Janmdin, Jayantiyan, Jyadatiyan ( जन्मदिन, जयंतियां, ज्यादतियां)

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  • Опубліковано 19 вер 2024
  • "जन्मदिन का उत्सव क्या है? क्या आप एक दिन और नजदीक आ गए हैं मौत के या एक और साल दूर चले गए हैं अपने लक्ष्यों से?"
    -हरिशंकर परसाई
    क्या हमने कभी सोचा है कि जन्मदिन मनाने का असली मतलब क्या है? क्या यह उत्सव आत्म-चिंतन का समय है या बस एक रस्म?
    हरिशंकर परसाई ने अपने लेखन के माध्यम से समाज की उन धारणाओं पर तीखा व्यंग्य किया है जो अक्सर हमें दिखावटी खुशियों में उलझा देती हैं। जन्मदिन और जयंती मनाने की परंपरा को उन्होंने एक नई दृष्टि से देखने की प्रेरणा दी है। क्या हम भी अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण दिन को सिर्फ एक उत्सव की तरह नहीं बल्कि आत्म-मूल्यांकन का समय मान सकते हैं? इस 100वें जन्मदिन पर, आइए हम उनके व्यंग्यात्मक दृष्टिकोण से जीवन को एक नई दिशा देने का प्रयास करें और जानें परसाई स्वयं क्या कहते हैं अपने जन्मदिन और जयंतियों के मानने के बारे...
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