कबीर साहेब जी की शास्त्र प्रमाणित कुंवारी गाय से दूध पीने की लीला | Sant Rampal Ji Maharaj Satsang
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- Опубліковано 2 жов 2024
- कबीर साहेब जी की शास्त्र प्रमाणित कुंवारी गाय से दूध पीने की लीला | Sant Rampal Ji Maharaj Satsang
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❤❤ संत रामपाल जी महाराज की जय हो आप पूर्ण तत्वदर्शी संत है अपने सारे शास्त्रों से प्रमाणित करके बता दिया की पूर्ण परमात्मा कबीर साहब है
True way of worship
Anmol
Bandichord Satguru Sant Rampal Ji Maharaj Ji ki Jai Ho 🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🌹🙏🏼🌹 Sat Saheb Ji 🌹🙏🏼🌹
Very nice 🎉🎉🎉
हम सुल्तानी नानक, तारै दादू को उपदेश दिया जात जुलाहा भेद, ना पाया काशी माहे कबीर हुआ
तत्त्वदर्शि सन्त रामपाल जी महाराज ही एकमात्र पुर्ण गुरु है । उनसे नाम दीक्षा लेकर शास्त्र अनूकूल सतभक्ति करके अपना मनुष्य जीवन को कल्याण करायें।
😭🙏🏼🌹 कोटि-कोटि दंडवत प्रणाम मेरे दाता 🌹🙏🏼😭
काशी में एक लहरतारा तालाब था। गंगा नदी का जल लहरों के द्वारा नीची पटरी के ऊपर से उछल कर एक सरोवर में आता था। इसलिए उस सरोवर का नाम लहरतारा पड़ा। उस तालाब में बड़े-2 कमल के फूल उगे हुए थे। नीरू-नीमा(नि:सन्तान दम्पत्ति थे) ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के लिए गए हुए थे। वहां नीरू - नीमा को कमल कंद फूल पर शिशु रूप में कबीर परमात्मा मिले थे। उसी दिन को कबीर प्रकट दिवस के रूप में मनाया जा रहा है।
🙏Sat sahib ji 🙏 Bandi chhode satguru Rampal Ji bhagwan ji ki jai ho 🙏🙏
.कबीर, पीछे लाग्या जाऊं था, मैं लोक वेद के साथ।
रास्ते में सतगुरु मिले, मौहे दीपक दीन्हा हाथ।।
उड़ीसा के इन्द्रदमन राजा को कृष्ण जी ने दर्शन देकर मंदिर बनाने को कहा लेकिन उसको समुंदर किसी कारण से बनने नहीं दे रहा था। कृष्ण जी ने यह भी कहा था कि मंदिर में कोई कृष्ण मूर्ति स्थापित नहीं करनी केवल एक पंडित वहाँ रहेगा जो इसका इतिहास बतायेगा। कबीर जी ने वह जगन्नाथ पुरी मंदिर भी बनवाया और समुंदर की लहरों को मंदिर तक नहीं पहुँचने दिया। इससे पहले पांच बार समुंदर वो मंदिर गिरा चुका था। फिर कबीर परमेश्वर जी साधु वेश में प्रकट हुए और अपनी परम शक्ति से समुद्र को रोककर जगन्नाथ का मंदिर बनवाया।
इसका आज भी प्रमाण देखने को मिलता है।
🙇🙇🙇🙇🙇
कुमति कीच चेला भरा, गुरु ज्ञान जल होय।
जनम जनम का मोरचा, पल में डारे धोय
सर्व सृष्टि रचनहार कबीर परमात्मा
अथर्ववेद काण्ड नं. 4 अनुवाक नं. 1 मंत्र नं. 4
ऊपर के चारों लोक सत्यलोक, अलख लोक, अगम लोक, अनामी लोक, यह तो अजर-अमर स्थाई अर्थात् अविनाशी रचे हैं तथा नीचे के ब्रह्म तथा परब्रह्म के लोकों को अस्थाई रचना करके तथा अन्य छोटे-छोटे लोक भी उसी परमेश्वर ने रच कर स्थिर किए।
वह परमात्मा कबीर साहेब जी ही हैं।
कबीर,पानी से पैदा नहीं स्वांसा नही शरीर।
आन आहार करता नहीं,ताका नाम कबीर।।
😭🙏🏼🌹 Jai ho bandi chhod ki 🌹🙏🏼😭
पानी से पैदा नहीं , स्वासा नही शरीर। अन्न आहार करता नही , ताका नाम कबीर।।
Sabka malik eak kabir parmatma hai, jo satguru rampalji maharaj ke rup me aaye hai, naam diksha lekar mox paye, adhik jankari ke liye padhe pustak gyan ganga.
