bh karan ji sunder vihar ashram (Delhi) 6/10/2024
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- Опубліковано 25 гру 2024
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निकलते आँसुओं को देख कर, आँखें भी शायद सोचती हैं अब... कि पता नहीं कितना वक्त लगेगा,
इसको सतगुरू का दीदार पाने में॥🌳👏🌳
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,
मन कमल सा खिल जाये,सभी गम भूल जातें हैं,गम भूल जातें हैं,सभी गम भूल जातें हैं,
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,
ये दर तेरा, खुशियां देंने वाला है-२,
दरबार गुरु का,जग में सबसें आला है-२,
इस द्वार पर आकर, खुशियां मनातें है,गम भूल जातें हैं,सभी गम भूल जातें हैं,
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,
मन कमल सा खिल जाये,सभी गम भूल जातें हैं,गम भूल जातें हैं,सभी गम भूल जातें हैं,
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,
सतगुरु कें दर, भक्ति कें भण्डार भरें-२,
हो नाम सें मालोमाल,शरणं जो आते हैं-२,
बड़ें प्रेम सें सतगुरु,भक्ति सिखातें है,गम भूल जातें हैं,सभी गम भूल जातें हैं,
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,
मन कमल सा खिल जाये,सभी गम भूल जातें हैं,गम भूल जातें हैं,सभी गम भूल जातें हैं,
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,
त्रिलोंकी में फैली, महिमा न्यारीं है-२,
तेरी शरणं में आती सतगुरु, दुनियां सारी है-२,
करें प्रेम सें सेवा,मुक्ति वो पाते हैं,गम भूल जातें हैं,सभी गम भूल जातें हैं,
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,
मन कमल सा खिल जाये,सभी गम भूल जातें हैं,गम भूल जातें हैं,सभी गम भूल जातें हैं,
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,
हर युग में भक्तों कों,प्रभु नें तारा है-२,
लें सन्त रुप कलयुग में, दिया सहारा है-२,
है दास वही सच्चे,तन-मन जों लुटातें है,गम भूल जातें हैं,सभी गम भूल जातें हैं,
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,
मन कमल सा खिल जाये,सभी गम भूल जातें हैं,गम भूल जातें हैं,सभी गम भूल जातें हैं,
दर्शन जों पातें है,तेरी शरणं में आतें हैं-२,