| Pokaran fort | दुश्मनी सेना को रोकने के लिए खौलता हुआ गरम तेल फेका जाता था इनके आलों से!(Ep-2)
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- Опубліковано 9 лют 2025
- | Pokaran fort | दुश्मनी सेना को रोकने के लिए खौलता हुआ गरम तेल फेका जाता था इनके आलों से!(Ep-2)
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पोकरण का किला पश्चिमी राजस्थान के प्राचीनतम किलों में से एक है । जोधपुर और जैसलमेर राज्य की सीमा पर अवस्थित होने के कारण यह सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण था । इसी वजह से यह दुर्ग दोनो राज्यों के मध्य संघर्ष का बड़ा कारण बना । लगभग 90 वर्षों को छोड़कर यह किला जोधपुर राज्य के अधीन रहा । अल्पकाल के लिए यह राव मालदेव के समय सुल्तान शेरशाह सूरी के समय दिल्ली सल्तनत के अधीन रहा जिसने राव मालदेव का पीछा करते हुए पोकरण पर अधिकार किया और अपना एक थाना यहां स्थापित किया । कुछ समय के लिए यहाँ मुगलवंशी औरंगजेब का भी अधिकार रहा । बालागढ़ के रूप में जाना जाने वाला पोखरण किला 14 वीं सदी में निर्मित एक प्राचीन किला है । यह स्मारक थार रेगिस्तान में स्थित है । यह एक प्राचीन ऐतिहासिक व्यापार मार्ग पर स्थित है जहां से मसाले , नमक , और रेशम का फारस और अन्य देशों को निर्यात किया जाता था । यह राठौड़ वंश के चम्पावत शासकों का किला है । यह किला मुगल और वास्तुकला राजपूत शैली का एक शानदार उदाहरण है । किले में हथियार , कपड़े , चित्र , और हस्तशिल्प के शाही संग्रह को प्रदर्शित करता एक संग्रहालय है । इसके अलावा , यहाँ एक शानदार पुस्तकालय है जिसमें महान राव बहादुर राजश्री , ठाकुर चैन सिंह जी पोकरन से सम्बद्ध पुस्तकों का अच्छा संग्रह है । पोकरण के किले का निर्माण किसने और कब करवाया , इससे जुड़े अनेक मिथक प्रचलित है । किन्तु इस बात को लेकर सर्वसम्मति है कि पोकरण किला का जो वर्तमान स्वरूप है , वह इसकी स्थापना के समय ऐसा नहीं रहा होगा ।
श्री विजयेन्द्र कुमार माथुर ने पोकरण को महाभारतकालीन पुष्कराराण्य नगर माना जहां उत्सवसंकेत गण रहा करते थे । इस मान्यता की स्वीकृति से पोकरण का इतिहास ईसा से कई शताब्दी पूर्व चला जाता है । उस काल में भी लोग प्रशासनिक केन्द्र के रूप में दुर्ग या गढ़िया बनाया करते थे । अतः पोकरण में किला महाभारत काल में ही बन गया होगा । श्री विजयेन्द्र कुमार माथुर ने श्री हरप्रसाद शास्त्री को उद्धृत किया जिनके अनुसार महरौली ( दिल्ली ) के प्रसिद्ध लौह स्तम्भ का चन्द्र वर्मा और समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति का चन्द्र वर्मा एवं मंदसौर अभिलेख ( 404-05 ई . ) का चन्द्रवर्मा