार्टी पर सख्ती करें या फिर अपनी इस शर्त को वापस ले ले और ऐसी शर्त लगाना बंद करे,जिसका अपराधी मज़ाक़ उड़ाते हों।
Thanks for convincing analysis .The government must take up case relentlessly with the SC ,moment Krjri violates the mandatory conditions for grant of bail to Accused Kejriwal.
क्या उन जजों पर मानहानि का मामला दर्ज कर उन्हें कठघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता कि सीबीआई या अन्य संवैधानिक संस्थाओं पर बिना कोई आधार अनावश्यक टिप्पणी क्यों किया गया, क्योंकि भ्रष्टाचार तो हुआ है और ऐसी टिप्पणी उसके समर्थन में प्रतीत होती है।
सीबीआई पिंजरे का टोटा है तो सुप्रीम कोर्ट और जज किसके तोते हैं और उनके पिंजरे में क्यों बैठे हैं सीबीआई और और एड पर कोई टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है सुप्रीम कोर्ट को ही बंद कर देना चाहिए
Kejariwal will fat amount of salary. Kejariwal will live In Shishmahal. Kejariwal will get VIP treatment. Kejariwal will get security. Still he can earn a lot of money as usual, how can you stop it. It is enough for him. he will enjoy all power without power. This man has nothing to do for Delhi, he is only power hungry.
केजरीवाल पहले बोलता था, मोदीजी और एल जी मेरे को काम नहीं करने देते...अब केजरीवाल को जरूर बोलना चाहिए कि यह कोर्ट कोन होता है जो मेरे को काम नहीं करने देता है, मैं दिल्ली का राजा हूं।😂
केस एक ही है। गवाह भी वही है।वकील भी वही। तो कोर्ट ने सिसोदिया को डेढ़ साल में जमानत दी और मास्टरमाइंड केजरीवाल को 100 दिन में। इसलिए इसको अंधा कानून कहते है।
जो व्यक्ति अपने बच्चों की कसम खाकर पलट जाए । जो चोरी चोरी शीशमहल बनवाले । जो दिन रात झूठ झूठ और सिर्फ झूठ बोलता है । उस पर कोर्ट ने कैसे विश्वास कर लिया कि जो सर्ते कोर्ट ने लगाई हे वो ये व्यक्ति शर्तों का पालन करेगा । भूल कर भी क्या सपने में भी इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ऑफ कांटेक्ट का केश निश्चित होना है।
सुप्रीम कोर्ट को आत्म चिंतन करना चाहिए की पिंजरे में केकड़ी वाल है या सीबीआई।देश का मानना है की पिंजरे में केकड़ी वाल है।
कोठा बिका हुवा है मोटे पैसे मिलते है
इन जजों की सम्पत्ति की जांच होनी चाहिए। सेवानिवृत्त होने पर सभी सुविधाएं वापस ले लेनी चाहिए।
❤❤❤❤ Yes Definitely Dear Sir yeah Bilkul 100% honaa hi chaahiye. Every year ITR bhi fill kaarana hi chaahiye. Judges are too employees not employer. They get all facilities from our Nation Tax Payers Money. So these judges 👨⚖️ must not be spared.
जब देश का सर्वोच्च न्यायालय ऐसी भाषा का इस्तेमाल करते है तो उस देश काभविष्य क्या होगा अगर भारत की जनता जागरुक नही होगी तो देश का क्या होगा। धन्यवाद
पूर्व CJI श्री रंजन गोगोई ने ठीक ही कहा था कि कोर्ट फिक्सरों के कब्जे में है !
ऐसा भी लगता है कुछ जज पीछे के रास्ते या अंडर टेबल माल कूटते हैं !
किसी भी जज को भारत की एजेंसियों के खिलाफ टिप्पणियाँ करने का कतई अधिकार नहीं है !
जजों का चयन काॅलेजियम सिस्टम करना बंद होना चाहिए
Bilkul sahi
Kejuddin is anti Hindu and anti Bharat. He is pro Muslims and pro Khalistani.Sanatani Hindus must beware from this international Lampat.
