🌸Upanishad Ganga🌸 Its old, yet new, Its meant for you. In these days of jet-setting and fast food, when money making is competing with man making; an age when success without stress seems a distant dream; when rhythm and life seem completely disjoint, Upanishads emerge as a ray of hope. Upanishad is the heart of Indian thought and philosophy, the very foundation of our culture and ethos. 🌸Watch ALL THE EPISODES of this ancient wisdom over here:🌸 ua-cam.com/play/PLm6DKuwwu5zru7Y0K55cpm2EF91JlEl0M.html 🌸SUBSCRIBE to UA-cam: #ChinmayaChannel 🔔 Click To Subscribe🌸 ua-cam.com/users/Chinmayachannel Press 🔔 to never miss any updates.
जो इस अर्थहीन शरीर को ही सत्य मान कर, उद्ध्वलित और भयभीत रहते हैं, उसके लिए ईश्वर की उपासना ही, निर्भय होने का सुरक्षित मार्ग है ! जो लोग, ईश्वर के अस्तित्व को नहीं देख पाते, वे माया के प्रभाव से, इस शरीर को ही, आत्मा मान बैठते हैं, और जो, शरीर से परे, नहीं देख पाते, वह भयभीत होते हैं ! इसलिए जो, स्वयं को ब्रह्म अलग न मान, ब्रह्म की उपासना करते हैं, वे निर्भय होते हैं !......उपनिषद् गंगा -४१ ईश्वर माया का स्वामी है ! परन्तु , जीव माया का दास है ! ईश्वर कर्म फलो का दाता है ! हम जीवो का कल्याण ईश्वर की उपासना, उनसे प्रेम करने में ही है !.......उपनिषद् गंगा 41 प्रह्लाद भगवान नरसिंह की स्तुति प्रह्लाद के द्वारा ........ भगवन, ये सम्पूर्ण जगत, एक मात्र आप ही हैं ! क्योकि, इसके आदि में आप ही, कारण रूप से थे ! अन्त में, आप ही अवधि के रूप में रहेगें और बीच में, इसके प्रतीति के रूप भी, केवल आप ही हैं ! यह ब्रह्माण्ड आपका ही शरीर है ! भगवान नरसिंह से प्रह्लाद के द्वारा जीवों की मन की व्यथा का वर्णन ... वैकुंठनाथ,-- मेरी मन की बड़ी दुर्दशा है ! यह हमेशा, कामनाओं के लिए आतुर रहता है ! ऐसे मन से, मैं कैसे आपका चिन्तन करू ! यह कभी नहीं खाने वाली जीभ, मुझे स्वादिष्ट रसों की ओर खीचती रहती है ! जनिन्द्रिया काम की ओर, ,त्वचा कोमल स्पर्श की ओर, पेट भोजन की ओर, नाक सुगन्ध की ओर, कान मधुर संगीत की ओर, और चंचल आंखे, सुन्दरता की ओर मुझे खीचती रहती है ! कर्मो के बन्धन से जकड़ा यह जीव, यह अपना है, यह पराया है, इस भेदभाव से युक्त होकर, किसी से मित्रता करता है, किसी से शत्रुता ! इस मूर्ख, जिव जाति की दुर्दशा देख, इस पर करुणा कीजिये भगवन ! उपनिषद् गंगा 41 तत्त्व दृष्टि से, ब्रह्म एक और अद्वैत है ! यहाँ ब्रह्म के अलावा, किसी का भी अस्तित्व नहीं है ! जीव, जगत और ईश्वर एक ही है ! ब्रह्म ही जीव,यह संसार और ईश्वर हैं ! जैसे जल ब्रह्म है, तो, समुद्र - ईश्वर ! और समुद्र की लहरे है -जीव और जगत ! जीव, जगत का सम्बन्ध ऐसा ही है, जैसा, दृष्टा और दृश्य का, कर्ता और कर्म का, भोक्ता और भोग्य का ! जैसे जीव अज्ञानता बस स्वयं को जगत और ईश्वर से अलग मान लेता है ! वह हर वस्तु में, भेद देखने लगता है ! उपनिषद् गंगा-41
