बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए काम बिगाड़े आपनो जग में होत हसाए टिपानिया साहब जी कितना आनंद आता था जब आप अपने मंडली को लेकर दामाखेड़ा पहुंचते थे मगर पता नहीं आपके मन में क्या भाव उत्पन्न हुआ कि हमारे वंश गुरु का चौका आरती आपको पाखंड लगा कलश आरती दल सिला उत्तम दल बनाएं पुंगी फल लॉन्ग लाची शब्द अनहद धुन ध्यान इन्हीं के माध्यम से तो सदगुरु कबीर साहेब जुड़ा वन दास को आत्मबोध किए थे सदगुरु कबीर साहब का चौका आरती एक धरोहर है या कहें मन का मंदिर है बाहर के मंदिर में जाने से पूरा जीवन निकल जाता है इसीलिए सदगुरु कबीर साहब ने गुरु धनी धर्मदास को चौका आरती के माध्यम से ही आत्मज्ञान दिया जिससे वह पाकर धन्य हुएसुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उन्हें भुला नहीं कहा जाता थोड़ी बात में ज्यादा समझे और वर्तमान के दौर है कि आप पुणे गुरु के दरबार में पहुंचे और अपने भूल का एहसास करो विनाश बस गुरु के शरण में मुक्ति नहीं है एक तमूरा थोड़े ही दिन साथ देने वाला है जिस प्रकार शरीर का इंद्रिय सुस्त पड़ जाता है उसी प्रकार है यह संसार हमारे गुरु दरबार में उमंग है ऊर्जा है उच्च कोटि का भाव भक्ति हैं आपने समझने में भूल किया आप से तो बेहतर आपकी धर्मपत्नी है जो गुरु की महिमा को जानती हैं गुरु का निंदा क्या होता है उनको भी वह समझती है हरि रूठे थोर है गुरु रूठे नहीं ठौर आपका जो विचार बदला है उसमें आपका दोस्त नहीं है वह उम्र का प्रभाव है पहले आप पाखंड संसार में है क्या चीज उन्हें जानने का प्रयास करें और सदगुरु कबीर साहेब ग्रंथों में कई बार चौका आरती करके जीवात्मा को बोधा है सप्रेम धन्यवाद साहिब बंदगी साहिब
बहुत दिनों नहीं वर्षौ से आपका भजन सुनता और गुनता हूं गणित के शिक्षकीय जीवन से यह तंबूरा बजाते साहेब कबीर के वाणी विचार का पर्चार पर्सार में तन मन धन से लगे हैं।एक दिन कबीर के वाणी जगत में ब्यापक होगा।मैं भी इस विचार को मानता हूं।कबीर सत्संग समिति बनाकर प्रचार में लगेंहैं।आपको त्रैय बार बंदगी करते हुए सफलता की आपने तो कबीर के वाणी को अमरिका तक पहुचा दिया।बहुत बड़ी उपलब्धि कबीर पंथित्यों के लिए है। रामाधार साहू हुडको भिलाई नगर छ ग ।दर्शन दीजिए
Kabeer ka prachaar vihangam yog dwara shudh yogbal prrapta karke hi karna chahiye anyatha log pakhand me fasenge aur pakhand karenge duniya kabeer ko sadharan batate hai. Lekin wo nahin jante kabeer is complete god . Sadharan aap logo ne banaya hai kabeer ko bina anubhav ke badd badd karke.
जय श्री कृष्णा बहुत ही अच्छे प्रवचन दिए गुरुदेव आपने और जो आपने सच्ची बात बोली बहुत अच्छी लगी अपने पैरों में किसी को झुकाना गलत बात है हमें बहुत अच्छा लगाआपने बोला झुकना ही है तो प्रभु जी के चरणों में झुके वाह क्या बात कही जय हो
इतिहास की ऐसी कोई भी अद्भुत घटना नहीं,जिसका कालांतर में व्यवसायीकरण न हुआ हो, जैसे ही सफलता क़दम चूमती है, वही वक्ता जो काम, क्रोध,लोभ, मोह जैसे विकारों से खुद ग्रस्त हो जाता है, तिपनिया जी की चुप्पी बहुत कुछ बयां कर रही है।
जय गुरुदेव टिपानिया जी आप बहुत सही हो आपके वीडियो देखकर मैं बहुत संतुष्ट हूंजो कि रूढ़िवादी और कर्मकांड से आप जो मुक्त होने का कहते हैं कबीर दास जी ने भी तो यही समझाया था पूरा गुरु का शिष्य और जो पूरे सत्य को जानने वाला व्यक्ति हमेशा सत्य की खोज करता है कबीर दास जी ने एक जगह कहा है कि पांच शब्दअनहद बाजे संगे सारंग वाणी कबीर दास जी तुम्हारीआरती करे निरंकार निर्वाणी सच्चे सत्संगी सच्चा भगत सच्चा कबीरपंथी वही है जो मनुष्य शरीर में वह अनहद जो आवाज हो रही है उसको सुनता है और ध्यान भजन सिमरन करता है सच्चा जिज्ञासु सच्चे सत्संगी है कबीर दास जी एक जगह कहते हैं कि सहेजें धून होत है सोही सुमिरन संसार जय गुरुदेव नाम प्रभु का बाबा जी का कहना है शाकाहारी रहना है आगे का समय विनाशकारी बच्चे वही जो शाकाहारी Jay Gurudev
कबीर की वाणी को साज गाज बाजे पर गाने से सतलोक नही जा सकते हैं कबीरदास साहेब की वाणी अनुभव का मार्ग है अपने जीवात्मा को जगाकर ये सब अनुभव खुद देखा है तब उन्होंने गाया था यानि कहा था अब उनकी वाणियों गाने से सतलोक नही जा सकते हैं इस धरती पर सन्त सतगुरु को खोजना पडेगा। अभी ऐसा गुरू मौजूद है बस ढूंढने की जरूरत है वाणीयो गाकर घमंड में मत रहना नही तो मानव तन बेकार चला जायेगा।
माया महा ठगनी हम जानी, तिरगुन फांस लिये कर डौलै, बोलै मधुर बानी। माया तो ब्रह्म को भी छोड़ती, इंसान की तो क्या बिसात। माया मरी न मन मरा, मर मर गये शरीर, आशा तृष्णा ना मरी, कह गये दास कबीर।
साहेब बंदगी संत सायब के लाडला संत सायब के पुत जो संत नही संसार मे तो सायब रूट कभी आप का दरसन होवे तो आत्मा पवित्र हो जाए आप का नाम से मंजील तक पहुच ही जाउगा सायब बंदगी
शिष्य तो वही होता है, जिसमे गुरुत्व विराजमान हो.... चाहे वह संख्या में एक हो या पाँच दस...... बहुत से लोगों की भीड़ इकट्ठी करके गुरु बन जाओ। और सब गुरु माने व गुरु अपने शिष्य माने यह कैसी गुरु शिष्य परम्परा है... हाँ जिसे भी गुरु धारण करना होता है वह स्वयं गुरु की शरण में आता है तथा नाम का उपदेश पाकर धन्य होता है। हजारों की संख्या में तुम सत्य की बात रख सकते हो परंतु सबके गुरु नहीं.... गुरु की महिमा कौन जाने? जिसने गुरु धारण किया हो.... श्रुत शबद का मेल... यानी सुनने वाला श्रोता शिष्य है और शब्द गुरु हैं। गुरु कोई व्यक्ति या आकार नहीं है। मैं जिस शब्द की बात कर रहा हूँ, वह कही वेद शास्त्र या कहीं नहीं मिलेगी सिर्फ़ पूर्ण सतगुरु के मुख से ही सुनने को मिलती है। तभी तो कबीर ने कहा है कि कन फूंका गुरु हद का, बेहद का गुरु ओर। बेहद का गुरु मिल जाए तो, लावे ठीकाना ठोड़। जय गुरु महाराज।