So many cases where Manu & Kapil are taking undue advantage from SC, objectivity of Registrar in forwarding cases to benches is under strong objection, Gogoi Sir has rightly pointed out the malaise in judiciary
Ye khud hi fix ho gaya tha, mahila ke chakkar me
चलो सुप्रीम कोर्ट की बात सही मान लेते हैं कि सीबीआई तोता है लेकिन फिर पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई का यह कथन भी तो सत्य मानना होगा कि सुप्रीम कोर्ट फिक्सरों के कब्जे में है।
आपने तथ्यों के साथ बहुत सटीक विश्लेषण किया है।
यह कालेजियम सिस्टम की देन है, अपनी अकल का हैजा टपकाते है और यंह दर्शाते हैं कि देखो हम सबसे ज्यादा श्रेष्ठ जज है।इनका सही इलाज आवश्यक है, अन्यथा ये देश को बर्बादी के द्बार पर खड़ा कर खिसक जायेंगे।
🎉कोर्ट ने केजरीवाल को इस बात पर बेल दी है कि अरेस्ट की टाइमिंग गलत है। कोर्ट अपराध के हिसाब से सुनवाई करती है। आजकल सुप्रीम कोर्ट के जज के निर्णय विचित्र है। सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्णय पर मंथन करना आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट का अपने बेल देने के आधार और टाईमिंग पर क्या कहना है।
हम मान लेते है CBI सरकार का तोता है लेकिन प्रश्न तो ये भी है कि स्व् घोषित परिवारवादी न्यायाधीश किसके इशारे पर तोते की तरह निर्णय करते है।
ए सोरोस नंदन,अंकल सैम के तोते और डिब्बल-गंधवी के नाजायज औलाद हैं।
Judge Sahib eyes parriot in CBI, I see JATAYU in CBI. ED recovered 1 lakh crores+ from criminals. Mridul Hari
Sir yah super court bik chuka hai. Aj desh ko modi ne 5th no per laya hai aur sup. Cout 50 me bhi nahi aa rahi. Yahi karan hai.
ये तो सिब्बल और सिंघवी के आगे मदारी के बंदर की तरह नाच रहे हैं?
@@RajbirSinghYadav-jg9kwkuch bhi.. 😅
पिंजरे मे जनता है.
खुजलीवाल बाहर लेकिन दिल्ली का मालिक अन्दर
कितनी बेशर्मी की बात है
ऐसी जमानत से तो जेल भली
आपने बहुत शानदार विश्लेषण किया है मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने क्लियर कट जजमेंट ना देकर के सभी लोगों को उलझाने की कोशिश की है जो की पब्लिक की निगाह में उचित नहीं है यह जो जजमेंट दिया गया है सुप्रीम कोर्ट के द्वारा वह अनुमान पर आधारित ही प्रतीत होता है इस तरह से निर्णय याद सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए जाएंगे तो सुप्रीम कोर्ट से जनता का विश्वास उठ जाएगा
हाल के दिनों में न्यायाधीश राजनीति से प्रेरित दिखने लगे हैं। न्यायालय की तो अवमानना हो जाती है क्या कार्यपालिका और विधायिका की अवमानना नही होती? क्या जजों को इसके लिए सजा नही होनी चाहिए। क्या उनके पास इसे साबित करने के लिए कोई सबूत हैं?
Supreme court of India have no right to comment on the working of CBI or any other government agency. They should improve their working. 80,000 plus cases are pending, make unbiased judgements, follow law. Judges should declare their assets. Appointment of judges should be through competition. They are acting as an agent of two lawyers
They are agents of a few lawyers.
इटालियन कांग्रेस के मनु सिंघवी और सुप्रीम कोर्ट के बीच किस प्रकार का संबंध है है जो आम आदमी को न्याय दिलाने में असफल।😢😢😢😢😢
पिंजरे में तो हमारी न्याय व्यवस्था बैठी है,।
Abhishek manu sanghvi ke isharon par nachne vali randiyon ka Supreme kotha us par baat karna bekar he
कानूनतो एक ही है और उसके अनुपालन करवाने वाले भी।पर अलग अलग व्यक्ति अपने अपने विचारानुसार अलग अलग फैसलावदेते हैं यानि अपनी इच्छा व्यक्त करते हैं।गजबे का सिस्टम है ये तो।
केजरीवाल अब हर रोज कानून का majak karega. ED और सीबीआय त्वरित trial सुरु करे, क्यों की जलदी दुध का दुध और पाणी का पाणी हो.
