@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
Masha Allah imaan union team ko india se ibrahim ka dil se salam App log sahi me islam ki bunyaad ho itne bure dour me bhi logon ko sahi islaam ki talim de rahe hain hamare yahan to ye kaam karne wale aapas me hi ladte rehte hai Dua Hai ALLAH app logon ki jaan maal imaan air izzat aabru ki puri hifazat karein Amin ❤❤❤❤
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
Mashallah mufti sahab kiy jawab aap ne diy hai , samne wale ko mun tood jawab aap ne dig hai Mashallah.. Allah aap ke ilm me khoob barkat ata farmaye amin
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
@@shamshir-nm1wuKrishna ko itna Hawas kyun tha??? Brahma ne apne bati se maje kyun liye???? Kabhi stream me aa live...Sahi, Zayf kuch malum bhi hai ahadith ka... Context bhi dekhna hota hai....Awaz e haq par live aa...Tujhe answer milega or chaddi bhi utara jayega.... Gopi wale Krishna ne 16000+ bibiow k sath maje liye or tu uska Bhakth yaha aa kar Arabi baba kuch bhi bal Raha hai.... Ye Sri Krishna, or Ram nehi hai .. Immoral god
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
Very healthy discussion.......samajh ne wale samajh gaye jab burayi hi nahi hogi to pariksha ya testing kis baat pe hogi??? Yeh baat is bhai ko samjh nahi ayi ya na samjhne ki kasam khayi hai.......ya samjh me aa gyi baat lekin admit nahi krna chahta.......
Bro Aisa nahi hai Dr Zakir Naik usko hindu scriptures or Cristian scripture ki knowledge hai islamic scripture ki itni zayda knowledge nahi hai Mufti sahab ko islamic education me expert hai inka muqaabla nahi hai koi
Bhai..... Ek Mufti, dayee and Dr. ... Ko aap Ek ZAKIR Nayak, dayee, Dr. If zakir Nayak sahab gives fatwa he will be caught guilty in aaqirah... but not a Mufti is punished in aqirah... . plz... aap pehle apney ilm ko samjho....
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
Why not heaven now " Agar aisay hi jannat mai behjna hota to ya kaisay daleel banti un ko jannat mai bhejnay ki dar haqeeqat insaaf karnay walay k liya zaroori hai k koi daleel ho jahannum or jannat k faisla karnay k liya or wo dunya ki zindagi bani " Why not heaven now Becuase earth life become justification for the result to getting to heaven or hell " For give me for my english
Iska sawal hai ki allah volcano ko phatne se kyu rokh nahi sakhta.. Mera point hai ki allah abhi volcano ko hi nahi poori kainaat ko phatne se rokh rakha hai Wo al qadir bhi hai har cheez par khudrat rakhne wala..
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
@@user-wr4fp6cc6i I think you are talking about abul kalam azaad. Abe kyu idhar udhar ki jalebibaazi kab tak karoge. Unki knowledge ki iske chutiyapa se koi lena dena nahi hai. 😅
@@RohitYadav-qk7pq Ironic you are praising Maulana Abdul Kalam Azad and making fun of Madrasa Education ignoring the fact that even hindu religious reformers like Raja Ram Mohan Roy also get his education from Madarasa
When he is telling to give Jannah without testing....it is as saying for example Give me MBBS Degree without me attending college and exam. Similarly this world is also an exam. To test you, there will be challenges around you. Words have no value but action does. Evil is one source through which you will be tested by God. We have the free will to choose or reject it. If you reject it you will be rewarded for it because rejecting it was also painful and not easy. Every pain has a value and the most painful thing a human does is to reject God's existence. Only the belief in La ilaha illallah Muhammadur Rasoolallah can give you eternal peace and success.
@indoanalytica1976 it's written in Quran...I believe it....whoever rejects it will have a severe chastisement in the life hereafter....which is very dangerous situation....believers are in win win situation....unbelievers are in trouble....just read the history of ppl mentioned in Quran....ppl of Egypt.....so many tribe's...greater than all of us in money and strength...what happened to them...that will bring you to truth...
Allah volcano ko isliye nahi rokta kyun ke hamari destination maut hi hai duniya ki zindgi hamari asal zindgi nahi hai aur dusri baat ye hai k isme tamam tar allah ki marzi hai usko kab bachana hai aur kab nahi because Allah moves in a mysterious way
Jese sharaab hai mujhe pta buri cheez hai mere pass samajh hai mere pass apne aapko sharab peene se rokne ke power hai freewill hai to obviously agar me iss sb k bawujud sharab peta hun to issme meri galti hai khuda kee nahi!
assalmwalekum bhai ye log wakai bachho jaisa sawal karne pe majboor hi jate hain inlogon ko sochna chahiye yaar free wheel dekho inki kya kya pooch rahe hain ye allah ne tumhe iqtiyar diya tab hi aap ye sab pooch rahe hi🎉
Lazy questions are lazy, Ye sahab kahtay hain Beghair bachchon ka exam liye unko aagay ki class may promote kiya jaye. Beghair interview liye Naukri de di jaye, Childish questions.