@@abhayvaishnav3706यह तो एक पहेली है जिसे हर कोई सुलझाना चाहता है। कोई मानता है बुद्ध, कृष्ण, महावीर जैसे लोग इसे समझ पाए, परंतु वास्तविकता में ये भी झूट है। यह तो मनुष्य जाति की अति विकसिकता का नतीजा है। जब मनुष्य जंगल में शिकार करते और रहते तब ऐसे प्रश्न किसी को नहीं पड़ते थे, सभी पशु हिंसा और जिंदा रहना इसिको धर्म मानते थे। जैसे जैसे मनुष्य की बुद्धि विकसित होती गई उसने आत्मा, परमात्मा, धर्म ऐसी चीजे और प्रल्हाद जैसे प्रश्न खोज निकाले जिनमें वो खुद उलझता रहा। इसी उलझन का जवाब कुछ लोग जैसे कृष्ण और बुद्ध ने देना चाहा परंतु वो कुछ ही लोगों के विवेक को छू पाए और उन लोगो ने धर्म, जाति बनाई। अगर कोई बात वैश्विक सत्य हो तो हर कोई उसे अपना लेता है। जैसे - मनुष्य बिना अन्न के जी नहीं सकता यह सत्य जगत का एक भी इंसान नकार नहीं सकता वैसे सत्य ही एक ही होना चाहिए था। परंतु सब ने अपनी अपनी व्याख्या बनाने की कोशिश की और जिन जिन लोगो के विवेक को वो छू पाई उन्होंने बुद्ध, कृष्ण जैसे मनुष्यों को देवता बनाया। अन्तत: कोई भी बात सत्य नही है सिवाए जन्म और मृत्यु के। तुम कुछ भी मान्य अमान्य करो, किसी भी धर्म, आस्था को अपनाओ उससे कुछ हासिल नहीं होना है। हमे बस अपने मृत्यु तक का वक्त यहां व्यतीत करना है।
@@abhayvaishnav3706 यह तो एक पहेली है जिसे हर कोई सुलझाना चाहता है। कोई मानता है बुद्ध, कृष्ण, महावीर जैसे लोग इसे समझ पाए, परंतु वास्तविकता में ये भी झूट है। यह तो मनुष्य जाति की अति विकसिकता का नतीजा है। जब मनुष्य जंगल में शिकार करते और रहते तब ऐसे प्रश्न किसी को नहीं पड़ते थे, सभी पशु हिंसा और जिंदा रहना इसिको धर्म मानते थे। जैसे जैसे मनुष्य की बुद्धि विकसित होती गई उसने आत्मा, परमात्मा, धर्म ऐसी चीजे और प्रल्हाद जैसे प्रश्न खोज निकाले जिनमें वो खुद उलझता रहा। इसी उलझन का जवाब कुछ लोग जैसे कृष्ण और बुद्ध ने देना चाहा परंतु वो कुछ ही लोगों के विवेक को छू पाए और उन लोगो ने धर्म, जाति बनाई। अगर कोई बात वैश्विक सत्य हो तो हर कोई उसे अपना लेता है। जैसे - मनुष्य बिना अन्न के जी नहीं सकता यह सत्य जगत का एक भी इंसान नकार नहीं सकता वैसे सत्य ही एक ही होना चाहिए था। परंतु सब ने अपनी अपनी व्याख्या बनाने की कोशिश की और जिन जिन लोगो के विवेक को वो छू पाई उन्होंने बुद्ध, कृष्ण जैसे मनुष्यों को देवता बनाया। अन्तत: कोई भी बात सत्य नही है सिवाए जन्म और मृत्यु के। तुम कुछ भी मान्य अमान्य करो, किसी भी धर्म, आस्था को अपनाओ उससे कुछ हासिल नहीं होना है। हमे बस अपने मृत्यु तक का वक्त यहां व्यतीत करना है।
You tube पर उपनिषद गंगा देखना इंटरनेट और मोबाइल का सर्वोत्तम उपयोग है। इसे देखना मेरे जीवन में घटित सर्वोत्तम घटना है। कितने वर्षों का अध्ययन करना पड़ता ये सब जानने के लिए जो सरल,सुगम मनोरंजक रूप में सहज प्राप्त हो गया मेरे पास शब्द नहीं हैं कृतज्ञता प्रकट करने के लिए चिन्मय मिशन को नमन 🙏🙏🙏
🙏🙏🙏. What else I could say. Just speech less. My sincere salutations to the entire team, for putting tremendous efforts, to slowly inject our profound knowledge to this generation, to bring back the glory of our Nation. Again 🙏
jo bhi is serious ko dekh rahe hai, jinhone banaya, jinhone socha iske lie, jinke jivan m parivartan aya har kisi ko shubhkamnae kyoki kisi bhi roop m braham ko samajhne ka avsar ya tareeka mile iska matlab kuchh to bhagyashali hai hum log aur bas chetna aur upar uthe🙏🏻❤️
जीव, जगत और ईश्वर को एक समझने की दृष्टि विकसित होना इतना सामान्य बात नहीं है। लेकिन, जो यम-नियमो के अभ्यास से यह अनुभव कर लिया उसका मनुष्य जीवन सार्थक होना माना जाएगा।