कबीर साहेब ने कहा है कि कबीर माया अटपटी सब घट आण अड़ी अब किस कीस को समझाऊं या कूवे भांग पड़ी याने कि सभी ने एक कूवे का पानी पि रखा है याने कि एक प्रकार का ज्ञान सत साहेब
प्रहलाद जी ,मैं आपके बहुत दिनों से आपके भजन और इंटरव्यू देख रहा हूं। लेकिन इस बार आपकी कथनी और करनी में बहुत फर्क नजर आया,आप एक तरह से ठगों की जमात में शामिल हो ही गये।
निर्गुण विचार धारा के *महान संत कवि श्री **कबीर दास**जी महाराज का आज **जन्मोउत्सव** है श्री कबीर दास जी का जन्म संवत 1455/1398 ईसा पूर्व भगवान शिव की नगरी काशी ( वाराणसी) में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हुआ था । महान संत का जन्म एक किदवंती है कुछ लोगो का कहना है कबीर साहब का जन्म विधवा ब्राह्मणी से हुआ है और उस को जन्मते की त्याग दिया गया था और दुसरी किदवंती यह है कि उन का जन्म लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर हुआ था बाद में एक गरीब मुस्लिम जुलाहे ने अपनाया था ओर पालन पोषण किया कबीर जीवन पर्यंत अनपढ़ थे उन्होंने जीवन कभी कोई पुस्तक या दोहा कभी कलम बन्द नही किया मगर आज वो हिंदी साहित्य में लाखों पुस्तकों में कलम बंद है उन के दोहे ,वाणी गीत ,संगीत एक तारा वाद्य यंत्र के साथ बहुत ही बजाया गाया जाता है। दुनिया के सभी बड़े विश्विद्यालय में विद्वान कबीर को हिंदी में उन की विचारधारा के कारण पढ़ाया जाता है और बड़े बड़े विश्व विद्यालय के छात्र उन पर शोध कर रहे है । कबीर निर्गुण निराकार ब्रह्म को मानने वाले थे । कबीर ने बाल्यकाल में अपने बाल स्वरूप का चमत्कार दिखाया पंडित रामा नंद जी सागर को , उन के बाल स्वरूप में गंगा घाट पर चमत्कार को देख कर पंडित जी से कबीर ने राम राम बुलवाया ओर अपना दिव्य रूप दिखाया तो पंडित रामा नंद जी बहुत ही प्रभावित हुए और कबीर को अपना शिष्य बनाया ओर शिक्षा दी महान संत कवि कबीर दास को हिन्दू भगवान विष्णु का अवतार मानते है । पर वो हिन्द मुस्लिम के दोनों सम्प्रदाय में पले बढ़े थे दोनों ही धर्म के लोग संत कबीर को अपना मानते थे पर संत कबीर दास जी सब को अपना मानते थे महान संत कबीर दास जी जात, पात ,छुआ चूत ओर धर्म ओर जाति वाद के प्रबल विरोधी थे अपने महान विचारों से संत कबीर दास जी ने सभी धर्मा के अनुयायी को अपने साक्षात्कार से हराया था हिन्दू विचारधारा के गोरखपुर के गुरु गोरखनाथ जी प्रमुख है। गुरु गोरख नाथ जी ने ही संत कबीर दास जी को **संत साहेब** की उपाधि दी थी संत कबीर दास जी लगभग 125 वर्ष तक जीवन को एक दासनिक कि तरह जीवन्त किया उन के आदर्श आज भी समाज मे जीवंत है वो महान उपाशक ओर कर्म योगी थे उन का जीवन आज के युग मे भी सम्पूर्ण भारत और विश्व को प्रकाशित कर रहा है उत्तर भारत मे उत्तराखंड , उत्तरप्रदेश, बिहार मध्यप्रदेश राजस्थान गुजरात ,महाराष्ट्र में सुना और सुनाया के साथ पढ़ाया भी जाता है मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र से कबीर पंथ को मानने वाले मालवीय समाज मे वो आज भी जीवन्त है कबीर पंथी भजन गायक पदम श्री महंत श्री प्रहलाद जी टिपणियां ओर साथी , शबनम वीरमणी बेंगलूर से कबीर यात्रा के दवरा उन के पंथ को आगे बढ़ा रहे है । विदेशों में भी अमेरिका में यहूदी से बुद्धिज्म अपनाने वाली डॉ लिंडा हैन्स जो अमेरिका की यूनिवर्सिटी में पढ़ती है वे वाराणसी आ कर पिछले 30 वर्ष से कबीर पर शोध कर रही है और उत्तर भारत मे गाँव गाँव मे उन को लोक संगीत ओर भजन में शोध कर रही हैं जो आज के युग मे भी प्रासंगिक है।अपने जीवनकाल के में संत कबीर दास जी अपने अंतिम समय से पहले भगवान शिव की नगरी काशी ( वाराणसी) छोड़कर मगहर चले गए थे । उस समय काशी में एक बात बहुत प्रचलित थी कि तो व्यक्ति काशी में मरता है तो स्वर्ग को जाता था और जो मगहर में मरता है तो नर्क को जाता है ।संत कबीर दास जी ने भगवान राम ( विष्णु) की आराध्य मानते थे कबीर दास जी ने कहा है हे राम जिंदगी भर आप की पूजा की है और अगर काशी में रहने से ओर मरने से मुजे स्वर्ग मीले तो फिर आप जो पूजने सेवा करने का फायदा आप को स्वर्ग भेजना ही है तो मगहर से भेजना ओर यह कह कर संत कबीर दास जी मगहर चले गए ओर मगहर जा कर अपना चमत्कार दिखाया वहां बहने वाली नदी सुखी पड़ी हुई थी उस नदी को जीवंत कर दिया जो आज भी मगहर में कल कल करती बह रही है । जब संत साहेब का निधन हुआ तो उन की कुटिया बाहर हिन्द ओर मुस्लिम का उन की देह को पाने के लिए झगड़ा हो गया जब उन की कुटिया में जाकर देखा तो उन की देह वहाँ पर नही थी उस की जगह बहुत सारे कमल के फूल थे हिन्दू ओर मुस्लिम ने आपस मे बाट लिए ओर हिन्दूओ में उन को जलाया ओर मगहर में काशी के राजा ने मन्दिर बनवाया ओर मुस्लिम ने उन को गाड़ दिया ओर उस पर मगहर में मजार बनवाया । ऐसे **महान संत विचारक संत कबीर दास जी**के **जन्मोउत्सव** कि सभी आज सभी को बहुत बहुत बधाई ।अगर आप भी संत साहेब को जानना समझना चाहता है तो आप उन के भजन ,दोहो ,उन की विचारधारा के लोगो को सुनना चाहिए। ।।**जय संत साहेब**।। जय भोले **जितेन्द्र कुमार निमावत** **महासचिव** **श्री अमरनाथ सेवा समिति उदयपुर*
कबीर की ये धारा धाराओं में बहती हुई भारत की संस्कृति की विशेषताएं अपनी ज्ञान बुद्धि प्रतिभा से प्रवाहित करते हुए भारत में वैचारिक गंगोत्री में सभी को पावन करते हुए समज की सहेजें समर्थित क्षमताएं विकसित कर रहो एकत्व की गंगा
keep up the fight for equality and dignity for all.You are the true mahant.Please have others spread the word throughout India until everyone is equal. Demand the local politicians and police have zero tolerance against violence directed at Kabir followers.
