डाकू तो बहुत थे पर आबू क्षेत्र में कानिया वेलिया को ही क्यों याद करते है... क्यों की उन्होंने अमीरों को लूट गरीबों में बाटा। शोषण के विरुद्ध खड़े हुए । सुंधा माता के परम भक्त थे। किसी को इनकी जानकारी चाहिए तो जालोर जिला पुलिस से पास इनके रिकॉर्ड है। क्यों की अपराधी मर जाता है पर उसका रिकॉर्ड नही मरता।
Wa survir kanu vela ben chapa bharwad ko bhi naman Dhokha dekar aapno ne mara gar bhed deya or jeher pelaya hey galat kiya gar wale ne jehar pelaya Aam ne samne ladae kar dena tha magar jehar nhi dalna tha Jay ma sudha mata Jay bheru ji re Jay bhagat bhava Rabari
काना वेला कौन थे सही जानकारी दो,, मैं Barod ( Bod) हु बरोड़ की उत्पत्ति वहिल अनोपसिंह चौहान के घर हुआ , आपनी विरता पराक्रम से राजस्थान में सबसे पहले रावत की उपाधि प्राप्त हुई और ब्रोड को दस गांव का गडबोर राज्य दिया गया था, जिससे आजकल चारभुजा के नाम से भी जानते हैं क्योंकि बरोड़ ( बोड) के वीरगति प्राप्त होने के बाद उसके महल में कृष्ण जी की चार भुजा वाली मुरती स्थापित कर दी, लोग कृष्ण जी की मुरती के आधार पर चारभुजा के नाम से जानने लगे,मुल नाम,गडबोर को पुराने लोग ही जानते हैं , जानकार बताते हैं कि हमारे पुरखा मेर बहुत ही शक्तिशाली था, जिसके नाम से मेरवाड़ा राज्य था,मेर पुराने समय में अरावली पर्वतमाला को मेर कहते थे, और अरावली पर्वतमाला में राज करने वाले को मेर कहते थे,मेर को शुद्धीकरण,हवन से माउंट आबू पर साधु संतों ने नया नाम चौहान रखा था, चौहान वंश ने लंबे समय मेरवाड़ा (राजस्थान) पर राज किया नाडोल, रणथंभौर, हाड़ोती,जालोर, सिरोही दिल्ली तक, लेकिन जब चौहान सामाराजय का पतन हो रहा था, और हो गया 1450 के आसपास ठाकुर अनोपसिंह चौहान के पुत्र वहिल के पुत्र बरोड़ (बोड) इसने रावत की उपाधि धारण की थी, बरोड़ का बेटा रावत भीमटा हुआ,इस तरह ये वंश, बरोड़ मीणा आदिवासी में भी है,रावत के रुप में भी है, चौहान के रूप में राजपुत एवं अन्य वर्ग में भी है,बड गुर्जर में भी है,बरड सिख है, बोड जाट हैं, इसलिए चौहान वंशी खुब है लेकिन नाम के आधार पर और समय और परिस्थितियां के अनुसार अनेक जातियां में विभाजित है,सब को आपने पुरखों, राजा,समारट आदि के दबते इतिहास को राजस्थान में नंबर वन पर लाना होगा
कांनसिंह के मां को बस में चढ़ाई थी उसे बस का ड्राइवर मेरे दादाजी थे मेरे दादाजी ने मना किया था इस बुद्धि मन को मतउतारो वह कनेक्टर बस के मालिक काभतीजा था
Kaniya veliya ke paas uth the ghoda nahi tha.hamare paas Wale gav madia ko din me louta tha .jain ke ghar ko louta tha .hamre gav ke pass se hokar nial jathe the .kani veliya bhomiya Rajput the.
