उठो जागो और पूरे देश में सनातन धर्म यादव धर्म वाली यादवों की सरकार बनाए यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में त्रिदेवो ने जन्म लिया, यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु यादव भगवान दत्तात्रेय रूप में, भगवान ब्रह्मा ने यादव भगवान चन्द्र देव के रूप में, महादेव ने यादव ऋषि दुर्वासा रूप में जन्म लिया, भगवान यादव चंद्रदेव को महादेव ने अपने मस्तक पर स्थान दिए हे, जिनके नाम पर यादवों ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया था ,यादव चंद्रदेव के पुत्र थे यादव बुध देव, मनु की सबसे बड़ी पुत्री इला जो इसवाकु की बड़ी बहन थी वो यादव घराने की बहू थी, यादव भगवान बुद्ध देव के पुत्र थे यादव पुरुरवा, यादव पुरुरवा के 6 पुत्र थे उनमें 2 महान पुत्र यादव आयु ओर यादव उमावशु, आयु के पुत्र यादव राजा नहुष हुए, उमावशू के वंश में आगे जाकर यादव विश्वामित्र हुए जो बाद में श्री राम के गुरु बने, ऋषि अत्री के वंशज अहीर यादवों को अत्री वंश से होने के कारण ब्राह्मणों का राजा ओर ब्राह्मण में श्रेष्ठ ब्राह्मण कहा गया है, धरती पर केवल यादव ओर यादवों के वंश ही असली क्षत्रिय ओर ब्राह्मण हे, यादवों में त्रिदेवो सहित सभी देवताओं का रक्त हे, यादव विशुद्ध रक्त वाले भगवान हे जो, इशवकू के वंश में हुए राम में केवल 12 कलाए थी, लेकिन चंद्रवंशी यादवों में उनके पूर्वज यादव भगवान दत्तात्रेय के 24 गुण, चंद्रदेव के 64 कलाए जीन कलाओं के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, ओर ऋषि दुर्वासा का क्रोध इन सभी के साथ यादव जन्म लेते हे, नहुष के बड़े पुत्र यादव ययाति हुए, ययाति ने 5 पुत्र थे सबसे बड़े अहीर यादव सम्राट यदू थे, यादव सम्राट यदू को सतयुग के अंत में अहीर ओर यादव उपाधि मिली इसलिए उनके वंशज अहीर यादव ओर बहुत से नाम से जाने जाते हे, ठाकुर, यादव, राणा, महाराणा, सिंह, आदि ये सभी केवल यादवों की उपाधि हे जो उसे द्वापर युग के पहले से प्राप्त हे यादव सम्राट यदू के वंश में आगे जाकर यादव राजा हेय्यय हुए, उनके पौत्र यादव सम्राट कर्तविर्य हुए, उनके पुत्र यादव सम्राट अर्जुन हुए जिन्हें सहस्त्रबाहु कर्तविर्य अर्जुन कहा जाता थे, यादव सम्राट कर्तविर्य अर्जुन ने अकेले ही रावण ओर उसकी सेना को अपने एक ही वार से मूर्छित कर यादवों के अस्तबल में सैकड़ों सालों तक बंदी बना कर रखा था, चंद्रदेव से लेकर सहस्त्रबाहु अर्जुन तक जितने भी यादव सम्राट हुए सभी के लाखो सालो तक त्रिलोक पर राजा किया, सूर्य की चाल में आकर यादवों ने ऋषि bhragu के वंश पर अत्याचार किया, जिसके कारण ऋषि bhragu के पुत्र परशुराम ने केवल यादव सम्राट सहस्त्रबाहु अर्जुन यादवों ओर उनके 101 कुल का 21 बार लगभग नाश किया, परशुराम सूर्य वंश को क्षत्रिय नहीं मानता था इसलिए परशुराम ने केवल यादवों का नाश किया, आगे जाकर इसी वंश मै नारायण के पूर्ण अवतार यादव कृष्ण हुए, उनकी बड़ी बहन यादव माता दुर्गा ने यादव योग माया का अवतार लिया ओर विंध्याचल