आत्म ज्ञान पाने के बाद भी महावीर स्वामी गौतम बुद्ध ओशो ओर अनेकों आत्म ज्ञानी वापस लौटे संसारीयो को जगाने के लिए।प्रहलाद जी आप सही हो।बस छलांग बाकी हैं।
Nice. Tipaniya sir aapki kabir sahab ke prati bhakti is awesome. Salut you. I am near about from MAGAHAR SANT KABIR NAGER. Sir aap magahar kab aate hai . I am excite to meet you.
Ap ase hi nidar hokar samaj me upasthit buraiyo ka ant kare or is duniya ke sanghi se apni alag pahachan banaye apko ak din ye duniya yad karegi mahatma kabir ki tarha
प्रहलाद जी आपने जो चौका आरती कीये हैं क्या आपने साधना कीये हैं आत्म साक्छ कीये हैं कबिर साहेब बोले हैं चौका करनें के लीये अगर बोलें हैं तब तो ठीक है नहीं तो सब जीब कहाँ जायेगा भजन आपका ठीक है जगाने के लीये लेकीन चौका अजीब सा लगा
Charon antahkaran ko vilin kar shudh aatmabal praapta karo tab kabeer saaheb ke gyaan ka prachaar karo jaise anant shree sadaguru sadafaldev ji maharaj karte hai. Vihangam yog karo ek hi rasta hai Prabhu se milne ka.
Kamaal ki bat kr rhe hai tipaniya sahab .are aarti puja to kabir or unke phele bht thi ab to bht kam hai .agr yahi bat buddha mahavir Kabir soch lete ki log puja path aadambar mein phase hai inke samne mahant ban ke dheere dheere sikhainge to kya log dhyan karte ? dhyaan hi ek matra rasta hai satye ko jan ne ka .sab dhandha hai ye pandit purohit ban ne ka .
@kabirproject ..m a big fan of prahlad ji.. learned a lot from his videos ..plz a wanna listen him live ...would u plz share the details of his upcoming programs which I can attend . @shabnam virmani u have done a great job thanks for showing us this different sides of kabir in different states and country . #goodjob
🙏🙏🌹🌹🥀🌻🌷🌷👋👋kabira khada bajarme episode dekha isme choka arti dhiyan karmkand ismekya karna chahiye hamlog ye sab karmkand karte hei to inmese Kiya karna chahiye,🙏🙏🌻🌹🌹🥀🌷🌷👋👋saheb bandgi Jai parmatma m.g.patel🙏🙏🌺🥀🥀🌷🌷👋👋
मे कन्हैयालाल दास गाव काचरिया तेहसील महीदपूर जी उज्जैन मध्यप्रदेश मे दावे के साथ कहता हूं कि टिपानिया जी को कबीर साहेब के ज्ञान को समझें ही नहीं कबीर साहेब ने कहा कि सत गुरु का लक्षण कहूं मधूरे बेन विनोद चार वेद छ सासतर कहे अठारा बोध यहां पर पूरे गूरू की पहचान बताई है जो इस प्रकार है (गूरू इन सासतरो को जिनने वाला होना चाहिए चार वेद छ सासतर अठारा पूराण ओर गीता नहीं तो गूरू अधूरा कबीर साहेब ने कहा है कि जाप मरे अजप्पा मरे और अनहद भी मरजाय सूरत समाई सबद में ता को काल नहीं खाय (। अब यहां पर यह समझ ना हे की कबीर साहेब ने तीन बार में नाम दिक्षा देने का उपदेश दिया था १जाप मरे २अजप्पा जाप मरे ३ ओर अनहद भी मरजाय ये कबीर साहेब ने तीन बार में नाम दिक्षा देने का उपदेश दिया था और यह पूरा गूरू की पहचान बताई गई है (। सतगुरु मेरा बाणीया बणज करें वेपार बिन डांडी बिना पालवा तोल दीयों संसार ये पूरे गूरू की पहचान बताई गई है इस साखी का उत्तर बतायगाओर आज की हालत में किसी गूरू ने तोल के बता दिया वहीं गूरू पूरा और ऐसा गूरू आज भी संसार में हे एसे गूरू के विषय में जानकारी के लिए मेरा पता उपर लिखा है
गुरु के मार्गदर्शन के बिना तो कबीर को भी नहीं पता चला ऊपर वाले का भटकते हुए कबीर को जब गुरु रामानंद के वेद वेदांत का ज्ञान मिला तब वह निर्गुण भजन गाने के लायक हुए
लिंडा मेडम ने जो सवाल कीया है कि आप चोका आरती करतें हैं माला मुद्रा तिलक छापा तिरत व्रत में रया भटकी गावे बजावे लोक रिझावै खबर नहीं अपना घट की इस पर टिपानिया जी की बोलती बंद हो गई थी क्यों की ज्ञान नहीं है ओरो को कहते हैं कि पूजा पाठ तीर्थ व्रत तर्पण किर्या कर्म नहीं करना और खुद माला पहनते हैं तीलक लगाते है सर पर टोपी पहन ते हे ओर पाखंड करते हैं आप नाम दिक्षा देते हैं पर गुरु के लक्षण तो एक भी नही है ( सत गुरु के लक्षण कहूं मधूरे बेन विनोद चार वेद छ सासतर कहे अठारा बोध) अब आपको सोचना है कि आप के पास कोनसा लक्षण है ओर हेतो बताए या सिर्फ़ गाने ओर लोग रिझाने का
प्रह्लाद जी आप प्यारे व्यक्ति हैं, परंतु आपकी पत्नी परम हैं, वह घर बैठ कर ही कबीर का मर्म पा गईं आप पैर छुआने के स्वाद में भ्रष्ट हो गए, आपने कबीर को सिर्फ पड़ा है, आपकी पूज्य पत्नी ने कबीर को कढा है 🍃🌸
सन्त मत व कबीर साहेब के बारे में किसी भाई को अगर ज्यादा जानना हे तो जिज्ञासुओ का स्वागत हे address;; सतगुरु संतसंग समिति राठौड़ी कुवा जिला नागौर, राजस्थान पिन कोड 341001 इस स्थान पर पिछले 70 वर्षो से शुद्ध रूप से कबीर साहेब के मार्ग दर्सनानुसार सत्संग कायम हे सत्संग का समय सुबह 4 am to 8 am और श्याम को 8 pm to 10 सिर्फ जिज्ञासु व्यक्ति सम्पर्क करे