काना वेला के बारे में लोग मीणा और कोई अलग जाति बताते हैं । खांडा देवल के लोगों से बिनती है आप लोग सच सच बताओ । जो व्यक्ति अच्छे काम करते हैं तो अपना बना ले ते है । और खुद भाई का या परिवार का और मासी मामा का लड़का हलका काम करते हैं तब तो बोलते हैं ए तो हमारे बहुत दूर है । हम तो उसकी घर जाते ही नहीं । वाह गज़ब कि दुनिया
जहा तक मुझे पता है कनिया वेलिया को बाखासर बुलाया था वहा इनकी मौत नही हुई उनका फायर बलवंत सिंह जी के ऐड़ी पर लगा था उनकी मौत पुलिस मुढभेद में हुई थी और पुलिस की गोली नही लगी थी तीनो ने एक साथ एक ही गोली से समाप्त किया था vh भीं सुंधा पर्वत पर हुई थी
भाई साहब कानिया वेलिया मीना थे! जिनके हाथों से बनाय मंदिर आज भी अरावली में मौजूद हैं!! इतिहास को तोड़ मरोड़ कर मत बताया करो!! नाम एक हो सकता हैं लेकिन कानीया वेलिया अरावली क्षेत्र मे भयंकर डाकू थे जो जाति के मीना थे! जो अमीरों से लूट करके गरीबों में बांटते थे! और कुंवारी कन्याओं की शादी में भी सहयोग करते थे 🙏
रावणा सरदारों को सादर नमन
मैं सबूत के साथ बोल रहा हूं कानिया वेलिया आदिवासी भिल थे
चंपा भरवाड जो कनिया वेलिया री धरम भें थी वा रबारी थी राजपूत रबारी कहि जाओ पर आनो जेडी दोस्ती भाईचारो हु सब भाईचारा पीछे है
रावणा राजपूत सुरविर को धोखे से मारे सकते हो आमने सामने कि लड़ाई में नहीं मार सकते चाहे कान्हा वेला हो चाये आंनद पाल सिंह हो
हम भीनमाल से है और बात सही है बचपन मे यह बात सुनी थी
आपके बात करने का तरीका अच्छा है सर और आप ऐसे ही वास्तविकता सुनाया करो 🙏
जय हो बाबा रामदेव जी ने घणी घणी खम्मा
डाकू तो बहुत थे पर आबू क्षेत्र में कानिया वेलिया को ही क्यों याद करते है... क्यों की उन्होंने अमीरों को लूट गरीबों में बाटा। शोषण के विरुद्ध खड़े हुए । सुंधा माता के परम भक्त थे।
किसी को इनकी जानकारी चाहिए तो जालोर जिला पुलिस से पास इनके रिकॉर्ड है। क्यों की अपराधी मर जाता है पर उसका रिकॉर्ड नही मरता।
माता जणे तो ऐडा जणजे के दाता के सुर नही तो रहीजे वाजणी मत गवाइजे नुर जय हो कान सिंहजी व वेलसिंह जय हो बहन चम्पा
रावणा राजपुत जिन्दाबाद
❤❤❤❤❤❤❤
शीर्षक यह है कि समाज को शराब से दूर रहना चाहिए क्युकी उसी शराब में जहर मिलाया गया था
जाह तक मुझे पता है शराब में जहर नही मिलाया था, मगर साथ में बैठ कर पिलाया था, और उसके बाद उनको गोली मार दी थी,
Wa survir kanu vela ben chapa bharwad ko bhi naman
Dhokha dekar aapno ne mara gar bhed deya or jeher pelaya hey galat kiya gar wale ne jehar pelaya
Aam ne samne ladae kar dena tha magar jehar nhi dalna tha
Jay ma sudha mata
Jay bheru ji re