पर्वत पर जाकर बस गई, यादव राज कुमारी कुंती को उनके पूर्वज ऋषि दुर्वासा ने 6 यादव पराक्रमी पुत्रो का वरदान दिया जो, यादव कर्ण, यादव युधिष्ठिर, यादव भीम, यादव अर्जुन, नकुल ओर सहदेव हुए, राजा पांडु को श्राप था कि वो पुत्र पैदा नहीं कर सकता इसलिए कुंती के पुत्रो में केवल यादवों का रक्त था इसलिए से सभी भी आगे जाकर यादव कहलाए, यादव भीम के पौत्र यादव बर्बरीक हुए जिन्हें यादव भगवान खाटू श्याम कहा जाता हे, महा भारत युद्ध के बाद केवल यादव वंश ही बचा था जिसमें आगे जाकर देवगिरी के अभिर (अहीर) ने 800 इष्वी ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसमे आगे जाकर अहीर जीजा बाई ओर उनके पुत्र अहीर छत्रपति शिवाजी हुए शिवाजी के पिता शाहा जी यादवों के होयसल वंश से थे, राजा सूरजमल, राजा सुहेल देव, महा राणा प्रताप, आल्हा ऊदल, वीर लोरीक, राजा कृष्ण राय आदि ऐसे बहुत से राजा हुए, चन्द्र वंश का मतलब केवल यादव वंश होता है जितने भी महान राजा हुए वे सभी यादव वंश से ताल्लुक रखते हे, भारत में जितने भिं प्राचीन ओर बड़े मंदिर हे सभी यादवों के द्वारा बनाए गए हे, यादवों के राज्य यादव डायनेस्टी, अहीरराना आज का हरियाणा, विजय नगर डायनेस्टी, तक्स शीला, नालंदा, मराठा डायनेस्टी, देव गिरी डायनेस्टी, नेपाल डायनेस्टी, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन ये सभी यादवों के राज्य थे जिनको दासियों के पुत्रो ने मुगलों के साथ मिलकर खत्म कर दिए, गुज्जर,जाट, मराठा, सिक्ख ये सभी यादवों के वंश हे
अति सुन्दर कीला है
उठो जागो और पूरे देश में सनातन धर्म यादव धर्म वाली यादवों की सरकार बनाए
यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में त्रिदेवो ने जन्म लिया, यादव ऋषि अत्री के पुत्र के रूप में भगवान विष्णु यादव भगवान दत्तात्रेय रूप में, भगवान ब्रह्मा ने यादव भगवान चन्द्र देव के रूप में, महादेव ने यादव ऋषि दुर्वासा रूप में जन्म लिया, भगवान यादव चंद्रदेव को महादेव ने अपने मस्तक पर स्थान दिए हे, जिनके नाम पर यादवों ने सोमनाथ का मंदिर बनवाया था ,यादव चंद्रदेव के पुत्र थे यादव बुध देव, मनु की सबसे बड़ी पुत्री इला जो इसवाकु की बड़ी बहन थी वो यादव घराने की बहू थी, यादव भगवान बुद्ध देव के पुत्र थे यादव पुरुरवा, यादव पुरुरवा के 6 पुत्र थे उनमें 2 महान पुत्र यादव आयु ओर यादव उमावशु, आयु के पुत्र यादव राजा नहुष हुए, उमावशू के वंश में आगे जाकर यादव विश्वामित्र हुए जो बाद में श्री राम के गुरु बने, ऋषि अत्री के वंशज अहीर यादवों को अत्री वंश से होने के कारण ब्राह्मणों का राजा ओर ब्राह्मण में श्रेष्ठ ब्राह्मण कहा गया है, धरती पर केवल यादव ओर यादवों के वंश ही असली क्षत्रिय ओर ब्राह्मण हे, यादवों में त्रिदेवो सहित सभी देवताओं का रक्त हे, यादव विशुद्ध रक्त वाले भगवान हे जो, इशवकू के वंश में हुए राम में केवल 12 कलाए थी, लेकिन चंद्रवंशी यादवों में उनके पूर्वज यादव भगवान दत्तात्रेय के 24 गुण, चंद्रदेव के 64 कलाए जीन कलाओं के साथ श्री कृष्ण ने जन्म लिया था, ओर ऋषि दुर्वासा का क्रोध इन सभी के साथ यादव जन्म लेते हे,