टिपानिया जी झूठे हैं पाखंडी है क्यों है कि एक वाणी में कहा है कि (माला मुद्रा तिलक छापा तिरत व्रत में रया भटकी गावे बजावे लोक रिझावै खबर नहीं अपना घट की) कबीर साहेब ने कहा है कि पांच नाम भव सागर का कहये यासे मूकती ना होई रे हंसा हंस मिलया से हंस होई रे ओर टिपानिया जी तों पांच नाम ही देते हैं जो कि कबीर साहेब ने कहा है कि पांच नाम से मूकती नहीं होगी जो की उनकी वाणी कहती हैं कोई भी इस टिप्पणी को देखते ही गूसा करेगा परन्तु टिपानिया जी ने गाया है कि पांच नाम भव सागर का कहये यासे मूकती ना होई रे हंसा हंस मिलया से हंस होई रे
पोप जैसी पगड़ी पहन कर वहीं सब कुछ करना पड़ रहा है जिसका कबीर ने विरोध किया था,,,,,, वस्तुतः साकार भक्ति से ही धीरे-धीरे आगे बढ़कर निराकार को पाया जा सकता है,,, मतलब साफ है कि जो भी सनातन हिंदू धर्म है वही सत्य है,,,,,, सिख धर्म ने मूर्ति को छोड़कर ग्रंथ की पूजा शुरू कर दी मुस्लिमों ने मूर्ति को छोड़कर दरगाह की पूजा शुरु कर दी ईसाइयों ने सूली पर चढ़ा ईसा मसीह को पूजना शुरू कर दिया,,,, कबीर पंथी चौका आरती माला सब तरह के कर्मकांड में फिर से फंस गए हैं। तो सत्य सनातन हिंदू वैदिक धर्म के आदि अनादि मुख्य पंचदेव यानी सूर्य गणेश विष्णु शिव और शक्ति की पूजा ही ठीक है इनको छोड़ के व्यक्ति दूसरे तरह-तरह के कर्मकांड में फस जाएगा,,,,,, उपासना और ज्ञान के क्षेत्र में कर्मकांड की कोई जरूरत नहीं रहती है लेकिन इस योग्यता वाले लोग बहुत कम होते हैं।
प्रह्लाद जी आडम्बर में फंस गये। मन में दबी हुई भावना ने महन्त बना दिया। मैडम का सवाल सही है, परन्तु प्रह्लाद जी गलत तर्क दे रहे हैं। क्या कबीर आडम्बरों का विरोध करने से पूर्व पाखंडियो का सदस्य बना था? कबीर सत्य में जगे हुए थे। अच्छा भजन गा लेने और अच्छी व्याख्या कर देने से कबीर नहीं बना जा सकता। प्रह्लाद जी को सच्चे सतगुरु की आवश्यकता है।
@mahant ji, kya ham ummeed karen ki agle ek saal mai aap yeh sab aarti-pooja khatm kar denge....??? Ya fir anek naamon mai ek aor mahant naam ko jodte hue dekhenge....
Amman Raza bhaiyya apka prashan vakiye bahut achcha he pr pooja path karna hamare samaj ki adat ho gai he jije achanak khatm na karke dire dire hi samapt kiya ja sakata he vo bi pooja karke uski burai se logo ko bata kar varna hamare log bina pooja pat ke kisi ki ak bi bath nahi sunata he or hame sabako samaja na he to sath lekar chalana padega
Bilkul galat vihangam yog karo aur shudh aatmabal praapta karo tab dekhao sansaar me apna jalwa bina sidhi vibhuti ke apni surati dwara. Only one complete sadagurudev in the world is anant shree sadaguru sadafaldev ji maharaj.
बिना विचारे जो करे सो पाछे पछताए काम बिगाड़े आपनो जग में होत हसाए टिपानिया साहब जी कितना आनंद आता था जब आप अपने मंडली को लेकर दामाखेड़ा पहुंचते थे मगर पता नहीं आपके मन में क्या भाव उत्पन्न हुआ कि हमारे वंश गुरु का चौका आरती आपको पाखंड लगा कलश आरती दल सिला उत्तम दल बनाएं पुंगी फल लॉन्ग लाची शब्द अनहद धुन ध्यान इन्हीं के माध्यम से तो सदगुरु कबीर साहेब जुड़ा वन दास को आत्मबोध किए थे सदगुरु कबीर साहब का चौका आरती एक धरोहर है या कहें मन का मंदिर है बाहर के मंदिर में जाने से पूरा जीवन निकल जाता है इसीलिए सदगुरु कबीर साहब ने गुरु धनी धर्मदास को चौका आरती के माध्यम से ही आत्मज्ञान दिया जिससे वह पाकर धन्य हुएसुबह का भूला शाम को घर आ जाए तो उन्हें भुला नहीं कहा जाता थोड़ी बात में ज्यादा समझे और वर्तमान के दौर है कि आप पुणे गुरु के दरबार में पहुंचे और अपने भूल का एहसास करो विनाश बस गुरु के शरण में मुक्ति नहीं है एक तमूरा थोड़े ही दिन साथ देने वाला है जिस प्रकार शरीर का इंद्रिय सुस्त पड़ जाता है उसी प्रकार है यह संसार हमारे गुरु दरबार में उमंग है ऊर्जा है उच्च कोटि का भाव भक्ति हैं आपने समझने में भूल किया आप से तो बेहतर आपकी धर्मपत्नी है जो गुरु की महिमा को जानती हैं गुरु का निंदा क्या होता है उनको भी वह समझती है हरि रूठे थोर है गुरु रूठे नहीं ठौर आपका जो विचार बदला है उसमें आपका दोस्त नहीं है वह उम्र का प्रभाव है पहले आप पाखंड संसार में है क्या चीज उन्हें जानने का प्रयास करें और सदगुरु कबीर साहेब ग्रंथों में कई बार चौका आरती करके जीवात्मा को बोधा है सप्रेम धन्यवाद साहिब बंदगी साहिब
बहुत दिनों नहीं वर्षौ से आपका भजन सुनता और गुनता हूं गणित के शिक्षकीय जीवन से यह तंबूरा बजाते साहेब कबीर के वाणी विचार का पर्चार पर्सार में तन मन धन से लगे हैं।एक दिन कबीर के वाणी जगत में ब्यापक होगा।मैं भी इस विचार को मानता हूं।कबीर सत्संग समिति बनाकर प्रचार में लगेंहैं।आपको त्रैय बार बंदगी करते हुए सफलता की आपने तो कबीर के वाणी को अमरिका तक पहुचा दिया।बहुत बड़ी उपलब्धि कबीर पंथित्यों के लिए है। रामाधार साहू हुडको भिलाई नगर छ ग ।दर्शन दीजिए
Kabeer ka prachaar vihangam yog dwara shudh yogbal prrapta karke hi karna chahiye anyatha log pakhand me fasenge aur pakhand karenge duniya kabeer ko sadharan batate hai. Lekin wo nahin jante kabeer is complete god . Sadharan aap logo ne banaya hai kabeer ko bina anubhav ke badd badd karke.