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
🐂🐐🦃🐟🌽🍆🌶🍌🍍🍉🍎🍋🍒🍓 FOOD HI HAMARI REAL ATMA HAI FOOD LENA BAND KAR DO TO ATMA CHALI JAYEGI FOOD KE ALAWA HAMARI AUR KOI ATMA YA ROOH NAHI HAI HAM JANWAR 🐂🐐🦃🐟 KO KHATE HAI USS SE HAMARA VIRYA BANTA HAI USS VIRYA SE HAM INSAN 👧👦 BANTE HAI RUPANTARAN ( PUNAR JANAM ) PRAKIRTI KA ATAL SATYA HAI ^,
He was clearly here for a useless debate and waste time, he wasn't here for answers he was enjoying it. and tbh these "IF" "BUT" "IF" Scenarios are a waste of time. Mufti was clear in his answers but the guy was clearly looking for why god didn't made him a superman so he could fly the universe why god didn't why god didn't useless
Lazy bhai ke saare questions based on duniya hai in logo ke liye death important hai hi nahi kyunke Allah k qareeb maut buri cheez nahi hai insan k qareeb maut buri cheez hai
@@srnp0007 lo phir se ek aur school k bachhe wala sawal aa gaya😂😂 koi baat nahi jawab de deti hun, kyunki allah ne kaha hai k hamein ground reality k sath chalna hai agar usne bemari banayi hai to shafa bhi banayi hai isiliye medical science wajood me aaya hai taake bemari ka ilaj kiya jaa sake hamein bas har mumkin koshish karni hai apni har problem me uske baad almighty k upar chhorh dena hai agar shafa na ho to usme bhi allah hi ki marzi hoti hai aur agar shafa ho jaaye to bhi usi ki. Hamein pehle koshish karneka kaha gaya hai Islam kisi bewakoof mazhab ka nam nahi hai jisme gobar khane se bemariyan theek ho jati hain😂😂🤣🤣
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
Mon). New Part 1 New Part 1 Tue). New Part 1 CW Eps Wed). New Part 1 RW Eps Thu). New Part 1 New Part 1 Fri). S run vs 2 H & Parkour New Part 1 Sat). New Part 1 Seeds CW/MasC/MiniC Sun). New Part 1 New Part 1 Mon). New Part 1 Koi b video
Kitni baar bata to diya mufti sahab ne k usne tamam type ke world bana rakhe hain agar uske hath me na hota to kaise banata phir bhi ye bhai sahab ek hi question poochte hain kya wo aisi world nahi bana sakta jisme shar ho hi na😂😂😂😂
@@shamshir-nm1wu Why Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
اَلسَلامُ عَلَيْكُم وَرَحْمَةُ اَللهِ وَبَرَكاتُهُ مفتی صاحب کچھ عرضداشت پیش خدمت ھیں انگریزی الفاظ کا استیمال کم کیا جاے تاکہ ھماری سمجھ میں بات اجاے لھجہ میں نرمی پیدا فرماہی جاے اپکا لھجہ ذرا سخت لگتا ھے اس سے سوال کرنے میں اور جناب سے استیفادا حاصل کرنے میں رکاوٹ اتی ھے میری کوہی بات بری لگی ھو تو معافی چاھتا ھوں احقر
Molana sahab ko ghuma diya,bhai aapke questions ne molana ko tede mede raste par chalne ko mazboor kar diya.molana sahab ka mujhe koi sahi jabab nahi laga.
MUFTI SAHAB AAPNE BATAYA KI JISKE PASS ISLAM KI MESSAGE NAHI POHNCHI HOGI WO JANNAT MAI JAYEGA JABKI YE SAHI NAHI HAI person who has never heard of Islam or the Prophet (peace and blessings of Allah be upon him), and who has never heard the message in its correct and true form, will not be punished by Allah if he dies in a state of kufr (disbelief). If it were asked what his fate will be, the answer will be that Allah will test him on the Day of Resurrection: if he obeys, he will enter Paradise and if he disobeys he will enter Hell. The evidence (daleel) for this is the hadeeth of al-Aswad ibn Saree, who reported that the Prophet of Allah (peace and blessings of Allah be upon him) said: There are four (who will protest) to Allah on the Day of Resurrection: the deaf man who never heard anything, the insane man, the very old man, and the man who died during the fatrah (the interval between the time of Eesaa (Jesus, upon whom be peace) and the time of Muhammad (peace and blessings of Allah be upon him)). The deaf man will say, O Lord, Islam came but I never heard anything. The insane man will say, O Lord, Islam came but the children ran after me and threw stones at me. The very old man will say, O Lord, Islam came but I did not understand anything. The man who died during the fatrah will say, O Lord, no Messenger from You came to me. He will accept their promises of obedience, then word will be sent to them to enter the Fire. By the One in Whose hand is the soul of Muhammad, if they enter it, it will be cool and safe for them. According to another report, he said: Whoever enters it, it will be cool and safe for him, and whoever does not enter it will be dragged to it. (The hadeeth was reported by Imaam Ahmad and Ibn Hibbaan, and deemed saheeh by al-Albaani, Saheeh al-Jaami, 881).