धन्य है भक्त प्रहलादजी की ईश्वर भक्ति को। जिसने दैत्य कुल में जन्म लेकर भी ईश्वर की भक्ति की और स्वयं भगवान को नृसिंह रुप लेकर अवतरित होना पडा प्रहलादजी की रक्षा के लिए।
आप सभी महानुभावों को नमस्ते। ईश्वर जीव और पृकृति इन तीनों की सत्ता पृथक् पृथक् है क्योंकि तीनों के गुण कर्म स्वभाव अलग अलग हैं जैसे जीव अल्पज्ञ और ईश्वर सर्वज्ञ तथा प्रकृति अचेतन है यजुर्वेद का ४०वां अध्याय तीनों के भेद को अच्छी तरह से स्पष्ट करता है।
Bahut bahut dhanyawad...the episode was amazing ..jeev ko avidya ki nidra se jagane wala anubhav tha.. literally I'm blessed to watch such an extraordinary peace of gyaan thank you so much I'm thankful of everyone who involved in this amezing episode..Hari Om
This series should be considered a national treasure. The level of creativity in showing the Narasima avatar is out of the world.. wish it didn't end at 52 episodes
प्रणाम करता हूँ पूरी टीम को ऐसी विलक्षण प्रस्तुति के लिए धन्य है हमारा भारत महान देश है महापुरुषोँ ने ही महान बनाया सन्त समाज का ऋण है हम पर 🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏
This the fantastic way for turning inwards to be one with the cosmic consciousness GURUJI DANDAWAT PRANAM TO YOU & ENTIRE TEAM FOR THIS MARVELOUS PRESENTATION
🌸Upanishad Ganga🌸
Its old, yet new, Its meant for you.
In these days of jet-setting and fast food, when money making is competing with
man making; an age when success without stress seems a distant dream; when
rhythm and life seem completely disjoint, Upanishads emerge as a ray of hope.
Upanishad is the heart of Indian thought and philosophy, the very foundation of our
culture and ethos.
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its old yet new can you please share this trailer i cant find earlier it was coming before every episode
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Hoq to contact you chimaya mission tell me
मनुष्य को ईश्वर से जोड़ने का सरल पथ है उपनिषद
प्रहलाद - हिरण्यकशिपु जीवन के दो दृष्टिकोण की सुन्दर प्रस्तुति के लिए समस्त चिन्मय परिवार को हार्दिक शुभकामनाएं एवं सादर नमन 🙏🙏🙏
इस तरह के नाट्य बनाने व दिखाने वालो का ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद जी
बहुत ही प्रेरणादायक है उपनिषद गंगा
जो इस अर्थहीन शरीर को ही सत्य मान कर, उद्ध्वलित और भयभीत रहते हैं, उसके लिए ईश्वर की उपासना ही, निर्भय होने का सुरक्षित मार्ग है !
जो लोग, ईश्वर के अस्तित्व को नहीं देख पाते, वे माया के प्रभाव से, इस शरीर को ही, आत्मा मान बैठते हैं, और जो, शरीर से परे, नहीं देख पाते, वह भयभीत होते हैं ! इसलिए जो, स्वयं को ब्रह्म अलग न मान, ब्रह्म की उपासना करते हैं, वे निर्भय होते हैं !......उपनिषद् गंगा -४१
ईश्वर माया का स्वामी है ! परन्तु , जीव माया का दास है ! ईश्वर कर्म फलो का दाता है ! हम जीवो का कल्याण ईश्वर की उपासना, उनसे प्रेम करने में ही है !.......उपनिषद् गंगा 41 प्रह्लाद
भगवान नरसिंह की स्तुति प्रह्लाद के द्वारा ........