यहीं का शासक था । जब शासक था तो उसका प्रशासनिक केन्द्र दुर्ग भी अवश्य ही रहा होगा । पोकरण से प्राप्त 1013 ई . के अभिलेख से इस क्षेत्र में पहले गुहिलों और फिर परमारों के वर्चस्व की ओर इशारा करते हैं । इसके बाद लगभग तीन शताब्दी से भी अधिक समय तक यहां परमारों का राज रहा । निश्चित रूप से परमारों के समय यहां कोई गढ़ या छोटी गढ़ी रही होगी । उस काल में परमारों द्वारा पश्चिमी राजस्थान में दुर्ग श्रृंखला बनाए जाने के निश्चित प्रमाण मिलते हैं । कालान्तर में पंवार पुरूरवा ने नानग छाबडा को गोद लिया जिससे पोकरण में छाबड़ा वंश का शासन प्रारंभ हुआ । मुहता नैणसी जनश्रुति के आधार पर भैरव राक्षस द्वारा छाबड़ा वंशी शासक महिध्वल को पकड़ कर मार डालने का वर्णन करता है । यह घटना तेरहवीं शताब्दी के प्रारंभ की रही होगी । इस घटना के बाद पोकरण भैरव राक्षस के भय से उजड़ गया । कालान्तर में तेरहवीं शताब्दी के चैथे पांचवे दशक में तंवर अजमाल जी ने राव मल्लिनाथ जी से पोकरण बसाने की स्वीकृति ली
उन्होंने पंवारों ( परमार ) के दुर्ग में आश्रय लेकर पोकरण पुनः बसाने की स्वीकृति ली । पंवारों ( परमार ) के दुर्ग में आश्रय लेकर पोकरण पुनः बसाने के प्रयास प्रारंभ किये । इसी दौरान अपनी किशोरावस्था में ( लोककथाओं के अनुसार ) अजमाल तंवर के पुत्र रामदेव ने भैरव राक्षस को पराजित कर सिन्ध भगा दिया । संभवतः अजमाल जी , वीरमदेव जी तथा रामदेवजी द्वारा दुर्ग का पुनर्निमाण करवाया गया । कुछ समय पश्चात् तंवरों ने अपने वंश की एक कन्या राव मल्लिनाथ के पौत्र हमीर जगपालोत ( पोकरणा राठौड़ों के आदि पुरुष ) से ब्याही । विवाह के पश्चात् रामदेव जी ने कन्या से कुछ मांगने के लिए कहा । हमीर जगपालोत के कहे अनुसार उसने गढ़ के कंगूरे मांग लिए । रामदेवजी ने उदारता पूर्वक इसे स्वीकार कर लिया जिससे पोकरण गढ़ पर राव हम्मीर का अधिकार हो गया । कालान्तर में जोधपुर के शासक राव सूजा के पुत्र नरा ने छल से पोकरण दुर्ग पर अधिकार कर लिया । उसने पोकरण से कुछ दूर पहाड़ी पर किला बनाकर सातलमेर बसाया । पोकरण गढ़ पर अपना अधिकार रखा किन्तु आबादी को सातलमेर स्थानान्तरित कर दिया । 1503 ई . के लगभग पोकरणा राठौड़ों से हुए युद्ध में नरा वीरगति को प्राप्त हुआ में जिससे पोकरण - सातलमेर दुर्गों पर पोकरणा राठौड़ों का अधिकार हो गया । यह अधिकार अल्पकालिक स्थापित हुआ । क्योंकि जोधपुर के राव सूजा ने उन्हें परास्त कर खदेड़ दिया । कालान्तर में 1550 ई . में राव मालदेव ने पोकरण सातलमेर दुर्गों पर अधिकार कर लिया । उसने सातलमेर के दुर्ग को नष्ट कर दिया तथा पोकरण के पुराने गढ़ का पुनर्निर्माण करके उसे सुदृढ़ स्वरूप दिया!
