मत्स्येंद्रनाथ ने गोरखनाथ को दंड क्यों दिया? |
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- Опубліковано 27 лис 2024
- गोरखनाथ अपने गुरु के लिए कर्तव्य की पुकार से ऊपर और परे चले गए। गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने हमेशा इस प्रेम को नई दिशा दी क्योंकि उन्होंने देखा कि अगर उनके शिष्य इसे उचित दिशा देते हैं तो इसमें दुनिया को बदलने की शक्ति है। आइए जानते हैं यह घटना के बारे में। जगा गुरु मत्स्येन्द्रनाथ ने अपने सिस्य (प्रिय शिष्य गोरखनाथ को १४ साल की कड़ी तपस्या दी।
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Jay ma guru
Hr hr mahadev 🙏🏼🙏🏼🙏🏼
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माय नेम इस सरोज सैनी स्पुतृ बनवारी लल सैनी स्वम सीध महँ आत्मा जिसे परमात्मा ख्ते ह म दैख रही हू सर जग सो रहा ह
इ एएम स्वम सीध महँ आत्मा जिसे परमात्मा ख्ते हक सवाल सीधी प्रपात करना ही तो ज्जिवें का अन्त नही ह फिर भी अक दिन मिर्तू हो जती ह ओर फिर आत्मा का किया हुआ जरा सोचो
Gurudev aap ko hamara koti koti Naman h ek baar bus aap k darsan karna chati hu par pataa nhi asa kabhi hoga ya nhi