आई जो उनकी याद || Aayi Jo Unki Yaad || विनोद अग्रवाल जी
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- Опубліковано 3 жов 2024
- श्रद्धेय विनोद जी कहते हैं कि याद उसी की आती है जिससे हम पहले भी कभी मिले हों और याद की गहराई कितनी है, यह इस बात पर निर्भर करती है कि हमारा उससे स्नेह कितना है। यदि यादों में प्रगाढ़ता आ जाए तो यादें जीवंत हो उठती हैं, एक साकार रूप ले लेती हैं। आइए श्रद्धेय विनोद जी के साथ हम भी अपनी यादों को प्रगाढ़ करने का प्रयास करें इस भाव के साथ ....
चलना न पड़े तन्हा हमको सफ़र-ए-आख़िरी मंजिल पर
एक तेरी यादों का कारवां सीने से लगाए रहते हैं।
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए
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