जय श्री कृष्णा बहुत ही अच्छे प्रवचन दिए गुरुदेव आपने और जो आपने सच्ची बात बोली बहुत अच्छी लगी अपने पैरों में किसी को झुकाना गलत बात है हमें बहुत अच्छा लगाआपने बोला झुकना ही है तो प्रभु जी के चरणों में झुके वाह क्या बात कही जय हो
इतिहास की ऐसी कोई भी अद्भुत घटना नहीं,जिसका कालांतर में व्यवसायीकरण न हुआ हो, जैसे ही सफलता क़दम चूमती है, वही वक्ता जो काम, क्रोध,लोभ, मोह जैसे विकारों से खुद ग्रस्त हो जाता है, तिपनिया जी की चुप्पी बहुत कुछ बयां कर रही है।
जय गुरुदेव टिपानिया जी आप बहुत सही हो आपके वीडियो देखकर मैं बहुत संतुष्ट हूंजो कि रूढ़िवादी और कर्मकांड से आप जो मुक्त होने का कहते हैं कबीर दास जी ने भी तो यही समझाया था पूरा गुरु का शिष्य और जो पूरे सत्य को जानने वाला व्यक्ति हमेशा सत्य की खोज करता है कबीर दास जी ने एक जगह कहा है कि पांच शब्दअनहद बाजे संगे सारंग वाणी कबीर दास जी तुम्हारीआरती करे निरंकार निर्वाणी सच्चे सत्संगी सच्चा भगत सच्चा कबीरपंथी वही है जो मनुष्य शरीर में वह अनहद जो आवाज हो रही है उसको सुनता है और ध्यान भजन सिमरन करता है सच्चा जिज्ञासु सच्चे सत्संगी है कबीर दास जी एक जगह कहते हैं कि सहेजें धून होत है सोही सुमिरन संसार जय गुरुदेव नाम प्रभु का बाबा जी का कहना है शाकाहारी रहना है आगे का समय विनाशकारी बच्चे वही जो शाकाहारी Jay Gurudev
कबीर की वाणी को साज गाज बाजे पर गाने से सतलोक नही जा सकते हैं कबीरदास साहेब की वाणी अनुभव का मार्ग है अपने जीवात्मा को जगाकर ये सब अनुभव खुद देखा है तब उन्होंने गाया था यानि कहा था अब उनकी वाणियों गाने से सतलोक नही जा सकते हैं इस धरती पर सन्त सतगुरु को खोजना पडेगा। अभी ऐसा गुरू मौजूद है बस ढूंढने की जरूरत है वाणीयो गाकर घमंड में मत रहना नही तो मानव तन बेकार चला जायेगा।
कुंडलिनी जागरण क़ी अवस्था का वर्णन
कबीर की वाणी हैं l
ऐसी इच्छा सबको करनी चाहिए
वरना सब किताबी बात हो जायेगी
जय श्री माताजी
पहलादसिंह टिपानिया बहुत सच्चे आदमी उस नूर का नूर है
माया महा ठगनी हम जानी,
तिरगुन फांस लिये कर डौलै, बोलै मधुर बानी। माया तो ब्रह्म को भी छोड़ती, इंसान की तो क्या बिसात।
माया मरी न मन मरा, मर मर गये शरीर,
आशा तृष्णा ना मरी, कह गये दास कबीर।
साहेब बंदगी संत सायब के लाडला संत सायब के पुत
जो संत नही संसार मे तो सायब रूट
कभी आप का दरसन होवे तो आत्मा पवित्र हो जाए आप का नाम से मंजील तक पहुच ही जाउगा सायब बंदगी
इंडिया में कल्चर के बिना , ज्ञान को लोग नहीं समझते।ये गुण भी हमें आना चाहिए लोगों और भावी को जोड़ने का।
सादगी से ही बुद्ध धर्म भारत में खतम हुआ।पंथ और धर्म दोनो को बिना कल्चर या संस्कृति के आगे नहीं ले जा सकते।
फूटी_आँख विवेक की लखे ने संत असंत-जा के संग दसबीस है ताका नाम महंत
लिंडा मैडम आप बहुत सुलझी हुई हैं आपके प्रश्न बहुत सटीक हैं ।
शिष्य तो वही होता है, जिसमे गुरुत्व विराजमान हो.... चाहे वह संख्या में एक हो या पाँच दस...... बहुत से लोगों की भीड़ इकट्ठी करके गुरु बन जाओ। और सब गुरु माने व गुरु अपने शिष्य माने यह कैसी गुरु शिष्य परम्परा है... हाँ जिसे भी गुरु धारण करना होता है वह स्वयं गुरु की शरण में आता है तथा नाम का उपदेश पाकर धन्य होता है। हजारों की संख्या में तुम सत्य की बात रख सकते हो परंतु सबके गुरु नहीं.... गुरु की महिमा कौन जाने? जिसने गुरु धारण किया हो....
श्रुत शबद का मेल... यानी सुनने वाला श्रोता शिष्य है और शब्द गुरु हैं। गुरु कोई व्यक्ति या आकार नहीं है। मैं जिस शब्द की बात कर रहा हूँ, वह कही वेद शास्त्र या कहीं नहीं मिलेगी सिर्फ़ पूर्ण सतगुरु के मुख से ही सुनने को मिलती है। तभी तो कबीर ने कहा है कि
कन फूंका गुरु हद का, बेहद का गुरु ओर।
बेहद का गुरु मिल जाए तो, लावे ठीकाना ठोड़।
जय गुरु महाराज।
गजब का हिम्मत है सर आपमें। कबीर खुश होते आपसे ❤️
jay satguru dev..🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹...jay kabir saheb
कबीर साहेब ने कहा है कि कबीर माया अटपटी सब घट आण अड़ी अब किस कीस को समझाऊं या कूवे भांग पड़ी याने कि सभी ने एक कूवे का पानी पि रखा है याने कि एक प्रकार का ज्ञान
सत साहेब
सुरति जागरण से ही सच्चे कबीर बनेगे
वर्ना सब्द जाल हे
दुनिया में डंका बजाया साहब कबीर ने।
प्रहलाद जी ,मैं आपके बहुत दिनों से आपके भजन और इंटरव्यू देख रहा हूं। लेकिन इस बार आपकी कथनी और करनी में बहुत फर्क नजर आया,आप एक तरह से ठगों की जमात में शामिल हो ही गये।
जब तक सतलोक तक पहुंचा हुआ गुरू नही मिलेगा तब तक नही जान पा सकते है गुरू मिलना चाहिए दोनों आखों के बिच मे से वह रास्ता गया हुआ है
बहुत बढ़िया लगा वीडियो🙌🙏🙏🙏
निर्गुण विचार धारा के *महान संत कवि श्री **कबीर दास**जी महाराज का आज **जन्मोउत्सव** है श्री कबीर दास जी का जन्म संवत 1455/1398 ईसा पूर्व भगवान शिव की नगरी काशी ( वाराणसी) में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हुआ था । महान संत का जन्म एक किदवंती है कुछ लोगो का कहना है कबीर साहब का जन्म विधवा ब्राह्मणी से हुआ है और उस को जन्मते की त्याग दिया गया था और दुसरी किदवंती यह है कि उन का जन्म लहरतारा तालाब में कमल के फूल पर हुआ था बाद में एक गरीब मुस्लिम जुलाहे ने अपनाया था ओर पालन पोषण किया
कबीर जीवन पर्यंत अनपढ़ थे उन्होंने जीवन कभी कोई पुस्तक या दोहा कभी कलम बन्द नही किया मगर आज वो हिंदी साहित्य में लाखों पुस्तकों में कलम बंद है उन के दोहे ,वाणी गीत ,संगीत एक तारा वाद्य यंत्र के साथ बहुत ही बजाया गाया जाता है। दुनिया के सभी बड़े विश्विद्यालय में विद्वान कबीर को हिंदी में उन की विचारधारा के कारण पढ़ाया जाता है और बड़े बड़े विश्व विद्यालय के छात्र उन पर शोध कर रहे है ।
कबीर निर्गुण निराकार ब्रह्म को मानने वाले थे ।
