Banika Pradhan ma'am you are one of the best singer who can truly give justice to every song . Your voice is mesmerizing and your talent shines through in every performance. I'm a big fan and always look forward to your new music❤
"BANI" Gaayan by "BANI"KA ji is BEYOND Words, BARNAN se parey, har bar ki tarah soulful singing, great music composition, nice editing, keep it up! prem pranamji
महामति प्राणनाथजी प्रणित श्री ताररतम सागर, श्री प्रकाश हिन्दुस्तानी ग्रन्थ, प्रकरण १७ मेरे साथ सोहागी रे, पिउसों क्यों न करो पेहेचान । पेहेले चले पेहेचान बिना, फेर आए सो अपनी जान ॥१॥ सोई पिउ सोई बातड़ी, फेर सोई करे पुकार । कारन अपने पिउ को, आंखों आवे जलधार ॥२॥ सोई नसीहत देत सजन, खैंचत तरफ वतन । पिउ पुकारें बेर दूसरी, अब क्यों होंए पीछे आपन ॥३॥ सोई कूकां करे पेहेले की, सो क्यों न समझो बात । न तो दिन उजाले खरे दो पोहोरे, अब हो जासी रात ॥४॥ फेर पटकोगे हाथड़े, और छाती देओगे घाउ । चल जासी पिउ हाथ से, फेर न पाओगे दाउ ॥५॥ विलख विलख कहे वचन, रोए रोए किए बयान । प्रेम करे अति प्रीतसों, पर साथ को सुध न सान ॥६॥ माया देखी बीच पैठ के, पिउ के उजाले तुम । विध विध खेल देखावने, पिउ ल्याए तारतम ॥७॥ ए जो मांगी तुम माया, सो देखे तीन संसार । अब साथ पिउ संग चलिए, ज्यों पिउ पावें करार ॥८॥ पिउ पांच बेर हम वास्ते, सागर में डारया आप । सो नजरों न आवे प्रेम बिना, बिना मेहेर या मिलाप ॥९॥ भले देखो तुम आकार को, पर देखो अंदर का तेज । धनी धाम के साथसों, कैसा करत हैं हेज ॥१०॥ अब कैसी विध करूं तुमसों, कछू ना पेहेचाने सजन । सोर हुआ एता तुम पर, क्यों आवे नींद आंखन ॥११॥ ना गई नींद अंदर की, क्यों एते बान सहे । जाग चलो संग पिउ के, पीछे करोगे कहा रहे ॥१२॥ तुमें धनी बिना कौन दूसरा, ए उड़ावे अंधेर । तुम देखो साथ विचार के, जिन भूलो इन बेर ॥१३॥ एक बेर भूले आदमी, ताए और बेर आवे बुध । ए चोटां सहियां सिर एतियां, तो भी ना हुई तुमें सुध ॥१४॥ अब ढील ना कीजे एक पल, इत नाहीं बैठन का लाग । एक पलक के कोटमें हिसे, हो जासी बड़ा अभाग ॥१५॥ कहूं गुसा कर वचन, सो ना वले मेरी जुबांए । पर इत नफा क्या होएसी, तुम रहे माया लगाए ॥१६॥ टेढ़े सुकन तुमे कहूं, सो काट करूं जुबां दूर । पर इन मायाका तुमको, कहा होसी रोसन नूर ॥१७॥ ना पेहेचाने इन उजाले, ए दोए साख पूरन । पीछे पिउ आगे वतन में, क्यों होसी मुख रोसन ॥१८॥ पेहेले नजरों देखते, गयो अवसर टूटी आस । निकस गए जब हाथ से, तब आपन भए निरास ॥१९॥ ए ठौर ऐसा विखम, नास होए मिने खिन । स्याने हो तुम साथजी, सब चतुर वचिखिन ॥२०॥ तुम स्याने मेरे साथजी, जिन रहो विखे रस लाग । पांउ पकड़ कहे इंद्रावती, उठ खड़े रहो जाग ॥२१॥ - श्रीकृष्ण कन्हैया लाल की, जय । - सदगुरु माहाराजकी, जय । - प्राणनाथ प्यारेकी, जय ।।
❤ pernam ji sunder sath ji ki charnao me koti koti pranam ji ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤
प्रेम प्रणाम जी🎉
Bahut sundar vaani gaayan prem pranam ji 🙏🌹❤
Kyaa baat hai
Itna anandamay bani shravan kr k atti Ananda mahesos ho rha hai❤❤🙏🥹🥹
ati sundar bani vaw❤❤
Ati sunder vani gayan ❤❤ Prem pranam ji 🙏❤️🙏
Bahut sunder Mera Mann ki baat bol di ..pernam ji 🙏
अति सुन्दर वाणी गायन बानिका बहन जी द्वारा श्री राजी की मेहर पल पल मेहर बनी रहे । प्रेम प्रणाम जी ❤
अति सुन्दर प्रेम प्रणाम जी ❤❤🙏🙏
बहुत ही मधुर और हरदयस्पर्शी वाणी गायन, वानिका बहिनी लाई ह्रदय बाट प्रेम प्रणामजी, धनी को हजूर माथी यसरी नै प्रेममयी मेहेर बनिरहोस🙏👌❤️🙏🙏🌺🌺🌺
Koti koti pranamji pyare mere saathji❤❤❤❤❤
श्री श्रीजी साहेब जी महेरबान 🌹🙏🏻 प्रेम प्रणाम जी
सप्रेम प्रणाम जी।
Ati sunder vani gayan
अति अति सुंदर ❤प्रेम प्रणाम जी❤
