छाना बिलौरी का घामा। इस गीत की रचना और गाया है सुप्रसिद्ध लेखिका, गीतकार , गायिका श्रीमती वीना तिवारी जी हल्द्वानी ने। मेरी मनमोहन बड़थ्वाल भागीरथी की बड़ी बहन हैं वह। सुमधुर आवाज
जहां तक मैं समझता हूँ ये एक प्रतीकात्मक गीत है जो पहाड़ की कामकाजी महिलाओं पर केन्द्रित है, वैसे भी पहाड़ों मे खेती-बाडी का काम महिलाओं के जिम्मे ज्यादा है. यह गीत हर उस महिला का गीत है जो जिन्दगी भर खटती रहती है, मानता हूं नही लगता होगा छाना बिलोरी मे घाम लेकिन पहाड का हर वो गांव छाना बिलोरी ही है उन महिलाओं के लिए जिनके लिए जिन्दगी गाय-भैस,खेत-खलिहान, घास-पात ,गाज्यौ-लुट ,झाडू-पोछा तक सिमटकर रह गई है।आजकल के मोर्डन लोग जब गेम खेलते-खेलते,बाईक चलाते-चलाते, पिक्चर देखते-देखते, चैटिंग करते-करते अक्सर बोर हो जाया करते हैं ,तो वो महिला तो काम मे जुटी है, गोबर मे सनी है,गाज्यौ के कुमरों से बुनी है .काम करते-करते कभी उसका मन भी उचाट हो सकता है, उदास हो सकता है ।बस उसी उदासी ,उसी उदेख की अभिव्यक्ति है ये गीत।फिर वो गांव कोई भी हो उदासी, उदेख, दुःख, तकलीफ, कष्ट तो एक जैसे ही हैं।इसीलिए मैंने कहा कि ये एक प्रतीकात्मक गीत है जो समूचे पहाड की महिलाओं के तकलीफों की नुमाइंदगी करता है। बहरहाल वीडियो अच्छा बना है।
जी मैं जो लिखना चाहता था वो सब आपने लिख दिया है ये बात सत्य है घाम के समय घाम भी लगते हैं लेकिन जिस लड़की के तरफ से ये गाना बनाया गया या लिखा गया ये उसकी आप बीतीं होगी उसे कष्ट आया होगा हो सकता है वह जिस मुल्क की होगी वहां इतना घाम नहीं लगते होंगे और फिर एक सत्य ये भी है उस समय बाल विवाह होता था मायके में इतनी परेशानी नहीं देखी होगी और ये बात सत्य उस समय बहू की जीवनी बहुत ही कठिन थी खेती-बाड़ी का बोझ उसके ऊपर होता था हमारी मां की शादी भी दस साल का हो गया था वो जब अपनी आप बीती हमें बताती थी तो हमें आज भी रोना आता है कुछ ऐसा ही समय हमने भी देखा है आज मेरी उम्र 60 साल है अगर मेरा कमेंट गलत लगे तो माफ करना जी नमस्कार
पांडे जी सादर नमस्कार। आपकी यह वीडियो में छाना बिलौरी गांव और काफी पुराना प्रचलित लोकगीत खान दिया बोज्यू छाना बिलौरी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। गांव बिलौरी काफी अच्छा लगा। मैंने भी यह गीत बचपन में काफी सुना था बहुत अच्छा लगता था। मैने इस लोकगीत को सांस्कृतिक कार्यक्रमो में बहुत बार मार्मिकता से गाया भी है। जिसको सुनकर महिलाएं और लड़कियां रोने लग जाती थी। आपका व गांव वालों का बहुत बहुत आभार व धन्यवाद। जय उत्तराखंड जय बागनाथ जी की।
मैं भी इसी एरिया से हू । अपना बचपन यही बताया है । बहुत याद आती है अपने बचपन की अल्मोड़ा मैग्नीफाइड की फैक्ट्री यहीं पर है फैक्ट्री के अंदर से हम रोज नाशपाती अमरूद स्कूल आते जाते वक्त तोड़ा करते थे
बचपन में यह गीत बहुत सुना पर जब आज छाना बिलोरी गाँव देखा तो ऐसा नही लगा कि इतना भी बुरा हैं। पर गीत हो हिट हो गया फौज में मसकबाज की धुन में आज भी बजता हैं ।