कबीर ने बाल्यकाल में अपने बाल स्वरूप का चमत्कार दिखाया पंडित रामा नंद जी सागर को , उन के बाल स्वरूप में गंगा घाट पर चमत्कार को देख कर पंडित जी से कबीर ने राम राम बुलवाया ओर अपना दिव्य रूप दिखाया तो पंडित रामा नंद जी बहुत ही प्रभावित हुए और कबीर को अपना शिष्य बनाया ओर शिक्षा दी
महान संत कवि कबीर दास को हिन्दू भगवान विष्णु का अवतार मानते है । पर वो हिन्द मुस्लिम के दोनों सम्प्रदाय में पले बढ़े थे दोनों ही धर्म के लोग संत कबीर को अपना मानते थे पर संत कबीर दास जी सब को अपना मानते थे महान संत कबीर दास जी जात, पात ,छुआ चूत ओर धर्म ओर जाति वाद के प्रबल विरोधी थे अपने महान विचारों से संत कबीर दास जी ने सभी धर्मा के अनुयायी को अपने साक्षात्कार से हराया था हिन्दू विचारधारा के गोरखपुर के गुरु गोरखनाथ जी प्रमुख है। गुरु गोरख नाथ जी ने ही संत कबीर दास जी को **संत साहेब** की उपाधि दी थी संत कबीर दास जी लगभग 125 वर्ष तक जीवन को एक दासनिक कि तरह जीवन्त किया उन के आदर्श आज भी समाज मे जीवंत है वो महान उपाशक ओर कर्म योगी थे उन का जीवन आज के युग मे भी सम्पूर्ण भारत और विश्व को प्रकाशित कर रहा है उत्तर भारत मे उत्तराखंड , उत्तरप्रदेश, बिहार मध्यप्रदेश राजस्थान गुजरात ,महाराष्ट्र में सुना और सुनाया के साथ पढ़ाया भी जाता है मध्यप्रदेश के मालवा क्षेत्र से कबीर पंथ को मानने वाले मालवीय समाज मे वो आज भी जीवन्त है कबीर पंथी भजन गायक पदम श्री महंत श्री प्रहलाद जी टिपणियां ओर साथी , शबनम वीरमणी बेंगलूर से कबीर यात्रा के दवरा उन के पंथ को आगे बढ़ा रहे है । विदेशों में भी अमेरिका में यहूदी से बुद्धिज्म अपनाने वाली डॉ लिंडा हैन्स जो अमेरिका की यूनिवर्सिटी में पढ़ती है वे वाराणसी आ कर पिछले 30 वर्ष से कबीर पर शोध कर रही है और उत्तर भारत मे गाँव गाँव मे उन को लोक संगीत ओर भजन में शोध कर रही हैं जो आज के युग मे भी प्रासंगिक है।अपने जीवनकाल के में संत कबीर दास जी अपने अंतिम समय से पहले भगवान शिव की नगरी काशी ( वाराणसी) छोड़कर मगहर चले गए थे । उस समय काशी में एक बात बहुत प्रचलित थी कि तो व्यक्ति काशी में मरता है तो स्वर्ग को जाता था और जो मगहर में मरता है तो नर्क को जाता है ।संत कबीर दास जी ने भगवान राम ( विष्णु) की आराध्य मानते थे
कबीर दास जी ने कहा है हे राम जिंदगी भर आप की पूजा की है और अगर काशी में रहने से ओर मरने से मुजे स्वर्ग मीले तो फिर आप जो पूजने सेवा करने का फायदा आप को स्वर्ग भेजना ही है तो मगहर से भेजना ओर यह कह कर संत कबीर दास जी मगहर चले गए ओर मगहर जा कर अपना चमत्कार दिखाया वहां बहने वाली नदी सुखी पड़ी हुई थी उस नदी को जीवंत कर दिया जो आज भी मगहर में कल कल करती बह रही है ।
जब संत साहेब का निधन हुआ तो उन की कुटिया बाहर हिन्द ओर मुस्लिम का उन की देह को पाने के लिए झगड़ा हो गया जब उन की कुटिया में जाकर देखा तो उन की देह वहाँ पर नही थी उस की जगह बहुत सारे कमल के फूल थे हिन्दू ओर मुस्लिम ने आपस मे बाट लिए ओर हिन्दूओ में उन को जलाया ओर मगहर में काशी के राजा ने मन्दिर बनवाया ओर मुस्लिम ने उन को गाड़ दिया ओर उस पर मगहर में मजार बनवाया ।
ऐसे **महान संत विचारक संत कबीर दास जी**के **जन्मोउत्सव** कि सभी आज सभी को बहुत बहुत बधाई ।अगर आप भी संत साहेब को जानना समझना चाहता है तो आप उन के भजन ,दोहो ,उन की विचारधारा के लोगो को सुनना चाहिए।
।।**जय संत साहेब**।।
जय भोले
**जितेन्द्र कुमार निमावत**
**महासचिव**
**श्री अमरनाथ सेवा समिति उदयपुर*
कबीर की ये धारा धाराओं में बहती हुई भारत की संस्कृति की विशेषताएं अपनी ज्ञान बुद्धि प्रतिभा से प्रवाहित करते हुए
भारत में वैचारिक गंगोत्री में सभी को पावन करते हुए समज की सहेजें समर्थित क्षमताएं विकसित कर रहो
एकत्व की गंगा
सही कहा सरजी आपने। आप बिलकुल सही कह रहे है।
बेशक होगे शाह वो
मैंअलमस्त फक़ीर
उनके साथ कुबेर है
मेरे संग कबीर
keep up the fight for equality and dignity for all.You are the true mahant.Please have others spread the word throughout India until everyone is equal. Demand the local politicians and police have zero tolerance against violence directed at Kabir followers.
आत्म ज्ञान पाने के बाद भी महावीर स्वामी
गौतम बुद्ध
ओशो ओर अनेकों आत्म ज्ञानी वापस लौटे संसारीयो को जगाने के लिए।प्रहलाद जी आप सही हो।बस छलांग बाकी हैं।
बहुत दिनों से आपकी सादगी की वजह से आपसे जुड़ने लगी थी लेकिन जो पाखंड कबीर ने मना किया था वहीं आप चोका आरती करने लगे दीपक आदि तो विश्वास खत्म हो गया।
वही तो एक तरफ निर्गुण निराकार की बातें और एक तरफ महंत बनकर वही दीपक आरती ऐसी क्या वजह थी जीवन बने
@@vikashmalviya5385 वजह समझाया तो इन्होंने विडियो में।
@@Ayushkumar-pb9hp haan yahi na ki logon ke bich m kisi na kisi ko to aana padega
Mene kabir saheb ko nahi dekha pr muje apki bathe or thark se asa lagata he ki kabir apke bitar hi he or apke jese hi hoge
Love and appreciation from Pakistan
Nice. Tipaniya sir aapki kabir sahab ke prati bhakti is awesome. Salut you. I am near about from MAGAHAR SANT KABIR NAGER. Sir aap magahar kab aate hai . I am excite to meet you.
Kabir panth is way life it's a truth of life ..sabhi dhrmo me anitm satya moksha ko prapt krna h BT kaise krna hvye surf Kabir panth btata h ..
Ap ase hi nidar hokar samaj me upasthit buraiyo ka ant kare or is duniya ke sanghi se apni alag pahachan banaye apko ak din ye duniya yad karegi mahatma kabir ki tarha
सब कारोबार है
कबीर जिससे छुड़ाने आए
आप उसी में फंसा रहे
Bahut achhe Vichar bahut achha video. Honest video.kyuki wo edit kar k bhi bata sakte the.
