पूरा वीडियो देखने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करे। ua-cam.com/video/TktHAoRWxJs/v-deo.html *राणी काजल माता की गाथा* संकलन - रोहित पड़ियार ✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 *(चुकी आदिवासियों में मौखिक परमपराओं का प्रचलन है इसलिए बयान/ व्यख्या अलग अलग व्यक्ति/ क्षेत्र के हिसाब से अलग अलग हो सकती है लेकिन कथा का मूलभाव समान है।)* कहा जाता है कि मथवाढ़ क्षेत्र में डुंगरिया रावत कुल की कर्म भूमि हुआ करती थी इसी कुल के दो पूजनीय देव कुंदूराणा और उनके बड़े भाई कुनबाई अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे। कुनबाई व कुंदुराणा के तीन बहने थी आइकुन्दण, आईमांदणी तथा आईछिनकी। आइकुन्दण जीवनभर कुवारी थी, आईमांदणी का विवाह मावी डावर के साथ हुआ और आईछिनकी वर्तमान गाव छिनकी जाकर बसी, उन्ही के नाम से गाव का नाम छिनकी रखा गया। सबसे बड़े भाई कुनबाई के विवाह के लिए जब वधु की तलाश की जा रही थी तो तब इन्हें पता चला कि महाराष्ट्र के नंदुरबार क्षेत्र में हुरिया मेघ की सात पुत्रियां है - देवमोगरा / मोगी माता, राणी काजल तथा अन्य। काजल माता का विवाह चाँद से तय हुआ था किंतु उसे आदिदेव कुनबाई भी पसंद करते थे इसलिए मोहनी (तंत्र मंत्र से मन मोह कर) का सहारा लेकर जब महाराष्ट्र के हेलादाब में विवाह के लिए एकत्र थे वहा से भगाकर अपने साथ लेकर मथवाढ़ क्षेत्र में लेकर आये। सोमला नायक का पुत्र चवरिया नायक भी राणी काजल माता को पसंद करता था इसलिए उसने कुनबाई और कुंदुराणा को युद्ध लिए ललकारा और दोनों भाइयों का चवरिया नायक से भयंकर युद्ध हुआ। अंततः कुनबाई और कुंदुराणा विजयी रहे। (चवरिया नायक पहली बार काजल माता को नर्मदा नदी मछली मारते हुए देखा था, चवरिया नायक जिस चट्टान पर बैठकर मछली मार रहे वह आंजनबारा में थी और चवरिया दगड़ा के नाम से जाना जाता था किंतु अब बांध के कारण डूब चुका है।) आखिर में जलसिंधी नामक गाँव मे राणी काजलमाता और कुनबाई का विवाह हुआ इस अवसर जलसिंधी में 700 दाबलिया (700 देवता ) देशी महुए की शराब पीकर ढोल मांदल की ताल पर नाचे थे, जिनके पैरो के निशान आज भी जलसिंधी में नर्मदा किनारे चट्टानों पर बने हुए है पर सरदार सरोवर बांध की डूब में समा गए है। विवाह के बाद काजल माता भाला वांगा ( वर्तमान का भाला गाव ) में बसी थी किंतु वहाँ पर उगते सूर्य की तेज किरणों के कारण फिर वहा से हटकर वर्तमान में जहाँ पर काजल माता का मंदिर स्थापित है वेलिये पीपर के नीचे आकर बस गई। वर्तमान में मथवाढ़ क्षेत्र के वाकनेर नामक गाँव मे दो मंदिर स्थापित है और दोनों ही आदिवासियों के आस्था स्थल है सबसे ऊपर वाला मन्दिर राणी काजल माता का है और नीचे स्थापित मंदिर काजल माता की ननंद आइकुन्दण का है जो जीवनभर कुँवारी रही। इंदलपूजन की शुरुआत किस प्रकार हुई इसकी कथा रानीकाजल माता, कुनबाई ( पति ), कुंदूराणु (देवर ) गाथा से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जब रानीकाजल माता और कुनबाई की महाराष्ट्र के हेलादाब में शादी होने के बाद जब मथवाड़ आकर बसी उस समय भयंकर अकाल पड़ा था, न तो सन्तानो की उत्पत्ति हो रही थी, न पशुधन पल रहा था, न बारिश हो रही थी और न ही फसल उत्पन हो रही थी। रानीकाजल माता