Ati Sunder Bani Gayan Prem Pranam ji
अति सुन्दर ❤
Bahut sunder vani gayan Pranam ji
प्रेम प्रणाम जी 🙏🏻
❤😢satya sundar super 😢❤
અતિ સુંદર પ્રેમ પ્રણામજી❤
प्रेम प्रणाम जी
Itna sunder Gaya aap ne ki raji se phle se bhi jayeda piyar ho Gaya ab to lagta hai ki bas 😭😭😭 aapne ghar chale ab 😢
अत्ति सुन्दर वाणी गायन प्रेम प्रणाम जी
Touching voice ❤❤
❤ pernam ji sunder sath ji ki charnao me koti koti pranam ji
Wow so beautiful voice and compose of Vani Gayan 🌸❤️🌸. Classic💢
❤❤❤ પ્રેમ પ્રણામ
Prem pranaam ji🙏🙏
dil khush ho gya ❤
Prem pranamji
prem pranamji 🙏
Prem pranam ji
Ati sundar ❤ parakastko aannda ko pall
Banika Pradhan ma'am you are one of the best singer who can truly give justice to every song . Your voice is mesmerizing and your talent shines through in every performance. I'm a big fan and always look forward to your new music❤
"BANI" Gaayan by "BANI"KA ji is BEYOND Words, BARNAN se parey, har bar ki tarah soulful singing, great music composition, nice editing, keep it up! prem pranamji
Prem parnam ji
Demetrius Spring
👌❤️प्रेम प्रणाम ज़ी
Sunder
Stracke Station
Naomi Crossing
Duncan Extensions
Christ Heights
Hyatt Grove
Collins Plains
महामति प्राणनाथजी प्रणित श्री ताररतम सागर, श्री प्रकाश हिन्दुस्तानी ग्रन्थ, प्रकरण १७
मेरे साथ सोहागी रे, पिउसों क्यों न करो पेहेचान । पेहेले चले पेहेचान बिना, फेर आए सो अपनी जान ॥१॥
सोई पिउ सोई बातड़ी, फेर सोई करे पुकार । कारन अपने पिउ को, आंखों आवे जलधार ॥२॥
सोई नसीहत देत सजन, खैंचत तरफ वतन । पिउ पुकारें बेर दूसरी, अब क्यों होंए पीछे आपन ॥३॥
सोई कूकां करे पेहेले की, सो क्यों न समझो बात । न तो दिन उजाले खरे दो पोहोरे, अब हो जासी रात ॥४॥
फेर पटकोगे हाथड़े, और छाती देओगे घाउ । चल जासी पिउ हाथ से, फेर न पाओगे दाउ ॥५॥
विलख विलख कहे वचन, रोए रोए किए बयान । प्रेम करे अति प्रीतसों, पर साथ को सुध न सान ॥६॥
माया देखी बीच पैठ के, पिउ के उजाले तुम । विध विध खेल देखावने, पिउ ल्याए तारतम ॥७॥
ए जो मांगी तुम माया, सो देखे तीन संसार । अब साथ पिउ संग चलिए, ज्यों पिउ पावें करार ॥८॥
पिउ पांच बेर हम वास्ते, सागर में डारया आप । सो नजरों न आवे प्रेम बिना, बिना मेहेर या मिलाप ॥९॥
भले देखो तुम आकार को, पर देखो अंदर का तेज । धनी धाम के साथसों, कैसा करत हैं हेज ॥१०॥
अब कैसी विध करूं तुमसों, कछू ना पेहेचाने सजन । सोर हुआ एता तुम पर, क्यों आवे नींद आंखन ॥११॥
ना गई नींद अंदर की, क्यों एते बान सहे । जाग चलो संग पिउ के, पीछे करोगे कहा रहे ॥१२॥
तुमें धनी बिना कौन दूसरा, ए उड़ावे अंधेर । तुम देखो साथ विचार के, जिन भूलो इन बेर ॥१३॥
एक बेर भूले आदमी, ताए और बेर आवे बुध । ए चोटां सहियां सिर एतियां, तो भी ना हुई तुमें सुध ॥१४॥
अब ढील ना कीजे एक पल, इत नाहीं बैठन का लाग । एक पलक के कोटमें हिसे, हो जासी बड़ा अभाग ॥१५॥
कहूं गुसा कर वचन, सो ना वले मेरी जुबांए । पर इत नफा क्या होएसी, तुम रहे माया लगाए ॥१६॥
टेढ़े सुकन तुमे कहूं, सो काट करूं जुबां दूर । पर इन मायाका तुमको, कहा होसी रोसन नूर ॥१७॥
ना पेहेचाने इन उजाले, ए दोए साख पूरन । पीछे पिउ आगे वतन में, क्यों होसी मुख रोसन ॥१८॥
पेहेले नजरों देखते, गयो अवसर टूटी आस । निकस गए जब हाथ से, तब आपन भए निरास ॥१९॥
ए ठौर ऐसा विखम, नास होए मिने खिन । स्याने हो तुम साथजी, सब चतुर वचिखिन ॥२०॥
तुम स्याने मेरे साथजी, जिन रहो विखे रस लाग । पांउ पकड़ कहे इंद्रावती, उठ खड़े रहो जाग ॥२१॥
- श्रीकृष्ण कन्हैया लाल की, जय ।
- सदगुरु माहाराजकी, जय ।
- प्राणनाथ प्यारेकी, जय ।।
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Prem pranam ji