पर्यावरण पर बहुत ही शानदार कहानी/word environment story/

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  • Опубліковано 15 жов 2024
  • पर्यावरण पर बहुत ही शानदार कहानी/word environment story/#paryavarankahani #paryavaranstory
    दो वृक्षों की कहानी
    एक गांव में एक गरीब किसान रहता था जिसका नाम बहादुर था,उसकी पत्नी का नाम शुशीला था,उसके पास थोड़ी सी जमीन थी,जिससे वह अपने परिवार का पालन पोषण करता था,लेकिन उस जमीन से गुजारा करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था,एक दिन उसकी पत्नी सुशीला ने अपने पति से कहा सुनते हो जी,अब तो इतनी मंहगाई बढ़ चुकी है,घर गुजारा बहुत मुश्किल हो रहा है,आप कुछ ऐसा कार्य करो जिससे हमारे बच्चों का भविष्य बन जाए,
    इस तरह से तो हमारे बच्चे भी भूखों मर जायेंगे,
    बहादुर ने सुशीला से कहा ठीक है,में कुछ काम की जुगाड करता हूं, जिससे हमारे घर बजट अच्छे से चल सके और
    बच्चों के भविष्य के लिए कुछ पैसे जमा हो जाएं जिससे वह पढ़ लिख सकें,
    इतना कहकर वह घर से चला जाता कार्य की तलाश करने,
    चला जाता है,जब रास्ते में जा रहा होता है,उसे बहुत तेज धूप लगती जिसके कारण उसे पसीना आ जाता है, और घबराहट महसूस होती है,वह रास्ते में पेड़ों को देखता है,
    पर उसे पेड़ बहुत दूर दिखाई देते हैं,वह कोशिश करके पेड़ों
    तक पहुंच जाता है,वह दो आम के बहुत ही सुंदर और विशाल काय पेड़ थे,उनकी छांव में जाकर बहादुर को बहुत
    शांति मिलती है, मानों सारी थकान ही दूर हो गई हो,
    बहादुर आम के पेड़ों के नीचे विश्राम करता है,उसे गहरी नींद आ जाती है,वह आम के पेड़ आपस में बात करते हैं,
    एक पेड़ कहता है,इस मुसाफिर को हमारी छांव में बहुत गहरी नींद आ गई,तभी दूसरा पेड़ कहता हैं ये तो है,
    पर ये मनुष्य जाति बहुत ही क्रूर है,अपने क्षणिक आनंद के लिए जो पेड़ इन्हें फल देते हैं,जीवन देते हैं,उनको ये बड़ी बे रहमी से काट देते हैं, पहला पेड़ कहता हैं बात तो सच है,
    आज इस बाग हम दो ही पेड़ बचे हैं वर्षों पहले यहां बहुत बड़ा आम का बाग हुआ करता था,और यहां सैकड़ों पेड़ थे,
    इस जालिम इंसान ने सारे पेड़ों को अपने स्वार्थ के लिए काट दिया आज हम दो ही पेड़ बचे हैं,सारा बाग खतम हो चुका है,
    तभी दूसरा पेड़ कहता है, हां हम दो ही बचे हैं,और ये लालची इंसान किसी दिन हमको भी काट देगा,
    लेकिन ये बात भी सच है,जिस तरह इस स्वार्थी इंसान ने
    हमारे बाग को नष्ट किया एक दिन हमारे बिना बंजर हो जाएगी ये धरती ना हमारे बिना पानी ना पृथ्वी पर जीवन
    चारों तरफ विनाश ही विनाश होगा हर एक इंसान प्राण वायु के ना होने से दम खुटकर मर जायेगा,
    तभी पहला पेड़ कहता है, हां पता नहीं इंसान कब समझ पायेगा कि वो हमको नहीं अपने भविष्य को काट रहा है,
    इंसान की सारी आवश्यकताएं फल,फूल,लकड़ी औषधि,
    सब कुछ देते हैं,पर ये स्वार्थी इंसान बदले में हमें क्या देता,
    मौत,बहादुर नींद में ही दोनों पेड़ों के वार्तालाप को सुन रहा था,और वह नींद से जागकर बैठ जाता है,दोनों पेड़ों को हाथ जोड़कर नमस्कार करता है,और आज आपने मुझे जीवन की अनमोल सीख दी है, और धूप से मुझे बचाया है,
    आप पेड़ होकर भी इंसान के लिए इतना कुछ करते हो आंधी तूफान बाढ़,यहां तक कि हम इंसान की नफ़रत को सहन करके हो,आप दोनों पेड़ों मुझे जीवन का अनमोल ज्ञान दिया है, इसलिए आज से अभी से में पेड़ों की भलाई के लिए ही कार्य करूंगा,इतना कहकर वह वापस घर के लिए निकल पड़ता है,लेकिन वो दोनों पेड़ उस इंसान को रोककर कहते हैं तनिक रुको भाई अपने घर के लिए ये ताजे आम लेते जाओ,बहादुर आम लेकर वहां से निकलता है, और घर पहुंच जाता है,और अपनी पत्नी सुशीला को आम देता, सुशीला कहती है ये सब कहां से लाए हो तभी बहादुर सारी बता बताता है,
    अब बहादुर और सुशीला तय करते हैं,आज से अभी से
    हम अपनी जमीन के किनारों पर आम के पेड़ और अन्य
    फलदार पेड़ लगाएंगे,जिससे हमारे परिवार का खर्चा भी चल जायेगा हमारे बच्चे पड़ेंगे भी और हमारे बच्चों का भविष्य सुरक्षित भी रहेगा,
    यदि पेड़ सुरक्षित हैं,तो ये प्रकृति भी सुरक्षित ही,प्रकृति ही पृथ्वी है,और धरा है तो हमारा जीवन भी और भविष्य भी
    अतः आप सभी महापुरुषों से प्रार्थना पेड़ों को ना काटें,
    ना काटने दें,और अपना और अपने बच्चों का भविष्य सुनश्चित करने के लिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाएं
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