बिल्कुल निःसंतान थी। ऐसे वक्त में इंदिराजा, पाटीराजा, अबाकुनबी व दुधाकुनबी और वावुबाई, खेड़ूबाई, जातुबाई व कातुबाई का इस क्षेत्र से गुजरना हुआ तो उन्होंने राजा (कुनबाई) और रानी (काजल माता) की इस पीड़ा को देखा और इस कष्ट से मुक्ति का उपाय बताया। रानीकाजल माता तथा कुनबाई ने उनके द्वारा बताई गई विधि अनुसार इंदिराजा पाटीराजा का पूजन कनबा / कलम की तीन डाल ज्वार में डालकर विधिवत तरीके से की जिसके परिणाम स्वरूप बारिश भी हुई, ज्वार ( कणीहर) जो एक साल पहले बोई गई थी किन्तु बारिश बिल्कुल नही हुई थी इस वजह से नही उगी थी वह दूसरे वर्ष जब इंद पूजा हुई तब बहुत ही शानदार तरीके से पैदावार हुई। पशुधन प्राप्त हुआ , सन्तान उत्पति हुई जिससे आदिवासी कुल आगे बढ़ पाया औऱ इस प्रकार इंदलपूजा की शुरुआत हुई। आज भी इंदपाटले की पूजा कुनबी ( आदिवासी किसान ) के लिए की जाती है जिसमे आदिवासी परिवार, खेतीबाड़ी, फसल, मालधन, पशु पक्षी आदि सब कुछ कुशल मंगल हो ऐसी कामना की जाती है| जय आदिवासी, जय जोहर। जय इंदिराजा, जय पाटी राजा, जय माँ रानीकाजल। 🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹 आदिवासी परंपरा से जुड़ी ये जानकारी अच्छी लगी तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे। 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 MP Gujarati Adivasi Timli Club Present Tittle - काजल माता घणी रे महान Produce By - Bharat Sastiya & Rohit Padiyar Singer - Piru Solanki Chetan Kanesh Artist - Aanand Rathwa ,Priya Rathwa ; Chetan Kanesh ; Piru Solanki, Lala Nargawa Music - Nansing Mandloi Music Director - Vishal Kanesh Lyrics - Rohit Padhiyar Camera - Amit Rathwa, Lala Nargawa Cinematography - Mehul Rathwa ; Mayank Patel Choreographer - Shankar Bharle ,Ankit Shishulkar Editing - Mehul Dharva Rathwa, Mayank Patel Video Director - Bharat Sastiya Recording - Jay Ambe Recording Studio Kawant ( Shailesh Rathwa )
🙏🙏Jay Johar sir ji aap Rani Kajal Mata "Kul- Devi"ki jankari diye wo sarahniy h, lekin ma kajal Mata ko barela, bhilala,bhil or anek janjati dwara puja jata h. Dhanyawad.🙏🙏 Alirajpur,Barwani,jhabua,khargone,khandwa.......!a
Dada sirf alirajpur ke Bhil samuday hi nahi balke samast aadivasi barela bhilala Bhil mankar ye samast Bhil ki upjati Ranikajal ko pujte hai.aur ye aadivasi sirf alirajpur nahi balke madhyapradesh me khargaon,khandva,devas, Burhanpur,dhar,endore,badvani,alirajpur, Harda, Maharashtrame Jalgaon,Nandubar,dhule,Aur gujraat ke jile ye sab aadivasi Ma Ranikajal ki puja karte hai mai jalgaon se hu . Aur Ranikajal ka mahtva hamare jivan bahuthi mayne rakhta hai.
मानसन नाव छै बाकिन प्रकृतिन देवी प्रकृति तसेन जन्म मानाये।काजल माता जल देवी छै ।कालूराणा भी जलदेव छै।बाकी कहानी मथवाडवाला जाणे। varu badwa ali, jane , adisen mansan kawat chhe, ki devata aasyun pet katha janm nahi ley. mansan ruma aaya gayab hay gaya .che mansak varu kam, vat, sikhadin gaya.kajalmata jivatli devi chhe.jay kajal mata,jay kalurana.