छाना बिलोरी का बिलोक बहुत अच्छा लगा क्योंकि पिछले बीस साल के अन्दर में दो बार बारात में गया हूं मेरे अपने गांव में बिलोरी की दो लड़कियां हैं हां वहां पहले लड़की देने में लोग कतराते थे अब नहीं लगता है ऐसा कुछ है नहीं तो वहां के लड़के सब कुंवारे ही होते आप के बिलोक बहुत कुछ सिखाते हैं में खोज खोज कर देखता हूं ❤❤
पांडे जी नमस्कार, आपका हार्दिक अभिनंदन । आप उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को बखूबी सुंदरता के साथ प्रस्तुत करके एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा रहे हो । ईश्वर आपको स्वस्थ व दीर्घायु बनाए । आपकी प्रतिभा को आकाश की ऊँचाई प्रदान करे।👏🌺👏🌺👏🌺👏🌺👏🌺👏
विडियो अच्छा बनाया आपने जब टाटा कंपनी का जिक्र आ ही गया था तो एक झलक उस प्लांट का भी दिखा देते क्योंकि आपके माध्यम से ही आज पता चला कि यहां टाटा की मैग्नेशियम की कंपनी यहां इतनी पूरानी है क्या आज भी है और मैग्नीशियम आज भी पर्याप्त है अवगत कराइयेगा धन्यवाद
आज सुन्दर लग रही है 100-150साल पुरानी कल्पना करो कैसा होगा बालेश्वर मे भी कुछ नही था यही सब जगल था गर्मी बहुत होती थी मैगनिसाईड फैक्टरी बनी सड़क आ गई विकास हुआ अब अच्छा लग रहा है हमारे पिताजी दादा जी अल्मोड़ा पैदल जाते थे तब कोई सड़क नही थी
इस गीत का सृजन जब हुआ था तब का सायद ही कोई byakti जीवित होगा। महिलाएँ उस काल में आभूषण पहने रहतीं थीं। उनदिनों किसी घटना के होने पर गीतों के माध्यम से ही लोग अपनी भड़ास निकालते थे। तब जनसंख्या भी कम होती थी। जरूरत की वस्तुएँ लेने के लिए लोगों को दूर जाना होता था।
1959-60 में सड़क बनने के बाद जीवन कुछ आसान हो पाया था । अन्यथा विशेषकर महिलाओं का जीवन वास्तव में कठिन था। सड़क निर्माण के बाद पैदा हुए लोग तब की कठिनाइयों का अनुमान भी नहीं लगा सकते।
भय्या जब वह गीत बनाया गाया गया तब वहॉ न सड़क थी न रास्ते थे जंगल था उपराऊँ जमीन थी खेती के अलावा कोई काम धन्धा नही था सौ साल पुराना गीत है सरास मे दु:खी होकर भाग कर मायके आई लड़की ने वह गीत गाया अपनी आप बीती को गीत मे बँया किया
जैसा कि गाने का थीम थी कि धूप असहनीय हुआ करती थी। नई नवेली बहू और अपनी चेली को बिना कभी संतोष जनक नहीं था। सासूमा को काम करवाना पड़ता था. उस दौरान बहु को काम करने की दुखाई हुआ करता था. मौसम और सास का व्यवहार दोबारा नहीं व!पस गयी.
Ekdam galat kha appne bhi sahb ham bhi pahad ke hi hai pahle chhana bilori me ghhham lagta thha our kaam bhi bhut hota thha jo aaj sab ulta ho gaya hai eye sachai hai eye jo bata rhe hai eye aaj ka mahol se bata rhe hai eye to aaj ke aadmi hai bhai mere pahle yani purane aadmiyo se puchho hamare maa baap bhi kahte thhe magar aaj sab Badal gaya hai bhai mere in ko kuchh bhi nhi pata hai eye sirf thhoda bahut jante hai kiyoki eye jiyada purane nhi hai eye sachai hai
Jai. ho. dev. Bhumi. Ki. Wah. Kya. Sundar. gana. Ot. Madur, aawaj. Ji..ho..Uttarakhand.