Amazing knowledge
Amazing satsang
Kabir is superem God
साचा शब्द कबीर का,सुन सुन लागे आग ।
अज्ञानी सौ जल जल मरै ,ज्ञानी जाय जाग ।।
Nice post
🌹🙏🏼🌹 सत् साहेब जी 🌹🙏🏼🌹
क्या मांगुँ कुछ थिर ना रहाई। देखत नैन चला जग जाई।।
एक लख पूत सवा लख नाती। उस रावण कै दीवा न बाती।।
🎉
गरीब सब पदवी के मूल है शक्ल सिद्ध है तीर।
दास गरीब सत्पुरुष भजो अविगत कला कबीर।।
यजुर्वेद अध्याय 5 शोक 32 में परमात्मा अपने भक्तों के साथ नाच कर देता है और सुखी कर देता है
कबीर साहेब जी कि जय हो🙏🙏🙏🙏🙏
पवित्र हिंदू (सनातन) धर्मग्रंथ पवित्र गीता, वेद, पुराणों की अच्छी बातें कौन सी है? जानने के लिए अवश्य पढ़ें पवित्र पुस्तक हिन्दू साहेबान ! नहीं समझे गीता, वेद, पुराण
कबीर साहेब जी,
साधु दर्शन राम के, मुख में बसे सुहाग।
दर्श उन्हीं को होते हैं , जिनके पूर्ण भाग्य।।
कबीर मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम्बार।
तरूवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डारि।।
कोटि कोटि दंडवत प्रणाम परमात्मा
True spiritual knowledge
In Rigveda Mandal 9 Sukt 96 Mantra 17-18 "Abhi adhanya dhenuH DhenuH " Complete virgin cow. His growth by cow's milk in childhood.
Bandhi chhod sat guru rampal ji maharaj ki JAY ho 🙏🙇🏻♂️🌸❤
हम सुल्तानी नानक तारे, दादू कू उपदेश दिया।
जाति जुलाहा भेद न पाया, काशी माहे कबीर हुआ।।
भाई जो गुरु वचन पर डटगे, कटगे फंद चौरासी के, वस्तु मिली ठौर की ठौर मिटगी मन पापी की दौड़।
जय बन्दि छोड कि
कबीर साहेब ने कहा है:
वेद पुराण यह करे पुकारा। सबही से इक पुरुष नियारा।
तत्वदृष्टा को खोजो भाई, पूर्ण मोक्ष ताहि तैं पाई।
अर्थात तत्वदृष्टा यानी पूर्ण गुरु की बताई भक्ति से ही उपासक को पूर्ण मोक्ष प्राप्त हो सकता है और वर्तमान में पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी हैं, जो वेदों और गीता के आधार पर भक्ति विधि बता रहे हैं।
Very nice satsang hai 🙏🏿🙏🏿
कबीर साहेब जी का नामकरण-
काजियों ने पुनः पवित्र कुरान शरीफ को नाम रखने के उद्देश्य से खोला। उन दोनों पृष्ठों पर कबीर-कबीर-कबीर अक्षर लिखे थे अन्य लेख नहीं था। काजियों ने फिर कुरान शरीफ को खोला उन पृष्ठों पर भी कबीर-कबीर-कबीर अक्षर ही लिखा था। काजियों ने पूरी कुरान का निरीक्षण किया तो उनके द्वारा लाई गई कुरान शरीफ में सर्व अक्षर कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। काजी बोले इस बालक ने कोई जादू मंत्र करके हमारी कुरान शरीफ को ही बदल डाला। तब कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले हे काशी के काजियों। मैं कबीर अल्लाह अर्थात अल्लाहु अकबर हूं। मेरा नाम “कबीर” ही रखो।
संत रामपाल जी महाराज जी का का उद्देश्य है कि सभी मानव, एक सर्वोच्च ईश्वर परमेश्वर कबीर जी की पूजा करें और हमारे मूल निवास सतलोक की ओर वापस लौटें। सर्वोच्च ईश्वर कबीर जी की उपासना करने वाला कोई भी व्यक्ति, आध्यात्मिक नेता जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी से अपनी जाति, पंथ, रंग, आस्था या धर्म से बेपरवाह होकर नाम दीक्षा ले सकता है क्योंकि ईश्वर ने प्रत्येक मानव को समान बनाया है।
