गन्ना बुवाई के 3 तरीके / बुवाई में कौन-कौन सावधानियां बरतें

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  • Опубліковано 20 вер 2024
  • गन्ना बुवाई की विधि
    गन्ने की बुवाई सपाट व फेरो विधि से करनी चाहिए। इसके लिए पलेवा देकर खेत तैयार करने के बाद 75-90 सेमी. के फासले पर गहरे कुंड निकाले. भारी व अच्छी उपजाऊ भूमियों में पंक्ति से पंक्ति की दुरी 90 सेमी. एवं हल्की एवं कम उपजाऊ मृदा में यह दुरी 75 सेमी. रखें.
    इन कुंडों में दीमक आदि कीड़ों की रोकथाम हेतु कीटनाशक डालकर ऊपर से गन्ने के टुकड़ों को ड्योढ़ा मिलकर रख दे और फिर पाटा फेर दे ताकि टुकड़े अच्छी प्रकार मिटटी में ढंक जाए. बुवाई के तीसरे सप्ताह में एक सिंचाई देकर सावधानी से अंधी गुड़ाई करें, ऐसा करने से मिट्टी की पपड़ी उखड जएगी और अंकुरण अच्छा होगा.
    चिकनी मिट्टी वाले क्षेत्रों में जमीन भुरभुरी तैयार नहीं हो पाती है. इसलिए इन क्षेत्रों में सूखी मिट्टी में बुवाई करनी चाहिए. इसके लिए सुखी मिट्टी में 75-90 सेमी. की दूरी पर गहरे कुंड निकालकर उनमे उर्वरक तथा भूमि उपचार हेतु औषधि डाल दें. इसके बाद गन्ने के टुकड़ों को ड्योढ़ा (तिरछा) रख दे और पाटा फेरकर तुरंत सिंचाई कर दें. ध्यान रहे की पहली सिंचाई हल्की और समान होनी चाहिए. जब खेत बाह पर आ जाए तो अच्छी तरह अंधी गुड़ाई करें. इसके 15-20 दिन बाद दोबारा सिंचाई कर गुड़ाई करें. इससे अंकुरण अच्छा होगा.
    खाली स्थानों पर रोपाई हेतु गन्ने की तीन-चार अतिरिक्त पंक्तिया बोएं. जहां अंकुरण कम हुआ हो, वहां बुवाई के 25-30 दिन बाद एक आँख वाले टुकड़े को निकालकर रोपाई करें.

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