भगवन, ये सम्पूर्ण जगत, एक मात्र आप ही हैं ! क्योकि, इसके आदि में आप ही, कारण रूप से थे ! अन्त में, आप ही अवधि के रूप में रहेगें और बीच में, इसके प्रतीति के रूप भी, केवल आप ही हैं ! यह ब्रह्माण्ड आपका ही शरीर है !
भगवान नरसिंह से प्रह्लाद के द्वारा जीवों की मन की व्यथा का वर्णन ...
वैकुंठनाथ,-- मेरी मन की बड़ी दुर्दशा है ! यह हमेशा, कामनाओं के लिए आतुर रहता है ! ऐसे मन से, मैं कैसे आपका चिन्तन करू ! यह कभी नहीं खाने वाली जीभ, मुझे स्वादिष्ट रसों की ओर खीचती रहती है ! जनिन्द्रिया काम की ओर, ,त्वचा कोमल स्पर्श की ओर, पेट भोजन की ओर, नाक सुगन्ध की ओर, कान मधुर संगीत की ओर, और चंचल आंखे, सुन्दरता की ओर मुझे खीचती रहती है !
कर्मो के बन्धन से जकड़ा यह जीव, यह अपना है, यह पराया है, इस भेदभाव से युक्त होकर, किसी से मित्रता करता है, किसी से शत्रुता ! इस मूर्ख, जिव जाति की दुर्दशा देख, इस पर करुणा कीजिये भगवन !
उपनिषद् गंगा 41
तत्त्व दृष्टि से, ब्रह्म एक और अद्वैत है ! यहाँ ब्रह्म के अलावा, किसी का भी अस्तित्व नहीं है ! जीव, जगत और ईश्वर एक ही है ! ब्रह्म ही जीव,यह संसार और ईश्वर हैं ! जैसे जल ब्रह्म है, तो, समुद्र - ईश्वर ! और समुद्र की लहरे है -जीव और जगत ! जीव, जगत का सम्बन्ध ऐसा ही है, जैसा, दृष्टा और दृश्य का, कर्ता और कर्म का, भोक्ता और भोग्य का !
जैसे जीव अज्ञानता बस स्वयं को जगत और ईश्वर से अलग मान लेता है ! वह हर वस्तु में, भेद देखने लगता है !
उपनिषद् गंगा-41
❤❤
Ati utm
नरसिंह से प्रह्लाद के द्वारा जीवों की मन की व्यथा का वर्णन किया हैं ।
उस व्यथा से निजात पाने का ढूंढ रहा हु, कोई बता पायेगा ?
@@abhayvaishnav3706यह तो एक पहेली है जिसे हर कोई सुलझाना चाहता है। कोई मानता है बुद्ध, कृष्ण, महावीर जैसे लोग इसे समझ पाए, परंतु वास्तविकता में ये भी झूट है। यह तो मनुष्य जाति की अति विकसिकता का नतीजा है। जब मनुष्य जंगल में शिकार करते और रहते तब ऐसे प्रश्न किसी को नहीं पड़ते थे, सभी पशु हिंसा और जिंदा रहना इसिको धर्म मानते थे। जैसे जैसे मनुष्य की बुद्धि विकसित होती गई उसने आत्मा, परमात्मा, धर्म ऐसी चीजे और प्रल्हाद जैसे प्रश्न खोज निकाले जिनमें वो खुद उलझता रहा। इसी उलझन का जवाब कुछ लोग जैसे कृष्ण और बुद्ध ने देना चाहा परंतु वो कुछ ही लोगों के विवेक को छू पाए और उन लोगो ने धर्म, जाति बनाई। अगर कोई बात वैश्विक सत्य हो तो हर कोई उसे अपना लेता है। जैसे - मनुष्य बिना अन्न के जी नहीं सकता यह सत्य जगत का एक भी इंसान नकार नहीं सकता वैसे सत्य ही एक ही होना चाहिए था। परंतु सब ने अपनी अपनी व्याख्या बनाने की कोशिश की और जिन जिन लोगो के विवेक को वो छू पाई उन्होंने बुद्ध, कृष्ण जैसे मनुष्यों को देवता बनाया। अन्तत: कोई भी बात सत्य नही है सिवाए जन्म और मृत्यु के। तुम कुछ भी मान्य अमान्य करो, किसी भी धर्म, आस्था को अपनाओ उससे कुछ हासिल नहीं होना है। हमे बस अपने मृत्यु तक का वक्त यहां व्यतीत करना है।
