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ऋषि दयानन्द ने बतलाया पाँच यज्ञो का करना \पं. नरेश दत्त जी \ASM BHAJAN

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  • Опубліковано 29 вер 2021
  • #asmbhajan #vaidicbhajan #aryasong #nareshdatt

КОМЕНТАРІ • 14

  • @chandrakanta1470
    @chandrakanta1470 2 роки тому +1

    🙏🙏

  • @murarikumar-le7ht
    @murarikumar-le7ht 2 роки тому +1

    Sunder bhajan manav jivan ke liye hai

  • @aaloksahu1330
    @aaloksahu1330 2 роки тому +1

    सादर नमस्ते जी 🕉🙏🚩🌺

  • @sarvandhull3114
    @sarvandhull3114 2 роки тому +1

    नमस्ते जी

  • @murarikumar-le7ht
    @murarikumar-le7ht 2 роки тому

    Acharya ji ko charan sparsh pranam

  • @user-zt1xn9ee7f
    @user-zt1xn9ee7f Рік тому

    Very nice

  • @anitaphalswal6168
    @anitaphalswal6168 2 роки тому

    Very nice 👍

  • @naresharyaofficial7236
    @naresharyaofficial7236 2 роки тому

    🙏🙏🙏🙏

  • @sheshnarayan4615
    @sheshnarayan4615 2 роки тому +1

    शेष नारायण श्रीवास्तव ×अकिञ्चन× बहुत ही सुन्दर, प्रेरणादायक गीत। सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय। महर्षि दयानन्द सरस्वती जी महाराज की‌ जय।प० नरेश दत्त जी को बहुत बहुत साधुवाद।

  • @devenderkaliravna5459
    @devenderkaliravna5459 Рік тому

    👍🙏

  • @user-un3bb4rf9v
    @user-un3bb4rf9v 2 роки тому

    Very nice 🙏

  • @sukantadas3889
    @sukantadas3889 2 роки тому

    Namaste ji

  • @panditajayarya
    @panditajayarya 2 роки тому +2

    नमन 🙏 गुरुदेव

  • @ashishgrover1729
    @ashishgrover1729 Рік тому

    ऋषि दयानंद ने बतलाया पांच यज्ञों का करना
    दीन दु:खी और निर्बलजनों के कष्ट हमेशा हरना
    १. ब्रह्मयज्ञ है प्रथम करो मिल सब प्राणी,
    जिससे होगी शुद्ध हमारी मन वाणी,
    प्रभु का मुख्य नाम है ओ३म्,
    क्या भारत, अमरीका, रोम,
    सबमे रमा हुआ है ईश्वर, ध्यान हमेशा धरना
    २. देवयज्ञ तो श्रेष्ठ कर्म कहलाता है,
    चींटी से हाथी तक को सुख पहुंचाता है,
    न गूंजे स्वाहा से जहाँ आसमान,
    घर रहता शमशान समान,
    मान करो विद्वानों का, हर समय पाप से डरना
    ३. यज्ञ तीसरा मात - पिता की है सेवा,
    बड़ो की सेवा से ही मिलता है मेवा,
    कर दे सब जीते जी अर्पण,
    न कर मरने पर श्राद्ध तर्पण,
    भूखे पेट बाप मरा, मुश्किल है श्राद्ध से भरना
    ४. जाने अनजाने में जितने जीव मरे,
    उनके प्रायश्चित के लिए बलिवैश्व करे,
    दस आहुति भात की देकर, मन में भाव दया के लेकर
    दया धर्म का मूल बताया, अभिमान मत करना
    ५. जो भी अतिथि घर में आये मान करो,
    गृहस्थी का है यझ पांचवा ध्यान धरो ,
    करना इन्हे यथा शक्ति से, होना मत विचलित भक्ति से,
    करना अच्छे काम सभी, पछतायगा वरना