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
chawal hi reh ga tu, Allah ki "*ijazat*" se har problem solve hoti hai, aur Allah ki ijazat se hi sab pe problem ati hai jo kay test hota hai aur solve hona us test ka end hota hai
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter? भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36 श्लोक प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: । रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥ शब्दार्थ प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा । अनुवाद हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी। तात्पर्य बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
No your maths teacher wont solve your examination questions similarly In this Duniya only you have to solve your questions. 😂 come on bring something logical
Debate me Godi media wale TV Wale Maulana ko kyu bulate hi jab sawal Islam pr Krna ho to koi specialist Mufti jaise Mufti Yasir Nadeem Al wajidi ya Zaid Patel jaise real islamic scholar ko kyu nhi bulate Peenaj ji plzzz sirf ek bar bula lo Mufti Yasir Nadeem Al wajidi ji ko name yaad rkhna 😁???? 1. Hindu dhrm me to vidhwa ko shadi ka right hi nhi hi 2. Jalim sharabi husband se divorce lene ka right bhi nhi hi usko devta mankar jindagi bhar uski pooja krne ka concept hi so sad chahe wo kitta bhi bada sharabi aur jalim kyu na ho 3. Girl ko parents ki property me hissa sirf Islam deta hi 4. Tum log apni ma bahen bhabhi ko jinda jla dete the unke husband k death k baad 5. Abhi bhi nabalig bachcho k samne nange babao k lun.. ki pooja tumhari sanatani mahila krti hi So sad nangi nangi murti ki pooja hoti hi apne hi hath se paththar k god bnakar pooja krte ho So sad real creator Brahmaji ji ki pooja mna hi 6. Sanatan dhrm me koi sawal ka jawab 10 pandit log 10 trah k jawab dete hi aise me hamare sanatani bhai aur dunia k sabhi insaan confused ho jata hi kon sa jawab sahi hi jbki Islam me Aisa nhi hi sawal ka ek hi jawab 100 muslim scholar se kroge ek hi jawab hoga. 7. Allah ne Quran ki kayamat Tak hifazat ki quaranti Li dunia k kisi bhi city se Arabic Quran purchase krke match kr lo ek word different Mila to xmuslim ban jaunga Mai dunia ki koi power Quran ko badal hi nhi skti kyuki lakho logo ne dunia ki sabhi language me Quran ko By heart yaad kr liya hi jaise hi koi glt print krega turant glti pakad lenge islamic scholars. 8. Creation ki pooja tum log krte ho jaise sun mood soil fire water air human beings ki bhi pooja krte ho tum log insano ke aur unki bnayee hue cheejo k gulam ho jahani mtlb mentally. 9. Sanatani log kisi bhi achche insaan ki mandir aur uski idol bnakar uski pooja Krna start kr dete hi jaise Ayodhya king Ram ji , Shri Krishna ji, Modi ji 26 sal ka jawab ldka baba bageshwar ji aur hajaro name hi list me jinki pooja krna start kr dete ho tum log so sad 10. Sanatan dhrm me Dalit log ko Mandir ke pujari banane ka right nhi hi chahe wo kitta bhi ved Geeta kyu na padh le proof Ram ji ne Shambhuka name k dalit insaan ka sir tan se juda sirf iske liye Kiya tha kyunki wo vedo ka gyani ho gya tha 11. Dunia k kisi bhi bade mandir me ager koi dalit pandit ho to uska address plz comment krke btao jisse sab log dekh ske sachchai 12. Islam me koi bhi cast ka insaan kuran aur sahi Hadees ki study krke Imaam ban skta hi aur namaj padha skta hi 13. Islam me cast ko leke koi bhedbhav nhi hi Jo bhi insaan masjid me phle ayega wo sabse aaage khade hoke namaj pdhega us poor adami ko koi rich adami peeche bhej hi nhi skta 14. Islam me koi bhi Muslim scholar Islam ko dictate kr hi nhi skte mtlb apni man se koi baat bta hi nhi skte jabtak ki wo baat kuran aur sahi Hadees se sabit na ho to jbki Hindu pandit apne dhrm ko dictate kr rhe hi 10 pandit 10 trah k jawab dete hi wo bhi 1 hi sawal ka 15. Abhi bhi bahut sare questions hi mere pass Sanatan dhrm ke liye phle in sare questions ka reference ke sath jawab dena ya phir logic k hisaab se bhi jawab de skte ho AAP log aur mere sabhi sawalo ka jawab chahiye samjhe ager de skte ho to pandit ji se bhi puch kr de skte ho ... 16. Dunia k kisi bhi 10 celebrity ya World wide famous log ka name bta do jinhone Sanatan dhrm ko accept Kiya ho publicly. 17. Dunia k sabhi exmuslim apne har video me bheekh kyu magte hi UPI I'd aacount no video me share krke jbki abhi Tak monthly lakho Rs se jyda earn kr chuke hi aur laptop bhi mil chuka hi kya itte paise se koi business krke apne pairo PR khada kyu nhi ho skte xmuslims log iska bhi logic wala jawab chahiye ager aap log sachche insaan ho to ye sawal kisi exmuslim se kroge kbhi kyuki genuine question hi bhai Krna chahiye 17. Kbhi Koi bhi exmuslim ya sanatani log Islam k khilaf koi bhi sawal Mufti Yasir Nadeem Al wajidi ji ke live channel me aker kyu nhi puchte ??? Ager kisi sanatani bhai ko meri sawalo se religious feelings hurt hue ho to Dil se sorry guys 🙏🙏🙏👍.,,.,.,,
Such an amazing discussion zabardast Masha Allaah
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भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
Masha Allah imaan union team ko india se ibrahim ka dil se salam App log sahi me islam ki bunyaad ho itne bure dour me bhi logon ko sahi islaam ki talim de rahe hain hamare yahan to ye kaam karne wale aapas me hi ladte rehte hai Dua Hai ALLAH app logon ki jaan maal imaan air izzat aabru ki puri hifazat karein Amin ❤❤❤❤
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
Mashallah mufti sahab kiy jawab aap ne diy hai , samne wale ko mun tood jawab aap ne dig hai Mashallah..
Allah aap ke ilm me khoob barkat ata farmaye amin
aapne tasaalli bakhsh jawaab de diya hai, Mufti sahab.. zabardast....
Allah mufti Sahab ko jaza-e-khair day
ua-cam.com/video/AfyVdeqlhpQ/v-deo.htmlsi=HW9Cs0tTUt1NJYyA
🤲🤲
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
@@shamshir-nm1wuKrishna ko itna Hawas kyun tha???
Brahma ne apne bati se maje kyun liye????
Kabhi stream me aa live...Sahi, Zayf kuch malum bhi hai ahadith ka... Context bhi dekhna hota hai....Awaz e haq par live aa...Tujhe answer milega or chaddi bhi utara jayega....