Excellent reporting
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी अत्यंत अनावश्यक थी ।
आपका विचार बिल्कुल सही है। केजरीवाल जी केज में है। लेकिन आपने उनके जेल से बाहर आते ही दिये स्टेटमेंट “ मेरी ताक़त अब १०० गुनी बड़ गई हैं” पर ग़ौर नहीं किया। आजकल नेता कुछ भी कर सकते है कुर्सी के लिए।
बहुत बौद्धिक एवं तार्किक विश्लेषण. जजेज की बेलगाम बोली आज न्याय प्रणाली के लिए एक बहुत बड़ा प्रश्न खड़ा कर रहा है कि क्या अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जजेज को भी कोर्ट चलाने के लिए ट्रेनिंग की जरूरत है?????
बहुत सुंदर विष्लेषण प्रस्तुति दी गई है। कोर्ट को गाइडलाइन देनी चाहिए कि सीबीआई ऐसे अरेस्ट कर सकती है।
SC के महामहिम को ही CBI का डायरेक्टर बन जाना चाहिए l
Excellent sir judiciary has gone bunk wokeist
!!Excellent Analysis!! Thanks!!
आप ने एकदम सही कहा है। सभी Democratic Government में हर विभाग चुनी हुई सरकार के अधीन होते हैं। पुलिस विभाग भी। प बंगाल में पुलिस ममता के इशारे पर काम करती है और सामान्य जनता उसकी आलोचक हो जाती है।
हर सरकारी विभाग मुख्य मंत्री/ प्रधान मंत्री और संबंधित विभाग के मंत्री के तोता होता है।
Supreme Court में परिवार वाद की परंपरा को तुरंत देशहित में समाप्त kiya जाना चाहिये नहीं तो देश फिर से गुलाम हो जाएगा
बहुत सुंदर विश्लेषण।
बेह्तरीन विशलेषण ❤❤❤❤❤
हमे लग रहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगा देंगे कि मुझे कार्य में बाधा हो रही हैं लिहाजा लगाई गई शर्तों को हटाया जाए।
सु कोर्ट को बाध्य किया जाय कि वह जो भी टिप्पणी करता है उसे अपने आदेश में लिखे।
सुन्दर विश्लेषण
सुप्रीम कोर्ट और केजरी और इसके वकीलये दोनो मिलकर सविधान कानून की ऐसी तेसी कर दिये है
सटीक विश्लेषण। सहमत।
Very good thanks
Vijay ji you are absolutely right and correct. Supreme Court is favouring Kejriwal in the order by one judge very sad
हम बंधन मुक्त है।
सुप्रीम कोर्ट के जज जो उपदेश देते हैं उस उपदेश को अपने फैसले में लिखते क्यों नहीं जब लिखते नहीं तो उपदेश देते क्यों हैं जो उपदेश फैसले मे.ना लिखा जाय उस उपदेश का महत्व शून्य है ।
उपदेश अन्याय पूर्ण निर्णयों के छिपाने का तरीका हैं
Pranaam ji 🙏🏻
इनसब पाबन्दियों के बाबजूद केजरीवाल जी सभी काम सफलता पूर्वक कर लेंगे। उनके साथ मनु सिंघवी जैसे वकील है।
आपके लाजवाब विष्लेषण के लिए धन्यवाद। क्या न्यायालय केजरीवाल के दिन प्रतिदिन के बयानों का विष्लेषण करेगा शायद नहीं। हमें न्यायाधिकारियों के निर्देश पर भरोसा नहीं है।
❤Yah Desh prajatantra ke liye hai hi nahin यहां तो पिछवाड़े में एक नियमित अंतराल मेंठुकाई होती रहनी चाहिए, क्या नेहरू के अथवा इंदिरा के जमाने पर न्याय व्यवस्था या सरकारी एजेंसियां स्वतंत्र थी नियम कानून को दरकिनार कर/तोड़कर अपने चहेतों को कुर्सी पर बैठाया गया और अपना स्वार्थ सिद्ध किया गया😮😮
दोषी कौन?
सिस्टम ?
न्यायालय ?
एजेंसी?
सरकार?