Jay bhagat bhava Rabari
जय हो जय श्री सुंधा माता जी आप सदा आशीर्वाद राखजो मां 🎉🎉❤❤
बहुत सुंदर कहानी सुनाई। कभी भी किसी का विश्वास नहीं करना चाहिए। जय हो सूर वीरों की।
अगर राजपूत समाज से होते तो इनको ओछे नाम से नही बोलते ये भील आदिवासी ही है इसलिए कनिया वेलिया के नाम से मशहूर है
सवजी गोहील ढीमा धरणीधरे पुनम भरवा जाता हेरान
इतिहास गवाह है जो बताया।है सच बताया है । रावणा राजपूत है
जय हो सुर वीर कानसिंहजी वेलसिंहजी
जय मेघ।
गीतों के माध्यम से इनका इतिहास में है
बहुत ही बढिया है। कानाजी वेलजी को नमन है
मजबूरी सब कुछ करवाती हैं एकदम सही बात है
बिछावाडी हमारा पड़ोसी गांव है आज भी शिवदान सिंह कि कोटडी मौजूद है जहाँ पर काना वेळा के साथ धोखा हुआ था
ऐ कोनसी साल की बात है सा प्लीज बताओ
Jai Sundha maa
जय श्री चामुंडा माता जी सुंधा पर्वत 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
सांचौर में बीछावाड़ी गांव के ठाकुर शिव सिंह गोहिल थे
काना वेला कौन थे सही जानकारी दो,, मैं Barod ( Bod) हु बरोड़ की उत्पत्ति वहिल अनोपसिंह चौहान के घर हुआ , आपनी विरता पराक्रम से राजस्थान में सबसे पहले रावत की उपाधि प्राप्त हुई और ब्रोड को दस गांव का गडबोर राज्य दिया गया था, जिससे आजकल चारभुजा के नाम से भी जानते हैं क्योंकि बरोड़ ( बोड) के वीरगति प्राप्त होने के बाद उसके महल में कृष्ण जी की चार भुजा वाली मुरती स्थापित कर दी, लोग कृष्ण जी की मुरती के आधार पर चारभुजा के नाम से जानने लगे,मुल नाम,गडबोर को पुराने लोग ही जानते हैं , जानकार बताते हैं कि हमारे पुरखा मेर बहुत ही शक्तिशाली था, जिसके नाम से मेरवाड़ा राज्य था,मेर पुराने समय में अरावली पर्वतमाला को मेर कहते थे, और अरावली पर्वतमाला में राज करने वाले को मेर कहते थे,मेर को शुद्धीकरण,हवन से माउंट आबू पर साधु संतों ने नया नाम चौहान रखा था, चौहान वंश ने लंबे समय मेरवाड़ा (राजस्थान) पर राज किया नाडोल, रणथंभौर, हाड़ोती,जालोर, सिरोही दिल्ली तक, लेकिन जब चौहान सामाराजय का पतन हो रहा था, और हो गया 1450 के आसपास ठाकुर अनोपसिंह चौहान के पुत्र वहिल के पुत्र बरोड़ (बोड) इसने रावत की उपाधि धारण की थी, बरोड़ का बेटा रावत भीमटा हुआ,इस तरह ये वंश, बरोड़ मीणा आदिवासी में भी है,रावत के रुप में भी है, चौहान के रूप में राजपुत एवं अन्य वर्ग में भी है,बड गुर्जर में भी है,बरड सिख है, बोड जाट हैं, इसलिए चौहान वंशी खुब है लेकिन नाम के आधार पर और समय और परिस्थितियां के अनुसार अनेक जातियां में विभाजित है,सब को आपने पुरखों, राजा,समारट आदि के दबते इतिहास को राजस्थान में नंबर वन पर लाना होगा
कहानी सच्ची है
Ravna rajput ser the
उस समय गाड़ी??
