Raag Madhuvanti (Part - 1)-Indian classical music online live Riyaz Session by Guruji Sanjay Dewale
Вставка
- Опубліковано 23 сер 2024
- राग मधुवन्ती राग मधुवन्ती एक आधुनिक राग है । आजकल गायक तथा वादक दोनों ही इछ राग से बहुत अधिक प्रभावित है । सुविश्रुत राग मुल्तानी में रिषभ धैवत शुद्ध कर देने से राग मधुवन्ती का आविर्भाव होता है । जब हम उत्तर भारतीय दस घाटों पर एक विहंगम दृष्टि डालते हैं तो हमें ज्ञात होता है कि प्रस्तुत राग इनमें से किसी भी थाट के अन्तर्गत वस्तुतः नहीं आ सकता है । परन्तु इसका चलन बहुत कुछ मुल्तानी जैसा है और मुल्तानी राग तोड़ी घाट के अन्तर्गत आता है , अतः मधुवन्ती को भी गुणिजन तोड़ी बाट के अन्तर्गत मान लेते हैं । परन्तु लेखक इस मत से सहमत नहीं हैं । अतः लेखक के विचार से प्रस्तुत राग को केवल मुलतानी अंग का राग मानना ही अधिक उचित होगा । यदि इसे थाट वर्गीकरण के अन्तर्गत ही मानना है तो इसे व्यंकटमखी के ७२ घाटों में से धर्मवती थाट के अन्तर्गत मान सकते हैं । इसमें गंधार कोमल , मध्यम तीव्र तथा अन्य स्वर शुद्ध लगते हैं । मधुवन्ती के आरोह में रिषभ धैवत वर्ण्य तथा अवरोह में सातों स्वरों का प्रयोग होता हैं , इसलिये इसकी जाति औडव - सम्पूर्ण है । इस राग में पंचम वादी तथा रिषभ सम्बादी है । वस्तुतः सभी विद्वान मुक्त कन्ट से पंचम को यादित्व प्रदान करते हैं , परन्तु सम्बादी स्वर के सम्बन्ध में सभी विद्वान एक मत नहीं हैं । कतिपय विद्वान षडज को संवादित्व प्रदान करते हैं । परन्तु लेखक के विचार से रिषभ को सम्बादित्व प्रदान करना अधिक न्यायोचित होगा , क्योंकि पूर्वांग में सबसे अधिक इस राग में रिषभ ही चमकता है । रिषभ के प्रयोग से यह राग खिल उठता है । पडज तो वस्तुतः सभी रागों का महत्वपूर्ण स्वर है , उसे तभी वादित्व या संवादित्व प्रदान करना चाहिये जब कि अन्य किसी स्वर को यह स्थान प्रदान करने की गुंजाइश न हो । प्रस्तुत राग का गायन समय बारह बजे दिन से लेकर ४ बजे दिन तक हैं । कुछ विद्वान लोग इसे रात में भी गाते - बजाते हैं । इसका विस्तार मध्य सप्तक में अधिक किया जाता है । इस राग में कतिपय विद्वान केवल कोमल निषाद का प्रयोग करते हैं , परन्तु कुछ विद्वान दोनों निषाद का प्रयोग करते हैं । परन्तु प्रचार में मधुवन्ती राग में केवल शुद्ध निषाद का ही प्रयोग अधिक मान्य है । धैवत और रिषभ का प्रयोग इस राग में बहुत ही कर्ण प्रिय है । प्रस्तुत राग में न्यास के स्वर षडन , गंधार , पंचम और निषाद हैं । प्रस्तुत राग में रिषभ में षडज का कण और गंधार में तीन मध्यम का कण लगाने पर पूरा ध्यान देना चाहिये , क्योंकि इसी से यह राग सजता है \
इस राग में - सा मंगऽ म ग प , ग म प , सा में ग , म ग प । इस प्रकार के स्वर समूह से कुछ मुल्तानी का आभास होने लगता है , परन्तु इसमें - ग सा रे सा और म प ध प , इस प्रकार शुद्ध रिषभ तथा शुद्ध धैवत का प्रयोग करने से मुल्तानी का आभास दूर हो जाता है । इसके अतिरिक्त उत्तरांग में जब ए नी सां , गं सां रें सां , नी सां घऽ प , इस प्रकार के स्वर समूह का प्रयोग करते हैं तो पटदीप राग समक्ष आता है , परन्तु नी सां ध प के आगे ध म प स्वर स्वर समूह जोड़ने से पटदीप की छाया दूर हो जाती है । इस प्रसंग में यह तथ्य स्मरणीय है कि जब मधुवन्ती में नी सां ध स्वर संगति का प्रयोग करें तो सांध के पश्चात् अधिकतर पंचम को न लेकर तीव्र मध्यम का प्रयोग करने के बाद पंचम को आगे लावें जैसे- नी सां ध म प , इस प्रकार के प्रयोग से प्रस्तुत राग पटदीप से दूर हो जायेगा । सां रें सां नी ध प म प , नी ध म प , इत्यादि स्वर समूह के प्रयोग से कल्याण व श्याम कल्याण का आभास होता है परन्तु कोमल गंधार के प्रयोग से इन सभी रागों का भ्रम दूर हो जाता है । प्रस्तुत राग का उठाव जब- नि सा ग सा रे सा इस स्वर संगति से करते हैं तो गंधार कभी भी दीर्घ नहीं करना चाहिये । क्योंकि गंधार दीर्घ करने से तत्काल राग पीलू की छाया आने लगेगी । इसलिये गंधार का प्रयोग सावधानी से करना चाहिये । ।