भैया आप बहुत सुंदर गालेते हों बहुत सुंदर गांव का मस्त नज़ारा ❤❤❤❤
बहुत खूब डॉक्यूमेंट्री बनाई है आपने👍💐
बहुत सुंदर पांडे जी जानकारी देने के लिए
छाना बिलौरी का घामा।
इस गीत की रचना और गाया है सुप्रसिद्ध लेखिका, गीतकार , गायिका श्रीमती वीना तिवारी जी हल्द्वानी ने। मेरी मनमोहन बड़थ्वाल भागीरथी की बड़ी बहन हैं वह। सुमधुर आवाज
Bhut badiya dadi ap aise hi pahadi logo se milwaya kro mujhe bhut pasnd aata h Mera phad aur wha k log ❤❤❤❤❤❤❤❤
Aur me bhi bageswar mankot se hu 🥰🥰ap bhi bageswar k ho to bhut hi kribi ho mere 🙏🙏🥰🥰
AAPKA PURA NAAM KYA HAI
बहुत सुंदर पांडे जी बहुत अच्छा लगा 🙏
जहां तक मैं समझता हूँ ये एक प्रतीकात्मक गीत है जो पहाड़ की कामकाजी महिलाओं पर केन्द्रित है, वैसे भी पहाड़ों मे खेती-बाडी का काम महिलाओं के जिम्मे ज्यादा है. यह गीत हर उस महिला का गीत है जो जिन्दगी भर खटती रहती है, मानता हूं नही लगता होगा छाना बिलोरी मे घाम लेकिन पहाड का हर वो गांव छाना बिलोरी ही है उन महिलाओं के लिए जिनके लिए जिन्दगी गाय-भैस,खेत-खलिहान, घास-पात ,गाज्यौ-लुट ,झाडू-पोछा तक सिमटकर रह गई है।आजकल के मोर्डन लोग जब गेम खेलते-खेलते,बाईक चलाते-चलाते, पिक्चर देखते-देखते, चैटिंग करते-करते अक्सर बोर हो जाया करते हैं ,तो वो महिला तो काम मे जुटी है, गोबर मे सनी है,गाज्यौ के कुमरों से बुनी है .काम करते-करते कभी उसका मन भी उचाट हो सकता है, उदास हो सकता है ।बस उसी उदासी ,उसी उदेख की अभिव्यक्ति है ये गीत।फिर वो गांव कोई भी हो उदासी, उदेख, दुःख, तकलीफ, कष्ट तो एक जैसे ही हैं।इसीलिए मैंने कहा कि ये एक प्रतीकात्मक गीत है जो समूचे पहाड की महिलाओं के तकलीफों की नुमाइंदगी करता है।
बहरहाल वीडियो अच्छा बना है।
जी मैं जो लिखना चाहता था वो सब आपने लिख दिया है ये बात सत्य है घाम के समय घाम भी लगते हैं लेकिन जिस लड़की के तरफ से ये गाना बनाया गया या लिखा गया ये उसकी आप बीतीं होगी उसे कष्ट आया होगा हो सकता है वह जिस मुल्क की होगी वहां इतना घाम नहीं लगते होंगे और फिर एक सत्य ये भी है उस समय बाल विवाह होता था मायके में इतनी परेशानी नहीं देखी होगी और ये बात सत्य उस समय बहू की जीवनी बहुत ही कठिन थी खेती-बाड़ी का बोझ उसके ऊपर होता था हमारी मां की शादी भी दस साल का हो गया था वो जब अपनी आप बीती हमें बताती थी तो हमें आज भी रोना आता है कुछ ऐसा ही समय हमने भी देखा है आज मेरी उम्र 60 साल है अगर मेरा कमेंट गलत लगे तो माफ करना जी नमस्कार
जी नही... आपने एकदम ठीक लिखा है जी
❤❤❤❤❤
हाँ जी बिल्कुल,पहाड़ की हर महिला का गीत है ये और हमारे गाँव बिल्लोरी में सामान्य ही तापमान रहता था, तदू घाम नि लागन 😀
पांडे जी सादर नमस्कार। आपकी यह वीडियो में छाना बिलौरी गांव और काफी पुराना प्रचलित लोकगीत खान दिया बोज्यू छाना बिलौरी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। गांव बिलौरी काफी अच्छा लगा। मैंने भी यह गीत बचपन में काफी सुना था बहुत अच्छा लगता था। मैने इस लोकगीत को सांस्कृतिक कार्यक्रमो में बहुत बार मार्मिकता से गाया भी है। जिसको सुनकर महिलाएं और लड़कियां रोने लग जाती थी। आपका व गांव वालों का बहुत बहुत आभार व धन्यवाद। जय उत्तराखंड जय बागनाथ जी की।
मैं भी इसी एरिया से हू । अपना बचपन यही बताया है । बहुत याद आती है अपने बचपन की अल्मोड़ा मैग्नीफाइड की फैक्ट्री यहीं पर है फैक्ट्री के अंदर से हम रोज नाशपाती अमरूद स्कूल आते जाते वक्त तोड़ा करते थे
भाई जी इस वीडियो को अपने नाते रिश्तेदारों तक शेयर कीजिए
Very nice pandey jee
बचपन में यह गीत बहुत सुना पर जब आज छाना बिलोरी गाँव देखा तो ऐसा नही लगा कि इतना भी बुरा हैं। पर गीत हो हिट हो गया फौज में मसकबाज की धुन में आज भी बजता हैं ।
बहुत सुन्दर ब्लॉक
छाना बिलोरी का बिलोक बहुत अच्छा लगा क्योंकि पिछले बीस साल के अन्दर में दो बार बारात में गया हूं मेरे अपने गांव में बिलोरी की दो लड़कियां हैं हां वहां पहले लड़की देने में लोग कतराते थे अब नहीं लगता है ऐसा कुछ है नहीं तो वहां के लड़के सब कुंवारे ही होते आप के बिलोक बहुत कुछ सिखाते हैं में खोज खोज कर देखता हूं ❤❤
Waah , kamal ka content. Subscribed.
