Lehsura ki kheti लसोड़ा से कम खर्च में आदिक आमदनी ! गोंदा/Gonda की खेती राजस्थान में
Вставка
- Опубліковано 4 жов 2024
- साधारणतया लोगों का यह विचार है कि फलों का उत्पादन लाभप्रद नहीं होता। इस धारणा के कई कारण हैं :-
(१) बाग लगाने से पूर्व प्राय: लोग इस बात का सोच विचार नहीं करते कि स्थानविशेष में, वहाँ की भूमि और जलवायु के अनुसार, फल की कौन सी किस्म के पेड़ लगाने चाहिए;
(२) फलों के पौधों के लगाने की विधि भी उचित नहीं होती, बिना भूमि को सुधारे प्राय: फलों के पेड़ लगा दिए जाते हैं तथा पेड़ों का आपस का फासला भी आवश्यकता से कम रखा जाता है और
(३) एक बार बाग लगा देने के उपरांत बाद में उसकी देखभाल पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। खाद और पानी की प्राय: कमी रहती है।
इन सब कारणों से पेड़ों की फसल अच्छी नहीं होती और बाग से कोई लाभ नहीं होता। यदि उचित ढंग से बाग लगाया जाए और बाद में भी ठीक देखभाल हो, तो लाभ न होने का कोई कारण नहीं है।
लसोड़ा एक ऐसी फसल है जिसे गर्म शुष्क क्षेत्रों में न्यूनतम कृषि लागत के साथ सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। आमतौर पर लसोड़ा को रेगिस्तान की चेरी कहा जाता है। इसे कई अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे गूंदा, लहसुआ, गूंदी, गोंद बेरी (श्लेष्मिक गूदा के कारण), असेरियन प्लम, भारतीय चेरी इत्यादि ।
आम के आम, गुठलियों के दाम’ वाली कहावत इसके लिए सटीक बैठती है। अगर किसान, पौधें का रोपण खेत के चारों ओर वायुरोधक वृक्ष के रूप में करते हैं तो यह फसलों की शीतलहर एवं गर्मी से तो रक्षा करता ही है, साथ में पौधें से फल भी प्राप्त होते रहते हैं।
भाई हम देखते तो कई लोगों के वीडियो है लेकिन आप जानकारी प्रमाणिक व स्पष्ट रूप सेदेते हैं जबकि अन्य लोग बहुत बड़ा चढ़ा कर दिखाते हैं
Nice video sharing sir ❤
👌👍🙏
अच्छी veraity के लहसवे के बीज से अच्छा पौधा तैयार हो सकता है क्या
Sir aap ke paas ye podhe aaye to aap channel per jarur btana next month
मोटे लहेसवे का बीज लगाने से पौधा पर मोटे लहसवे लगे गे क्या
भाई जी हम बिहार (नवादा )से हैं, हम को अंजीर, चिकू, सेब का पौधा चाहिए। हमारे पास कैसे पहुंचे गा।
Apke pass tharsobha khejri mil jaegi ky
भाई काजरी ने गोला बेर ओर खेजड़ी की भी किसमे निकाली है वोभी अपने पास लाइये
Ji last year tha
Plants kb milega sir iska
Papaya 🌴 konse month lgaye sir
Aug., September me
Mp m pack ke gir gaya 😅😅😅