साहेब बंदगी साहेब जी
प्रहलाद जी आपने जो चौका आरती कीये हैं क्या आपने साधना कीये हैं आत्म साक्छ कीये हैं कबिर साहेब बोले हैं चौका करनें के लीये अगर बोलें हैं तब तो ठीक है नहीं तो सब जीब कहाँ जायेगा भजन आपका ठीक है जगाने के लीये लेकीन चौका अजीब सा लगा
Charon antahkaran ko vilin kar shudh aatmabal praapta karo tab kabeer saaheb ke gyaan ka prachaar karo jaise anant shree sadaguru sadafaldev ji maharaj karte hai. Vihangam yog karo ek hi rasta hai Prabhu se milne ka.
बिलकुल सत्य कहा प्रह्लाद जी ।
Aap sahi ho tipaniyaji jai ho aap ki
Kamaal ki bat kr rhe hai tipaniya sahab .are aarti puja to kabir or unke phele bht thi ab to bht kam hai .agr yahi bat buddha mahavir Kabir soch lete ki log puja path aadambar mein phase hai inke samne mahant ban ke dheere dheere sikhainge to kya log dhyan karte ? dhyaan hi ek matra rasta hai satye ko jan ne ka .sab dhandha hai ye pandit purohit ban ne ka .
you know what, to break the labyrinth system you have to play horse move(dhai chal), yes it is clash between socio-political turf and spiritual air.
@kabirproject ..m a big fan of prahlad ji.. learned a lot from his videos ..plz a wanna listen him live ...would u plz share the details of his upcoming programs which I can attend .
@shabnam virmani u have done a great job thanks for showing us this different sides of kabir in different states and country . #goodjob
गुरूतो बनना सहज है। मुश्किल होनादास
आपने तिपनिया जी सही कहा है अंतर जगत की परछाईं दिखाईं है इसमें सामान्य लोग कया जाने में आपका समर्थन करता हूं में गोपाल मीणा जयपुर 9660221548
इस धरती पर एक मात्र सतगुरू केवल संत रामपाल जी महाराज हैं
🙏🙏🌹🌹🥀🌻🌷🌷👋👋kabira khada bajarme episode dekha isme choka arti dhiyan karmkand ismekya karna chahiye hamlog ye sab karmkand karte hei to inmese Kiya karna chahiye,🙏🙏🌻🌹🌹🥀🌷🌷👋👋saheb bandgi Jai parmatma m.g.patel🙏🙏🌺🥀🥀🌷🌷👋👋
कबीर के गुरु खुद तिलक चंदन लगाते थे कबीर ने पाखंडी ओं के ऊपर कटाक्ष किया है और कबीरपंथी हो मैं वही पाखंड सब है
आपका चैनल मुझे बहुत अच्छा लगा👌👌👌
Very true 🙏🙏🙏
Linda you are amazing
मे कन्हैयालाल दास गाव काचरिया तेहसील महीदपूर जी उज्जैन मध्यप्रदेश
मे दावे के साथ कहता हूं कि टिपानिया जी को कबीर साहेब के ज्ञान को समझें ही नहीं कबीर साहेब ने कहा कि सत गुरु का लक्षण कहूं मधूरे बेन विनोद चार वेद छ सासतर कहे अठारा बोध यहां पर पूरे गूरू की पहचान बताई है जो इस प्रकार है
(गूरू इन सासतरो को जिनने वाला होना चाहिए
चार वेद छ सासतर अठारा पूराण ओर गीता नहीं तो गूरू अधूरा
कबीर साहेब ने कहा है कि जाप मरे अजप्पा मरे और अनहद भी मरजाय सूरत समाई सबद में ता को काल नहीं खाय
(। अब यहां पर यह समझ ना हे की कबीर साहेब ने तीन बार में नाम दिक्षा देने का उपदेश दिया था
१जाप मरे
२अजप्पा जाप मरे
३ ओर अनहद भी मरजाय
ये कबीर साहेब ने तीन बार में नाम दिक्षा देने का उपदेश दिया था और यह पूरा गूरू की पहचान बताई गई है
(। सतगुरु मेरा बाणीया बणज करें वेपार बिन डांडी बिना पालवा तोल दीयों संसार
ये पूरे गूरू की पहचान बताई गई है
इस साखी का उत्तर बतायगाओर आज की हालत में किसी गूरू ने तोल के बता दिया वहीं गूरू पूरा
और ऐसा गूरू आज भी संसार में हे एसे गूरू के विषय में जानकारी के लिए मेरा पता उपर लिखा है
कन्हैयालाल कन्हैयालाल sahi kaha aapne
Dil he me khojo dil yhi me dundo yahi karima rama tipanya ji app tho bah gaye dhra me kidhr ke bhi nhi
Satguru kaberdas ki jay ho
साधु संत मिल रोके घाटा साधु चढ़ गया उल्टी बाटा ।हरे हरे।
जो उगरा वो शरण तुम्हारी अब पार उतारो आप धणी ।।
great idea
Aida SUR Sirf Khued KABIRJI yA unke AAshirvad walae hi Nikalsakte had Khub PRANAM
गुरु के मार्गदर्शन के बिना तो कबीर को भी नहीं पता चला ऊपर वाले का भटकते हुए कबीर को जब गुरु रामानंद के वेद वेदांत का ज्ञान मिला तब वह निर्गुण भजन गाने के लायक हुए
jivan jeene ka sahi tarika ...stay ki pahchan Kabir panth hi btata h bda baki sb Maya me fasate h..
कबीर दास जी ने कहा आडम्बर नहीं करना चाहिए जो पहले सादगीपूर्ण मैं है वह सही है चोखा आरती भी आडम्बर है
आप सभी मित्रों लोग """अकह अनाम"""👈👈👈👈🌹🌹🌹 चैनल देखो और इनके सारे औडियो विडियो सहजता पुर्वक सुनो यहाँ सच्चा आत्म मार्गदर्शन प्रगट हो रहा हे
प्रहलाद जी की आवाज मे जादू है.
narsihgnarsihgnarsihgmalvy
लिंडा मेडम ने जो सवाल कीया है कि आप चोका आरती करतें हैं माला मुद्रा तिलक छापा तिरत व्रत में रया भटकी गावे बजावे लोक रिझावै खबर नहीं अपना घट की
इस पर टिपानिया जी की बोलती बंद हो गई थी
क्यों की ज्ञान नहीं है ओरो को कहते हैं कि पूजा पाठ तीर्थ व्रत तर्पण किर्या कर्म नहीं करना और खुद माला पहनते हैं तीलक लगाते है सर पर टोपी पहन ते हे ओर पाखंड करते हैं आप नाम दिक्षा देते हैं पर
गुरु के लक्षण तो एक भी नही है
( सत गुरु के लक्षण कहूं मधूरे बेन विनोद चार वेद छ सासतर कहे अठारा बोध) अब आपको सोचना है कि आप के पास कोनसा लक्षण है ओर हेतो बताए या सिर्फ़ गाने ओर लोग रिझाने का
Shi bole sbko chutiya bna rha hai
Sare karmkand k pahle wo kahte hai ki agar aap galat kaam karenge galat khaan paan karma karenge to in sabka koi matlab nahi hai.
Koi to disha batane wala hona chahiye. Unki Patni khud unhe disha deti hai. Linda madam khud hi bata rahi hai ki aap ne dusra rasta apnaya hai.