Gopi wale Krishna ne 16000+ bibiow k sath maje liye or tu uska Bhakth yaha aa kar Arabi baba kuch bhi bal Raha hai....
Ye Sri Krishna, or Ram nehi hai .. Immoral god
@@shamshir-nm1wuKrishna ko itna Hawas kaha se ata tha???
Shiv dusre ki bibi ko dekh kar semen kyun gira deta tha???
Great explain Mufti sahab 💚💚💚👍🏻👍🏻👍🏻
Allah Mufti Sahab ki Umar daraz farmaye
ua-cam.com/video/AfyVdeqlhpQ/v-deo.htmlsi=HW9Cs0tTUt1NJYyA
🤲🤲
ALL KNOWING, ALL POWERFUL, ALL GOOD AND ALL WISE.
Ma sha Allah mufti sahab i love your team all members
ua-cam.com/video/AfyVdeqlhpQ/v-deo.htmlsi=HW9Cs0tTUt1NJYyA
🤲🤲
Bahut khub masha Allah mufti saheb bahut khub allah aap logon ko mazeed taraqqi de
شر کو اس لیئے بنانا تھا کہ اچھائی کا پہچان ہو سکے۔
الاشیاء تعرف اضدادھا
Islam, Zindabad❤❤❤
Zabardest... Mufti sb.🌹
Allahumma Baarik Mufti sahab , Keep Doing these , We Learn A lot From Such Videos. ❤️
MashAllah Bahot khoob Mufti sahab
Wonderful mufti sb
These debaters put illogical arguments once becoming thoughtless
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
Mufti sab hats off you mastat of islamic knowledge masha allah
Mufti sahab 🫀 Ma Sha Allah very beautiful answered everything
Mashallah bohat hi bhadiya javab diya Mufti shab
Very healthy discussion.......samajh ne wale samajh gaye jab burayi hi nahi hogi to pariksha ya testing kis baat pe hogi??? Yeh baat is bhai ko samjh nahi ayi ya na samjhne ki kasam khayi hai.......ya samjh me aa gyi baat lekin admit nahi krna chahta.......
Is heated debat ke Lazy ko amir bhai ne acche se dhoya hai, inke Super chat ka dhandh hi khtm kar diya 😂.
Mashallah zabardast Mufti Sahab 👌 jazakallahukhairan
Masha allha❤❤ mufti yasir bhai🌹🌹 and all brothers😎😎
ua-cam.com/video/AfyVdeqlhpQ/v-deo.htmlsi=HW9Cs0tTUt1NJYyA
🤲🤲
Mashallah zabardast mufti shab
Mashallah, Atheism is nothing, it's nothing just a castle in the air with no foundation.
Mufti Shahb bill kull Right 100% Sach kai rahe
You have to sacrifice your brain cells in order to become a true tanatani.
ua-cam.com/video/AfyVdeqlhpQ/v-deo.htmlsi=HW9Cs0tTUt1NJYyA
🤲🤲
😂
Bro is this sanatani ??
Mufti Sahab aap Dr Zakir Naik ke baad aap ka knowledge sabse jyada hain😮
No bro you are wrong, mere liye toh Mufti Yasir shahab hi jad knowledgeable hai Dr Zakir Naik se 😊😊😊
Bro Aisa nahi hai Dr Zakir Naik usko hindu scriptures or Cristian scripture ki knowledge hai islamic scripture ki itni zayda knowledge nahi hai Mufti sahab ko islamic education me expert hai inka muqaabla nahi hai koi
ua-cam.com/video/AfyVdeqlhpQ/v-deo.htmlsi=HW9Cs0tTUt1NJYyA
🤲🤲
Bhai..... Ek Mufti, dayee and Dr. ... Ko aap Ek ZAKIR Nayak, dayee, Dr. If zakir Nayak sahab gives fatwa he will be caught guilty in aaqirah... but not a Mufti is punished in aqirah... . plz... aap pehle apney ilm ko samjho....
May Allah protect innocent Gilgit Baltistan family😔
And other innocent family😔 too in Pakistan
Pakistan stop kidnapped and killed innocent family😔
Mashallah zabardast Mufti sahab alhamdu
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
masha Allah jazak allah khair
Alhamdulillah Allahu Akbar
ज़बरदस्त मुफ़्ती साहब 🎉
Meraj Bhai ❤❤
Zabardast Mufti sahab 🫡🫡
Mufti saheb alway rock 🎉 and tunni always shock 😲
@@srnp0007Muslim are not like hindus who search for their Shiv's pennis in every rock. Or tries to find God in rocks. 😂
@@BURAK313-r7fjust like nabi suggested Camel Urine
@@srnp0007below average keyboard warrior in tanatani
MA SH ALLAH MUFTI SAHAB ❤❤❤❤
बहुत जबरदस्त धुलाई
Mufti ,sahab ,Aapka background room ka hi sahi lagta hai 😂ye bhi sahi hai
Great dibbate ❤
Great Mufti saab
Zabardast ❤❤❤❤❤❤
Agr achai ho ya hr jahah sirf burai ho to achai or burai mai farq kesy pata chaly ga?achai or burai mai farq in dono k sath hony sy e pata chalta hy
Mashaallah
Legend of Mufti Sahab❤
masallah
ua-cam.com/video/AfyVdeqlhpQ/v-deo.htmlsi=HW9Cs0tTUt1NJYyA
🤲🤲
Why not heaven now
" Agar aisay hi jannat mai behjna hota to ya kaisay daleel banti un ko jannat mai bhejnay ki dar haqeeqat insaaf karnay walay k liya zaroori hai k koi daleel ho jahannum or jannat k faisla karnay k liya or wo dunya ki zindagi bani "
Why not heaven now
Becuase earth life become justification for the result to getting to heaven or hell "
For give me for my english
Iska sawal hai ki allah volcano ko phatne se kyu rokh nahi sakhta.. Mera point hai ki allah abhi volcano ko hi nahi poori kainaat ko phatne se rokh rakha hai Wo al qadir bhi hai har cheez par khudrat rakhne wala..