भील भिलाला बरेला मानकर तड़वी यह सभी पूछते हैं रानी का जल को और भी बहुत सी समाज है वह पूछते हैं रानी काजल को आपको यह जानकारी लेना चाहिए सर क्योंकि हम भी बारेले समाज से आते हैं हमारे पूरे देवी देवता रानी का जो है कुंडू राणा यह सभी हम पूछते हैं
Aadivasi samajme bhongrya Ek Holi ke tyohar ke liye samgri lene ke liye manaya jata hai . Aadivasi holi manane ke liye .bajar se puja ka saman late hai Holiki puja yane mata holika ki antim vidai Hoti hai. Jo mrutu ke baad ki antim sankar karte hai vahi Aadivasi holi yane ki Holika ka antim sankaer ke liye Jagran karte hai ham aadivasi
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*राणी काजल माता की गाथा*
संकलन - रोहित पड़ियार
✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻
*(चुकी आदिवासियों में मौखिक परमपराओं का प्रचलन है इसलिए बयान/ व्यख्या अलग अलग व्यक्ति/ क्षेत्र के हिसाब से अलग अलग हो सकती है लेकिन कथा का मूलभाव समान है।)*
कहा जाता है कि मथवाढ़ क्षेत्र में डुंगरिया रावत कुल की कर्म भूमि हुआ करती थी इसी कुल के दो पूजनीय देव कुंदूराणा और उनके बड़े भाई कुनबाई अपनी वीरता के लिए प्रसिद्ध थे। कुनबाई व कुंदुराणा के तीन बहने थी आइकुन्दण, आईमांदणी तथा आईछिनकी।
आइकुन्दण जीवनभर कुवारी थी, आईमांदणी का विवाह मावी डावर के साथ हुआ और आईछिनकी वर्तमान गाव छिनकी जाकर बसी, उन्ही के नाम से गाव का नाम छिनकी रखा गया।
सबसे बड़े भाई कुनबाई के विवाह के लिए जब वधु की तलाश की जा रही थी तो तब इन्हें पता चला कि महाराष्ट्र के नंदुरबार क्षेत्र में हुरिया मेघ की सात पुत्रियां है - देवमोगरा / मोगी माता, राणी काजल तथा अन्य।
काजल माता का विवाह चाँद से तय हुआ था किंतु उसे आदिदेव कुनबाई भी पसंद करते थे इसलिए मोहनी (तंत्र मंत्र से मन मोह कर) का सहारा लेकर जब महाराष्ट्र के हेलादाब में विवाह के लिए एकत्र थे वहा से भगाकर अपने साथ लेकर मथवाढ़ क्षेत्र में लेकर आये।
सोमला नायक का पुत्र चवरिया नायक भी राणी काजल माता को पसंद करता था इसलिए उसने कुनबाई और कुंदुराणा को युद्ध लिए ललकारा और दोनों भाइयों का चवरिया नायक से भयंकर युद्ध हुआ। अंततः कुनबाई और कुंदुराणा विजयी रहे।
(चवरिया नायक पहली बार काजल माता को नर्मदा नदी मछली मारते हुए देखा था, चवरिया नायक जिस चट्टान पर बैठकर मछली मार रहे वह आंजनबारा में थी और चवरिया दगड़ा के नाम से जाना जाता था किंतु अब बांध के कारण डूब चुका है।)
आखिर में जलसिंधी नामक गाँव मे राणी काजलमाता और कुनबाई का विवाह हुआ इस अवसर जलसिंधी में 700 दाबलिया (700 देवता ) देशी महुए की शराब पीकर ढोल मांदल की ताल पर नाचे थे, जिनके पैरो के निशान आज भी जलसिंधी में नर्मदा किनारे चट्टानों पर बने हुए है पर सरदार सरोवर बांध की डूब में समा गए है।
विवाह के बाद काजल माता भाला वांगा ( वर्तमान का भाला गाव ) में बसी थी किंतु वहाँ पर उगते सूर्य की तेज किरणों के कारण फिर वहा से हटकर वर्तमान में जहाँ पर काजल माता का मंदिर स्थापित है वेलिये पीपर के नीचे आकर बस गई।
वर्तमान में मथवाढ़ क्षेत्र के वाकनेर नामक गाँव मे दो मंदिर स्थापित है और दोनों ही आदिवासियों के आस्था स्थल है सबसे ऊपर वाला मन्दिर राणी काजल माता का है और नीचे स्थापित मंदिर काजल माता की ननंद आइकुन्दण का है जो जीवनभर कुँवारी रही।
इंदलपूजन की शुरुआत किस प्रकार हुई इसकी कथा रानीकाजल माता, कुनबाई ( पति ), कुंदूराणु (देवर ) गाथा से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जब रानीकाजल माता और कुनबाई की महाराष्ट्र के हेलादाब में शादी होने के बाद जब मथवाड़ आकर बसी उस समय भयंकर अकाल पड़ा था, न तो सन्तानो की उत्पत्ति हो रही थी, न पशुधन पल रहा था, न बारिश हो रही थी और न ही फसल उत्पन हो रही थी। रानीकाजल माता बिल्कुल निःसंतान थी। ऐसे वक्त में इंदिराजा, पाटीराजा, अबाकुनबी व दुधाकुनबी और वावुबाई, खेड़ूबाई, जातुबाई व कातुबाई का इस क्षेत्र से गुजरना हुआ तो उन्होंने राजा (कुनबाई) और रानी (काजल माता) की इस पीड़ा को देखा और इस कष्ट से मुक्ति का उपाय बताया।