बहुत ही शानदार आवाज
पांडे जी नमस्कार, आपका हार्दिक अभिनंदन ।
आप उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत को बखूबी सुंदरता के साथ प्रस्तुत करके एक उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा रहे हो । ईश्वर आपको स्वस्थ व दीर्घायु बनाए । आपकी प्रतिभा को आकाश की ऊँचाई प्रदान करे।👏🌺👏🌺👏🌺👏🌺👏🌺👏
इंशाअल्लाह
🙏,जय देवभूमि उत्तराखंड,जय हिमाळ 🙏🇮🇳🚩
Jai ho dev bhumi ki wah ji wah kya sundar gana or madur aawaj ji 🎉🎉🎉🎉🎉
Bachpan se ye gana sunte h sochte the kaha hogi aishi jagah par aaj apki video me dekh liya bhaya bhut acha lga
छाना है की छौना?
बहुत पुराना और सुंदर गीत है
Bhut hi sundar aaj pata laga pura such
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति
Ati sundar 👌
Mere guru ji ko mera Dandwat pranaam 🙏
इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर कीजिए plz
P,je,app,गायकर,b,ha,v,nice
Supar Pande ji
बहुत सुंदर
विडियो अच्छा बनाया आपने जब टाटा कंपनी का जिक्र आ ही गया था तो एक झलक उस प्लांट का भी दिखा देते क्योंकि आपके माध्यम से ही आज पता चला कि यहां टाटा की मैग्नेशियम की कंपनी यहां इतनी पूरानी है क्या आज भी है और मैग्नीशियम आज भी पर्याप्त है अवगत कराइयेगा धन्यवाद
Waah kya baat hai 👍 Mera.kumaon.🙏👌😁
Bahut hi Sundar
बहुत
ही सुंदर
बहुत ही सुंदर 👍🙏
Ye gaana abhi bhi famous hai.but Chhana Bilouri beautiful village.
जितनी सुरीली आपकी आवाज है उससे कहीं ज्यादा सुन्दर आपने विषय चुना है।
Really?
कैसे कह सकते हैं झन दिया बौजयू। ये तो बहुत अच्छी जगह है।
आज सुन्दर लग रही है 100-150साल पुरानी कल्पना करो कैसा होगा बालेश्वर मे भी कुछ नही था यही सब जगल था गर्मी बहुत होती थी मैगनिसाईड फैक्टरी बनी सड़क आ गई विकास हुआ अब अच्छा लग रहा है हमारे पिताजी दादा जी अल्मोड़ा पैदल जाते थे तब कोई सड़क नही थी
Nice information.... hidden village.... Uttarakhand is devbhoomi.... namaskar.,. this video forwarded to many groups
Wow nice
Kya khoob V- loging boss 🙏❤
THANK YOU BOSS💐
बहुत सुंदर गाया 🙏🏻🙏🏻👍
4:53 good❤❤❤😂❤
Bhut sunder song
मेरे दोस्त राजीव मेहरा जी ने इलाहाबाद में सुनाया था आजकल वे हल्द्वानी में आर टी ओ पद पर हैं.