वैसे तो नीचे के 2 से 4 तक सभी सिस्टम / तंत्र के भाग है।
अब अगर किसी राजनैतिक व्यक्ति का मामला होगा तो राजनीति तो होगी। पक्ष विपक्ष किसी भी बात को अपनी तरह से कहेगा या उछालेगा।
प्रश्न यह है कि कोर्ट रूम में राजनीति क्यों,CBI तो 2012 में भी तोता थी और आज भी है।
प्रश्न यह भी है कि जब कानून सबके लिए एक समान है। आरोपी के लिए,एजेंसी के लिए,निचली अदालतों के लिए ,और निर्णय सुनाने वाले न्यायमूर्तियों के लिए। तब दो वरिष्ठ न्यायमूर्तिगण एक ही मुद्दे पर अलग अलग बात कैसे कह सकते है। यह कोई संवैधानिक या विवादित मसला भी नहीं है ,यह कोई ऐसा मुद्दा भी नही है ,जिस पर उच्चतम न्यायालय को कोई सुधार करना हो।
दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कोर्ट रूम से राजनीति की गंध आती है। आप उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायमूर्ति की बेंच द्वारा लगाई गई शर्तों पर भी टिप्पणी कर रहे हो।
यह कौन सा कानून है ,जो एक जमानत के निर्णय पर भी उच्चतम न्यायालय के दो अनुभवी न्यायमूर्तियों को भी एक मत नहीं रख पाता। वैसे तो किसी मुद्दे पर दो जजों की बेंच एकमत नही होती है तब मसला बड़ी बेंच को जाता है।
या तो निम्न अदालतें और जहाँ पर न्यायाधीश बनने वाले व्यक्ति एक कठिन परीक्षा देकर आते है ,वे कानून को सही से समझ नही पाते है या उच्च न्यायालय के कुछ प्रतिशत न्यायमूर्ति जो निचली अदालतों से प्रमोशन पर आते है,वे कानून को सही से इंटरप्रेट नही कर पाते है। खेर बाकी लोग तो राजनीतिज्ञों द्वारा नियुक्त होते है।
जमानत व्यक्ति का अधिकार है और जेल अपवाद यह सिद्धांत आम नागरिक की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए है। यह विचारणीय है कि कितने आम नागरिकों को इस सिद्धांत का लाभ मिलता है ? हाँ यह तय है राजनीतिज्ञों को और प्रभावशाली लोगों को तो इसका लाभ मिलता है।
वैसे तो कोर्ट ने यह तो नही कहा कि आप दोषमुक्त हो, कह भी नही सकती वो इसलिए कि प्रचलित विवाद में 400 के लगभग गवाह है, हज़ारों पेजों के दस्तावेज है, कई इलेक्ट्रॉनिक सबूत है। इनको कोर्ट को अध्ययन करना होगा। एजेंसी में जो अधिकारी है या कोर्ट में जो जज है उनका भी ट्रांसफर होता है। कुछ रिटायर हो जाते है , कई बार ऐसा होता है कि कई कई वर्षों तक गवाह के बयान भी नही हो पाते है। तब इस तरह के मुद्दों पर किसी व्यक्ति के जीवनकाल में निर्णय आता है कि भी नहीं इसकी कोई ग्यारेन्टी नही है हाँ तब तक व्यक्ति केवल आरोपी है अपराधी नहीं लेकिन वह जमानत पर है।
कोर्ट अपना स्वयं फजीहत कर रहा है। जय श्रीराम जय भारत जय सनातन जय श्रीकृष्ण जय महाकाल
सभी लोग अपने-अपने तरीके से संविधान बचाने में लगे हैं ।
क्या इस सब के बावजूद केजरीवाल जी को दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में संबोधित कर सकते हैं ??
इस विषय पर भी दिशा निर्देश दिया जाना चाहिए था ।
Supreme court bhi pinjde mein hi hai. Usko direction bade aur nami advocates se milta hai ki faisle ki disha kya honi chahiye aur judges bhi ussi hissab se fix kiye jate hain.
CBI ED ko demoralize isiliye kiya jata hai ki kahin judges bhi investigation ke dayre mein na aa jayein
बहुत ही सही विष्लेषण।❤
🚩 *जयश्रीराम*
🇮🇳 *जयश्रीकृष्ण*
🕉️ *हर हर महादेव*
Sardana sir, I always spare time to see your excellent analysis
Well said Sardana ji
Thanks
सरदाना जी आपने विस्तार से उच्चतम न्यायालय के केजरीवाल की अंतरिम जमानत के आदेश को समझाया, केजरीवाल ही पिंजरे में हैं,और रहनें भी चाहिए जब तक दोषी या दोषमुक्त ना हों 😊
CBI ने 22 महीने बाद arrest किया, फिर कुछ महीने investigation किया, interrogation किया और कोर्ट में chargesheet भी file कर दी...
अब देखना यह होगा कि हमारी आदरणीय न्याय व्यवस्था कितने समय में इस केस को पूरा करके अपना निर्णय देती है...