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
Mufti ki zalebibazi ko keval mdarsachhap ko logic lagti hai. 😂
@@RohitYadav-qk7pq Coming from people who's first Education Minister is Maulana
@@user-wr4fp6cc6i I think you are talking about abul kalam azaad. Abe kyu idhar udhar ki jalebibaazi kab tak karoge. Unki knowledge ki iske chutiyapa se koi lena dena nahi hai. 😅
@@RohitYadav-qk7pq Ironic you are praising Maulana Abdul Kalam Azad and making fun of Madrasa Education ignoring the fact that even hindu religious reformers like Raja Ram Mohan Roy also get his education from Madarasa
When he is telling to give Jannah without testing....it is as saying for example
Give me MBBS Degree without me attending college and exam.
Similarly this world is also an exam.
To test you, there will be challenges around you. Words have no value but action does.
Evil is one source through which you will be tested by God.
We have the free will to choose or reject it. If you reject it you will be rewarded for it because rejecting it was also painful and not easy. Every pain has a value and the most painful thing a human does is to reject God's existence. Only the belief in
La ilaha illallah Muhammadur Rasoolallah can give you eternal peace and success.
These people are really misleading, they taught they are creating for nothing ,
Jannat me sirf justice hai koi evil hai hi nahi
❤❤❤mashaallaha ❤❤❤
Arey sir simple sa answer tha iska although ye maanta nahi,,, " jis world ki ye baat kar raha hai na wo already hai, Farishtey wo hi to hai
Bhai.....Duniya....ek Test hain....pass or fail depends on your deeds.
@indoanalytica1976 it's written in Quran...I believe it....whoever rejects it will have a severe chastisement in the life hereafter....which is very dangerous situation....believers are in win win situation....unbelievers are in trouble....just read the history of ppl mentioned in Quran....ppl of Egypt.....so many tribe's...greater than all of us in money and strength...what happened to them...that will bring you to truth...
Please reply me ya video banaye sahi bukhari Hadish no 3208
mufti sb good job
Allah volcano ko isliye nahi rokta kyun ke hamari destination maut hi hai duniya ki zindgi hamari asal zindgi nahi hai aur dusri baat ye hai k isme tamam tar allah ki marzi hai usko kab bachana hai aur kab nahi because Allah moves in a mysterious way
@@srnp0007Jo jaise karega wo waise marega. Tum jaise jahil agar hamesha jahil rahoge to jahiliya me hi maroge.
Since it is possible to imagine an unjust God therefore Allah is not a necessary being.
To prove Evil you need to have a standard from which the evil can identified.
mufti sahib atheist ke plumber hai hai.. good job mufti sahib ma ap ka big fan ho gayya🎉😊
Jese sharaab hai mujhe pta buri cheez hai mere pass samajh hai mere pass apne aapko sharab peene se rokne ke power hai freewill hai to obviously agar me iss sb k bawujud sharab peta hun to issme meri galti hai khuda kee nahi!
assalmwalekum bhai ye log wakai bachho jaisa sawal karne pe majboor hi jate hain inlogon ko sochna chahiye yaar free wheel dekho inki kya kya pooch rahe hain ye allah ne tumhe iqtiyar diya tab hi aap ye sab pooch rahe hi🎉
Hazrat iska matlab ye hai ki Olympic karway bina ise Gold medal mil jaay
Assalamualaikum myfti sahab
Sab hindu ye mante hai ki kaaba unka hai aur usme shivling hai etc. Please reply....
Asslmuallkum
Lazy questions are lazy,
Ye sahab kahtay hain Beghair bachchon ka exam liye unko aagay ki class may promote kiya jaye. Beghair interview liye Naukri de di jaye,
Childish questions.
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
🐂🐐🦃🐟🌽🍆🌶🍌🍍🍉🍎🍋🍒🍓
FOOD HI HAMARI REAL ATMA HAI
FOOD LENA BAND KAR DO TO ATMA CHALI JAYEGI
FOOD KE ALAWA HAMARI AUR KOI ATMA YA ROOH NAHI HAI
HAM JANWAR 🐂🐐🦃🐟 KO KHATE HAI USS SE HAMARA VIRYA BANTA HAI USS VIRYA SE HAM INSAN 👧👦 BANTE HAI
RUPANTARAN ( PUNAR JANAM ) PRAKIRTI KA ATAL SATYA HAI ^,
لاالله الله محمدر سولله
He was clearly here for a useless debate and waste time, he wasn't here for answers he was enjoying it. and tbh these "IF" "BUT" "IF" Scenarios are a waste of time. Mufti was clear in his answers but the guy was clearly looking for why god didn't made him a superman so he could fly the universe why god didn't why god didn't useless
Lazy bhai ke saare questions based on duniya hai in logo ke liye death important hai hi nahi kyunke Allah k qareeb maut buri cheez nahi hai insan k qareeb maut buri cheez hai
@@srnp0007 lo phir se ek aur school k bachhe wala sawal aa gaya😂😂 koi baat nahi jawab de deti hun, kyunki allah ne kaha hai k hamein ground reality k sath chalna hai agar usne bemari banayi hai to shafa bhi banayi hai isiliye medical science wajood me aaya hai taake bemari ka ilaj kiya jaa sake hamein bas har mumkin koshish karni hai apni har problem me uske baad almighty k upar chhorh dena hai agar shafa na ho to usme bhi allah hi ki marzi hoti hai aur agar shafa ho jaaye to bhi usi ki. Hamein pehle koshish karneka kaha gaya hai Islam kisi bewakoof mazhab ka nam nahi hai jisme gobar khane se bemariyan theek ho jati hain😂😂🤣🤣
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
I want debate with you
Join coming Sunday at 9:30pm live.