जीवा दत्ता ने सच्चे संत की पहचान करने के उद्देश्य से वट वृक्ष की सूखी टहनी यह सोचकर लगाई कि जो सच्चा संत होगा उसके चरणामृत से ये हरी-भरी हो जाएगी। लेकिन कई संतों का चरणामृत डालने से भी टहनी भरी नहीं हुई तो दोनों निराश हो गए। फिर एक दिन कबीर परमेश्वर जी वहां पहुंचे तो उन्होंने कबीर परमेश्वर जी के चरण धोकर चरणामृत को टहनी में डाला तो तुरंत सूखी टहनी हरी-भरी हो गई। इसका प्रमाण आज भी गुजरात के भरुच शहर के पास अंकलेश्वर नामक स्थान पर है जहां उस पेड़ को कबीर वट वृक्ष के नाम से जाना जाता है।
मगहर शहर के समीप एक आमी नदी बहती थी। वह भगवान शंकर के श्राप की वजह से सूख गई थी। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने हजारों लोगों के बीच उस सूखी नदी की ओर इशारा किया और नदी में पानी पूरे वेग से बहने लगा। आज भी आमी नदी प्रमाण के तौर पर बह रही है। फिर परमेश्वर कबीर साहेब ने हजारों लोगों के सामने सशरीर सतलोक गमन किया।
इतना निर्मल ज्ञान कहीं देखा न सुना।
कबीर परमात्मा माँ के गर्भ से जन्म नहीं लेते, ना ही उनकी कोई पत्नी थी। क्योंकि वे तो सबके उत्पत्तिकर्ता हैं। ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में प्रमाण है कि कविर्देव शिशु रूप धारण कर लेता है। लीला करता हुआ बड़ा होता है। कविताओं द्वारा तत्वज्ञान वर्णन करने के कारण कवि की पदवी प्राप्त करता है वास्तव में वह पूर्ण परमात्मा कविर् (कबीर साहेब) ही है।
कबीर, "ना मेरा जन्म ना गर्भ बसेरा, बालक बन दिखलाया। काशीपुरी जल कमल पे डेरा तहां जुलाहे ने पाया।।
मात पिता मेरे कछु नाही, ना मेरे घर दासी। जुलहे का सुत आन कहाया, जगत करे मेरे हासी।।"
Sant rampal jii maharaj hi puran satguru h ❤❤❤❤❤
Amazing Spiritual Satsang
🌹🙏🏼🌹 Jai ho bandi chhod ki 🌹🙏🏼🌹
Sat sahib ji❤
Sat saheb ji 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
purn prmatma ki sacchi jankari
नमन करू गुरू देव को , दिन मे सौ -सौ बार।
काग पलट हँसा किया , करत ना लागी बार।।
Sat saheb ❤
Very very nice satsng 🙏🙏
😭🙏🏼🌹 Sat Saheb Ji 🌹🙏🏼😭
Kabir is suppriem god
Jay bandi chhod ki , sat saheb 🙏🙏
Great knowledge
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Jay Ho Bandi chhod ke
सत साहेब 🙏 अनमोल सत्संग l
chanchal kumar Raj
अनमोल तत्व ज्ञान
Nice knowledge
Very nice satsang
Very nice satsang
Amrit vachan❤
Very nice interview
Very nice post
Nice satsang ❤
❤सतसाहबजी ❤
अनमोल ज्ञान
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Satsaheb
Nice satsang
Anmol gyan
Anmol gyan
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Sat saheb ji 🙏
Amazing 🤩
Nice gyan
सत साहिब जी
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True knowledge
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⚡️जब कबीर परमेश्वर सतलोक से अवतरित हुए थे। उस समय शिशु रूप कबीर साहेब की परवरिश कुंवारी गाय के दूध से हुई थी। इसी बात का प्रमाण ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में भी है कि जब पूर्ण परमात्मा शिशु रूप धारण करके पृथ्वी पर आता है तो उसका पालन पोषण कुंवारी गाय से होता है।