रानीकाजल माता तथा कुनबाई ने उनके द्वारा बताई गई विधि अनुसार इंदिराजा पाटीराजा का पूजन कनबा / कलम की तीन डाल ज्वार में डालकर विधिवत तरीके से की जिसके परिणाम स्वरूप बारिश भी हुई, ज्वार ( कणीहर) जो एक साल पहले बोई गई थी किन्तु बारिश बिल्कुल नही हुई थी इस वजह से नही उगी थी वह दूसरे वर्ष जब इंद पूजा हुई तब बहुत ही शानदार तरीके से पैदावार हुई। पशुधन प्राप्त हुआ , सन्तान उत्पति हुई जिससे आदिवासी कुल आगे बढ़ पाया औऱ इस प्रकार इंदलपूजा की शुरुआत हुई।
आज भी इंदपाटले की पूजा कुनबी ( आदिवासी किसान ) के लिए की जाती है जिसमे आदिवासी परिवार, खेतीबाड़ी, फसल, मालधन, पशु पक्षी आदि सब कुछ कुशल मंगल हो ऐसी कामना की जाती है|
जय आदिवासी, जय जोहर।
जय इंदिराजा, जय पाटी राजा, जय माँ रानीकाजल।
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आदिवासी परंपरा से जुड़ी ये जानकारी अच्छी लगी तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे।
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MP Gujarati Adivasi Timli Club Present
Tittle - काजल माता घणी रे महान
Produce By - Bharat Sastiya & Rohit Padiyar
Singer - Piru Solanki Chetan Kanesh
Artist - Aanand Rathwa ,Priya Rathwa ; Chetan Kanesh ; Piru Solanki, Lala Nargawa
Music - Nansing Mandloi
Music Director - Vishal Kanesh
Lyrics - Rohit Padhiyar
Camera - Amit Rathwa, Lala Nargawa
Cinematography - Mehul Rathwa ; Mayank Patel
Choreographer - Shankar Bharle ,Ankit Shishulkar
Editing - Mehul Dharva Rathwa, Mayank Patel
Video Director - Bharat Sastiya
Recording - Jay Ambe Recording Studio Kawant ( Shailesh Rathwa )
बहुत-बहुत धन्यावाद
जय जोहार जय आदिवासी समाज भील प्रदेश
जोहार दादा
राजस्थान,, जिला डूंगरपुर,, विधानसभा क्षेत्र चौरासी,, पं.स.चिखली से लाख-लाख जोहार
आप इसी तरह के समाज के समाज के तथ्य सामने रखिए ताकि हम आदिवासी हमारे इतिहास से रूबरू हो सके आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
जय जोहार जय आदिवासी
जय रानी काजल माता की जय जय कुल देवी मां
जय जोहार
जय आदिवासी
आदिवासी एकता जिदाबाद
🙏 रानी काजल मां की जय हो 🙏🙏
Jay rani kajal mata❤❤❤
જય.. આદિવાસી જોહાર 🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹🏹
रानी काजल ने क्या शुभकार्य किये इसके बारे मे विडिओ जरुर बनाओ
जय जोहार जय आदिवासी
जय रानी काजल माता की वास्कल गांव से
जय काजल माताजी
जय रानी काजल माता wakner mathwad
सर अलीराजपुर के जो राजा थे प्रताप डोडवा भीलाला उनका इतिहास खोज के वीडियो बनाओ. उनका वंसज रावड़ी हाथवी मे हे डोडवा
जय काजल 🪔🎎🎄 माता
🙏🙏Jay Johar sir ji aap Rani Kajal Mata "Kul- Devi"ki jankari diye wo sarahniy h, lekin ma kajal Mata ko barela, bhilala,bhil or anek
janjati dwara puja jata h. Dhanyawad.🙏🙏
Alirajpur,Barwani,jhabua,khargone,khandwa.......!a
Jay MA Rani kajal mata
जोहार दादा रानी काजल की जय हो
Tq. Btane ke liye bhaiya aap logo ko hi kuchh karna padega q kisi apane bhartiya ki midiya bik chuki he
जोहार जय सेवा जय आदिवासी
Best knowledge diya he
age bhi ranikajal ki history batate rahiye
जय माता रानी
Bata sakhte ho
जय 🪔🪔🎎
भाई राणीकाजल माता ,बारेला,भीलाला,पावरा व राठवा समाज में प्रमुख रुप से पुजा जाता है ।
जय जोहार
Jay aadiwasi jay johar jindabad 🏹🎯🐅💪👌🤞
जोहार मालिक
Jay Rani Kajal Mata
सुन्दर
जय रानी काजल माता की जय
Dada sirf alirajpur ke Bhil samuday hi nahi balke samast aadivasi barela bhilala Bhil mankar ye samast Bhil ki upjati Ranikajal ko pujte hai.aur ye aadivasi sirf alirajpur nahi balke madhyapradesh me khargaon,khandva,devas, Burhanpur,dhar,endore,badvani,alirajpur, Harda, Maharashtrame Jalgaon,Nandubar,dhule,Aur gujraat ke jile ye sab aadivasi Ma Ranikajal ki puja karte hai mai jalgaon se hu .