सातलमेर गढ़ के पत्थरों को मेड़ता भिजवाकर मालकोट बनवाया । कुछ वर्षों बाद जब मारवाड़ पर मुगल प्रभुत्व स्थापित हो गया तब राव चन्द्रसेन ने एक लाख फदिये में पोकरण दुर्ग और उससे लगे क्षेत्र जैसलमेर के भाटियों को गिरवी रूप में दे दिए । अनन्तर 100 वर्षों के बाद महाराजा जसवंतसिंह के समय मुहता नैणसी के नेतृत्व में आई एक सेना ने पोकरण पर अधिकार कर लिया । इस प्रकार पोकरण दुर्ग पर प्रभुत्व बदलता रहा और अन्ततः स्थायी रूप से आजादी तक जोधपुर राज्य के स्वामित्व में रहा ।
🌷🌷🌷👌💜💜💜
Beautiful Pokaran fort Video friend
Jay Baba Ramdepir ki Jai 🌷
nice
भाई जी आपको सत सत नमन जो आप
हम सभी को
एतिहासिक चीजों को घर बैठे दिखाते और हमको उनसे रूब
रु कराते हो धन्यवाद आपको
🙏"जयजय शिव-शंभु"🙏
"नमस्ते----भगवान-----रूद्र"
"भास्करामित--तेजसे"
"नमो------भवाय-----देवाय"
"रसायाम्बुमयात्मने"
🙏"जयजय शिव-शंभु"🙏
गजब की jankariya
राधे-राधे भाई जी आपका वीडियो बढ़िया है
Gyanvik vlogs Vikram ji aapki video bhut great hoti hai
बहुत ही सुंदर वीडियो 🌹
Fantastic vidio bhaiya❤❤❤❤
This is very interesting video sir and jai shree Krishna 🙏 keep it up sir
1 comment ❤❤ I like your videos
Super ❤❤❤
I love your videos
Your videos are best
Gran vídeo, cómo siempre, es admirable la maravillosa cultura india y tú el mejor embajador ante el mundo. Gracias mil por compartir.
Felicitaciones desde México! 🎉🎉🎉🎉
Great. Continue to explore more .. 👍
Nice bro
Very nice exploration in this vlog❤
Jai Baba ri
Very interesting video.
Luckily First Viewer This Time 😅
Bhai mein Teri har video ko dekhta hun bahut acchi video late Ho Tum banakar
Har har mahadev 🔱🛕🚩🙏
अरे भाई साहब आपकी सारी की सारी वीडियो सर्दी में शूट की गई है 😊😊
अब आप कहां रहते हैं,,,विदेश तो नही चले गए हैं 😊😊,,, रिप्लाई करें
Hello Subash bhai. Actually m hum abi busy h.. issye sardiyo ki video post kr rhe h... but aap video ke content ko focus kre.. na ki garmi aur sardi.. OK bhai
@@Gyanvikvlogs ओके भाई 😊😊👍🏿👌🙏
जय बाबा रामदेव जी
Nice
Hlo Vikram Bhai Ram ram..kab aa rhe ho hmari trf. Me buddaa ho jaunga tab aavoge kya😢😢
राम राम सभी दोस्तों को 🙏🙏🙏🙏
Amazing
👏👏👏👏👌👌👍
आपकी हर वीडियो को देखता हूं जब भी अपलोड होती है ,,हर वीडियो को लाइक करता हूं कमेंट भी करता हूं लेकिन कभी कभी रिप्लाई क्यों नहीं करतें हो ये समझ से बाहर है 🤕😇😑😐🦍😔🤔🙊🙉🙈
Благодарю! Ваше видео всегда интересно просматривать. Спасибо за разъяснения под ним. Любопытно было то время, когда правители сменялись друг за другом, утверждаясь в жизни, земной. Хороших Вам дел и успеха !!!
जय द्वारकाधीश श्री कृष्ण
Jay hind
Wondar
Jay Shree dwarkadhish
Pokhran kile Mei Agni missiles aur Nuclear test kiye the Indian army ne
Pokhran ke aakhiri jagirdar raja bhavani Singh Jo ek session judge aur Sansad the 1952 Mei Bharat Mei barmer se
Sukhbeer Singh Tomar
Samne jansankhya hai
Are yar patanjli Wale nhi old king
Yah Raat se jyada belgadia dikh rahi hai janab aur belgadia mein fark gadi mein admin do we Lage rahte the jab ki Raat mein 4 will Lage rehte Hain tu yah bailgadi hai na ki Raat
Hi bhaiya kaise ho
भाई रामदेव जी का जन्म 1964 मे हुआ था
nice
Nice