It postpone to Monday for this week.
So pls come on monday
Kisse bat kr rhe ho sir
moot peene wla h wo
اطال الله بقائك
Iski IQ kam hai.
Mufti sahab kaise jhelte hai aap in logo ko
@@srnp0007 kyunki ki simple so baat iske samajh me nahi aaya rahi.
Aur kaise samjhaai isko
konsi simple bat?@@shadabshabi
@@Anxh007 lagta hai tumhara IQ bhi kam hai
Mon). New Part 1
New Part 1
Tue). New Part 1
CW Eps
Wed). New Part 1
RW Eps
Thu). New Part 1
New Part 1
Fri). S run vs 2 H & Parkour
New Part 1
Sat). New Part 1
Seeds CW/MasC/MiniC
Sun). New Part 1
New Part 1
Mon). New Part 1
Koi b video
Mufti sahab ek vikas senger nam ka ladka hai gujrat ka o Allah or uske rasool ko comment me gali bakta hai
Assalamualaikum bhai
Kiya ye channel real hai
Mufti shahb ki ya
Kisi or ka channel hai
Mufti sb ka official channel hi hai.
Real hai 💯
Kitni baar bata to diya mufti sahab ne k usne tamam type ke world bana rakhe hain agar uske hath me na hota to kaise banata phir bhi ye bhai sahab ek hi question poochte hain kya wo aisi world nahi bana sakta jisme shar ho hi na😂😂😂😂
@@srnp0007 lae kaun baat kar raha hai facts aurr logic ki inke hisab se to duniya ka wajood hi fact aur logic based nahi hai😂🤣
@@shamshir-nm1wu Why Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
@srnp0007 😆🤣🤣 joke of the the time since when Adam(pbuh) was born
@@srnp0007 it can't be better(funnier) than gobar bhakt's views and beliefs 🤣🤣
Mufti sahib inn khabeesoon ka
Mas'ala Hai Kaya?
Lazy is a student and yet he completely destroyed this Yasir guy 😂. Yasir guy wont be able to sleep for a week with such humiliation
what are you mad or what haven't you watched video.
😂lindu
East or west humara sanatan is the best , Har Har Mahadev ❤🕉️
Amir haq batayega sanatan kee sachai
एसा कोई चैनल है सनातन का जहां इस स्तर की बातचीत हो?
10:40 mashallah ❤❤
اَلسَلامُ عَلَيْكُم وَرَحْمَةُ اَللهِ وَبَرَكاتُهُ مفتی صاحب کچھ عرضداشت پیش خدمت ھیں
انگریزی الفاظ کا استیمال کم کیا جاے تاکہ ھماری سمجھ میں بات اجاے لھجہ میں نرمی پیدا فرماہی جاے اپکا لھجہ ذرا سخت لگتا ھے اس سے سوال کرنے میں اور جناب سے استیفادا حاصل کرنے میں رکاوٹ اتی ھے میری کوہی بات بری لگی ھو تو معافی چاھتا ھوں احقر
Lazy gobar khor khoud ko agnostic bolta ha tuni😂
Allah ki jarurat nahi Allah name doesn't exist there is no proof 😌
Molana sahab ko ghuma diya,bhai aapke questions ne molana ko tede mede raste par chalne ko mazboor kar diya.molana sahab ka mujhe koi sahi jabab nahi laga.
Iske logic se sabi ko jannat jahanam me daldena tha direct without testing anyone ye kaise just hua bhai?
khuda marta hai To peda bhi karta hai
MUFTI SAHAB AAPNE BATAYA KI JISKE PASS ISLAM KI MESSAGE NAHI POHNCHI HOGI WO JANNAT MAI JAYEGA JABKI YE SAHI NAHI HAI person who has never heard of Islam or the Prophet (peace and blessings of Allah be upon him), and who has never heard the message in its correct and true form, will not be punished by Allah if he dies in a state of kufr (disbelief). If it were asked what his fate will be, the answer will be that Allah will test him on the Day of Resurrection: if he obeys, he will enter Paradise and if he disobeys he will enter Hell. The evidence (daleel) for this is the hadeeth of al-Aswad ibn Saree, who reported that the Prophet of Allah (peace and blessings of Allah be upon him) said: There are four (who will protest) to Allah on the Day of Resurrection: the deaf man who never heard anything, the insane man, the very old man, and the man who died during the fatrah (the interval between the time of Eesaa (Jesus, upon whom be peace) and the time of Muhammad (peace and blessings of Allah be upon him)). The deaf man will say, O Lord, Islam came but I never heard anything. The insane man will say, O Lord, Islam came but the children ran after me and threw stones at me. The very old man will say, O Lord, Islam came but I did not understand anything. The man who died during the fatrah will say, O Lord, no Messenger from You came to me. He will accept their promises of obedience, then word will be sent to them to enter the Fire. By the One in Whose hand is the soul of Muhammad, if they enter it, it will be cool and safe for them.
According to another report, he said: Whoever enters it, it will be cool and safe for him, and whoever does not enter it will be dragged to it.
(The hadeeth was reported by Imaam Ahmad and Ibn Hibbaan, and deemed saheeh by al-Albaani, Saheeh al-Jaami, 881).
Lazy with bs lazy arguments
Mufti Saab apke subscriber Islam ki trh kyu nhi bdd rhe.