य
Jai ho hamari saskirte hamari pahchan🙏🙏
Bahut Sundar
Please share maximum
Nice
झन दिया बऔजयू गाना उस समय हकीकत था बिकास की बजह से अब इस गीत को भुला दिया गया है
❤❤❤❤❤❤❤
Great one as usual👍
❤❤
Radha dhapola👌👌😍😍
Maithili Singh Negi
Ye to mera hi vaha ka hai
kaha ji?
Thanks for sharing the information of this village. I heard this song but not aware about the location of village
सर
सीताराम
❤
👍👍👍👍
इतनी सुरीली आवाज है घुटनों से आंसू आ रहे हैं
L
ये गाना हमारे पट्टी के नाम पर बना है छाना बिलोरी 🎉🎉
ji
इस गीत का सृजन जब हुआ था तब का सायद ही कोई byakti जीवित होगा। महिलाएँ उस काल में आभूषण पहने रहतीं थीं। उनदिनों किसी घटना के होने पर गीतों के माध्यम से ही लोग अपनी भड़ास निकालते थे। तब जनसंख्या भी कम होती थी। जरूरत की वस्तुएँ लेने के लिए लोगों को दूर जाना होता था।
1959-60 में सड़क बनने के बाद जीवन कुछ आसान हो पाया था । अन्यथा विशेषकर महिलाओं का जीवन वास्तव में कठिन था। सड़क निर्माण के बाद पैदा हुए लोग तब की कठिनाइयों का अनुमान भी नहीं लगा सकते।
namshakar madame
राजू भाई क्या हाल है
Hello mere bhai
तब और आज में बहुत फर्क हुआ है रहन सहन
भय्या जब वह गीत बनाया गाया गया तब वहॉ न सड़क थी न रास्ते थे जंगल था उपराऊँ जमीन थी खेती के अलावा कोई काम धन्धा नही था सौ साल पुराना गीत है सरास मे दु:खी होकर भाग कर मायके आई लड़की ने वह गीत गाया अपनी आप बीती को गीत मे बँया किया
🙏🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🙏🟠🛕☀️🚩🇮🇳🟠🙏🙏🙏
भौत्ते भल प्रस्तुति।।
Is it sponsored by Aam Admi Party.
KYA MATLAB!
YE KYA BEHUDA PAN HAI?
IS BAKWAS KA KYA MATLAB HUA
गोपालबाबू गोस्वामी ने गया था
आपको छौना भी जाना चाहिए था क्योंकि आपको छौना की खुबसूरती छौना जाके ही दिखती..
शाम देर हो गयी थी मैडम, और जाते जाते बारिश भी शुरू हो गयी थी, इसलिए नही हो पाया
जैसा कि गाने का थीम थी कि धूप असहनीय हुआ करती थी। नई नवेली बहू और अपनी चेली को बिना कभी संतोष जनक नहीं था। सासूमा को काम करवाना पड़ता था. उस दौरान बहु को काम करने की दुखाई हुआ करता था. मौसम और सास का व्यवहार दोबारा नहीं व!पस गयी.
Kuch bhi bolo mahilao ki zindagi bahut kathin hai kam bahut hai phado me khi bhi koi bhi village me
आप
😅😅
वो छाना बिलौरी कहीं और है
नहीं तो
बताइये जी, फिर वो बिलौरी कहाँ है
छौना तो आपने दिखाया ही नहीं ..
देर हो गयी थी शाम हो गयी थी, बारिश भी आ गयी
अरे ऐ तो एक गाना बनया है।बेटी के बिरहा का किस्सा है। और गाना बना दिया है। किसी ने और कोई लम्बी कहानी नही है।
एक बार ध्वज भी जाओ
Ekdam galat kha appne bhi sahb ham bhi pahad ke hi hai pahle chhana bilori me ghhham lagta thha our kaam bhi bhut hota thha jo aaj sab ulta ho gaya hai eye sachai hai eye jo bata rhe hai eye aaj ka mahol se bata rhe hai eye to aaj ke aadmi hai bhai mere pahle yani purane aadmiyo se puchho hamare maa baap bhi kahte thhe magar aaj sab Badal gaya hai bhai mere in ko kuchh bhi nhi pata hai eye sirf thhoda bahut jante hai kiyoki eye jiyada purane nhi hai eye sachai hai
बहुत सुंदर
Nice
❤
Nice
Nice