लछमन भाई बोला कौन्या मैं क्यूँकर धीर धरुगां रे ।। सरोज घणघस ।।

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  • Опубліковано 20 сер 2024
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    टेक :- लछमन भाई बोला कौन्या मैं क्यूँकर धीर धरुगां रे , एक ब बोलिये भाई रे मैं टक्कर मार मरूँगा रे ।।
    1. और किसे का दोष नहीं या मेरे कर्मा की बहगी रे, जिसकी झां में बैठा करदा वा भीत किले की डहगी रे, सीता पड़ी रावण की कैद में रहगी मैं क्यूकर बहार करूँगा रे , एक ब बोलिये भाई रे मैं टक्कर मार मरूँगा रे ।।
    2. भाई बंधु और कुटम्ब कबीला नहीं किसे का सहारा रे , त्रिया खातर बीर खपा दिया दुनिया ताने मारे रे , नाव डूबगी मलहा पुकारे मैं क्यूकर पार तरूँगा रे, एक ब बोलिये भाई रे मैं टक्कर मार मरूँगा रे ।।
    3. बेरा ना के के लिख राखी किस्मत मेरी बोदी में रे , चलते साँस पै चोट लागगी मुश्किल आऊ सोधि में रे, मने ठा लिया तु गोदी में इब के जतन करुँगा रे, एक ब बोलिये भाई रे मैं टक्कर मार मरूँगा रे ।।
    4. रामायण में न्यू लिख राखी कर दिया तोड़ खुलासा रे, एक दिन राम रहवेगा एकला झूठ नहीं एक मासा रे, मेरी रे जान ने रासा होगा मैं बन अवधूत फिरूँगा रे, एक ब बोलिये भाई रे मैं टक्कर मार मरूँगा रे ।।
    5. बूटी लेण चले बलदाई धर ईश्वर का ध्यान हे , द्रोणगिरि को ठा के लाये आ पहुंचे हनुमान हे, बूटी घोल के प्याई लखन को चमका चाँद गगनं में हे, रामचंद्र जी राजी हो रे हो रे खूब मगन में हे, धारा सिंह ने ज्ञान हो लिया गुरुवां का ध्यान धरूँगा रे, एक ब बोलिये भाई रे मैं टक्कर मार मरूँगा रे ।।

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