Or ex muslimo ke subscriber to din be din bdte ja rhe he
Subscriber badhana zruri nhi
Views aana zaroori hai 💯💕
Or rahi baat 💖Islam 💖 ki , wo to sab ko pata hai. 💯
Bhai kya gdha insan hai ye
Ye log dimag gar me rak ke aaate hai kya.. 😂😂
Mufti sabh asha paghal sa baat larna he nahe chayea
ua-cam.com/video/AfyVdeqlhpQ/v-deo.htmlsi=HW9Cs0tTUt1NJYyA
🤲🤲
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
This guy is a tunni hiding as an atheist 😂😂
What is a tunni??
@@Adil-uk7vh LINDU aka HINDU
@@Aarav777 i thought you meant Sunni 😅
Bare bare jahil hain bhai MashaAllah....
None of his ideas are original thought, all copied by other Philosophers
Mufi Sahab aise idiots se kyon debate karte hai ho ignore kijiye please
Mufti sabh pagal insan ha ja
ua-cam.com/video/AfyVdeqlhpQ/v-deo.htmlsi=HW9Cs0tTUt1NJYyA
🤲🤲
میں آپ کا کمینٹس سمجھ نہیں پایا پلیز بتایے گا
Jay shree ram 🕉️🕉️🕉️
Thik hai lekin yahan gand ragad na yeh to samajh mein nhi araha
😂😂😂🙏
God creating unnecessary problems only to be sovled by himself sounds like my math teacher 🗿
Ok thik hai samajh gya
chawal hi reh ga tu, Allah ki "*ijazat*" se har problem solve hoti hai, aur Allah ki ijazat se hi sab pe problem ati hai jo kay test hota hai aur solve hona us test ka end hota hai
@@shamshir-nm1wuWhy Brahma was lusty towards his own daughter?
भागवत पुराण » स्कन्ध 3: यथास्थिति » अध्याय 31: जीवों की गतियों के विषय में भगवान् कपिल के उपदेश » श्लोक 36
श्लोक
प्रजापति: स्वां दुहितरं दृष्ट्वा तद्रूपधर्षित: ।
रोहिद्भूतां सोऽन्वधावदृक्षरूपी हतत्रप: ॥ ३६ ॥
शब्दार्थ
प्रजा-पति:-ब्रह्माजी ने; स्वाम्-अपनी; दुहितरम्-पुत्री को; दृष्ट्वा-देखकर; तत्-रूप-उसके लावण्य से; धर्षित:-मोहित; रोहित्-भूताम्-मृगी के रूप में; स:-वह; अन्वधावत्-दौड़ा; ऋक्ष-रूपी-मृग के रूप में; हत-विहीन; त्रप:-लज्जा ।
अनुवाद
हे विदुर, हमने सुना है कि ब्रह्मा के वाक् नाम की पुत्री थी जो उनके शरीर से उत्पन्न हुई थी जिसने उनके मन को यौन की ओर आकृष्ट किया यद्यपि वह उनके प्रति कामासक्त नहीं थी।
तात्पर्य
बलवान् इन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति। (भागवत ९.१९.१७) कहा गया है कि इन्द्रियाँ इतनी प्रमत्त तथा प्रबल होती हैं कि वे अत्यन्त विवेकवान तथा विद्वान व्यक्ति को भी मोहित कर सकती हैं। इसलिए सलाह दी जाती है कि कोई व्यक्ति अपनी माता, बहिन या पुत्री के भी साथ अकेले में न रहे। विद्वांसमपि कर्षति का अर्थ है कि बड़ा से बड़ा विद्वान भी कामवासना का शिकार बन जाता है। ब्रह्मा अपनी ही पुत्री के प्रति कामासक्त थे, अत: उनके इस अनियमितता को बतलाने में मैत्रेय हिचक रहे थे; फिर भी उन्होंने इसका उल्लेख किया, क्योंकि कभी-कभी ऐसा घटित हो ही जाता है और इसके जीवन्त उदाहरण स्वयं ब्रह्मा हैं, यद्यपि वे आदिजीव हैं और सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक विद्वान हैं। यदि ब्रह्या जी कामवासना के शिकार हो सकते हैं, तो अन्यों के विषय में क्या कहा जाय जो अनेकानेक संसारी दुर्बलताओं के प्रति उन्मुख हैं? ब्रह्मा की यह असाधारण अनैतिकता किसी विशेष कल्प में घटित हुई सुनी गई थी, किन्तु यह उस कल्प में नहीं घटित हो सकती थी जिसमें ब्रह्मा ने भगवान् से प्रत्यक्ष रूप से श्रीमद्भागवत के चार श्लोक सुने थे, क्योंकि भागवत का उपदेश देने के बाद भगवान् ने ब्रह्मा को यह वर दिया था कि वे किसी भी कल्प में मोहित नहीं होंगे। इससे यह सूचित होता है कि श्रीमद्भागवत सुनने के पूर्व वे ऐसी कामवासना के शिकार हुए होंगे, किन्तु भगवान् के मुख से श्रीमद्भागवत सुन लेने के बाद ऐसी त्रुटि होने की कोई सम्मावना नहीं थी। फिर भी मनुष्य को इस घटना की ओर गम्भीरता से ध्यान देना चाहिए। मानव एक सामाजिक पशु है और स्त्रियों के साथ अनियंत्रित मेल-जोल से उसका पतन हो जाता है। पुरुष तथा स्त्री की ऐसी सामाजिक स्वतंत्रता, विशेष रूप से युवा वर्ग में, निश्चय ही आध्यात्मिक उन्नति के मार्ग में महान् अवरोध है। भव-बन्धन एकमात्र यौन बन्धन के कारण है, फलत: पुरुष तथा स्त्री की अनियमित संगति अवश्य ही आध्यात्मिक प्रगति के मार्ग में महान् अवरोध है। मैत्रेय ने ब्रह्मा का यह उदाहरण इस भीषण खतरे के प्रति हमारा घ्यान आकृष्ट करने के लिए ही प्रस्तुत किया।
No your maths teacher wont solve your examination questions similarly In this Duniya only you have to solve your questions. 😂 come on bring something logical
May Allah protect innocent Gilgit Baltistan family😔
And other innocent family😔 too in Pakistan
Pakistan stop kidnapped and killed innocennt famiily😔
Debate me Godi media wale TV Wale Maulana ko kyu bulate hi jab sawal Islam pr Krna ho to koi specialist Mufti jaise Mufti Yasir Nadeem Al wajidi ya Zaid Patel jaise real islamic scholar ko kyu nhi bulate Peenaj ji plzzz sirf ek bar bula lo Mufti Yasir Nadeem Al wajidi ji ko name yaad rkhna 😁????