@@abhayvaishnav3706 यह तो एक पहेली है जिसे हर कोई सुलझाना चाहता है। कोई मानता है बुद्ध, कृष्ण, महावीर जैसे लोग इसे समझ पाए, परंतु वास्तविकता में ये भी झूट है। यह तो मनुष्य जाति की अति विकसिकता का नतीजा है। जब मनुष्य जंगल में शिकार करते और रहते तब ऐसे प्रश्न किसी को नहीं पड़ते थे, सभी पशु हिंसा और जिंदा रहना इसिको धर्म मानते थे। जैसे जैसे मनुष्य की बुद्धि विकसित होती गई उसने आत्मा, परमात्मा, धर्म ऐसी चीजे और प्रल्हाद जैसे प्रश्न खोज निकाले जिनमें वो खुद उलझता रहा। इसी उलझन का जवाब कुछ लोग जैसे कृष्ण और बुद्ध ने देना चाहा परंतु वो कुछ ही लोगों के विवेक को छू पाए और उन लोगो ने धर्म, जाति बनाई। अगर कोई बात वैश्विक सत्य हो तो हर कोई उसे अपना लेता है। जैसे - मनुष्य बिना अन्न के जी नहीं सकता यह सत्य जगत का एक भी इंसान नकार नहीं सकता वैसे सत्य ही एक ही होना चाहिए था। परंतु सब ने अपनी अपनी व्याख्या बनाने की कोशिश की और जिन जिन लोगो के विवेक को वो छू पाई उन्होंने बुद्ध, कृष्ण जैसे मनुष्यों को देवता बनाया। अन्तत: कोई भी बात सत्य नही है सिवाए जन्म और मृत्यु के। तुम कुछ भी मान्य अमान्य करो, किसी भी धर्म, आस्था को अपनाओ उससे कुछ हासिल नहीं होना है। हमे बस अपने मृत्यु तक का वक्त यहां व्यतीत करना है।
The series must be made mandatory in schools.. how else can we transmit this gyan ganga in our future..
इस सीरियल को बनाने के लिए आपका कोटि कोटि धन्यवाद
Hari Om !
To watch all 52 episodes of Upanishad Ganga
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ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः
Narayan hi par Brahm hai❤❤❤
Hari Om !
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Om Narayan
You tube पर उपनिषद गंगा देखना इंटरनेट और मोबाइल का सर्वोत्तम उपयोग है। इसे देखना मेरे जीवन में घटित सर्वोत्तम घटना है। कितने वर्षों का अध्ययन करना पड़ता ये सब जानने के लिए जो सरल,सुगम मनोरंजक रूप में सहज प्राप्त हो गया मेरे पास शब्द नहीं हैं कृतज्ञता प्रकट करने के लिए चिन्मय मिशन को नमन 🙏🙏🙏
Hari Om!
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अत्युत्तम अति सुंदर प्रस्तुतीकरण
🙏🙏🙏. What else I could say. Just speech less. My sincere salutations to the entire team, for putting tremendous efforts, to slowly inject our profound knowledge to this generation, to bring back the glory of our Nation. Again 🙏
The child artist dialogue delivery is so fabulous ❤
महान सनातन संस्कृति की जय हो
Hari Om !
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बेहद के बेहद की परम परम महा शांति है परम शांति ❤️❤️🙏🙏🙏🙏
Hari Om!
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jo bhi is serious ko dekh rahe hai, jinhone banaya, jinhone socha iske lie, jinke jivan m parivartan aya har kisi ko shubhkamnae kyoki kisi bhi roop m braham ko samajhne ka avsar ya tareeka mile iska matlab kuchh to bhagyashali hai hum log aur bas chetna aur upar uthe🙏🏻❤️
Jai siya Ram 🌸
Hari Om !
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चिन्मय मिशन ने बहुत अद्भुत कार्य किया आप सभी को कोटिश प्रणाम सनातन की श्रेष्ठ सेवा करने के लिए🙏
Hari Om !
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🙏देहदृषटी , जीशदृषटि एवं आतमदृषटि 🙏🙌 जय हो जय हो जय हो 🙌🙏में तत्व के तीन रूप का बहुत सुंदर वर्णन 🙌🙌🙌🙌🙌🙌🛐
जीव..जगत..ईश्वर..तीन रूप का अप्रतिम वर्णन 👌👌👌🙏🙏🙏♥️♥️♥️बहोत बहोत धन्यवाद 🙏🙏🙏♥️♥️♥️कोटी कोटी वन्दन 🙏🙏🙏♥️♥️♥️🙏🙏🙏♥️♥️♥️
Hari Om !