Jay sundha mata ji ki
जय सुरवीर जय कानजी वेलजी
Kaniya bilya kurr jab chote thi thab kelthe kelthe gana gathe thai
सर ये कहानी मेने भी सुनी है हकीकत में थे कनिया और वेलिया और उनकी बहन संपा
Jai maa Chamunda 🔱
Jay Radha radhe ❤❤❤
सही कहानी है ❤❤❤❤❤
jai shree suda matha ki jay ho
Jalore Sirohi district ka
raj kon ta Heera ram Chouhan
कानिया वेलिया राजपूत नहीं थे लेकिन वह आदिवासी भील थे
Jai shree sundha mataji ❤
हालात ऐसे होते हैं तो क़दम उठाए जाते हैं
mataji ❤😊
Katha Aadhi sunai
Sudhamata ki jai ho
Bichawadiy ka shivsingh
उनके परिवार में कोई है और या नही
कान सिंह ओर विलसिह कों धोखे मराने वारा राज़ पुत का ख़ुद नहीं होगा
बगडावतो री कथा बताओ
In ka pastmortam Mari mama ji nai kiy tha
आज भी वि श् वास नहीं करना चाहिए इस बात पर भी
12:03 😊❤❤
Jay sundha maa
Rait
कथा को तोड़ मरोड़ कर दिया है ज
सर जगन डकैत की कथा भी सुनाओ एक बार 😂
कांनसिंह के मां को बस में चढ़ाई थी उसे बस का ड्राइवर मेरे दादाजी थे मेरे दादाजी ने मना किया था इस बुद्धि मन को मतउतारो वह कनेक्टर बस के मालिक काभतीजा था
Nice
Dola hlkara kon tha
❤❤
Pathawada (gujrat) Maro gav hai
Kaniya veliya ke paas uth the ghoda nahi tha.hamare paas Wale gav madia ko din me louta tha .jain ke ghar ko louta tha .hamre gav ke pass se hokar nial jathe the .kani veliya bhomiya Rajput the.
मोहनलाल सुखाड़िया मुख्यमंत्री थे1966
Ak baat samj me aai rajput hamesa apne ko hi dhokhe se mara he
कानिया वेलिया राणा भील थे इतिहास को भूलो मत
Ravna rajput the 😂 sapne se bhar ayo
रावणा राजपूत थे
Kya pata kaha se uth ke aa jate hai
Thenks
Nama mata desuri ji ka itihas btaiye sa 🙏
Jarur sa 🙏
रावणा राजपूत थे
काना वेला के बारे में लोग मीणा और कोई अलग जाति बताते हैं । खांडा देवल के लोगों से बिनती है आप लोग सच सच बताओ । जो व्यक्ति अच्छे काम करते हैं तो अपना बना ले ते है । और खुद भाई का या परिवार का और मासी मामा का लड़का हलका काम करते हैं तब तो बोलते हैं ए तो हमारे बहुत दूर है । हम तो उसकी घर जाते ही नहीं । वाह गज़ब कि दुनिया
Mere gave ke Ravna Rajput the
@@lalitpurohit2377 सच बताया भाई आपका दिल से आभार बहूत बहुत धन्यवाद
कानिया मीना वेलिया मीना थे
Ravna Rajput the hmare gave me aana
🚩⚜️
जहा तक मुझे पता है कनिया वेलिया को बाखासर बुलाया था वहा इनकी मौत नही हुई उनका फायर बलवंत सिंह जी के ऐड़ी पर लगा था उनकी मौत पुलिस मुढभेद में हुई थी और पुलिस की गोली नही लगी थी तीनो ने एक साथ एक ही गोली से समाप्त किया था vh भीं सुंधा पर्वत पर हुई थी
विसवास ऐक धोखा
❤
Unke pariwar me ab kaun hai
Koi nahi..
Hi bhai
💝💝💝💝
भाई साहब कानिया वेलिया मीना थे!
जिनके हाथों से बनाय मंदिर आज भी अरावली में मौजूद हैं!!
इतिहास को तोड़ मरोड़ कर मत बताया करो!!
नाम एक हो सकता हैं लेकिन
कानीया वेलिया अरावली क्षेत्र मे भयंकर डाकू थे जो जाति के मीना थे! जो अमीरों से लूट करके गरीबों में बांटते थे!
और कुंवारी कन्याओं की शादी में भी सहयोग करते थे 🙏
Are bhai ravana Rajput te aaj bhi bhinmal me jameen he
बिल्कुल झुठ हो काना वेला भील थे जो सारे लोग जानते है
सिवदान सिंह नही सिव सिंह थे जो की बिछावाड़ी के गोहिल ठाकुर थे
ये मीणा समाज से थे...
Rajput ❤ the
रावणा राजपूत समाज से थे
रावणा राजपूत थे
Ravna Rajput the
Rawna rajput or mere ganv me reletive tha
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