प्रस्तुत राग में सा में ग प , प ग , सां घ , धर्म की स्वर संगति तथा नग , में मु की पुनरावृत्ति बार - बार होती है । पटदीप तथा मुल्तानी इसके समप्रकृति राम है । परन्तु मुल्तानी में रे ध कोमल होने से और पटदीप में मध्यम शुद्ध होने से ये दोनों राग मधुवन्ती सहज ही में भिन्न हो जाते हैं ।
प्रस्तुत विवरन मे जहाँ गंधार आया है वह कोमल ओर मध्यम तिवर है।
Jai shree Krishna
Pronam Guruji🎉🙏🌷🙏
🙏🙏🙏
खुप छान गरूजी खुप छान पध्दतीने आपण तयारी करून घेता
🙏🙏🙏🙏🙏
❤
pranam guru ji
Praman guruji🙏
❤❤❤
❤❤❤🙏🙏🙏
Day1🙏🙏
Thanks
Pronam Guruji satkoti naman.
Namaste guru ji
thank यू very much guruji 🌹
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏
आपका आभार 🙏
Thank you for the beautiful raag Guruji
Bahut sundar, accha riyaaz hua❤🙏🙏🙏
गुरु जी राम कृष्ण हरी मुझे पर कृपा करो
GURU JI PRANAM
Aap ke baatein sun sun kar... Ham swaron ka aradhana karna seekh rahein hai sir... What a daiva guru sir aap🥰 bahuth bahuth in sab ke liye bahuth abhhaar hai sir🥰🥰💐💐
Kya baate he uruji aapka samarpan bhav se seekhana
आज मैं इस व्हिडीयो की मधुवंती रागकी प्रैक्टीस करती हूँ । प्रणाम गुरुजी🙏💐
प्रणाम गुरुजी🙏
Wah bhi aur aah bhi…. Kya baat 🙏🙏🙏
Pranaam guruji🙏🙏
Thank you so much Guru ji for your love 💓
Pranam Guru ji
Sat sri akal guru ji 🙏🙏🙏
Adbhuth sir
खूपच सुंदर
Anandmy pal
Dhannya ho aap
Bandish sikhane agar taal ki matra bhi sikhaye guru ji koun si matra se chalu h
Jese kalavati sikhaya aha
Jay ho
सर मी कालच तुमचा राग मधुवंती ( Riyaj session ) ऐकला मला खूप आवडला. मी संगीत अलंकार केलेली विद्यार्थीनी आहे, क्लासेस घेते, पण हे सर्व राग नव्याने ज्ञानासाठी शिकत आहे. तुम्ही खूप छान मार्गदर्शन करता. 🙏
धन्यवाद,मी प्रत्येक रविवार सकाळी 8 वाजता लाइव रियाज़ क्लास करतो, स्वागत आहे..
Pranam Guruji
🙏🏻🙏🏻🙏🏻
🙏🙏🕉🕉
Pranam
🙏🙏🙏🙏💐💐
aapko mera badaa namskar guruji
प्रणाम
🙏🙏
गुरुजी सादर नमस्कार 😊🙏
Very detailed Riyaz
गुरुजी आज मैं मधुवंती राग का रियाझ की प्रॅक्टीस करती हूँ | नमस्कार 🙏💐
✨✨
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏😞😞😞😞❤❤❤❤❤
Thank you guruji
Pranam .
Is raag ki notation Facebook page pe dene ki request raha
How धैवत is taken in aroha
8827426379 WhatsApp on this number
Pranam guruji...hame jyada avsar nahi mila jawani me...but aap kitne bade Dil se hame sikha rahe hain..with so much efforts and patience ..God's way of giving us an.opporytunity to learn.. though very late in life... Aap ne behen ka jikr kiya..bhagwan unhe aaram de....guruji hame kuch Guru dakshina Dena ho toh kis number par kare?
आप रविवार सुबह आठ बजे लाइव रियाज़ सत्र में शामिल हो .. स्वागत है आपका .
Hamare yha to bhut dino se baarish ho rhi h 😊
😢nice lesson spoilt by too many Namasteys and interruptions
Every Sunday morning 8 O'clock Riyaz session with guruji Sanjay dewale .
I want to take some training from you if you are available please
🙏🙏🙏🙏🙏