नदी प्रत्यागन्तुं न शक्नोति।
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- Опубліковано 8 лип 2024
- नदी प्रत्यागन्तुं न शक्नोति।
न कोऽपि प्रत्यागन्तुं शक्नोति।
सत्तायां प्रत्यागमनम् असम्भवम्।
The river can not go back.
Nobody can go back.
To go back is impossible in existence.
- Kahlil Gibran
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