He should avoided all these things.He himself got trapped in the same vicious cycle
@@rajkumarigupta1553 purani kahavat hai
Guru kahe so Karo ,guru kahe so naahi.
Isme kya chutiyapa gai
प्रह्लाद जी आप प्यारे व्यक्ति हैं, परंतु आपकी पत्नी परम हैं, वह घर बैठ कर ही कबीर का मर्म पा गईं आप पैर छुआने के स्वाद में भ्रष्ट हो गए, आपने कबीर को सिर्फ पड़ा है, आपकी पूज्य पत्नी ने कबीर को कढा है 🍃🌸
कबीर ने वेदों के निर्गुण को चुना गुरु रामानंद के द्वारा शब्द ज्ञान प्राप्त किया और गुरु रामानंद के 52 पुत्र थे जो सब एक दूसरे से महान थे
Jay Kabir ji
सन्त मत व कबीर साहेब के बारे में किसी भाई को अगर ज्यादा जानना हे तो जिज्ञासुओ का स्वागत हे address;; सतगुरु संतसंग समिति राठौड़ी कुवा जिला नागौर, राजस्थान पिन कोड 341001 इस स्थान पर पिछले 70 वर्षो से शुद्ध रूप से कबीर साहेब के मार्ग दर्सनानुसार सत्संग कायम हे सत्संग का समय सुबह 4 am to 8 am और श्याम को 8 pm to 10 सिर्फ जिज्ञासु व्यक्ति सम्पर्क करे
शानदार
कबीर जी ने पाखंड का विरोध किया और कबीर पंथियों ने ही शुरू कर दिया पाखंड ,,,
महंत नही बनना चाहये ,था यह मन का खेल है ।
It was nice to watch this..
Sat sahebji
देखिए धंधा नहीं है सही बात दूर खड़े नहीं समझा सकते।
جیو کبیر مالک🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌹🌹🇵🇰
टिपानिया जी झूठे हैं पाखंडी है
क्यों है कि
एक वाणी में कहा है कि (माला मुद्रा तिलक छापा तिरत व्रत में रया भटकी गावे बजावे लोक रिझावै खबर नहीं अपना घट की)
कबीर साहेब ने कहा है कि पांच नाम भव सागर का कहये यासे मूकती ना होई रे हंसा हंस मिलया से हंस होई रे
ओर टिपानिया जी तों पांच नाम ही देते हैं
जो कि कबीर साहेब ने कहा है कि पांच नाम से मूकती नहीं होगी जो की उनकी वाणी कहती हैं
कोई भी इस टिप्पणी को देखते ही गूसा करेगा परन्तु
टिपानिया जी ने गाया है कि पांच नाम भव सागर का कहये यासे मूकती ना होई रे हंसा हंस मिलया से हंस होई रे
Sat saheb
Fir bhi rampal ashumull raadhemmaa & msg se laakh gunaa achhi soch hai.
पोप जैसी पगड़ी पहन कर वहीं सब कुछ करना पड़ रहा है जिसका कबीर ने विरोध किया था,,,,,,
वस्तुतः साकार भक्ति से ही धीरे-धीरे आगे बढ़कर निराकार को पाया जा सकता है,,,
मतलब साफ है कि जो भी सनातन हिंदू धर्म है वही सत्य है,,,,,,
सिख धर्म ने मूर्ति को छोड़कर ग्रंथ की पूजा शुरू कर दी मुस्लिमों ने मूर्ति को छोड़कर दरगाह की पूजा शुरु कर दी ईसाइयों ने सूली पर चढ़ा ईसा मसीह को पूजना शुरू कर दिया,,,, कबीर पंथी चौका आरती माला सब तरह के कर्मकांड में फिर से फंस गए हैं।
तो सत्य सनातन हिंदू वैदिक धर्म के आदि अनादि मुख्य पंचदेव यानी सूर्य गणेश विष्णु शिव और शक्ति की पूजा ही ठीक है इनको छोड़ के व्यक्ति दूसरे तरह-तरह के कर्मकांड में फस जाएगा,,,,,,
उपासना और ज्ञान के क्षेत्र में कर्मकांड की कोई जरूरत नहीं रहती है लेकिन इस योग्यता वाले लोग बहुत कम होते हैं।
सही बात है आप की
kitna naatak...hai...duniya me...oh my kabeer...
Super bhai
प्रह्लाद जी आडम्बर में फंस गये। मन में दबी हुई भावना ने महन्त बना दिया। मैडम का सवाल सही है, परन्तु प्रह्लाद जी गलत तर्क दे रहे हैं। क्या कबीर आडम्बरों का विरोध करने से पूर्व पाखंडियो का सदस्य बना था? कबीर सत्य में जगे हुए थे। अच्छा भजन गा लेने और अच्छी व्याख्या कर देने से कबीर नहीं बना जा सकता। प्रह्लाद जी को सच्चे सतगुरु की आवश्यकता है।
Tipaniya ji ne kaha se mahant ka panja liya hai ,?
कबीरा चेलासत का दासों का भी दास अब तो ऐसा हो रहा ज्यूँ पाँव तले का घास
सही बात समझाने के लिए उन लोगों के बीच में उसी तरह से घुस कर ही दो उसमें फंसे लोगों को निकाल सकते है।
साहेब बंदगी
narsihgnarsihgnarsihgmalvy
Prahladji aap bahut behtrin gayak ho Lekin mehent ji kabir saheb ram sita brahma Vishnu sabke baap hai saheb kabir ji aik vichar dhara hai
भीखा बात अघम कि कहन सुनन की नाय, जानै है तो कहे नहीं कहे तो जानै नाय।
Who thinks Kabir is a Chamar not in the west he is definitely Sat Guru Master self realised Atma.
Sant kahawat kathin hai jaise perh khajoor
charho to chaakho prem ras Gire to chaknachoor
Aap ji sai arun ji shelar ke online vedio ek suniye ye aapse vinti h.
No aap ne Galt Kiya mahant bn ke
आप चोखा आरती करने का उद्देश्य मंदिरों को बड़वा देना है
प्लीज आप ऐसा ना करे🙄🙄
Mala toppee sumirni, satguru diya baksees
Saheb Saheb
@mahant ji, kya ham ummeed karen ki agle ek saal mai aap yeh sab aarti-pooja khatm kar denge....???
Ya fir anek naamon mai ek aor mahant naam ko jodte hue dekhenge....
Amman Raza bhaiyya apka prashan vakiye bahut achcha he pr pooja path karna hamare samaj ki adat ho gai he jije achanak khatm na karke dire dire hi samapt kiya ja sakata he vo bi pooja karke uski burai se logo ko bata kar varna hamare log bina pooja pat ke kisi ki ak bi bath nahi sunata he or hame sabako samaja na he to sath lekar chalana padega
Kabir Saheb ka asli panth sirf Sant Rampal Ji Maharaj ka hi h Sabhi Rampal Ji ka Gyan suno
Bilkul galat vihangam yog karo aur shudh aatmabal praapta karo tab dekhao sansaar me apna jalwa bina sidhi vibhuti ke apni surati dwara. Only one complete sadagurudev in the world is anant shree sadaguru sadafaldev ji maharaj.
गुड
झूठ और पाखण्ड का नया स्वरूप । लोगों पर पत्थरबाजी करते करते खुद ही उन जैसे हो गए
Nic
Aap sahi taste me ja rahe ho