Aur Ranikajal ka mahtva hamare jivan bahuthi mayne rakhta hai.
Dhanyvad bhai
dada rani kajal mata aadivasi me kon si bhasha bol di, par aadivasi sabi jaat ke log pujate hai
जय रानी काजल माता
जय जोहार 😂😂
🎉🎉🎉 our janne ke liye videos banaye
रानी काजल माता हमारे परिवार मे एक व्यक्ति को आती हैं।
में देवास जिले मे रहता हु। हमे रानी काजल मंदीर आना हैं।
हमे सही रास्ता बताए प्लीज।
Jay Johar bhai
Sundar
Pura itihas batay
Jay Johar Jay aadivasi
जय जोहार 🌹🙏
Johar ..
Jay Ranikajal Mata
thankyou batane ke liye
Ha batao Puri vha ki jankari
मानसन नाव छै बाकिन प्रकृतिन देवी प्रकृति तसेन जन्म मानाये।काजल माता जल देवी छै ।कालूराणा भी जलदेव छै।बाकी कहानी मथवाडवाला जाणे। varu badwa ali, jane , adisen mansan kawat chhe, ki devata aasyun pet katha janm nahi ley. mansan ruma aaya gayab hay gaya .che mansak varu kam, vat, sikhadin gaya.kajalmata jivatli devi chhe.jay kajal mata,jay kalurana.
बहुत ही शानदार जानकारी दी है 👍👍
भील भिलाला बरेला मानकर तड़वी यह सभी पूछते हैं रानी का जल को और भी बहुत सी समाज है वह पूछते हैं रानी काजल को आपको यह जानकारी लेना चाहिए सर क्योंकि हम भी बारेले समाज से आते हैं हमारे पूरे देवी देवता रानी का जो है कुंडू राणा यह सभी हम पूछते हैं
રાની કાજલ માતાજી
Jay Aadivasi
Jay johar Jay Adiwasi
Bhai Rani Kajal Bhilala Thi
Jay maa raani kajal comments bhar to kajal ma ki jay
May ma rani kajal
Jay johar
Ginumandloi 👍❤️
Super
Rathava समाज
Aadivasi bhil samaj me bongariya tyohar Kyu manaya jata Hai
Aadivasi samajme bhongrya Ek Holi ke tyohar ke liye samgri lene ke liye manaya jata hai . Aadivasi holi manane ke liye .bajar se puja ka saman late hai Holiki puja yane mata holika ki antim vidai Hoti hai. Jo mrutu ke baad ki antim sankar karte hai vahi Aadivasi holi yane ki Holika ka antim sankaer ke liye Jagran karte hai ham aadivasi
Dhanyvad bhai
Yeah sahi hai pr Abhi enko navratri se Kyo joda ja rha hai
👏👏👏👏👏👏👏🏹🏹🏹🏹🏹🌳🌳🌳🌳🌳🌳
Kamala Kamesh
हाँ
Gj 34
सर रानी kajal माता कुवारी है इसने शादी नही की है
Rani Kajol mata ki murti kisne banai voto koi devi ko aap daba rahe ho kayo bhai
सदा पूजनीय हैं अपनी आपकी जानकारी अधूरी है भील bhilala barela पटेल धनक नायकों न्यारा इत्यादि सभी पूजते है वह यूनिवर्सल माँ आदिम देवी हैं
जय जोहार जय आदिवासी