नहुष के बड़े पुत्र यादव ययाति हुए, ययाति ने 5 पुत्र थे सबसे बड़े अहीर यादव सम्राट यदू थे, यादव सम्राट यदू को सतयुग के अंत में अहीर ओर यादव उपाधि मिली इसलिए उनके वंशज अहीर यादव ओर बहुत से नाम से जाने जाते हे, ठाकुर, यादव, राणा, महाराणा, सिंह, आदि ये सभी केवल यादवों की उपाधि हे जो उसे द्वापर युग के पहले से प्राप्त हे
यादव सम्राट यदू के वंश में आगे जाकर यादव राजा हेय्यय हुए, उनके पौत्र यादव सम्राट कर्तविर्य हुए, उनके पुत्र यादव सम्राट अर्जुन हुए जिन्हें सहस्त्रबाहु कर्तविर्य अर्जुन कहा जाता थे, यादव सम्राट कर्तविर्य अर्जुन ने अकेले ही रावण ओर उसकी सेना को अपने एक ही वार से मूर्छित कर यादवों के अस्तबल में सैकड़ों सालों तक बंदी बना कर रखा था, चंद्रदेव से लेकर सहस्त्रबाहु अर्जुन तक जितने भी यादव सम्राट हुए सभी के लाखो सालो तक त्रिलोक पर राजा किया, सूर्य की चाल में आकर यादवों ने ऋषि bhragu के वंश पर अत्याचार किया, जिसके कारण ऋषि bhragu के पुत्र परशुराम ने केवल यादव सम्राट सहस्त्रबाहु अर्जुन यादवों ओर उनके 101 कुल का 21 बार लगभग नाश किया, परशुराम सूर्य वंश को क्षत्रिय नहीं मानता था इसलिए परशुराम ने केवल यादवों का नाश किया, आगे जाकर इसी वंश मै नारायण के पूर्ण अवतार यादव कृष्ण हुए, उनकी बड़ी बहन यादव माता दुर्गा ने यादव योग माया का अवतार लिया ओर विंध्याचल पर्वत पर जाकर बस गई, यादव राज कुमारी कुंती को उनके पूर्वज ऋषि दुर्वासा ने 6 यादव पराक्रमी पुत्रो का वरदान दिया जो, यादव कर्ण, यादव युधिष्ठिर, यादव भीम, यादव अर्जुन, नकुल ओर सहदेव हुए, राजा पांडु को श्राप था कि वो पुत्र पैदा नहीं कर सकता इसलिए कुंती के पुत्रो में केवल यादवों का रक्त था इसलिए से सभी भी आगे जाकर यादव कहलाए, यादव भीम के पौत्र यादव बर्बरीक हुए जिन्हें यादव भगवान खाटू श्याम कहा जाता हे, महा भारत युद्ध के बाद केवल यादव वंश ही बचा था जिसमें आगे जाकर देवगिरी के अभिर (अहीर) ने 800 इष्वी ने मराठा साम्राज्य की नींव रखी, जिसमे आगे जाकर अहीर जीजा बाई ओर उनके पुत्र अहीर छत्रपति शिवाजी हुए शिवाजी के पिता शाहा जी यादवों के होयसल वंश से थे, राजा सूरजमल, राजा सुहेल देव, महा राणा प्रताप, आल्हा ऊदल, वीर लोरीक, राजा कृष्ण राय आदि ऐसे बहुत से राजा हुए, चन्द्र वंश का मतलब केवल यादव वंश होता है जितने भी महान राजा हुए वे सभी यादव वंश से ताल्लुक रखते हे, भारत में जितने भिं प्राचीन ओर बड़े मंदिर हे सभी यादवों के द्वारा बनाए गए हे, यादवों के राज्य यादव डायनेस्टी, अहीरराना आज का हरियाणा, विजय नगर डायनेस्टी, तक्स शीला, नालंदा, मराठा डायनेस्टी, देव गिरी डायनेस्टी, नेपाल डायनेस्टी, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, चीन ये सभी यादवों के राज्य थे जिनको दासियों के पुत्रो ने मुगलों के साथ मिलकर खत्म कर दिए, गुज्जर,जाट, मराठा, सिक्ख ये सभी यादवों के वंश हे