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जीव, जगत और ईश्वर को एक समझने की दृष्टि विकसित होना इतना सामान्य बात नहीं है। लेकिन, जो यम-नियमो के अभ्यास से यह अनुभव कर लिया उसका मनुष्य जीवन सार्थक होना माना जाएगा।
Hari Om
वाह क्या विचार है l
अद्भुत ऒर केवल अप्रतिम।
विषय अत्यंत मार्मिक एवम् हृदयस्थ। आपका हर इपिसोड सनातन तत्वकी सिख देता हॆ।
आभार।
Jay jagannath swami 🙏🙏🙏
Hari Om !
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धन्यवाद जी ! प्रतिक्षा समाप्त हुआ ।
साम्ब सदाशिव ❤🙏
Hari Om!
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धन्य है भक्त प्रहलादजी की ईश्वर भक्ति को। जिसने दैत्य कुल में जन्म लेकर भी ईश्वर की भक्ति की और स्वयं भगवान को नृसिंह रुप लेकर अवतरित होना पडा प्रहलादजी की रक्षा के लिए।
Om Narayan
જય શ્રી કૃષ્ણ 🙏🙏🙏🙏🙏🙏
હર હર ગંગા મૈયા જી 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
હર હર મહાદેવ ્્્્્્ૐ નમઃ શિવાય 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
हरिओम 🌹🌹🌹🙏🙏🙏
Hari Om !
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यत्र, तत्र, सर्वत्र ब्रह्म
पुरुष, प्रकृति, और ब्रह्म❤
ॐ तत् सत्।
Hari Om!
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Dhanyawad guruji for uploading the episode
Achha prstuti hai 🙏🏻🙏🏻
क्या प्रस्तुति दी है कलाकारों ने 🤗💖
बहुत बहुत धन्यवाद ❤️
आप सभी महानुभावों को नमस्ते। ईश्वर जीव और पृकृति इन तीनों की सत्ता पृथक् पृथक् है क्योंकि तीनों के गुण कर्म स्वभाव अलग अलग हैं जैसे जीव अल्पज्ञ और ईश्वर सर्वज्ञ तथा प्रकृति अचेतन है यजुर्वेद का ४०वां अध्याय तीनों के भेद को अच्छी तरह से स्पष्ट करता है।
अद्वेत में सब एक है।आपका लेख द्वेत युक्त है
Excellent.
Plz continue this channel and these kind of epic programs as well as all the actors are exceptional.
🙏AumNamahShivay🙏
🙏🙏🙏 यह प्रत्येक व्यक्ति मै विराजमान दृष्टिकोण हैं.
अद्भुत, अद्वितीय, प्रेरणादायक एवं ज्ञानवर्धक
Bahut bahut dhanyawad...the episode was amazing ..jeev ko avidya ki nidra se jagane wala anubhav tha.. literally I'm blessed to watch such an extraordinary peace of gyaan thank you so much I'm thankful of everyone who involved in this amezing episode..Hari Om
Thank you ABBA for everything , l need you ABBA , l love you so much ABBA 🔥💕💕
अदभुत झलकियां खास है 🙏
जीव, ईश्वर, माया, ब्रह्म और परब्रह्म ये पांच तत्व है और ये अनादि है।
अथातो ब्रह्मजिज्ञासा 🙏
This Serial Tells Deep Spirituality 🌸❤️🙏🏻 My favourite
हरे राम हरे कृष्ण 🚩🙏🪷🪷🪷🕉🥰💪
Hari Om!
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महान भारतीय दर्शन शास्त्र 🙏❤
This series should be considered a national treasure. The level of creativity in showing the Narasima avatar is out of the world.. wish it didn't end at 52 episodes
Hari Om!
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जीव जगत और ब्रह्म का अद्भुत विशलेषण ।
जय सनातन धर्म ।
🙏🌹Upanishad Ganga🌹🙏
Hari Om!
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🚩🚩सादर प्रणाम🚩🚩
🚩🚩हर हर महादेव🚩🚩
🚩🚩जय माता की🚩🚩
💐💐जय श्री राधे कृष्ण💐💐
Jay Shree Hari 🙏🙇♀️🙌🌍💐☺️😌❤️🤍💙
Hari Om !