1. Hindu dhrm me to vidhwa ko shadi ka right hi nhi hi
2. Jalim sharabi husband se divorce lene ka right bhi nhi hi usko devta mankar jindagi bhar uski pooja krne ka concept hi so sad chahe wo kitta bhi bada sharabi aur jalim kyu na ho
3. Girl ko parents ki property me hissa sirf Islam deta hi
4. Tum log apni ma bahen bhabhi ko jinda jla dete the unke husband k death k baad
5. Abhi bhi nabalig bachcho k samne nange babao k lun.. ki pooja tumhari sanatani mahila krti hi
So sad nangi nangi murti ki pooja hoti hi apne hi hath se paththar k god bnakar pooja krte ho
So sad real creator Brahmaji ji ki pooja mna hi
6. Sanatan dhrm me koi sawal ka jawab 10 pandit log 10 trah k jawab dete hi aise me hamare sanatani bhai aur dunia k sabhi insaan confused ho jata hi kon sa jawab sahi hi jbki Islam me Aisa nhi hi sawal ka ek hi jawab 100 muslim scholar se kroge ek hi jawab hoga.
7. Allah ne Quran ki kayamat Tak hifazat ki quaranti Li dunia k kisi bhi city se Arabic Quran purchase krke match kr lo ek word different Mila to xmuslim ban jaunga Mai dunia ki koi power Quran ko badal hi nhi skti kyuki lakho logo ne dunia ki sabhi language me Quran ko By heart yaad kr liya hi jaise hi koi glt print krega turant glti pakad lenge islamic scholars.
8. Creation ki pooja tum log krte ho jaise sun mood soil fire water air human beings ki bhi pooja krte ho tum log insano ke aur unki bnayee hue cheejo k gulam ho jahani mtlb mentally.
9. Sanatani log kisi bhi achche insaan ki mandir aur uski idol bnakar uski pooja Krna start kr dete hi jaise Ayodhya king Ram ji , Shri Krishna ji, Modi ji 26 sal ka jawab ldka baba bageshwar ji aur hajaro name hi list me jinki pooja krna start kr dete ho tum log so sad
10. Sanatan dhrm me Dalit log ko Mandir ke pujari banane ka right nhi hi chahe wo kitta bhi ved Geeta kyu na padh le proof Ram ji ne Shambhuka name k dalit insaan ka sir tan se juda sirf iske liye Kiya tha kyunki wo vedo ka gyani ho gya tha
11. Dunia k kisi bhi bade mandir me ager koi dalit pandit ho to uska address plz comment krke btao jisse sab log dekh ske sachchai
12. Islam me koi bhi cast ka insaan kuran aur sahi Hadees ki study krke Imaam ban skta hi aur namaj padha skta hi
13. Islam me cast ko leke koi bhedbhav nhi hi Jo bhi insaan masjid me phle ayega wo sabse aaage khade hoke namaj pdhega us poor adami ko koi rich adami peeche bhej hi nhi skta
14. Islam me koi bhi Muslim scholar Islam ko dictate kr hi nhi skte mtlb apni man se koi baat bta hi nhi skte jabtak ki wo baat kuran aur sahi Hadees se sabit na ho to jbki Hindu pandit apne dhrm ko dictate kr rhe hi 10 pandit 10 trah k jawab dete hi wo bhi 1 hi sawal ka
15. Abhi bhi bahut sare questions hi mere pass Sanatan dhrm ke liye phle in sare questions ka reference ke sath jawab dena ya phir logic k hisaab se bhi jawab de skte ho AAP log aur mere sabhi sawalo ka jawab chahiye samjhe ager de skte ho to pandit ji se bhi puch kr de skte ho ...
16. Dunia k kisi bhi 10 celebrity ya World wide famous log ka name bta do jinhone Sanatan dhrm ko accept Kiya ho publicly.
17. Dunia k sabhi exmuslim apne har video me bheekh kyu magte hi UPI I'd aacount no video me share krke jbki abhi Tak monthly lakho Rs se jyda earn kr chuke hi aur laptop bhi mil chuka hi kya itte paise se koi business krke apne pairo PR khada kyu nhi ho skte xmuslims log iska bhi logic wala jawab chahiye ager aap log sachche insaan ho to ye sawal kisi exmuslim se kroge kbhi kyuki genuine question hi bhai Krna chahiye
17. Kbhi Koi bhi exmuslim ya sanatani log Islam k khilaf koi bhi sawal Mufti Yasir Nadeem Al wajidi ji ke live channel me aker kyu nhi puchte ???
Ager kisi sanatani bhai ko meri sawalo se religious feelings hurt hue ho to Dil se sorry guys 🙏🙏🙏👍.,,.,.,,
Agar burai nhi hogi sab ek jaise rahege to to sab me ghmand ayga fir apas me ldne lgege 🙄
Agar burai nahi hogi to ghmand aayega kaise?