और केजरीवाल को तो अब बेशर्मी छोड़कर के resign कर देना चाहिए... सिर्फ अपने Ego के नाम पर "मैं मुख्यमंत्री हूँ" कहने की ख़ातिर CM बने रहने का कोई अर्थ नहीं है...
आज के दौर का असली तोता कोर्टहै
Jai Hind Sir
Brilliantly put up..
नीचता भी इसके (खुजलीवाल के ) सामने पानी भरती है और शर्मिंदा है। बेशर्मी का बहुत बड़ा उदाहरण है इंसानियत के नाम पर बहुत बड़ा बदनुमा धब्बा है।
Excellent interpretation...
आपके सटीक व sarthak विश्लेषण के लिए साधुवाद ❤
Outstanding sir
Very logical analysis
केजरीवाल कल से ही अपने को भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस जय प्रकाश नारायण से भी अधिक महान बलिदानी मान कर आत्ममुग्ध हुआ जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्णय जनता को बाध्य करते हैं कि जनता इस बात के लिए रात दिन सुप्रीम कोर्ट को बुरा भला कहे कि सुप्रीम कोर्ट के सभी निर्णय bhrastacharion के पक्षधर हैं l
You are right
शर्तो के अनुपालन की निगरानी कौन और कैसे करेगा।केजरीवाल तो निकलते ही उल्लंघन करने पर तुल गया है।
बहुत बढ़िया व्याख्या
Very very nice your views
Sc judges are not supper men.They should work as per law of the country
सुप्रीम कोर्ट को भाषण देना बंद कर केस की गम्भीरता और साक्षो पर ध्यान देना चाहिए ना कि राजनीतिकों की तरह जनता को उपदेश देना।
कोर्ट दोनों, पक्षों का समाधान नहीं कर सकता, लेकिन समाज को न्यायसंस्था की जरूरत भी उतनी ही है, बड़ा हो छोटा हो, आखिरकार न्याय के लिए न्याय संस्था के पास जाना ही पड़ता है__ आज की स्थिति देखकर न्याय कराने वालों ने भी अनावश्यक टिप्पणी से बचना चाहिए ___
इस टिप्पणी के पिछे न्यायाधीश महोदय ने अपनी नियुक्त के ऐहसान को लेकर कांग्रेस पार्टी को पहले केश में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का काट दिया है ताकि कांग्रेस पार्टी को सिबीआई के दुरुपयोग पर सवाल पूछने पर विराम लगाने की काट दिया है बहुत बड़ी साज़िश है
केजू सब कुछ बोलेगा और कोर्ट अपने कान बंद रखेगा यह अंडरस्टैंडिंग है आखिर शर्तो की अवहेलना को कौन एजेंसी मॉनिटर करेगी
Correct Analysis. Good Video.
सुप्रीम कोर्ट ने आज तक कितने अपराधियों को सजा दी, शायद आज तक या तो बेल दी है या फिर बाइजजत बरी कर दिया है
शीशमहल का मुख्य मंत्री तो रहेगा केजरीवाल सबसे मिलेंगे और कोई कुछ नही करेगा गुप्त रूप से मिलेंगे kej में कोर्ट है करप्ट लोगों के
इन शर्तों का कोई मतलब नहीं है. ये बात सुप्रीम कोर्ट को भी मालूम है. सब शर्तों का ये धाजियाँ उड़ाये गा और सुप्रीम कोर्ट आँख बंद रखेगा. सब मिली भगत हैं.
उच्चतम न्यायालय के निर्णय की ग़लत व्याख्या करने के लिए सिंघवी जैसे वकीलों को न्यायालय को संघंयान लेना चाहिए।
सर केस पर बयानबाजी न करने की हिदायत पहले भी दी गई थी जो इसने नहीं मानी.. अब क्या गारन्टी है कि ये चुप रहेगा
❤ This way Kejriwal has been made a Tooth-less, Claw-less Tiger by the Supreme Court.
Shri Vijay, Sir Ji : Apparently, the Gist of your Excellent Analysis and Presentation, and the vital questions raised by you for all concerned is = ‘Chor Jhanji, Chor Manjhi, Chor Vyavan Aye, Shekar hai us Khuda da, Jis nay CHORAN noo Chor Milaye - Chor Kay bhai Girah cut and that is in curable misfortune of our BharatVarsh and the Janata.- COMPLIMENTS to you for raising vital questions, thouhdoubtful IF anyone would answer and resolve these! 👍👍👏👏👏👏👏👍👍🙌🙌
Well informed and people aligned with law & constitution are increasingly QUESTIONING the MINDS of Highest court of law...