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प्रणाम करता हूँ पूरी टीम को ऐसी विलक्षण प्रस्तुति के लिए धन्य है हमारा भारत महान देश है महापुरुषोँ ने ही महान बनाया सन्त समाज का ऋण है हम पर 🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏🕉🙏
Om Narayan Narayan Narayan
Hari Om !
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अद्वितीय, अद्भुत कोटि कोटि नमन 😊😊
Sabhi guruon, divygyaniyo ko pranaam. Sarvjanik rup se jag kalyan hetu sadupdesh de. Taki hahakar kam ho manav man me halchal kam ho. Jay shree ram🙏🙏
Hari Om tatsat.. jai shree bishnu ji maharaj... om namah sivai..
Hari Om !
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Energising thoughts, powerful citation and very good 😊 performance is great service
This the fantastic way for turning inwards to be one with the cosmic consciousness GURUJI DANDAWAT PRANAM TO YOU & ENTIRE TEAM FOR THIS MARVELOUS PRESENTATION
What a beautiful episode.. Actors totally nailed and our holy books are full of everything
Remind me old days when my grandmother telling this story thanks 🙏🌄
●दोहा1 ☆ क्षर अक्षर अति पार है,परमधाम निज धाम।
बसृष्टी ब्रह्म निबास है,परम अखंड मुकाम।।
• परम धाम अद्वैत स्वरूपा।
परम अनादि अखंड अनूपा।।1
• सत चिद् आनंद घन परमेश्वर।
आनंद से श्यामा सर्वेश्वरि।।2
• ब्रह्म सृष्टि सखिं .श्यामा अंगी।
करहिं खेल सब सखियन संगी।।3
• रंग महल निज धाम सुहावहि।
दमकहि.दस मंजिल दरसावहि।।4
• दसमी भौम सोहि आकाशी ।
चम चम चमकहि परम प्रकाशी।।5
• प्रथम भोम सोइ मूल मिलावा।
परम प्रकाशहिं रतन सुहावा।।6
• चौसठ थम्म चार सुभ दुआरा।
सुन्दर सोहिं चबूतरा चारा।।7
• मध्य सिंहासन सोभय कैसे ।
पंकज पुस्प कर्णका जैसे।।8
• यद्यपि उपमा शब्द न आबे।
रतन सिंहासन परम सुहाबे।।9
• तापर युगल किसोर विराजे।
श्यामा श्याम सुखद सुभ साजे।।10
• सो परमेश्वर कृपा निकेता।
चितवनि करत सोई सुख लेता।।11
• धाम धनी श्री राज हमारे।
परमानंद परम प्रभु प्यारे।।१२
• ब्रह्म सृष्टि अब श्याम सहारे।
धाम धनी भव पार उतारे।।13
●दोहा2 ☆ पंकित प्रथम सोवही, सखियाँ दोय हजार।
सहस्त्र चार ,हज्जार छः, दो ,पुनः तीन कतार।।
• द्वादशि सहस्त्र सखी सुख वारे।
परमेश्वर निज नयन . निहारें।।14
• महिमा सृष्टी ब्रह्म अपारा।
वर्णन कर नहिं पावहि पारा ।।15
• अंगना पार ब्रह्म परमेश्वर।
ब्रह्म सृष्टि हृदय #सर्वेश्वर।।16
• ब्रह्म सृष्टि जग जन्महि नाहीं।
सपनेंहिं दुख देखहि जग मांही।।17
• ब्रह्म सृष्टि आवेशित होई।
उत्तम कोट जीव जग जोई।।18
• सदाचार व्रत जप तप नाना।
करहि जीव जो तज अभिमाना।।19
• निरविकार तन मन बुध जाना।
उत्तम कोट जीव सोइ माना।।20
• परम स्वरूप सच्चिदानंदा।
परमेश्वर प्रभु परमानन्दा।।21
• सत के अंस ब्रह्म जो अक्षर।
कोटन रचत ब्रह्मांड खेल कर।।22
• छिनमें रचत मिटावत छिनमें।
कोट ब्रह्मांड अक्षर. सपनेंमें ।।23
• अक्षर चित जो खेल विकारा।
सोहि #सदाशिव शास्त्र पुकारा।।24
• दस भुज जो मुख पंच पुरारी।
पंन्द्रह दृग प्रलय महा कारी।।25
• निराकार महाकाल कहाये।
ओमकार प्रणव वतलाये।।26
• कोटन अखिल विश्व संसारा।
अक्षर सुपन न वेद बिचारा।।27
• लीला अक्षर समझ न पाये।
नेति नेति बुध वेद वताये।।28
• सत्य अंश आक्षर कर नामा।
करहि वास निज अक्षरधामा।।29
• अक्षर मन इच्छा जो आई।
सोई मूल प्रकृति कहलाई।।30
• कोटन महाकाल गति नाहीं।
अक्षर चरित सो समझ न पाहीं।।31
●दोहा3 ☆ मोह, काल,भ्रम,कर्म जो, सून्य अबुध अज्ञान।
