कर्मातीत कैसे बनें..? | Karmatit Kaise Bane | Powerful Bhatti Class | Dadi Prakashmani Ji

Поділитися
Вставка
  • Опубліковано 15 вер 2024
  • Powerful Bhatti Class | Dadi Prakashmani Ji
    दादी प्रकाशमणि उर्फ कुमारका दादी प्रजापिता ब्रह्माकुमारिज़ ईश्वरीय आध्यात्मिक विश्वविद्यालय की दूसरी मुख्य प्रशासिका (leader) रही हैं। मम्मा के बाद साकार में यज्ञ की प्रमुख, दादी प्रकाशमणि ही रहीं। चाहे देश विदेश की सेवा की देखभाल हो, या ब्राह्मण परिवार में कोई समस्या आए, तो परिवार के बड़े के पास ही जाते हैं।
    दादी 1969 से 2007 तक संस्था की मुख्य प्रशासिका रहीं। इसी समय में बहुत गीता पाठशाला और बड़े सेंटर्स खुले।
    दादी का लौकिक नाम रमा था। रमा का जन्म उत्तरी भारतीय प्रांत हैदराबाद, सिंध (पाकिस्तान) में 01 सितंबर 1922 को हुआ था। उनके पिता विष्णु के एक महान उपासक और भक्त थे। रमा का भी श्री कृष्णा के प्रति प्रेम और भक्ति भाव रहता था। रमा केवल 15 वर्ष की आयु में पहली बार ओम मंडली के संपर्क में आई थीं, जिसे 1936 में स्थापन किया गया था। रमा को ओम मंडली में पहली बार आने से पहले ही घर बैठे श्री कृष्ण का साक्षात्कार हुआ था, जहां शिव बाबा का लाइट स्वरूप भी दिखा था। इसलिए रमा को आश्चर्य हुआ, कि यह क्या और किसने किया! शुरूआत में बहुतों को ऐसे साक्षात्कार हुए। यह 1937 का समय बहुत वंडरफुल समय रहा।
    रमा की दीवाली के दौरान छुट्टियां थीं और इसलिए उनके लौकिक पिता ने रमा (दादी) से अपने घर के पास सत्संग में जाने के लिए कहा। असल में, इस आध्यात्मिक सभा (सत्संग) का गठन दादा लेखराज (जिन्हें अब ब्रह्मा बाबा के नाम से जाना जाता है) द्वारा किया गया था, जो स्वयं भगवान (शिव बाबा) द्वारा दिए गए निर्देशों पर आधारित था। इसे ओम मंडली के नाम से जाना जाता था।
    ”पहले दिन ही जब मैं बापदादा से मिली और दृष्टि ली, तो एक अलग ही दिव्य अनुभव हुआ” - दादी प्रकाशमणि। उन्होंने एक विशाल शाही बगीचे में श्री कृष्ण का दृश्य देखा। दादा लेखराज (ब्रह्मा) को देखते हुए उन्हें वही दृष्टि मिली। उन्होंने तुरंत स्वीकार किया कि यह काम कोई मानव नहीं कर रहा है।
    उन्हीं दिनों में बाबा ने रमा को ‘प्रकाशमणि’ नाम दिया। तो ऐसे हुआ था दादी प्रकाशमणि का अलौकिक जन्म!
    1939 में पूरा ईश्वरीय परिवार (ओम मंडली) कराची (पाकिस्तान) में जाकर बस गया। 12 साल की तपस्या के बाद मार्च 1950 में (भारत के स्वतंत्र होने के बाद) ओम मंडली माउंट आबू में आई, जो अभी भी प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज़ का मुख्यालय है। 1952 से मधुबन - माउंट आबू से पहली बार ईश्वरीय सेवा शुरु की गयी। ब्रह्माकुमारियां जगह जगह जाकर यह ज्ञान सुनाती और धारणा करवाती रहीं। दादी प्रकाशमणि भी इस सेवा में जाती थी। ज़्यादातर दादी जी मुम्बई में ही रहती थीं।
    साकार बाबा (ब्रह्मा) के अव्यक्त होने बाद से, दादीजी मधुबन में ही रहीं और सभी सेंटर की देखरेख की। 2007 के अगस्त महीने में दादीजी का स्वास्थ ठीक ना होने पर, उन्हें हॉस्पिटल में दाखिल किया गया। वही पर 25 अगस्त को उन्होंने अपना देह त्याग कर बाबा की गोद ली।
    अच्छा
    नमस्ते।

КОМЕНТАРІ • 9

  • @ramsinghrawat7303
    @ramsinghrawat7303 Рік тому +1

    ॐ शान्ति बाबा जी।
    ॐ शान्ति बाप दादा।
    ॐ शान्ति अवयक्त बाप दादा।
    ॐ शान्ति दादी प्रकाशमणि जी।

  • @niravupadhyay108
    @niravupadhyay108 3 роки тому +2

    OmShanti...
    Thank you Bapdada &
    Thank you DadiJi ...

  • @anita-qx3vg
    @anita-qx3vg 3 роки тому +1

    Om Shanti baba shukriya baba

  • @ArchanaSharma-vs4so
    @ArchanaSharma-vs4so 3 роки тому +2

    Om Shanti Mera baba. Thankyou dadiji

  • @chetnajeevanjeenemeshayakh8641
    @chetnajeevanjeenemeshayakh8641 3 роки тому +1

    ओमशाॅति मीठे बाबा

  • @gowrammakp6871
    @gowrammakp6871 3 роки тому +1

    Omshanthi baba om shanthi dadiji good night pyare baba

  • @mr.radhakrishnakamat5785
    @mr.radhakrishnakamat5785 3 роки тому +1

    🌹🌸🕯️ॐ शांति🕯️🌸🌹
    योग का प्रयोग🎉
    व्यर्थ को समर्थ 🎉

  • @madhubensolanki3243
    @madhubensolanki3243 Рік тому +1

    ઓમ્ શાંતિ

  • @anandlatasharma881
    @anandlatasharma881 Рік тому +1

    Om shanti mere meethe pyare Baba Om Shanti dadi ji