केजरीवाल सिस्टम का आदमी है सब कुछ करेगा
आजकल देश की सर्वोच्च अदालत को भी संविधान बचाने का बुखार चढ़ा लगता है इसीलिए जज अन्य संवैधानिक संस्थाओं पर उटपटांग टिप्पणियां करते हैं
केजरीवाल ने तो जेल से निकलते ही मोदी जी पर आरोप लगा दिए।इससे पहले संजय और सिसोदिया भी ऐसा कर चुके हैं और ऐसा कर रहे हैं।सुको की इस शर्त की कोई वैल्यू नहीं है।इसलिए या तो सुको को केजरीवाल एंड पार्टी पर सख्ती करें या फिर अपनी इस शर्त को वापस ले ले और ऐसी शर्त लगाना बंद करे,जिसका अपराधी मज़ाक़ उड़ाते हों।
Thanks for convincing analysis .The government must take up case relentlessly with the SC ,moment Krjri violates the mandatory conditions for grant of bail to Accused Kejriwal.
Good balanced educative podcast .
SC never fails to disappoint. Judges are deeply into politics
क्या उन जजों पर मानहानि का मामला दर्ज कर उन्हें कठघरे में नहीं खड़ा किया जा सकता कि सीबीआई या अन्य संवैधानिक संस्थाओं पर बिना कोई आधार अनावश्यक टिप्पणी क्यों किया गया, क्योंकि भ्रष्टाचार तो हुआ है और ऐसी टिप्पणी उसके समर्थन में प्रतीत होती है।
CBI in cage and Massively Corrupt free on Roads.
Is this Supreme Justice?
सीबीआई पिंजरे का टोटा है तो सुप्रीम कोर्ट और जज किसके तोते हैं और उनके पिंजरे में क्यों बैठे हैं सीबीआई और और एड पर कोई टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है सुप्रीम कोर्ट को ही बंद कर देना चाहिए
If Delhi voters have some senses, they should vote out Kejriwal and his party for good.
Dehli को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करना चाहिए, सुरक्षा की दृष्टी बहोत महत्त्वपूर्ण है. कयोकी देशद्रोही हमेशा उत्पाद माचायेंगे.
सुप्रीम कोर्ट अपने को बचने के लिये शर्त लगा दिया है केजरीवाल को
Yesterday only I could realise, how intelligent Delhi people are.
Kejariwal will fat amount of salary.
Kejariwal will live In Shishmahal.
Kejariwal will get VIP treatment.
Kejariwal will get security.
Still he can earn a lot of money as usual, how can you stop it. It is enough for him. he will enjoy all power without power.
This man has nothing to do for Delhi, he is only power hungry.
CBI should file review in Court otherwise no one will fear from CBI/ED.
Nothing will happen. Kejriwal will not follow any restriction imposed by Supreme court and apex court deserved to be disobeyed
जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने के लिए कोलेजियम सिस्टम बंद हो तो आधे से अधिक जजों की औकात समझ आ जायेगी।
CBI IS undoubtedly best' and doing good job..To keep High moral of CBI, there should be motivating remarks rather than demotivating.
केजरीवाल पहले बोलता था, मोदीजी और एल जी मेरे को काम नहीं करने देते...अब केजरीवाल को जरूर बोलना चाहिए कि यह कोर्ट कोन होता है जो मेरे को काम नहीं करने देता है, मैं दिल्ली का राजा हूं।😂
Once again cbi send to jail kejriwal kejriwall
Supreme Court ko har kam soch kar karna chahiye
Jai shree ram vijay ji ..
केस एक ही है। गवाह भी वही है।वकील भी वही। तो कोर्ट ने सिसोदिया को डेढ़ साल में जमानत दी और मास्टरमाइंड केजरीवाल को 100 दिन में। इसलिए इसको अंधा कानून कहते है।
जो व्यक्ति अपने बच्चों की कसम खाकर पलट जाए । जो चोरी चोरी शीशमहल बनवाले । जो दिन रात झूठ झूठ और सिर्फ झूठ बोलता है । उस पर कोर्ट ने कैसे विश्वास कर लिया कि जो सर्ते कोर्ट ने लगाई हे वो ये व्यक्ति शर्तों का पालन करेगा । भूल कर भी क्या सपने में भी इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ऑफ कांटेक्ट का केश निश्चित होना है।