नाम नींद के सब कहे, निराकार निरगून।।
• परमधाम चिद् अंस अपारा।
पक्ष पचीस सो नित्य पसारा।।32
• सोभय परम प्रकाश अपारा।
धामधनी छवि सब उजियारा।।33
• नीर1 क्षीर2 दधि3 घृत4 मधु5 सागर।
रस6 सबहीरस7 तेज8 सुधाकर।।34
• अष्टद्वीप आठहु सागर के ।
सब पर भवन सोहिं रतननके।।35
• सात घाट जमुना दोउ पारी।
सीडी भवन सोंहि तट प्यारी।।36
• केल निवोई घाट अनारा।
जामुन तट वटवृक्ष किनारा।।37
• मध्य घाट अमरत दोउ. पारें।
आम वृक्ष सुभ सोहिं कतारें।।38
• दो पुल सोभहिं जमुना जीके।
केल और वट पुल अति नीके।।39
• दोऊ पुलन पर भवन मनोहर।
मंदिर सम सोभय अति सुन्दर।।40
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Ye kis granth se liye gaye hai ji??
@@sarwarsarsinivillage1130 निजानंद_संप्रदाय तारतम वाणी #हरिद्वार_शास्त्रार्थ व्हिडिओ देखे
Dhanwad ji awesome
Paramshanti🙏☮️💖
धन्यवाद...🙏🏻🙏🏻
Yah Gyan sunkr apni atma ki bodh sahj ho jata h
अद्भुत अद्भुत अद्भुत 🙏🏻🙏🏻
Namaskar guruji 🙏🏻
RAM RAM 🚩🚩🚩
Hari Om !
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Jai shree krishna ❤
Jai shree Ram ❤
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🙏 Bahut 🙏 sundar 🙏 Jai 🙏 jeeb 🙏 🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹💐🌹
Param Shanti 🙏🙏🙏🙏
He prmeshawar aapko namskar 🙏🙏 he narsingh dev aapko namskar 🙏🙏
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बहुत ही प्रेरणादायक | जय श्री राम
Jai shree Ram 🙏🏼🙏🏼
Jai shree ram ji.
अति सुन्दर
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Thxs so much to understand vedas thruth n simple way dhanyvad 🙏🙏🙏
Jay shree hari Jay shree kirshana bhagwan 🚩 🙏 ♥️ RADHE RADHE JAY SHREE ram 🙏 ♥️
Hari Om!
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Bahut hi sarlta se sab dharsaya gaya hai❤❤❤❤❤😮
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Waiting for this episode🙏
सब प्रकार ईश्वर ही पूरण है एक ही वो जिस से हम सबबने है
सुंदर.
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अहम ब्रहमास्मी.. धन्यवाद....
ईश्वर ही हे ...तुम हो की नही पक्का करो पता करो😊
Hari Om !
Hari om❤
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Gratitude, love ❤
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Gyan Jo ishwar se mila de wahi he Satya hai
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Most important episode.
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अदभुत है भाई
अद्भुत,अप्रतिम , प्रेरणादाई।
Hari om!
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Deep Gratitude for everyone ❤
Very profound DHANYAWAAD
I feel very light 😊😊
shine souls journey The whole world shines brighter brighter. I me God shines
Dhanyawad 🙏
सभी को धन्यवाद
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@@ChinmayaChannel जी अवश्य 🙏🏻
जय श्री उग्र नरसिंह भगवान्
Thanku for making this type show's
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परम सत्य श्री हरि को मेरा नमन
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Jai Shri Ram
Om shanti🙏
Really awesome, it looks like God has inspired someone to make this video for those who want to figure out one's identity.
Hari Om!
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